भारतीय मीडिया के बदलते परिदृश्य में, कुछ व्यक्ति बार-बार समाचार निर्माण में उत्प्रेरक के रूप में उभर कर आते हैं. ये अक्सर अपने बेतुके और विवादास्पद बयानों से सार्वजनिक चर्चा में ध्रुवीकरण और विभाजन पैदा करते हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी. ये विवादास्पद बयान देने के लिए मशहूर हैं जो खुद को अक्सर मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में मीडिया में पेश करते हैं. मुस्लिम समुदाय को लेकर शहाबुद्दीन की नकारात्मक टिप्पणियों को मीडिया में गहन कवरेज मिलती है. उनकी विवादास्पद टिप्पणियां अक्सर मीडिया कवरेज के चक्रों की शुरुआत करती हैं जो सनसनीखेज तौर पर मुसलमानों के बारे में सार्वजनिक धारणा को आकार देने का काम करती हैं.
हमने अपने विश्लेषण में मीडिया एजेंसियों द्वारा समाचार उत्पादन का एक पैटर्न पाया कि कैसे समाचार एजेंसियां मीडिया चक्र और सार्वजनिक बहस को चलाने के लिए शहाबुद्दीन के बयानों का उपयोग करती हैं.
खबरों के निर्माण का कालक्रम कुछ इस प्रकार है:
1. शुरुआती संपर्क: समाचार एजेंसियां शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी से संपर्क करती हैं और उनके विवादास्पद बयान को कवर करती हैं. इससे यह चर्चा का विषय बन जाता है.
2. ट्वीट के जरिए सनसनीखेज बनाना: समाचार एजेंसियां बरेलवी के बयान को तेज़ी से फैलाने के लिए ट्वीट करती हैं. इससे लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और इसे रीशेयर करते हैं.
3. नेताओं के बयान: समाचार एजेंसियां अलग-अलग पार्टी के नेताओं और धार्मिक नेताओं के पास जाकर बरेलवी के बयान पर उनकी प्रतिक्रिया कवर करते हैं और इस मामले को और सनसनीखेज बनाते हैं.
4. सिंडिकेट के जरिए बढ़ावा: बयान को फिर सिंडिकेट मीडिया पार्टनरों को वितरित किया जाता है, जिससे विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर इसकी पहुँच बढ़ जाती है. इससे यह एक अहम चर्चा का विषय बन जाता है और व्यापक रूप से शेयर किया जाता है.
5. प्राइम टाइम प्रोग्राम/बहस: यह बयान प्राइम-टाइम टीवी बहसों/प्रोग्राम में एक चर्चित विषय बन जाता है, जिसमें समाचार चैनल कथित धार्मिक विशेषज्ञों और राजनेताओं को शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी की टिप्पणियों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित करते हैं. इससे अक्सर ध्रुवीकरण को और बढ़ावा मिलता है.
खबरों के निर्माण का यह साइकल न केवल बरेलवी के विवादित बयान को बढ़ाता है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के इर्द-गिर्द कहानी को भी आकार देता है, अक्सर उन्हें नकारात्मक रोशनी में पेश करता है. सनसनीखेज खबरों के सामाजिक धारणाओं पर पड़ने वाले प्रभाव की इस प्रक्रिया में मीडिया की अहम भूमिका है.
बरेलवी के विवादास्पद बयानों और उसके बाद मीडिया की प्रतिक्रिया के घटनाक्रम को स्पष्ट करने के लिए, हम कुछ समाचार एजेंसियों के ट्वीट की एक सीरीज प्रेजेंट कर रहे हैं, जिससे रीडर्स को यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे एक बयान एक बड़ी मीडिया घटना में बदल सकता है. और इस तरह के कई केस हैं:
केस 1
वक़्फ़ की ज़मीन पर महाकुंभ
मीडिया को दिए एक विवादित बयान में शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने दावा किया कि प्रयागराज में हिंदुओं का धार्मिक उत्सव और समागम महाकुंभ वक़्फ़ की ज़मीन पर आयोजित किया जा रहा है. मीडिया ने शहाबुद्दीन के बयान को ट्वीट करके उसकी पहुंच बढ़ा दी. इस दावे ने सोशल मीडिया पर काफी बहस और प्रतिक्रिया को जन्म दिया, जिसमें कई लोगों ने मुसलमानों को सामान्यीकृत किया और शहाबुद्दीन के बयान की बेतुकी, विभाजनकारी प्रकृति की आलोचना की.
Bareilly, Uttar Pradesh: National President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Razvi says, “Muslims have always shown a big heart and there are many examples to prove it. In the context of Kumbh, when Akhara Parishad, Nagari sanyasis, and Swami Babas imposed… pic.twitter.com/rDu1cKJSBr
— IANS (@ians_india) January 5, 2025
इसके बाद मीडिया एजेंसी ने विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल, दुर्गा वाहिनी प्रमुख साध्वी ऋतंभरा, भाजपा सांसद गिरिराज सिंह, हिन्दू धर्मगुरु रामभद्राचार्य जैसी हस्तियाँ सहित विभिन्न धार्मिक नेताओं और राजनेताओं से इसपर प्रतिक्रियाएं मांगीं. उनकी प्रतिक्रियाओं ने इस चर्चा को और बढ़ा दिया, मीडिया को भी इन नेताओं के बयान के बहाने शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी की बात को फैलाने का और मौका मिला. इस समूचे न्यूज़ साइकल में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने न केवल रज़वी के बेतुके और विवादास्पद बयान पर रिपोर्ट की, बल्कि इसके इर्द-गिर्द एक बहस को भी सुगम बनाया.
