16 अप्रैल को, महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के गडचिंचले गांव में सशस्त्र भीड़ ने तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. ये गांव कासा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है. तीन दिनों के बाद, इस घटना के अलग-अलग वीडियो सोशल मीडिया पर इस आक्षेप के साथ शेयर किए गए कि ये मुस्लिम संप्रदाय के लोगों द्वारा किया गया सांप्रदायिक अपराध है.
कुछ लोगों ने, इस वीभत्स घटना का एक वीडियो इस दावे के साथ ट्वीट किया कि भीड़ “मार शोएब मार” चिल्ला रही है.
इस वीडियो के लास्ट में बहुत ध्यान से सुनें, साफ़ साफ़ एक लड़का बोल रहा है, “ मार शोएब मार “
Listen carefully man inciting another Shoaib fr lynching Hindu saint “maar maar Shoaib maar”#Palghar_Incident pic.twitter.com/aQO8fp3UdY
— Mohit Bharatiya 🇮🇳 #StayHome #StaySafe ! (@mohitbharatiya_) April 19, 2020
फ़िल्म निर्देशक अशोक पंडित ने दो बार दावा किया कि इस घटना में संलिप्त दोषी का नाम “शोएब” है.
सुदर्शन न्यूज़ के, एडिटर-इन-चीफ़, सुरेश चव्हाणके ने भी ये दावा किया कि उन्होंने वीडियो में “शोएब” शब्द सुना है.
बीजेपी दिल्ली की ऋचा पांडे मिश्रा ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “मार शोएब मार, मार डाल”. ‘याना मीर’ और ‘दिस पोसेबल’ के अकाउंट से भी इसी तरह के ट्वीट किए गए. इन ट्वीट्स को लगभग 2,700 बार री-ट्वीट किया जा चुका है. फ़ेसबुक पेज ऑवर इंडिया ने वीडियो को ऐसे ही सांप्रदायिक नैरेटिव के साथ पोस्ट किया. उनके पोस्ट को 2,200 से अधिक बार शेयर किया जा चुका है.
ये वीडियो ईसाई एंगल के साथ भी वायरल है
दो मृत व्यक्तियों की फ़ोटो, सोशल मीडिया पर एक अन्य ग्राफ़िक के साथ शेयर की जा रही है. इस ग्राफ़िक्स के ज़रिए ‘ईसाई मिशनरियों के गुंडों’ को हमले के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.
#PalgharMobLynching
Sadhus R murdered by mobs in front of police.
Police failing to protect them
Media shows little concern for their plight
In the land of Yoga, dis can’t be tolerated & all groups involved must be made strictly accountable#हिन्दू_संतों_की_हत्या_क्यों❓#Palghar pic.twitter.com/AAu5omyIxn— manoj bhai (@ShriManoj9) April 20, 2020
वीडियो में “शोएब’’ नहीं
इस घटना के, अलग-अलग एंगल से रिकॉर्ड किए गए, कई वीडियोज़ देखने के बाद, ऑल्ट न्यूज़ को मालूम चला कि लोग “बस ओये बस” चिल्ला रहे हैं. नीचे पोस्ट किए गए वीडियो में आप ये वाक्य सुन सकते हैं. इसलिए, ये दावा कि इस घटना के अभियुक्तों में से एक का नाम शोएब है, बिल्कुल आधारहीन है.
Did you here at 10 sec what I hear? #JusticeForHinduSadhus pic.twitter.com/6Q2HcKfrzQ
— Hasmukh Parmar (@Parmar_Hasmukh_) April 19, 2020
कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है
महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने ट्विटर पर जानकारी दी कि इस घटना का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. उन्होंने ये भी बताया कि इस घटना के पीड़ित और अभियुक्त अलग-अलग संप्रदाय से नहीं हैं.
मुंबईसे सूरत जानेवाले ३ लोगों की पालघर में हुई हत्या के बाद मेरे आदेश से इस हत्याकांड में शामिल १०१ लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया है। साथ ही उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इस घटना को विवादास्पद बनाकर समाज में दरार बनाने वालों पर भी पुलिस नज़र रखेगी।#LawAndOrder
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) April 19, 2020
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस घटना में किसी तरह के सांप्रदायिक एंगल होने के दावों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि इलाक़े में चोरों की आवाजाही बढ़ने की अफ़वाहों के कारण ये घटना हुई है.
#PalgharLynching को #Communal बताने वालों को Cm @OfficeofUT की #Hindi में #Warning
Full Video – https://t.co/Ahv2d6Rzcg@CMOMaharashtra . #PalgharMobLynching #Palghar #MaharashtraLynching pic.twitter.com/jVFrx5s2Sq
— Mumbai Tak (@mumbaitak) April 20, 2020
ये घटना 16 अप्रैल की रात में घटी, जब गडचिंचले गांव के पास स्थानीय आदिवासियों की भीड़ ने तीन लोगों पर हमला कर दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वो लोग अंतिम संस्कार के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने मुंबई के कांदिवली से सिलवासा जा रहे थे. तभी, रास्ते में स्थानीय लोगों के एक गश्ती दल ने उनको रोक लिया. भीड़ ने कार में मौजूद सभी लोगों से पूछताछ की और फिर पत्थर बरसाए. इसके बाद उनको लाठियों से मारा गया. पुलिस ने इस घटना से जुड़े 109 लोगों को हिरासत में लिया है. इनमें 9 नाबालिग भी हैं.
ऑल्ट न्यूज़ ने पालघर पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी से बात की. उन्होंने बताया कि इस घटना में किसी भी तरह का सांप्रदायिक रंग नहीं है. हमें बताया गया कि पीड़ित और अभियुक्त, दोनों एक ही धर्म से ताल्लुक रखते हैं. अभियुक्त आदिवासी समुदाय के हैं. जनसंपर्क अधिकारी ने बताया, “इस इलाक़े में एक अफ़वाह फैल रही थी और पुलिस ने इस संबंध में संदेश भी जारी किया था.” रिपोर्ट्स के अनुसार, पालघर जिले के आदिवासी गांवों में ‘प्रवासियों द्वारा डकैती’ की अफ़वाहें उड़ रही थीं.
पालघर के एसपी गौरव सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस घटना की छानबीन इस सवाल पर केंद्रित है कि आदिवासी इलाक़े में अफ़वाह की शुरुआत कहां से हुई थी.
2011 के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार, डहाणु तालुका के गडचिंचले गांव में, लगभग 248 परिवार रहते हैं. इनमें से अधिकतर अनुसूचित जनजाति के लोग हैं.
इस घटना से कुछ दिनों पहले की बात है. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. विश्वास वलवी की एसयूवी कार को सारणी गांव में भीड़ ने पलट दिया था. इस घटना में चार पुलिसवाले भी घायल हुए थे. हिंदुस्तान टाइम्स की 17 अप्रैल, 2020 की रिपोर्ट बताती है “लगभग 250 लोगों की भीड़ ने डॉ. वलवी पर उस वक्त हमला कर दिया, जब वो आदिवासियों के इलाके में खाद्यान्न बांटकर और थर्मल स्क्रीनिंग कर लौट रहे थे.”
सुरेश चव्हाणके और अशोक पंडित जैसे सोशल मीडिया के जाने-माने वीरों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि लिंचिंग की घटना में मुस्लिम संप्रदाय के सदस्य शामिल थे. जबकि इस घटना के अभियुक्त और पीड़ित, दोनों एक ही संप्रदाय के हैं. इस घटना का कोई सांप्रदायिक चरित्र नहीं है.
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