हर साल दिल्ली में दीपावली के बाद केवल वायु प्रदूषण नहीं बढ़ता बल्कि उसके साथ-साथ राजनीतिक बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप भी तेज़ हो जाते हैं. कभी हरियाणा तो कभी पंजाब जैसे राज्य इस प्रदूषण के ज़िम्मेदार या दोषी ठहराए जाते हैं और राजनीतिक पार्टियों के लिए हर साल प्रदूषण की समस्या बस एक दूसरे पर आरोप लगाने का मौका बन जाती है.
NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, दीवाली के दौरान दिल्ली में 37 में से सिर्फ 9 AQI पोस्ट्स ही काम कर रहे थे.
भारत की राजधानी दिल्ली में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के डेटा के अनुसार, 21 अक्टूबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350+ के क़रीब हो गया. दीवाली के दिन पटाकों के शोरगुल के बीच ये बढ़ता हुआ दिखा. दीवाली की रात होते-होते दिल्ली के कई स्थान पर AQI लेवल 400+ हो गया. ऐसे में इस बढ़ते प्रदूषण पर राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार के नेता और प्रवक्ता ने सारा जिम्मा या कहें तो इसका आरोप पंजाब के किसानों पर या किसानों द्वारा जलाए जाने वाले पराली पर थोप दिया. BJP नेताओं ने आरोप लगाया कि पंजाब में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है.
21 अक्टूबर को भाजपा IT सेल के हेड अमित मालवीय ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि आम आदमी पार्टी किसानों को पराली जलाने के लिए उकसा रही है ताकि हिंदुओं के त्योहार दीपावली को बदनाम किया जा सके.
इतना ही नहीं उन्होंने ये भी लिखा, “दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता के लिए दीपावली को दोष न दें. अरविंद केजरीवाल शासित पंजाब के अधिकारियों का कहना है कि दिवाली के दौरान धान की पराली में आग लगाना प्रदूषण का ज़िम्मेदार है ताकि उसे पटाखे फोड़ने का नाम दिया जा सके और पुलिस कार्रवाई से बचा जा सके.”
Don’t blame Deepawali for the poor air quality in Delhi-NCR.
Officials in Arvind Kejriwal–ruled Punjab have attributed the increase in farm fires to farmers setting paddy stubble ablaze during Diwali celebrations so that the fires could pass off as firecrackers being burst,… pic.twitter.com/Pfw9n0YFGR
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 21, 2025
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 21 अक्टूबर को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी
पर पंजाब के किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया और पंजाब में पराली जलाने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाना बताया.
Delhi Minister Sirsa accuses AAP of forcing Punjab farmers to burn stubble
Read @ANI Story | https://t.co/IK3VdsmNpE#ManjinderSinghSirsa #Diwali #AAP #DelhiPollution pic.twitter.com/kYKNjkVHIo
— ANI Digital (@ani_digital) October 21, 2025
ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के संस्थापक सीईओ अखिलेश मिश्रा ने भी ट्वीट कर पराली जलाने को वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बताते हुए पटाकों से होने वाले प्रदूषण पर बोलने वाले वकील, कार्यकर्ताओं को इस्लामवादी के लिए पागल जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें हिंदू त्यौहार और दीपवाली उत्सव विरोधी भी बताया.
There are five kinds of people blaming Diwali night for Delhi’s air pollution.
1) Islamists (including crypto Islamists): They just use air pollution as a convenient excuse to once again indulge in their hatred for everything Hinduism.
2) Elites of ancien regime: Mostly…
— Akhilesh Mishra (@amishra77) October 21, 2025
क्या वाक़ई पराली का जलना ही प्रदूषण का कारण है?
दिल्ली-पंजाब-हरियाणा में प्रदूषण का स्तर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के अनुसार, दीवाली के एक दिन पहले (19 अक्टूबर) की सुबह 7 बजे दिल्ली के कुछ स्थानों में जैसे बवाना में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) – 303, PM (Particulate matter) 2.5 और आनंद विहार में AQI – 426, PM 10 था, और दीवाली के दिन 20 अक्टूबर की सुबह बवाना में AQI – 368, PM 2.5 व आनंद विहार में AQI – 426, PM 10 था, जो दिवाली के बाद यानी, 21 अक्टूबर की सुबह 7 बजे बवाना में AQI – 368, PM 2.5 व आनंद विहार में AQI – 358, PM 2.5 लेवल तक पहुँच गया था. और ये एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में “बहुत ख़राब” की श्रेणी में आता है.
वहीं पंजाब में 19 अक्टूबर की सुबह 7 बजे अमृतसर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) – 56, CO और पटियाला में AQI – 110, PM 10 था. 20 अक्टूबर यानी दीवाली वाले दिन की सुबह अमृतसर में AQI – 113, PM 10 व पटियाला में AQI – 202, PM 10 था, और दीवाली के बाद वाले दिन यानी, 21 अक्टूबर की सुबह अमृतसर में AQI – 214 PM 2.5 व पटियाला में AQI – 97, PM 10 ही था. AQI में ये ‘खराब’ की श्रेणी में आता है.