#WATCH | On All India Muslim Jamaat president Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi reportedly supporting the claim that the Maha Kumbh is being organised on Waqf land, VHP national spokesperson Vinod Bansal says, “…The ‘Namazwadi Party’ and the ‘Namazwadi Gang’ – one is saying… pic.twitter.com/rtnyqwtIK1
— ANI (@ANI) January 5, 2025
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: On All India Muslim Jamaat president Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi reportedly supporting the claim that the Maha Kumbh is being organised on Waqf land, Sadhvi Rithambara says, ” Everybody should attend the Maha Kumbh. After 12 Kumbhs, such… pic.twitter.com/GiT9iO40ZJ
— ANI (@ANI) January 5, 2025
#WATCH | Patna, Bihar: On All India Muslim Jamaat president Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi reportedly supporting the claim that the Maha Kumbh is being organised on Waqf land, Union Minister Giriraj Singh says, “Some extremist Muslims want to disrupt the environment… The… pic.twitter.com/4gyrj3CpAn
— ANI (@ANI) January 6, 2025
#WATCH | Prayagraj, UP | On All India Muslim Jamaat president Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi reportedly supporting the claim that the Maha Kumbh is being organised on Waqf land, Jagadguru Swami Rambhadracharya says, “… They are lying, Prayagraj belongs to us… Only… pic.twitter.com/qswIkLtyx1
— ANI (@ANI) January 8, 2025
अंततः ये मुद्दे प्राइम-टाइम टेलीविज़न बहसों तक जा पहुंचा, जहां इसपर जमकर बहस हुआ. इन बहसों को आयोजित करवाने वालों में देश के प्रमुख मीडिया चैनल्स शामिल थे. इनमें भारत सरकार द्वारा संचालित डीडी न्यूज़, ज़ी न्यूज़, न्यूज़18, टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे, आदि जैसे कुछ बड़े नाम हैं. यह घटना सीधे तौर पर दर्शाता है कि मीडिया किस तरह से विवादास्पद बयानों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर सकता है. इससे संवेदनशील धार्मिक विषयों पर चर्चाएं बढ़ जाती हैं और समाज में सांप्रदायिक तनाव की संभावना बनती है.
#DoTook | Muslim Cleric Claims Maha Kumbh Being Held On Waqf Land!
Samajwadi Party spokesperson Bhuvan Bhaskar Joshi speaks regarding this type of comments regarding Maha Kumbh
Catch Debate Live: https://t.co/E1LIVacofD@AshokShrivasta6 | @BhuvanProf | #WaqfBoard |… pic.twitter.com/pa4Rtu3fCK
— DD News (@DDNewslive) January 6, 2025
केस 2
क्रिकेटर मोहम्मद शमी एनर्जी ड्रिंक विवाद
मीडिया एजेंसी को दिए एक अन्य बयान में शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने क्रिकेटर मोहम्मद शमी को रमज़ान के महीने में हुए मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पीने के लिए ‘अपराधी’ करार दिया. मीडिया एजेंसी द्वारा इसे ट्वीट करने पर इस टिप्पणी ने काफी ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. कई लोगों ने अपने विचार सोशल मीडिया पर शेयर किए और इसकी आलोचना की, जिसमें कई इस्लाम के जानकारों ने भी इसे मोहम्मद शमी और अल्लाह के बीच का व्यक्तिगत मामला बताकर शहाबुद्दीन के बयान को बेतुका करार दिया.
#WATCH | Bareilly, UP: President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi says, “…One of the compulsory duties is ‘Roza’ (fasting)…If any healthy man or woman doesn’t observe ‘Roza’, they will be a big criminal…A famous cricket personality of India,… pic.twitter.com/RE9C93Izl2
— ANI (@ANI) March 6, 2025
मीडिया एजेंसी ने इस मुद्दे और आगे बढ़ाते हुए, उत्तर प्रदेश के मंत्री दानिश आजाद अंसारी, देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा, बीजेपी नेता चलवाडी नारायणस्वामी, बीजेपी नेता आर अशोक, जेडीएस एमएलसी एस एल भोजेगौड़ा, कर्नाटक कांग्रेस विधायक शरथ बचेगौड़ा, कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद, जामा मस्जिद के इमाम शाहबान बुखारी, सहित विभिन्न धार्मिक नेताओं और राजनेताओं से प्रतिक्रियाएँ मांगी. इन प्रतिक्रियाओं ने चल रहे विमर्श में अहम योगदान दिया. और एक बार फिर मीडिया ने रज़वी के बयान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
#WATCH | Lucknow, UP: On President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, BJP leader Mohsin Raza says, ” This is a matter between the person and Allah and Mulla has no right to say in between. He (Mohammed Shami)… pic.twitter.com/Jwu6JzCSNu
— ANI (@ANI) March 6, 2025
#WATCH | Lucknow | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, Uttar Pradesh Minister Danish Azad Ansari says, “The whole of India and Muslims are with Mohammed Shami. Islam is a beautiful religion, and we should definitely think before saying… https://t.co/mPd1Mgbws6 pic.twitter.com/NO0KA8SAkA
— ANI (@ANI) March 6, 2025
#WATCH | Saharanpur, UP | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, Patron of Jamiat Dawat Ul Muslimeen and Deobandi ulema, Maulana Qari Ishaq Gora says, “…It is a rubbish and bogus statement. People have their own situations. If a person is… pic.twitter.com/UfSLOAqSig
— ANI (@ANI) March 6, 2025
#WATCH | Bengaluru | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, LoP in Legislative Council and BJP leader Chalavadi Narayanaswamy says, “I condemn the statements made by the Maulvis. Practising Islamism is different from sports. Shami is an… pic.twitter.com/yX5xBJ01ey
— ANI (@ANI) March 7, 2025
#WATCH | Bengaluru | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, Karnataka Assembly LoP and BJP leader R Ashok says, “He is representing India, not any community. He needs strength to play against another country, so I condemn the statement… pic.twitter.com/8t33S8Dyew
— ANI (@ANI) March 7, 2025
#WATCH | Bengaluru | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, JDS MLC S. L. Bhojegowda says, “Shami is an international sportsman. He has to go to other countries and his diet is also important… There are a lot of patients in the hospitals… pic.twitter.com/gi2vDlZ2Xr
— ANI (@ANI) March 7, 2025
#WATCH | Bengaluru | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, Karnataka MLA Sharath Bachegowda says, “The exact details of how the fast (Roza) was broken has not come out. As someone who is representing our country and helped us gain vistory… pic.twitter.com/Es7cA6509T
— ANI (@ANI) March 7, 2025
#WATCH | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, Congress MLA Rizwan Arshad says, “Shami is fulfilling dreams of millions of people and his primary duty is to play for the country. In Islam, when people are travelling or are unwell, they do… pic.twitter.com/xFo5Fmkp6L
— ANI (@ANI) March 7, 2025
#WATCH | Delhi | On Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi’s statement on cricketer Mohammed Shami, Imam Shahban Bukhari of Jama Masjid says, “…He (Mohammed Shami) should not be trolled. Shariat allows us both ways – if he (Mohammed Shami) is on a journey, he can keep Roza (fast) or… pic.twitter.com/JXrmY4NXx1
— ANI (@ANI) March 7, 2025
न्यूज़ एजेंसी के सिंडीकेट फ़ीड के जरिए इस मुद्दे को व्यापक रूप से विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के जरिए इसकी पहुंच को बढ़ाया गया.
