पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ज़िले में स्थिति सामान्य करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों को तैनात किये जाने का आदेश दिया है, वहीं तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी इस बात पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है कि राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने के लिए ज़िम्मेदार कौन है.
इस संदर्भ में, 13 अप्रैल को बीजेपी पश्चिम बंगाल के आधिकारिक एक्स हैंडल ने हिंसा और आगजनी दिखाते हुए 9 तस्वीरों का एक कोलाज शेयर किया. इस कोलाज में हर तस्वीर पर एक हिंदू त्योहार का नाम लिखा है और दृश्यों में उपद्रव मचाए जा रहे हैं. ट्वीट में लिखा है, “त्योहार से कोई फर्क नहीं पड़ता – उन्हें बस इसे जलाने का बहाना चाहिए”. (आर्काइव लिंक)
फ़ैक्ट-चेक
पाठकों की सुविधा के लिए हमने इन सभी तस्वीरों पर 1, 2, 3… करके नंबरिंग कर दी है.
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कोलाज की पहली तस्वीर पर ‘गणेश चतुर्थी’ लिखा हुआ है. इसमें मुस्लिम धर्म से जुड़ी टोपी पहने हुए एक व्यक्ति को दिखाया गया है जो अपनी बाहें ऊपर उठाए हुए है और उसके सामने एक कार जलती हुई दिख रही है. इसे शेयर कर दिखाया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में गणेश चतुर्थी के दौरान हिंसा हुई थी.
इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें दिसंबर 2019 की कई खबरें मिलीं. इन खबरों के अनुसार, तस्वीर में पश्चिम बंगाल के हावड़ा ज़िले के संतरागाछी में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के पारित होने के खिलाफ़ प्रदर्शन करते एक व्यक्ति को दिखाया गया है. अब ये नागरिकता संशोधन अधिनियम बन गया है. तस्वीर का श्रेय समाचार एजेंसी पीटीआई को दिया गया है.
उस समय बंगाल के विभिन्न हिस्सों में नागरिकता कानून के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए थे और नादिया, बीरभूम, उत्तर 24 परगना और हावड़ा ज़िलों से हिंसा की कुछ घटनाएं सामने आई थीं. जहां प्रदर्शनकारियों ने मुख्य मार्गों को अवरुद्ध कर दिया था, सड़क पर टायर और लकड़ी के लट्ठों में आग लगा दी थी और दुकानों में तोड़फोड़ की थी. उस समय द प्रिंट और द फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट में भी यही तस्वीर थी और दोनों एजेंसियों ने तस्वीर का श्रेय पीटीआई को दिया था.
इसलिए, गणेश चतुर्थी के दौरान सांप्रदायिक अशांति दिखाने के लिए भाजपा ने 2019 में राज्य के संतरागाछी में सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शन की तस्वीर का इस्तेमाल किया.
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कोलाज की दूसरी तस्वीर में एक कार में आग लगी हुई है और पीछे प्रदर्शनकारियों की भीड़ खड़ी है. तस्वीर पर ‘सरस्वती पूजा’ लिखा हुआ है. इसका मतलब है कि तस्वीर पश्चिम बंगाल में इस त्योहार पर हुई हिंसा को दिखाती है.
इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि दिसंबर 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान कई रिपोर्टों में इसका इस्तेमाल किया गया था. टाइम्स नाउ ने 23 दिसंबर, 2019 की एक रिपोर्ट में इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया है. तस्वीर पर कैप्शन में लिखा है, “19 दिसंबर को लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गए | फोटो क्रेडिट: पीटीआई”। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई. पुलिस ने हिंसा की साजिश रचने के आरोप में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के यूपी प्रमुख वसीम और उसके दो करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार किया. इंडिया टुडे ने भी घटना की रिपोर्ट में इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने 19 दिसंबर के प्रदर्शन की विभिन्न तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए एपी (एशोसिएटेड प्रेस) को क्रेडिट दिया.
दिलचस्प बात ये है कि कोलाज की आठवीं तस्वीर यही है जिसके बारे में भाजपा ने दावा किया है कि ये पश्चिम बंगाल में दशहरा के दौरान हुई हिंसा दिखाती है.
यानी, भाजपा पश्चिम बंगाल द्वारा सरस्वती पूजा और दशहरा के दौरान हुई हिंसा का दावा करते हुए शेयर की गई दो तस्वीरें लखनऊ में सीएए विरोध प्रदर्शनों की हैं.
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पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दृश्य बताते हुए ये तीसरी तस्वीर कॉलाज में एड की गई है. तस्वीर में कुछ साइकिलें जल रही हैं.
छानबीन करते हुए ऑल्ट न्यूज़ को मालूम हुआ कि ये तस्वीर वाकई में साल 2023 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा शहर में राम नवमी के दौरान हुई हिंसा की थी. इस हिंसा में कई वाहनों को आग लगा दी गई थी और दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी. 30 मार्च की डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में ये तस्वीर पब्लिश की गई है और इसका श्रेय समाचार एजेंसी पीटीआई को दिया गया.
2023 में पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दौरान भड़की हिंसा के बारे में रिपोर्ट देते हुए आउटलुक इंडिया, न्यूज 18 इंडिया और इंडिया टुडे ने ये फोटो यूज़ की है.
