न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBDSA) ने 24 जनवरी, 2025 को एक आदेश में मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले नेटवर्क18 से संबद्ध चैनल न्यूज़18 इंडिया को पिछले साल प्रसारित एक विवादास्पद बहस से आपत्तिजनक सेक्शन हटाने का निर्देश दिया.
ये बहस लोकप्रिय सेगमेंट ‘गूंज विद रुबिका लियाक़त’ के एक एपिसोड की है और 28 मार्च, 2024 को न्यूज़ 18 इंडिया पर प्रसारित हुई थी. चर्चा का विषय अब खत्म हो चुकी लिकर पॉलिसी में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 21 मार्च, 2024 को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के बाद आम आदमी पार्टी द्वारा कथित भ्रष्टाचार था.
NBDSA एक स्वतंत्र सेल्फ़ रेगुलेटरी निकाय है जो प्रसारण और डिजिटल माध्यमों में न्यूज़ कंटेंट की निगरानी करता है. आदेशों में कहा गया कि कार्यक्रम और इसकी एंकर रुबिका लियाकत ने जिस तरह से बहस का संचालन किया, उससे तटस्थता पर उसके दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ और उन्होंने “एक ऐसे मामले में दोषारोपण किया जो विचाराधीन था.”
NBDSA ने चैनल को इस प्रकरण का अनुपालन करने और एडिट करने के लिए सात दिन (31 जनवरी तक) का समय दिया. हालांकि, 17 फ़रवरी तक, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि न्यूज़18 इंडिया ने इन “अपमानजनक हिस्सों” को नहीं हटाया है और पूरा एपिसोड अभी भी ऑनलाइन मौजूद है.
NBDSA ने ये आदेश क्यों जारी किया?
पुणे स्थित कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े ने इस शो और इसके एंकर रुबिका लियाकत के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी जिसके बाद NBDSA की ये कार्रवाई हुई. इंद्रजीत घोरपड़े ने 1 अप्रैल, 2024 को एक औपचारिक शिकायत में लिखा कि चैनल ने “भाजपा प्रवक्ता द्वारा प्रचारित झूठ को उचित ठहराया, जिन्होंने कहा था कि अदालत ने दिल्ली के सीएम को दोषी पाया है.”
बहस के दौरान लगभग 7 मिनट 58 सेकेंड पर भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ये ग़लत दावा किया कि अदालत ने कहा कि केजरीवाल को कोई राहत नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने “घोटाला” किया है. ध्यान दें कि केजरीवाल पर एक्साइज पॉलिसी को क्रियान्वित करने और कथित तौर पर इससे मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी नहीं ठहराया था. उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के समन में नौ बार शामिल न होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. हालांकि, रुबिका लियाक़त ने शहज़ाद पूनावाला के बयान को ग़लत नहीं बताया.
इसके अलावा, पूरे कार्यक्रम के दौरान रुबिका लियाक़त ने ऐसे वाक्यांशों का इस्तेमाल किया,जिससे पता चलता है कि केजरीवाल दोषी और अपराधी थे. 14 मिनट 30 सेकेंड के आसपास, आप प्रवक्ता को जवाब देते हुए, रुबिका लियाकत कहती हैं कि ईडी पर सवाल उठाना अजीब था और पार्टी को “स्वीकार” करना चाहिए कि सच्चाई बाहर आ गई है.
एक अन्य उदाहरण, जिसमें वो कहती है, “अगर भ्रष्टाचार नहीं हुआ होता और इतने बड़े आरोप नहीं लगते, तो मैं कह देती कि आप जो कह रहे हैं उसमें दम है.”
इतना ही नहीं, इन्द्रजीत घोरपड़े की शिकायत में लिखा है कि रुबिका लियाक़त द्वारा प्रधानमंत्री का बचाव लगभग पक्षपातपूर्ण रवैये का संकेत देता है. इस हिस्से को बहस के 37 मिनट 25 सेकेंड के आसपास देखा जा सकता है. जहां रुबिका लियाक़त ने मोदी को एक भ्रष्ट प्रधानमंत्री कहने के लिए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता, अमीके जामेई की कटु आलोचना की. जब अमीके जामेई ने मोदी पर चुनावी बॉन्ड योजना (जिसे तब से असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है) के साथ-साथ ईडी के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर जबरन वसूली रैकेट चलाने का आरोप लगाया. रुबिका लियाक़त ने गुस्से में मांग की कि वो देश के प्रधानमंत्री के बारे में बात करते समय और शिष्टाचार बनाए रखें और तहज़ीब के दायरे में बात करें. उनका कहना है कि मोदी का सम्मान सिर्फ इसलिए किया जाना चाहिए क्योंकि वो देश के प्रधानमंत्री हैं. इसके बाद उन्होंने स्पीकर को ये साबित करने की चुनौती दी कि मोदी भ्रष्ट हैं. वो कहती हैं, “मैं अपने देश के प्रधानमंत्री का बचाव करूंगी-मैं क्यों नहीं करूंगी?”