जैसे-जैसे इस विवाद ने गति पकड़ी, अंततः ये टीवी प्रोग्राम में शामिल हो गई, जहां मीडिया कवरेज ने एक व्यक्ति की टिप्पणी को एक बड़े सामाजिक मुद्दे में बदल दिया गया. न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ के 2 एंकर, प्रतिभा और नाविका कुमार ने अलग-अलग प्रोग्राम में शहाबुद्दीन के बेतुके बयान का ज़िक्र किया. वहीं न्यूज़24 के भी 2 एंकरों ने 2 अलग-अलग टीवी प्रोग्राम में शहाबुद्दीन के बयान को चलाया, IBC24 ने भी शहाबुद्दीन के बयान पर एक स्पेशल रिपोर्ट प्रकाशित की. वहीं न्यूज़18 ने इस मुद्दे पर प्रोग्राम के बाद मामले को फॉलो-अप करते हुए, कुछ ही दिन में शहाबुद्दीन के इस मामले से जुड़े अगले कमेन्ट पर भी एक टीवी प्रोग्राम किया. टीवी चैनलों ने विवादास्पद बयान देने के लिए जाने-माने व्यक्ति के बयान पर टीवी प्रोग्राम किया जिसके यह मुद्दा व्यापक तौर पर आम लोगों तक पहुंचाया गया. यह घटना धार्मिक संदर्भों में व्यक्तिगत आस्था की धारणा पर सार्वजनिक हस्तियों के बयानों के प्रभाव को दर्शाती है.
Indian pacer #MohammedShami targeted for ‘not keeping roza’
In Islam, fasting is a duty… If someone deliberately skips the fast, they are sinners. Cricketer Mohammed Shami also didn’t observe a fast; he has committed a sin…: Maulana Shahabuddin Barelvi, President, All India… pic.twitter.com/cogpYk5yOR
— TIMES NOW (@TimesNow) March 6, 2025
केस 3
सलमान खान की राम जन्मभूमि इडिशन घड़ी पर विवाद
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने मीडिया एजेंसी को दिए एक विवादास्पद टिप्पणी में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान द्वारा राम जन्मभूमि इडिशन घड़ी पहनने की आलोचना की और इसे ‘हराम’ और गैर-इस्लामी बताया. शहाबुद्दीन का ये बयान भी उनके पुराने बयानों की तरह मीडिया एजेंसी ने ट्विटर पर प्रसारित किया जिसने एक सार्वजनिक प्रतिक्रिया को जन्म दिया.
#WATCH | Bareilly, UP: On Actor Salman Khan, President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi says, “Salman Khan is a very famous personality in India… Salman Khan has been seen wearing a Ram edition watch to promote Ram Mandir… If any Muslim, even if… pic.twitter.com/nCGSGhddLM
— ANI (@ANI) March 28, 2025
इसके बाद मीडिया एजेंसी ने शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के सलमान खान को लेकर दिए गए बयान पर उत्तर प्रदेश के मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी और जयवीर सिंह जैसे राजनेताओं से टिप्पणियां मांगी, जिससे इस चर्चा को और बढ़ावा दिया गया.
#WATCH | Lucknow | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on Salman Khan, Uttar Pradesh Minister Danish Azad Ansari says, “India is moving towards Viksit Bharat 2047 and every community has an important role to play in this… We should focus on permissible things and… pic.twitter.com/o4M7i3FKxj
— ANI (@ANI) March 29, 2025
#WATCH | Lucknow | On Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi’s statement on Salman Khan, Uttar Pradesh Minister Jaiveer Singh says, “Radicalism is dangerous, whether from Muslim or from Hindu… What someone wears or eats is one’s personal matter and imposing religion on this is not… pic.twitter.com/ZYa2eXKLtH
— ANI (@ANI) March 29, 2025
मीडिया एजेंसी ने सिंडीकेट फ़ीड के जरिए इस खबर को विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स की मदद से बखूबी आगे बढ़ाने का काम किया.
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के अन्य बयानों की तरह इस बयान को भी फैलाने और मुसलमानों के प्रति सार्वजनिक धारणा को आकार देने में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. क्योंकि बार-बार ऐसे विवादित बयानों को व्यापक रूप से तरजीह देकर रिपोर्ट करने का मकसद ना सिर्फ इस विवाद को आमजन तक पहुंचाना है, बल्कि मुसलमानों के प्रति सार्वजनिक धारणा बनाना भी शामिल है जिसमें उन्हें व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के खिलाफ और कट्टर दर्शाया जाता है.
