एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल है कि इसमें अमेरिकी सैन्यकर्मियों को इस्लामिक देशों से अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करते हुए दिखाया गया है. इस वीडियो में वर्दीधारी लोगों को इन कथित ‘घुसपैठियों’ की जबरन दाढ़ी काटते हुए और उन्हें जेल में बंद करने के लिए आगे बढ़ते हुए दिखाया गया है. इसके साथ लिखे कैप्शन में बताया गया है कि इस्लामिक देशों के अवैध अप्रवासियों से निपटने की अमेरिकी सेना की रणनीति भारतीय अप्रवासियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार से कहीं ज़्यादा गंभीर है.
ये दावा अवैध आप्रवासन पर ट्रम्प की कार्रवाई के बाद सामने आया. इस साल फ़रवरी में भारत से 200 से ज़्यादा अवैध अप्रवासियों को दो बैचों में अमेरिकी सैन्य विमानों से वापस भारत भेजा गया था. अमेरिकी अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक डोमेन में जारी किए गए फ़ुटेज में उन्हें हथकड़ी और जंजीरों से जकड़े हुए दिखाया गया है. इससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया और विपक्ष ने इसे ‘अमानवीय’ बताया और इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
वायरल क्लिप पर वापस आते हुए, वेरिफ़ाईड X यूज़र (@ashishvyas__) ने इसे एक कैप्शन के साथ पोस्ट किया जिसमें कथित मुस्लिम आप्रवासियों को ‘जिहादी’ के रूप में संदर्भित किया गया. इस आर्टिकल के लिखे जाने तक, पोस्ट को लगभग 2 लाख बार देखा गया और इसे लगभग 600 बार रीशेयर किया गया. (आर्काइव लिंक)
ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर पर इन ट्वीट में विज़ुअल्स को प्रमाणित करने के लिए एक रिक्वेस्ट मिली.
फ़ैक्ट-चेक
वीडियो में ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि जो लोग वर्दी पहने हैं उनके जैकेट पर ‘DGCP’ लिखा है.
इसे ध्यान में रखते हुए हमने सर्च किया और पता चला कि DGCP पैनल सेंटर के सामान्य निदेशालय है जो मध्य अमेरिका के एक देश अल साल्वाडोर की जेलों और हिरासत सुविधाओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार मुख्य सरकारी एजेंसी है.
इसके बाद, की-वर्ड्स सर्च करने से हमें 17 मार्च को रॉयटर्स का यूट्यूब वीडियो मिला जो अमेरिका से अल साल्वाडोर में 200 से ज़्यादा कथित वेनेजुअला गिरोह के सदस्यों के निर्वासन के बारे में है.
कथित तौर पर कैदियों को अमेरिका से अल साल्वाडोर में ट्रांसफ़र कर दिया गया और अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में बंद कर दिया गया जिसे CECOT के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब आतंकवाद के कारावास के लिए केंद्र है. CECOT राजधानी सैन साल्वाडोर से लगभग 73 कि०मी० दूर टेकोलुका में एक विवादास्पद फ़ैसिलिटी है. CECOT दुनिया की सबसे बड़ी हिरासत सुविधाओं में से एक है और संभावित मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए इसे अक्सर आलोचना का सामना करना पड़ता है.
हमने अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले (@nayibbukele) की वेरिफ़ाईड X प्रोफ़ाइल देखी. हमें मालूम हुआ कि उन्होंने हाल ही में वायरल वीडियो पोस्ट किया था जिसमें ट्रेन डी अरागुआ नामक गिरोह के सदस्यों को जेल सुविधा में हिरासत में लिया गया था. क्लिप का वायरल हिस्सा लगभग 1 मिनट 57 सेकेंड पर स्थित हो सकता है.
Today, the first 238 members of the Venezuelan criminal organization, Tren de Aragua, arrived in our country. They were immediately transferred to CECOT, the Terrorism Confinement Center, for a period of one year (renewable).
The United States will pay a very low fee for them,… pic.twitter.com/tfsi8cgpD6
— Nayib Bukele (@nayibbukele) March 16, 2025
यानी, जो वीडियो इस दावे के साथ वायरल है कि ‘जिहादियों’ को अमेरिका द्वारा निर्वासित किया जा रहा है, वो वास्तव में 200 से ज़्यादा वेनेजुअलावासियों की हिरासत का है जो कथित तौर पर ट्रेन डी अरागुआ नामक एक आपराधिक संगठन से सबंधित थे. कथित गिरोह के सदस्यों को अमेरिका से अल साल्वाडोर में ट्रांसफ़र कर दिया गया और CECOT में रखा गया, जो एक अधिकतम सुरक्षा वाली जेल सुविधा है. अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले ने 16 मार्च को अपने वेरिफ़ाईड X हैंडल से वीडियो शेयर किया था.
हालांकि हिरासत में लिए गए लोगों के धर्म का पता लगाना संभव नहीं है, लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर हमें अल साल्वाडोर की धार्मिक जनसांख्यिकी के बारे में यही पता चला:
अमेरिकी सरकार का अनुमान है कि कुल जनसंख्या 6.6 मिलियन (मध्यवर्ष 2022) होगी. सेंट्रल अमेरिका यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक ओपिनियन के फ़रवरी 2021 के सर्वेक्षण के मुताबिक, 43.3 प्रतिशत आबादी कैथोलिक, 33.9 प्रतिशत इंजील ईसाई और 18.6 प्रतिशत बिना किसी धार्मिक संबद्धता के अपनी पहचान रखती है. लगभग 3 प्रतिशत आबादी अपनी पहचान “अन्य” के रूप में करती है जिसमें एंग्लिकन, यहोवा के साक्षी, चर्च ऑफ़ जीसस क्राइस्ट ऑफ़ लैटर-डे सेंट्स के सदस्य, मुस्लिम, बहाई, यहूदी, बौद्ध और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ कृष्णा कॉन्शसनेस के सदस्य शामिल हैं. लगभग 1.2 प्रतिशत जनसंख्या अज्ञेयवादी या नास्तिक के रूप में पहचान रखती है. आबादी का एक छोटा सा हिस्सा स्वदेशी धार्मिक मान्यताओं का पालन करता है, इनमें से कुछ मान्यताएं ईसाई धर्म और इस्लाम के साथ मिश्रित हैं. मुस्लिम नेताओं का अनुमान है कि लगभग 500 मुसलमान हैं.
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