इसके बाद वो स्पीकर पर विपक्षी दल का चमचा होने का आरोप लगाती है. अपमानजनक आरोप लगाटे हुए कहती हैं कि उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भ्रष्टाचार के प्रति आंखें बंद करने के लिए आर्थिक लाभ मिलता है. “आप क्या ममता दीदी के पेरोल पर हैं? मेरे देश का प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) है भाई. जैसे मैं आपकी अखिलेश यादव जी की इज्ज़त करती हूं, वैसे आप देश के प्रधानमंत्री की इज्ज़त नहीं करेंगे? आपको इतनी नफरत है उस आदमी से कि आप उस कुर्सी की इज्ज़त भी नहीं करते हैं. यही (नफरत) तो आपको ले डूबता है ना. आपके अंदर की नफरत आपको खा रही है आपको समझ ही नहीं आ रहा है.. आप दीदी के पेरोल पर हैं? आपको दीदी पैसा दे रही है?.. आप भारतीय जनता पार्टी को कहिए, लेकिन मेरे देश के प्रधानमंत्री को मत कहिए.. आप किसी नेता को कहिए, लेकिन मेरे देश के प्रधानमंत्री को मत कीजिए ना..आप जिस पार्टी को कहना चाहते हैं कहिए मुझे कोई दिक्कत नहीं है आप पार्टी को कहिए ना ..आपको नफरत है और देखिए ये जो नफरत है आपको खत्म कर देगी.”
देखिए तहज़ीब कौन सीखा रहा है। 🤔
ई विल डिफेंड दा प्राइम मिनिस्टर ऑफ माई इंडिया। वाई विल आई नाट डिफेंड। आप भाजपा को कहिए मगर मेरे देश के प्रधान मंत्री को मत कहिए।
अनौपचारिक भाजपा प्रवक्ता @RubikaLiyaquat pic.twitter.com/AaPqIbhmNY— Mohammed Zubair (@zoo_bear) March 31, 2024
इसके बाद उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, “मैं तो करूंगी, सुनिए ताल ठोक के करूंगी देश के प्रधानमंत्री को डिफेंड, कोई माय का लाल मुझे रोक नहीं सकता है.” इसे और भी जटिल बनाने वाली बात ये है कि ये बहस कार्यक्रम लोकसभा चुनाव 2024 शुरू होने से एक महीने से भी कम समय पहले प्रसारित किया गया था.
न्यूज18 इंडिया ने 11 अप्रैल, 2024 को इन्द्रजीत घोरपड़े की शिकायतों के खिलाफ़ NBDSA को अपना जवाब सौंपा. इसमें इस बात से पूरी तरह इनकार किया गया कि इस प्रकरण में किसी भी तरह से अरविन्द केजरीवाल को दोषी ठहराया गया था और कहा गया कि रुबिका लियाकत “निष्पक्षता के सिद्धांतों” का उल्लंघन किए बिना सिर्फ अपने “पत्रकारिता कर्तव्य” के हिस्से के रूप में सवाल उठा रही थीं.
हालांकि, NBDSA ने पाया कि बहस के दौरान रुबिका लियाज़त की शब्दावली और आचरण ने अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों (जैसा कि समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किया गया है) और आचार संहिता और प्रसारण मानकों के तहत तटस्थता के सिद्धांत का उल्लंघन किया है. नियामक संस्था ने अपने आदेश में कहा कि “एंकर ने एक ऐसे मामले में दोषी ठहराया जो मामला विचाराधीन था.”
NBDSA ने ये भी पाया कि ये धारा नीलेश नवलखा बनाम UOI एंड Ors (2021) SCC ऑनलाइन BOM 56 और अन्य मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. जिसमें माना गया कि मीडिया प्रसारकों द्वारा प्राप्त भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों द्वारा प्राप्त निष्पक्ष जानकारी के अधिकार को मात नहीं दे सकता है. ऐसे में, मीडिया घरानों के पास सूचना प्रकाशित करने के लिए पर्याप्त प्रोटोकॉल होने चाहिए, खासकर संवेदनशील अदालती कार्यवाही पर ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी रिपोर्टिंग किसी भी तरह से चल रही जांच में बाधा न बने.
न्यूज18 इंडिया ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री के लिए रुबिका लियाकत के बचाव ने किसी भी दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं किया और ये देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक पर बैठे व्यक्ति के लिए “आपत्तिजनक भाषा” का इस्तेमाल करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ “सामान्य नागरिक” की स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी.
इंद्रजीत घोरपड़े की शिकायत में कहा गया है कि रुबिका लियाकत के आचरण और मोदी के बचाव ने इस व्यापक धारणा को बढ़ावा दिया कि सरकार की आलोचना करने वाला कोई भी व्यक्ति देशद्रोही और राष्ट्र-विरोधी है.