अंततः यह मामला भी अपने चरम स्थल प्राइम-टाइम टीवी प्रोग्राम तक भी पहुंचा, जिसमें विवादित बयानों के लिए जाने-माने व्यक्ति शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के बयान को व्यापक सामाजिक बातचीत में बदलने में न्यूज़18, इंडिया टुडे, न्यूज़ नेशन जैसे चैनलों ने अहम भूमिका निभाई. न्यूज़18 ने इस मामले को तूल देने के लिए एक कदम आगे बढ़कर इस मुद्दे को हिन्दी चैनल न्यूज़18 इंडिया, इंग्लिश चैनल सीएनएन न्यूज़18, न्यूज़18 एमपी छतीसगढ़, न्यूज़18 यूपी उत्तराखंड, न्यूज़18 बिहार झारखंड, सहित कई अन्य इकाइयों के जरिए ना सिर्फ इस मुद्दे पर प्रोग्राम किया, बल्कि इसपर आम मुसलमानों की प्रतिक्रिया भी मांगी और राजनेताओं को बुलाकर टीवी डिबेट भी ऑर्गेनाइज़ करवाया.
केस 4
मोहम्मद शमी की बेटी के होली खेलने पर विवाद
मीडिया एजेंसी पीटीआई को दिए गए बयान में शहाबुद्दीन रज़वी ने भारतीय गेंदबाज मोहम्मद शमी की बेटी के होली मनाने को ‘अवैध’ और ‘शरीयत के खिलाफ’ बताया.
मीडिया एजेंसी IANS और ANI ने शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी द्वारा मोहम्मद शमी की बेटी को लेकर दिए गए बयान पर मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग का बयान लिया.
Bhopal, Madhya Pradesh: On National President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Rizvi criticizing the daughter of Cricketer Mohammed Shami for playing Holi, Minister Vishvas Sarang says, “The way Maulana Shahabuddin Rizvi has threatened Mohammad Shami’s daughter is… pic.twitter.com/y2VTIkKQbK
— IANS (@ians_india) March 17, 2025
#WATCH | Bhopal: Madhya Pradesh minister Vishwas Sarang says, “The way Maulana Shahabuddin Razvi has threatened Mohammed Shami’s daughter is objectionable… How far will he go in his extremism? First, he targeted Mohammed Shami for drinking water during the match. Every religion… pic.twitter.com/YrbS0UIscz
— ANI (@ANI) March 17, 2025
इसके बाद पीटीआई के सिंडीकेट फ़ीड के जरिए शहाबुद्दीन के विवादास्पद बयान को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स पर चलाया गया.
और हमेशा की तरह अंततः यह बयान टीवी चैनल के प्राइम टाइम प्रोग्राम का हिस्सा बना, जिसमें देश के प्रमुख मीडिया चैनल्स जैसे आज तक, टाइम्स नाउ नवभारत, रीपब्लिक भारत, इंडिया टुडे, टाइम्स नाउ, सीएनएन न्यूज़18, ज़ी न्यूज़, एबीपी गंगा, एनडीटीवी, भारत24, आदि शामिल थे. टाइम्स नाउ ने इसे इस कदर बढ़-चढ़कर रिपोर्ट किया कि चैनल के कम से कम तीन एंकर स्वातिज, प्रतिभा और प्रिया ने इस मामले पर अलग-अलग प्रोग्राम किया.
फतवों की झड़ी
ऐसे कई अन्य मामले हैं जिसमें शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने ऐसे अजीबोगरीब बयान दिए हैं और फतवे जारी किये हैं जो न केवल समाज में सार्वजनिक बहस को हवा दी है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इस्लाम के सामान्यीकृत चित्रण में भी योगदान दिया है. ये घटनाएं दर्शाती है कि मीडिया ऐसे बयानों को बढ़ावा देती हैं और जाने-माने हस्तियों की प्रतिक्रियाएं लेकर एक न्यूज़ साइकल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एक समुदाय को लेकर लोगों में सार्वजनिक धारणा को प्रभावित करने वाले कुछ फतवे का उदाहरण यहाँ मौजूद हैं.
मीडिया को दिए एक बयान में शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने 1 जनवरी को नववर्ष के जश्न को मनाने वाले मुसलमानों को लेकर एक फतवा जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि नववर्ष को ईसाई वर्ष की शुरुआत बताकर इसे न मनाने की हिदायत दी और कहा कि मुसलमानों के लिए किसी भी तरह के गैर-इस्लामी रिवाजों को मनाना सख्त मना है.
#WATCH | Bareilly | National President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi says, “Chashme Darfta Bareilly has issued a fatwa regarding the celebration of New Year… The young men and women who celebrate New Year have been instructed in this fatwa that… pic.twitter.com/jAiDdD4w6r
— ANI (@ANI) December 29, 2024
मुस्लिम महिलाओं के लिए एक अन्य फतवा जारी करते हुए शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने मीडिया के सामने कहा कि गैर-मुस्लिम युवकों से शादी करने के बाद उन्हें सिंदूर, कलावा और बिंदी नहीं लगानी चाहिए क्योंकि ये इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है.
Maulana Shahabuddin Razvi Barelvi, president of All India Muslim Jamaat (#AIMJ) and well-known Islamic scholar, has issued a fatwa that says Muslim women who wear ‘sindoor’, ‘kalava’ and ‘bindi’ after marrying non-Muslim youth, are going against the tenets of Islam. pic.twitter.com/kAKFOuqlSz
— IANS (@ians_india) March 5, 2023
उन्होंने सपा विधायक नसीम सोलंकी द्वारा दिवाली के दौरान शिव मंदिर में पूजा करने और दीये जलाने के खिलाफ फतवा जारी करते हुए कहा कि इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है. इसके अलावा उन्होंने नसीम सोलंकी को नसीहत देते हुए कहा कि अगर उन्होंने ऐसा अनजाने में ऐसा किया है, तो वह शरीयत की नज़र में दोषी है और उसे पश्चाताप करना चाहिए, और अगर कोई अपनी मर्ज़ी से पूजा करता है तो उसपर सख्त नियम लागू होते हैं.