अगर हम दिल्ली और पंजाब के बीच में स्थित हरियाणा के AQI को देखें. तो पंजाब के पटियाला सीमावर्ती क्षेत्र हरियाणा के अंबाला में 19 अक्टूबर की सुबह 7 बजे AQI – 135, PM 2.5 जबकि दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र हरियाणा के बहादुरगढ़ में AQI – 135, PM 2.5 था. जो दीवाली के दिन सुबह अंबाला में AQI – 95, CO व बहादुरगढ़ में AQI – 313, PM 2.5 था. दीवाली के बाद यानी 21 अक्टूबर की सुबह 7 बजे अंबाला में AQI – 222, PM 2.5 और बहादुरगढ़ में AQI – 348, PM 2.5 हो गया था जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है.
बता दें कि PM2.5 और PM10 छोटे कण हैं और NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड), CO (कार्बन मोनोऑक्साइड), NH3 (अमोनिया), SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड) और ओज़ोन (O3) गैस है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में ये प्रदूषक वायुमंडल में मौजूद हानिकारक गैस और कण को दर्शाते हैं साथ ही ये सभी वायु की गुणवत्ता को निर्धारित करते हैं व मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं.
इसके अलावा, 18 अक्टूबर को प्रकाशित जागरण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि पंजाब राज्य में अब तक पराली जलाने के कुल 188 केस सामने आए थे. इनमें सबसे ज़्यादा 76 मामले अमृतसर से थे, वहीं 55 मामलों के साथ तरनतारन दूसरे नंबर पर और तीसरे नंबर पर पटियाला था जहां ऐसे 11 मामले सामने आए थे. हालांकि, जब हम 18 अक्टूबर या उससे पहले पंजाब के अमृतसर का AQI देखें, तो ये केवल AQI 73 ही था. जो कि श्वसन के लिए संतोषजनक लेवल में था या यूं कहें कि AQI सामान्य लेवल में था. ये किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए कोई हानिकारक नहीं था.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के 19 से 21 अक्टूबर तक के आँकड़े साफ़ दिखाते हैं कि जहाँ पंजाब के ज़्यादातर शहरों में AQI मध्यम से खराब श्रेणी (100-200) के बीच रहा, वहीं दिल्ली और एनसीआर के अधिकांश इलाक़ों में AQI बहुत ख़राब से गंभीर श्रेणी (350-400+) में पहुँच गया.
इसका मतलब है कि हवा में स्थानीय स्तर पर बने कण (PM2.5 और PM10) जो पटाकों, वाहनों, औद्योगिक कार्यों और मौसमी स्थिरता (stagnation) से बनते हैं, ये दिल्ली की वायु को मुख्य रूप से प्रभावित कर रहे थे. केवल पंजाब हरियाणा में जलाने वाले पराली ही दिल्ली में अचानक बढ़े इस प्रदूषण का ज़िम्मेदार नहीं हैं.
पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 2024 के मुकाबले 77.5 % घटी हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में इस बार 15 सितंबर से 20 अक्टूबर तक पराली जलाने के 253 मामले दर्ज किए गए हैं, जो पिछले साल 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक 1348 दर्ज मामलों से काफी कम है. यानी, केवल पंजाब में ही इस बार 81.23 % कम पराली जली हैं.

अक्सर किसान रबी फसल के लिए सितम्बर से अक्टूबर के बीच पराली जलाया करते हैं. हालांकि, गौर करने की बात ये भी है कि इस साल पराली कम जलाने का एक कारण हाल ही में पंजाब में आए बाढ़ और बाढ़ की वजह से फसल चक्र में हुई देरी भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 18 से 20 अक्टूबर तक तीन दिनों के लिए ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाज़त दी थी. इसके साथ ही 19 और 20 अक्टूबर को सुबह 6 से 7 बजे तक और शाम 8 से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़ने का समय निर्धारित किया गया था. यानी, दिन में तीन घंटे ग्रीन पटाके फोड़ने का आदेश दिया गया था. लेकिन लोग इन आदेशों के धज्जियां उड़ाते हुए दिखे और दीवाली की सुबह से लेकर देर रात पटाके फोड़ते दिखे. इतना ही नहीं ऑल्ट न्यूज़ के टीम ने पाया कि साउथ दिल्ली इलाके में दीवाली की रात करीब 2 से 2:30 तक पटाके फूटने के आवाज़े आ रहीं थीं. हद तो तब हो गई जब दीवाली के दो दिन बाद यानी 22 अक्टूबर की रात 12 से 1 बजे तक पटाके छोड़े जा रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने और उसकी निगरानी करने के लिए पुलिस पेट्रोलिंग टीमें बनायी गई थी. जो इन नियमों को लागू करा पाने में नाकामयाब दिखीं.
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं होता दिखा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इसके खिलाफ़ कोई ठोस कदम उठाएगा कोई उचित कार्रवाई करेगा?