NBDSA ने पाया कि रुबिका लियाकत का व्यवहार आचार संहिता का उल्लंघन है. इसमें कहा गया है कि एंकर को प्रधानमंत्री का बचाव करते समय संयम बरतना चाहिए था और ये सुनिश्चित करने के लिए एक पेशेवर लहजा बनाए रखना चाहिए था कि चर्चा एक सार्थक बहस से पीछे न हट जाए.
ऐसा पहली बार नहीं
ये ध्यान रखना दिलचस्प है कि ये पहली बार नहीं है जब NBDSA ने न्यूज़18 इंडिया के कंटेंट को मार्क किया है. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले कई उल्लंघनों पर रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें नवंबर 2024 का एक उदाहरण भी शामिल था. NBDSA ने 10 जुलाई, 2024 को धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर के साथ एक इंटरव्यू प्रसारित करने के लिए ब्रॉडकास्टर को चेतावनी जारी की थी. धीरेन्द्र शास्त्री ने सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी बयान दिए थे और ‘लव जिहाद’ पर साजिश को बढ़ावा दिया था. नस्लीय और धार्मिक सद्भाव से संबंधित रिपोर्ट्स पर विशिष्ट दिशानिर्देशों के साथ-साथ अलौकिक, भोगवाद पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया था.
The NBDSA has come down heavily on News 18 asking it to take down within 7 days an interview of Hindu seer Dhirendra Shastri, which it found violative of several principles, including those related to religious harmony | @Shinjineemjmdrhttps://t.co/aRVy5ELkUU pic.twitter.com/k7igWlGkkE
— Alt News (@AltNews) November 11, 2024
फ़रवरी 2024 में NBDSA ने श्रद्धा वॉकर के मामले में मुस्लिम समुदाय को बर्बर बताने और ‘लव जिहाद’ की साजिश को कायम रखने के लिए ब्रॉडकास्टर पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया था. श्रद्धा वॉकर को दिल्ली में उसके साथी ने मार कर उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे.
NBDSA fined Times Now Navbharat Rs 1 lakh, News 18 India Rs 50,000 in cases I filed against painting the entire Muslim community as barbaric & guilty of conducting organised crimes against Hindu women, by malicious linking Shraddha Walker’s murder to the ‘love jihad’ conspiracy. pic.twitter.com/RO5jJR0iLN
— Jeet (@jeetxg) February 29, 2024
2023 में न्यूज़18 इंडिया पर मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने और मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ न्यायेतर हिंसा का जश्न मनाने के लिए NBDSA द्वारा 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
Based on complaints filed by me and @cjpindia , News18 India has been fined Rs.25,000 by NBDSA for painting Muslim men as perverts who attend Garba events to harass Hindu women, vilifying the entire Muslim community, celebrating police violence against Muslim men. pic.twitter.com/UMISu8zbUO
— Jeet (@jeetxg) February 28, 2023
अक्टूबर 2022 में मुस्लिम महिला प्रदर्शनकारियों को आतंकवाद से जोड़ने के लिए न्यूज़18 इंडिया पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया गया था. जुर्माने के साथ न्यूज़ के आदेश के साथ, NBDSA ने चैनल को अपने एंकर अमन चोपड़ा को संवेदनशील मुद्दों पर बहस की मेजबानी करने का प्रशिक्षण देने का आदेश दिया.
Basis a case I filed & argued, News Broadcasting & Digital Standards Authority (NBDSA) has slapped a Rs.50,000 fine on News18 India for linking Muslim female student protestors with terrorism. News 18 ordered to train Aman Chopra on how to conduct debates on sensitive matters. pic.twitter.com/eYbsCZcTNb
— Jeet (@jeetxg) October 26, 2022
जून 2022 में न्यूज़18 इंडिया को ‘थूक जिहाद’ की साजिश को बढ़ावा देने वाले एक फ़र्जी वीडियो को हटाने के लिए कहा गया था जिसे 2021 में प्रसारित किया गया था.
Last year I filed a grievance against Thook Jihad by Aman Chopra & News18. News18 used fake videos to demonise the Muslim community. NBDSA found the debate violating and passed an order today asking News18 to delete the video from the web. Does this undo the damage caused?! pic.twitter.com/9Szua41yxt
— Jeet (@jeetxg) June 14, 2022
NBDSA दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन इस बात का प्रमाण है कि न्यूज़18 इंडिया ने लगभग पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण के पक्ष में अपनी पत्रकारिता भावना से समझौता किया है. ये विपक्षी दलों के वक्ताओं को व्याख्यान देने और उनकी निंदा करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री के किसी भी विरोधी विचार और आलोचना पर रोक लगाते हुए ऐसा करता है. इसके अलावा, चैनल ने अक्सर ग़लत सूचनाओं को बढ़ावा दिया है और साथ ही विपक्षी दलों को बदनाम करने के लिए अभियान भी चलाए हैं.
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