Kanpur: A fatwa was issued by Maulana Mufti Shahabuddin Razvi Barelvi, the national president of All India Muslim Jamaat, against SP candidate Naseem Solanki, who performed worship and lit diyas in a Shiva temple during Diwali.
He says, “Idol worship is forbidden in Islam. If… pic.twitter.com/CIfOU7CkE7
— IANS (@ians_india) November 2, 2024
सोशल मीडिया इस न्यूज़ साइकल में अहम भूमिका निभाते हैं. न्यूज़ एजेंसियां शहबुद्दीन के बयानों को तेज़ी से फैलाने के लिए, खास तौर पर ट्विटर का इस्तेमाल करती हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे एक बड़े वर्ग के दर्शकों तक पहुंचें. ट्वीट शुरुआती चिंगारी के रूप में काम करते हैं जिसपर सोशल मीडिया यूज़र्स अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं और इस खबर को रीशेयर कर आगे बढ़ाते हैं, जो बाद में मीडिया एजेंसी के विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स के सिंडिकेटेड फ़ीड और प्राइम-टाइम प्रोग्राम/बहसों के माध्यम से पूरी आग में बदल जाती है.
मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने लगाया बेतुकी बयानबाज़ी का आरोप
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने मौलाना शहाबुद्दीन पर टिपण्णी करते हुए कहा कि बहराइच से ताल्लुक रखने वाले शहाबुद्दीन खुद को गलत तरीके से बरेलवी उलेमा बताते हैं. मौलाना रजा ने कहा कि शहाबुद्दीन का बरेली मरकज से कोई संबंध नहीं है और उन पर बरेली की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया. मौलाना तौकीर रजा ने मौलाना शहाबुद्दीन पर हर छोटी बड़ी बात में शरीयत को घसीटने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें ऐसे बयान देने से परहेज करना चाहिए जो अनावश्यक विवाद को बढ़ावा देते हैं. सलमान खान की राम मंदिर संस्करण घड़ी पर शहाबुद्दीन की टिप्पणियों के जवाब में, मौलाना तौकीर रजा ने ऐसे मामलों को शरीयत से जोड़ने को गलत बताया और कहा कि धर्म की छवि को लेकर बेवजह विवाद पैदा करना ठीक नहीं है.
ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद को मैनेज करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव, एस एम यासीन ने मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी पर बयान देते हुए कहा कि इनका बरेली से कोई ताल्लुक नहीं है, इसके बावजूद ये बरेलवी लिखते हैं. बरेली का जो दरगाह है, इनका उससे कोई लेना देना नहीं है, ये बहुत ही कंट्रोवर्सियल आदमी हैं, अभी जो महाकुंभ हो रहा था, इस बंदे ने कहा कि वो सब वक्फ की जमीनें हैं, इसपर मैंने कमेंट किया कि ये गलत है. इसी तरह ये आए दिन कोई न कोई ऐसा बयान देते रहते हैं जो खबरें बनती है.
धार्मिक आवरण के पीछे रहकर सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी का पक्ष लेने का आरोप
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के आलोचक कई ऐसे उदाहरणों की ओर इशारा करते हैं, जहाँ उनकी टिप्पणियों को अक्सर असहमति की आवाज़ों को अमान्य करने के प्रयासों के रूप में व्याख्यायित किया गया है, इसने समुदाय के नेताओं के बीच चिंताएँ पैदा की हैं, जिनका कहना है कि इस तरह की बयानबाज़ी मुस्लिम समुदाय के संघर्षों को गलत तरीके से पेश करती है.
उत्तर प्रदेश ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष शौकत आली ने मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी के बारे में कहा, “वे भाजपा के इशारे पर काम करते हैं, इसीलिए आए दिन ये बेतुकी बयानबाज़ी करते रहते हैं. इस्लाम की छवि और मुसलमानों को बदनाम करने का मौक़ा भाजपा को मिल जाता है और भाजपा आसानी से हिंदू-मुस्लिम करने में कामयाब होती है, इस तरह भाजपा को चुनाव में फ़ायदा मिलता है. शहाबुद्दीन रज़वी बरेली के रहने वाले नहीं हैं, दरगाह आला हजरत से ये इन्हीं सब बेतुकी बयानबाज़ी की वजह से निकाले गये थे. ये मदरसा बोर्ड का मेम्बर बनने के लिये योगी आदित्यनाथ को कई बार पत्र भी लिख चुके हैं, ये पूरी तरह भाजपा की गोद में खेल रहे हैं.”
कुछ उदाहरणों में उन्हें सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंडे का समर्थन करते देखा गया है.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले शहाबुद्दीन रज़वी ने भारत के मुसलमानों से लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का विरोध नहीं करने का अपील की थी.
‘Do not oppose PM Narendra Modi in elections’ – calls for self-reflection amid shifting political landscape: Mufti Shahabuddin to Muslims pic.twitter.com/oN1wZnbjKh
— IANS (@ians_india) February 25, 2024
लोकसभा चुनाव 2024 के बीच मौलाना शहाबुद्दीन ने मुसलमानों से अपील की कि उन्हें नरेंद्र मोदी का विरोध करना बंद कर देना चाहिए, वह मुसलमानों से जुड़ना चाहते हैं. मौलाना शहाबुद्दीन ने देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के वक्त मुसलमानों से कहा कि अभी नरेंद्र मोदी से टकराव का समय नहीं है, दोस्ती का हाथ बढ़ाएं.