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होली के कैप्शन वाली इस चौथी तस्वीर में एक नकाबपोश व्यक्ति खड़ा है और आसपास आग और मलबा दिख रहा है. इसे पश्चिम बंगाल में होली त्योहार के मौके की तस्वीर बताया गया है.
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें पता चला कि ये तस्वीर 29 दिसंबर, 2019 के द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पब्लिश की गई थी. इसे विशाल श्रीवास्तव ने क्लिक किया था. तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन के अनुसार, तस्वीर में पिछले हफ़्ते (उस वक़्त) लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा जलाई गई पुलिस की गाड़ी है.
इस तस्वीर का इस्तेमाल और भी कई जगह किया गया है. (लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3 )
न्यूज़ एजेंसी PTI ने भी ये तस्वीर खींची थी जिसे द इकोनॉमिक टाइम्स ने इस्तेमाल किया था.
यानी, साल 2019 में लखनऊ में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन की एक और तस्वीर को गलत रूप से पश्चिम बंगाल की बताया गया है.
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इस तस्वीर में सफेद रंग के कपड़े पहने एक व्यक्ति को कुछ लोग उठाकर ले जा रहे हैं. और उसके आसपास आग लगी हुई है. तस्वीर पर लिखा है ‘दिवाली’. यानी, इस फोटो के हिन्दू त्योहार दिवाली से जुड़े होने का अंदेशा लगाया गया है.
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं जिसमें इस तस्वीर को शेयर किया गया है. (लिंक1, लिंक 2) द हिन्दू की की दिसंबर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, तस्वीर में मेंगलुरु के पूर्व मेयर अशरफ हैं जो CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान घायल हुए थे. और उन्हें 19 दिसंबर को किसी सुरक्षित जगह पर ले जाया जा रहा था. इस तस्वीर का इस्तेमाल फ्रंटलाइन पत्रिका ने 3 जनवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में भी किया था.
यानी, ये तस्वीर पश्चिम बंगाल में दिवाली के वक़्त के नहीं बल्कि मेंगलुरु में CAA प्रोटेस्ट के दौरान ली गई थी.
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छठी तस्वीर को पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के मौके की बताया गया है. तस्वीर में कुछ लोग खड़े हैं और उनके पीछे आग लगी हुई है.
तस्वीर के बारे में जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें ये तस्वीर द इंडियन एक्सप्रेस की दिसंबर 2019 की रिपोर्ट में मिली. खबर के मुताबिक, ये फोटो 14 दिसंबर, 2019 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में CAA के विरोध में कोना एक्सप्रेसवे पर भड़की हिंसा की है. इंडियन एक्सप्रेस की कई रिपोर्ट्स में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. (लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3)
इस तरह ये तस्वीर पश्चिम बंगाल की ही है लेकिन दुर्गा पूजा के मौके के नहीं बल्कि CAA प्रोटेस्ट के समय की.
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हनुमान जयंती की बताते हुए शेयर की गई इस सातवीं तस्वीर में नकाब पहने लोग आग के इर्द-गिर्द दिखते हैं और तस्वीर में दंगे जैसा माहौल दिख रहा है. .
कथित तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 29 दिसंबर 2019 का द इंडियन एक्सप्रेस का आर्टिकल मिला. ये रिपोर्ट मेंगलुरु में सीएए विरोध प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता द्वारा पीड़ितों के परिजनों को चेक सौंपने के बारे में है. आर्टिकल में तस्वीर का श्रेय रॉयटर्स को दिया गया है और साथ में बताया गया है कि 19 दिसंबर, 2019 को मेंगलुरु में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके.”
19 दिसंबर, 2019 को रॉयटर्स की रिपोर्ट में ये तस्वीर, “नागरिकता कानून पर हिंसक विरोध प्रदर्शन में मेंगलुरु में दो की मौत” कैप्शन के साथ पोस्ट की गई थी.
यानी ये तस्वीर भी पश्चिम बंगाल में हनुमान जयंती के मौके की नहीं है.
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पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के मौके की बताते हुए ये तस्वीर कॉलाज में पोस्ट की गई है. तस्वीर में कुछ लोग गाड़ियों को आग लगाते हुए दिख रहे हैं.
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये तस्वीर 13 दिसंबर, 2019 की डेक्कन हेराल्ड की असम में नागरिकता कानून के खिलाफ किये गए प्रदर्शन की एक रिपोर्ट में मिली. आर्टिकल के अनुसार, असम में नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे हिंसक विरोध प्रदशनों और पुलिस की गोलीबारी के बीच 3 लोगों की मौत हो गई. तस्वीर के साथ कैप्शन में बताया गया है कि 12 दिसंबर को गुवाहाटी में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सड़क रोकने के लिए मशीनरी जलाई थी. इस तस्वीर का क्रेडिट एजेंसी PTI को दिया गया है.
16 दिसंबर, 2019 की रिपोर्ट में इंडिया टुडे ने भी इस इमेज का इस्तेमाल किया है.
यानी, पश्चिम बंगाल में अलग-अलग हिन्दू त्योहारों के मौके पर हिंसा दिखाने वाले 9 तस्वीरों के कोलाज में से सिर्फ एक तस्वीर ही राज्य में हिन्दू त्योहार के मौके पर हुई हिंसा से जुड़ी है. ये कोलाज पश्चिम बंगाल भाजपा ने पोस्ट कर भ्रामक दावा किया. एक फोटो को छोड़ बाकी सारी तस्वीरें गलत रूप से शेयर की गई हैं.
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