इन सबके अलावा, इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी रिपोर्ट में ज़िक्र किया कि दिल्ली में देर रात तक पटाके छोड़े जा रहे थे. कई जगहों पर, रात 11 बजे से सुबह 5 बजे के बीच कई घंटों तक CPCB का डेटा गायब रहा.
रिपोर्ट में आगे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के पूर्व अतिरिक्त निदेशक मोहन जॉर्ज के हवाले से बताया गया, “कई स्टेशनों पर रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक का डेटा गायब हैं. अगर यह ‘ग्रीन दीवाली’ थी, तो जनता को यह जानने का हक है कि उन्होंने रात में क्या सांस ली.” साथ ही उन्होंने पूछा, “केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की सतत वायु गुणवत्ता ट्रैकिंग कई घंटों तक अनुपलब्ध क्यों रही, और अधिकांश मॉनीटरिंग स्टेशनों ने प्रदूषण के चरम समय के दौरान डेटा गायब क्यों दिखाया?”
रिपोर्ट में क्लाइमेट ट्रेंड्स के द्वारा CPCB के आंकड़ों पर किए गए विश्लेषण के हवाले से बताया कि दिवाली के बाद 24 घंटों में दिल्ली की औसत PM 2.5 सांद्रता 488 µg/m³ तक बढ़ गई, जो कि त्यौहार पूर्व के औसत 156.6 µg/m³ से तीन गुना अधिक है. साथ ही कहा गया कि इस साल दीवाली के बाद का औसत प्रदूषण स्तर 2021 के बाद से दर्ज किए गए औसत प्रदूषण स्तर से सबसे ज़्यादा था.
पराली जलाने और दिल्ली प्रदूषण के विषय में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की कृषि भौतिकी संभाग की PhD 4th year छात्रा सुदीप्ता ने ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि Carbon dioxide • Carbon monoxide (CO)• Methane • Nitrogen oxides • Volatile organic compounds (VOCs)• Ammonia पराली के जलने से निकलने वाली गैस हैं. जबकि Sulfur dioxide • Nitrogen oxides • Carbon monoxide (CO)• Carbon dioxide फटाके वाली गैस है और इसके ही ज़्यादा मात्रा देखने को मिला NCR रीजन में फिर खाली पराली को दोष देनें का पॉइंट नहीं बनता ज़्यादा.
पिछले 3-4 सालों से इस बार का ‘ फायर काउंट्स ‘ जो सैटेलाइट पास से पकड़े जातें हैं ,वो करीब 1/4 हैं, और जो किसान पराली जला भी रहे हैं, वो सुबह के समय ही जलाते हैं, हालांकि कुछ लोगों का आरोप लगाते है कि किसान अक्सर सैटेलाइट पास से बचने के लिए 4.30 am ऐसे टाइम पे पराली जलाते हैं, फिर रात के 2.30 बजे तक के AQI index इतना ज़्यादा अचानक कैसे बढ़ा होगा ? पटाखे जलने के कारण, सांस में दिक्कत, आंख जलना, चमड़े में जलन, ये सब देखने को मिला, वैसे ही पूरे साल भर दिल्ली का AQI ज़्यादा ही रहता है, गाड़ी के धुएं, आसपास रिफाइनरी फैक्ट्री के धुएं ये सब के वज़ह से, और 2025 के दिवाली में पिछले 5 सालों से भी ज़्यादा हवा खराब हुआ है ,जबकि पराली जलने के घटना 1/4 पे हैं.
हर साल दिल्ली में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ना एक जटिल और बहुत बड़ी समस्या है, जिसे किसी एक कारण या किसी राज्य विशेष पर थोप देना ठीक नहीं हैं. ध्यान दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ग्रीन पटाखों और सीमित समय की अनुमति के बावजूद दिल्ली में देर रात तक पटाखों का फूटना, CPCB मॉनिटरिंग में रात के समय डेटा का गायब रहना और स्थानीय प्रशासन की ढीली निगरानी, सभी ने इस प्रदूषण में अपना-अपना योगदान दिया है.
हमने पर्यावरणविद् और स्वेच्छा के संस्थापक विमलेंदु झा से इस मामले पर बात की. उन्होंने बताया, “दीवाली के समय प्रदूषण के अचानक बढ़ने का मुख्य कारण पटाखे जलाना ही था. सर्दियों में वायु प्रदूषण का संकट कई मायनों में शुरू होता है और इसका मुख्य कारण मौसम संबंधी परिस्थितियाँ हैं जो वास्तव में हमारे पास हैं और इसे बढ़ाने का एक कारण, मुख्य रूप से अभी दीवाली है. इस साल भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद, हमने देखा है कि लोग पटाखों पर प्रतिबंध का उल्लंघन कर रहे हैं और दीवाली के दिन, रात और उसके बाद की सुबह AQI बेहद गंभीर रहा था.”
इसलिए यह कहना कि “केवल पंजाब की पराली जलाने” से दिल्ली की हवा प्रदूषित हुई, यह आधे सच को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने जैसा है, या फिर ख़ुद के गलतियों को दूसरे के सर में थोपने जैसा है.
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