Bareilly: National President of All India Muslim Jamaat, Maulana Mufti Shahabuddin Razvi Barelvi says, “Muslims should stop opposing Prime Minister Modi, he wants to connect with Muslims, now is not the time for conflict, extend the hand of friendship” pic.twitter.com/8IOeO348vE
— IANS (@ians_india) May 15, 2024
इन्होंने देश भर में मुसलमानों द्वारा विरोध किए गए वक़्फ़ संसोधन बिल पर सितंबर 2024 में बयान देते हुए कहा कि यदि आगामी सत्र में यह विधेयक पारित हो गया तो मुसलमान इसका स्वागत करेंगे. इतना ही नहीं, मौलाना शहाबुद्दीन ने मार्च 2025 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा सभी मुसलमानों से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के विरोध में जुमा-उल-विदा पर काली पट्टी बांधने की अपील का विरोध करते हुए मुसलमानों को ऐसा ना करने की अपील की.
Bareilly, Uttar Pradesh: National President of All India Muslim Jamaat, Maulana Shahabuddin Razvi on AIMPLB’s appeal to all Muslims to wear black bands on Jumu’atul-Wida in protest against the Waqf (Amendment) Bill says, “…These religious leaders should understand that the… pic.twitter.com/qXnmUuqx9L
— IANS (@ians_india) March 28, 2025
इन्होंने उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव और महाराष्ट्र में हुए चुनाव के नतीजों पर बयान देते हुए कहा कि जो नतीजे आए हैं वो बहुत अच्छे हैं और ये खुशी की बात है. भारत का मुसलमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद करता है, यही वजह है कि इस चुनाव में मुसलमानों ने खुलकर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया है.
Bareilly, Uttar Pradesh: Maulana Mufti Shahabuddin Razvi Barelvi, National President of the All India Muslim Jamaat, says, “…The Muslims of India prefer Prime Minister Narendra Modi, which is why in this election, Muslims have openly supported the Bharatiya Janata Party…” pic.twitter.com/kFEQBLliZ2
— IANS (@ians_india) November 23, 2024
उन्होंने CAA की अधिसूचना का स्वागत करते हुए कहा कि जैसा कि पिछले वर्षों में देखा गया है, इस अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं. यह मुसलमानों में राजनीतिक लोगों द्वारा फैलाए गए गलतफहमियों के कारण हुआ है, भारत के हर मुसलमान को CAA का स्वागत करना चाहिए. इस कानून के खिलाफ मुसलमानों और सिविल सोसाइटी संस्थाओं द्वारा देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसमें कहा गया था कि यह कानून भेदभावपूर्ण है.
#WATCH | Bareilly, UP: On CAA notification, All India Muslim Jamaat President Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi says, “The Govt of India has implemented the CAA law. I welcome this law. This should have been done much earlier… There are a lot of misunderstandings among the… pic.twitter.com/6FSfPeTivR
— ANI (@ANI) March 12, 2024
ईद पर ‘सौगात-ए-मोदी’ किट वितरण पर मौलाना शहाबुद्दीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की और कहा कि उनका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करना है.
Bareilly: On the ‘Saugat-e-Modi’ Eid kits, All India Muslim Jamat’s chief, Maulana Shahabuddin Rizvi Barelvi, says, “Prime Minister Narendra Modi wants to maintain good relations with Muslims, and since becoming Prime Minister, he has visited Muslim-majority countries and Arab… pic.twitter.com/kt5A28GHdX
— IANS (@ians_india) March 26, 2025
जम्मू-कश्मीर चुनाव पर बयान देते हुए इन्होंने भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाया और नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि ये दोनों शख्सियतें अखंड भारत के सपने को पूरा कर सकती हैं.
Uttar Pradesh: Maulana Mufti Shahabuddin Razvi Bareilvi, National President of All India Muslim Jamaat, says, “Elections are currently underway in Jammu and Kashmir. During this time, Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath made a strong statement, asserting that “India… pic.twitter.com/emvQCTPtmY
— IANS (@ians_india) September 28, 2024
ऑल्ट न्यूज़ ने मौलाना शहाबुद्दीन से उनके विवादास्पद बयानों के बारे में बात की और उन पर लगाए गए आरोपों पर भी चर्चा किया
सवाल : आपके बयान लगातार मीडिया में सुर्खियां बटोरते हैं, क्या मीडिया आपको एप्रोच करती है या आप मीडिया को बताते हैं कि मुझे कोई बयान देना है?
जवाब: कई सारे ऐसे इशूज हैं जिसपर मेरा अपना नज़रिया है, जिसे मैं पेश करना चाहता हूं तो मैं खुद अपना बयान रिकॉर्ड करके मीडिया को भेज देता हूं, या मैं मीडिया के लोगों को बुला लेता हूं. कभी ऐसा भी होता है जब कई सारे इशूज पर जिसपर मीडिया के लोग हमारे पास आते हैं और बताते हैं कि ये मुद्दा है, इसपर आपको क्या कहना है, क्या नज़रिया है, क्या प्रतिक्रिया है, लोग पूछते हैं तो मैं जवाब दे देता हूं. जो मुझे बेहतर लगता है और जो मेरे समाज और देश के हित में लगता है, उसपर मैं अपना नज़रिया पेश कर देता हूं.
सवाल: कई मामलों में एक पैटर्न देखा गया है कि जब मीडिया किसी मुद्दे पर आपसे बयान ले लेती है, उसके बाद आपके बयान पर प्रतिक्रिया लेने के लिए मीडिया अलग-अलग नेताओं के पास जाती है, और आपके बयान को इस प्रकार रंग जाता है जैसे ये पूरे मुसलमान समुदाय का दृष्टिकोण है.
जवाब: ये तो इन लोगों की अपनी अपनी ज़िम्मेदारियां, पसंद और नापसंद है, मैं किसी का हाथ पकड़कर रोक नहीं सकता हूं और किसी को कुछ कह भी नहीं सकता हूं. लोग आज़ाद हैं, और अपनी आज़ादी के हिसाब से हर आदमी को अपनी बात कहने का हक हासिल है. मीडिया के लोग जो भी करते हैं वो उनकी पसंद है, उनकी मर्ज़ी है, मैं उनको कुछ नहीं कह सकता.
सवाल: आपको नहीं लगता कि आपको एक जरिया बनाया जाता है, एक बयान दिलवाकर उसपर कई लोगों के प्रतिक्रिया लाकर इसे एक विवाद में कनवर्ट किया जाता है, ताकि ये मुद्दा प्राइम टाइम की बहस बन सके? उदाहरण के लिए आपने जिस प्रकार सलमान खान की राम मंदिर संस्करण वाली घड़ी पर बयान दिया, मीडिया ने अलग-अलग लोगों से उसपर प्रतिक्रिया ली….
जवाब: बयान लेना और प्रतिक्रिया लेना मीडिया का अपना काम है, अपनी ज़िम्मेदारी है. वो लोग अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं और हर लोग को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए. शरियत के मामले में मैं किसी से समझौता नहीं करता हूं, चाहे कोई छोटा हो या बड़ा हो, चाहे मैं खुद ही क्यों न हो. शरियत के दायरे में जो आयेगा, और कोई मुझसे उसपर सवाल करेगा तो मैं उसका जवाब दूंगा, और ये ज़िम्मेदारी मैं निभाता रहता हूं, शरीयत का जो पैमाना है वो छोटे बड़े का पैमाना नहीं है, उसी दायरे में बादशाह ए वक्त को भी खड़ा किया जाता है, रिक्शा चालक को भी वही हुक्म दिया जाता है, शरीयत के मामले में मैं किसी से समझौता नहीं करता हूं, मुझे जो सही और सच्ची बातें लगती है, वो मैं डंके की चोट पर कहता हूं.
सवाल: मीडिया में जो आपके बयान आते हैं उसमें आपने कई बार फतवे जारी किए हैं और नरेंद्र मोदी को सपोर्ट करने की अपील भी की है, जिसमें लोकसभा चुनाव के वक्त भी अपने कहा था कि मुसलमानों को नरेंद्र मोदी का विरोध नहीं करना चाहिए. इसको लेकर कई लोग आप पर आरोप लगाते रहते हैं, उदाहरण के लिए AIMIM के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शौकत अली ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप भाजपा के इशारे पर काम करते हैं, आपको मदरसा बोर्ड का मेंबर बनना है इसलिए आप ऐसा कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आप बरेली के रहने वाले नहीं हैं.
जवाब: मैंने कई मौकों पर बीजेपी, योगी जी और मोदी जी का विरोध भी किया है. जो लोग भी मेरे बारे में इस तरह की बातें करते हैं, मेरा दावा है कि मेरी पैदाइश से लेकर आज तक, मैं बरेली में बैठा हूं, मुझे 40 साल हो गए बरेली में रहते हुए, कोई भी सख्श ये सबूत के साथ नहीं दिखा सकता कि मैंने कभी भाजपा के समर्थन के लिए लोगों से अपील की हो. झूठ बोलने वालों पर अल्लाह की लानत हो, इल्ज़ाम लगना बहुत आसान है, लेकिन जब सबूत मांगा जाता है तो लोग बगलें झांकने लगते हैं, तो मैं उनको यही कहूंगा कि अल्लाह उनको अक्ल दें समझ दें और अल्लाह की लानत से बचाएं.
सवाल: ज्ञानवापी मस्जिद के एस एम यासीन ने आपके बारे में कहा कि आप एक कंट्रोवर्सियल व्यक्ति हैं और समय समय पर आपका कोई ना कोई विवादित बयान आता रहता है जिससे खबर बनती रहेगी. उदाहरण के लिए आपने वक़्फ़ की ज़मीन पर कुंभ मेला लगने की बात की थी.
जवाब: कुंभ का मेला हज़ारों बीघे पर लगा है, उसमें 55 बीघा जमीन वक़्फ़ की है जो मेले में शामिल है और उस बयान का परिपेक्ष यह था कि जब अखाड़ा परिषद ने ये ऐलान किया था कि यहां मुसलमानों की दुकानें नहीं लगेंगी, तो उसका जवाब देते हुए मैंने कहा था कि मुसलमान तो बड़ा दिल दिखा रहे हैं, और अखाड़ा परिषद के लोग छोटा दिल दिखा रहे हैं, उन्हें भी बड़ा दिल दिखाना चाहिए और 55 बीघा जो वक़्फ़ के ज़मीन है, वो मेले में एक जगह का नाम है झूंसी, वहां के सूफी बुजुर्ग हैं, दरगाह है, एक मज़ार है, उस मज़ार के नाम वक़्फ़ है, 189 उसका वक़्फ़ नंबर है. मैंने ये बात कही थी, आज भी मैं अपने बयान पर कायम हूं.
सवाल: आपके कई ऐसे बयान हैं जिसका इस्तेमाल मुसलमानों के सामान्यकरण के लिए किया जाता है कि मुसलमान ऐसा ही सोचते हैं, क्योंकि कई बार आपके बयान आपकी व्यक्तिगत राय होती है, लेकिन मीडिया जिस तरह से इसे पेश करती है, उससे एक पर्सपेक्टिव बनाने की कोशिश की जाती है, कई बार ऐसी चीजें हैं जो आपको शायद सही ना लगे, उदाहरण के लिए सलमान खान द्वारा राम मंदिर संस्करण वाला घड़ी पहनने का मामला, क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बेटी द्वारा होली खेलने को लेकर दिया गया आपका बयान, या उनके एनर्जी ड्रिंक पीने को लेकर आपका दिया गया बयान, जिसका विरोध उस वक्त उनके परिवार ने भी किया था, आपको नहीं लगता कि आपके ऐसे बयानों को मुसलमानों के सामान्यकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है?
जवाब: शरीयत के अपने वसूल हैं, अगर कोई सख्श मुसलमान है, चाहे छोटा है या बड़ा है, जो शरीयत के खिलाफ बोलेगा, उसके खिलाफ काम करेगा, उसके वसूलों को तोड़ेगा, तो वो गिरफ्त में आएगा, हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम उसे आगाह करें, उसे बताएं कि तुमने गैर शरीयती काम किया है, यही काम हमने शमी साहब के ताल्लुक से किया कि रमज़ान के महीने में, क्रिकेट मैदान में, दिन के उजाले में हज़ारों लोगों के सामने उन्होंने कोल्ड ड्रिंक पिया. रोज़ा रखना फ़र्ज़ है, इस्लाम में रोज़े का अहम स्थान है, उन्होंने एक तो रोज़ा नहीं रखा, उसके बाद सबके सामने, ठीक है ज़रूरत थी या कोई मजबूरी थी, वो एक अलग बात है, उसके बावजूद भी शमी साहब ने दिन के उजाले में, लोगों के सामने बीच मैदान में उन्होंने कोल्ड ड्रिंक पिया, तो ये एक तरीके से रोज़े की तौहीन है, तो मैंने उस मसले पर बोला, मैने उनके ज्याति मामले पर कुछ नहीं कहा कि उनका बीवी से मुकदमा चल रहा है, उनका बीवी से तलाक के नौबत है, वो घर में क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, मैने नहीं कहा. मैने ये भी नहीं कहा कि वो चड्डी पहनते हैं, मैने ये भी नहीं कहा कि वो हाफ शर्ट पहनते हैं, मैने ये भी नहीं कहा कि वो नमाज़ नहीं पढ़ते हैं, मैने ये भी नहीं कहा कि वो और क्या क्या अमल करते हैं, मैने सिर्फ शरीयत के मसले पर बताया, मैं मजहबी रहनुमा हूं, आलिम ए दिन हूं, मेरी ज़िम्मेदारी है कि कोई मुसलमान गलत रास्ते पर जा रहा है तो उसको रोकना टोकना मेरी ज़िम्मेदारी है इसमें किसी को बुरा नहीं लगना चाहिए. और ऐसा ही सलमान खान का मामला है, अब सलमान खान बड़े आदमी हैं तो वे शरीयत के दायरे में नहीं आयेंगे क्या? शमी साहब बड़े आदमी हैं तो वे शरीयत के दायरे में नहीं आयेंगे? शरीयत के दरमियान ना कोई छोटा है ना बड़ा, उसका हुक्म सब पे बराबर लागू होता है. कोई भी शरीयत के खिलाफ काम करेगा तो उसकी गिरफ्त होगी, उसको बताया जाएगा, ये हमारी ज़िम्मेदारी है.
सवाल: धर्म तो किसी का व्यक्तिगत मामला होता है कि कैसे वो इबादत करेगा, कैसे वो अपने अल्लाह को याद करेगा, जिस हिसाब से मीडिया में चलाया गया आपके बयान को आपको नहीं लगता कि ये किसी के व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, क्योंकि भगवान और इंसान के बीच जो संबंध है वो व्यक्तिगत है, आस्था के नजरिए से ये संबंध बहुत ही ज़्यादा पाक या पवित्र होता है, इसपर एक सार्वजनिक बहस बनाना, क्यूंकि जिस हिसाब से आपके बयान को मीडिया में चलाया गया, क्या वो एक प्रकार से उनको सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने का प्रयास नहीं था?
जवाब: मीडिया को मेरे अधिकार में क्या कर सकता हूं? मैं तो कुछ भी नहीं कर सकता, मैं मीडिया के हाथ पैर तो बांध नहीं सकता, मेरे पास तो ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि मैं मीडिया का कुछ कर सकूं, मेरे तो बस इतना है कि मुझसे कोई मसला पूछेगा, मैं बताऊंगा, ये मेरी ज़िम्मेदारी है. 12 साल मैने मदरसे में इसी लिए तो पढ़ा है. अगर मैं 12 साल मदरसे में नहीं पढ़ा होता तो पैंट शर्ट पहनता और मैं कहीं जाकर दुकानदारी या नौकरी करता, मेरी ज़िम्मेदारी खत्म हो जाती. अल्लाह ने मुझे आलिम ए दीन बनाया है तो मैं तो मसला बताऊंगा. आप चाहे जितना एतराज करें या जो कर ले, मेरे खिलाफ लिखें या मेरे समर्थन में लिखें, मुझे कोई परवाह नहीं. शरीयत की बात मैं बताता रहूंगा, ये मेरी ज़िम्मेदारी है.
शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी का मामला पूरी तरह भारतीय मीडिया के भीतर खबर निर्माण के व्यापार की ओर इशारा करती है. रज़वी के बेतुके बयान, जो अक्सर सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों को मुस्लिम समुदाय से संबंधित मुद्दों पर सवाल उठाने का मौका देते हैं, और समय-समय पर सत्तारूढ़ पार्टी के रुख से मेल खाने वाले बयान देने की उनकी प्रवृत्ति, उनके सार्वजनिक व्यक्तित्व के पीछे के उद्देश्यों पर सवाल उठाती है कि क्या वह मीडिया के जरिए मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं या मीडिया कंपनियों के खबर निर्माण व्यापार के एक अंश मात्र हैं, या फिर उनका राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है? जहाँ एक तरफ विवादास्पद बयानों को गढ़ा जाता है और एक न्यूज़ साइकल की शुरुआत होती है जिससे इसे सार्वजनिक बहस के रूप में पेश करने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. यह न केवल समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है, बल्कि अक्सर मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक रूप में पेश करती है और समुदाय को लेकर लोगों की धारणा को आकार देने में भूमिका निभाती है.
मौलाना शहाबुद्दीन के लगातार विवादास्पद बयान और बयान के पीछे कथित तौर पर एक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति की गंभीरता का मूल्यांकन करने के बजाय उनके विचारों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने में मीडिया का आकर्षण और रुचि, उनके और समाचार एजेंसियों के बीच सांठगांठ की ओर इशारा करती है.
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