बिहार में विधान सभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कर रहा है. इस अभियान में त्रुटियों को लेकर कई रिपोर्ट्स सामने आ रहे हैं. जल्दबाजी में इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हर स्तर के कर्मचारियों पर भारी दबाव है. कटिहार ज़िले के बारसोई प्रखंड के BDO ने DM को इस्तीफा भेज दिया और अनुमंडल पदाधिकारी पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने कर्मियों से 24 घंटे काम लेने का दबाव बनाने का भी आरोप लगाया.

इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने पटना के फुलवारी विधानसभा क्षेत्र के एक ब्लॉक ऑफ़िस में विशेष गहन पुनरीक्षण में लगे BLO का वीडियो अपनी रिपोर्ट में दिखाया. इस रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया कि BLO मतदाता के फॉर्म पर फ़र्ज़ी दस्तखत कर रहे हैं.

पटना प्रशासन ने एक कथित फ़ैक्ट-चेक में अजित अंजुम के दावे को भ्रामक और तथ्यहीन बताया. और चुनाव आयोग ने पटना प्रशासन के इस कथित फ़ैक्ट-चेक को शेयर किया.

पटना प्रशासन के संदिग्ध फ़ैक्ट-चेक की असली कहानी 

इस रिपोर्ट में हम पटना प्रशासन (ज़िला निर्वाचन पदाधिकारी) द्वारा किए गए दावों की बारी-बारी से जांच करेंगे.

पहला दावा

पटना ज़िला प्रशासन ने पत्रकार अजीत अंजुम के वीडियो का कथित फ़ैक्ट-चेक करते हुए एक प्रेस नोट जारी किया, जिसमें बताया गया कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ज़िला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिला पदाधिकारी पटना द्वारा त्वरित जांच हेतु उप विकास आयुक्त, पटना की अध्यक्षता में ज़िला स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया. जांच के दौरान पाया गया कि उक्त वीडियो में उपस्थित सभी BLOs द्वारा संबंधित विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मृत/स्थानांतरित मतदाताओं की सूची तैयार की जा रही थी. आगे प्रेस नोट में दावा किया गया कि समिति द्वारा जांच में यह पुष्टि हुई कि मृत/स्थानांतरित मतदाताओं के गणना प्रपत्र में BLO द्वारा Dead या Shifted लिखकर स्वयं का हस्ताक्षर कर सत्यापित किया जा रहा था.

ज़िला प्रशासन ने उदाहरण के लिए दो ऐसे दस्तावेज भी साझा किए जिसमें देखा जा सकता है कि मतदाताओं के गणना प्रपत्र के पीछे Death और Shifted लिखकर BLO रानी कुमारी का हस्ताक्षर है.

असलियत

पत्रकार अजीत अंजुम द्वारा उनके यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया वीडियो गौर से देखने पर मालूम पड़ता है कि उसमें BLO द्वारा स्वयं का हस्ताक्षर नहीं, बल्कि पुरुष BLO द्वारा शांति देवी के नाम से हस्ताक्षर किया जा रहा था. वहीं महिला BLO द्वारा चन्द्र प्रकाश साह के नाम से हस्ताक्षर किया जा रहा था, इसलिए पटना प्रशासन का ये दावा कि BLO द्वारा मृत/स्थानांतरित मतदाताओं के गणना प्रपत्र में Dead या Shifted लिखकर स्वयं का हस्ताक्षर कर सत्यापित किया जा रहा था, भ्रामक प्रतीत होता है.

दूसरा दावा

पहला दावा ग़लत साबित होने के बाद यानी, BLO द्वारा स्वयं का हस्ताक्षर नहीं, बल्कि वोटर्स के नाम का हस्ताक्षर करने के तथ्य सामने आने के बाद, पटना ज़िला प्रशासन ने नया जवाब जारी किया. इसमें उन्होंने मृतक चन्द्र प्रकाश साह का मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न करते हुए बताया कि उन्होंने शांति देवी नाम की मतदाता के बारे में भी जानकारी सत्यापित की है. वह मृत हैं. इसके साथ उन्होंने दावा किया कि BLO द्वारा मृतक मार्क करके हस्ताक्षर के स्थान पर उसका नाम लिखकर सत्यापन किया गया कि ये दोनों मृत हैं.

असलियत

ध्यान दें कि पहले जारी किये गए दस्तावेज में पटना ज़िला प्रशासन ने दिखाया कि मृत/स्थानांतरित मतदाताओं के गणना प्रपत्र में Dead या Shifted लिखकर, नीचे BLO के हस्ताक्षर किये गए थे. जबकि ज़िला प्रशासन द्वारा जारी किये गए दूसरे बयान में दावा किया गया कि BLO ने मृतक मार्क करके हस्ताक्षर के स्थान पर उसका नाम (मृतक का हस्ताक्षर पढ़ें) लिखकर सत्यापन किया कि ये दोनों मृत हैं. एक ही ब्लॉक में मृत मतदाताओं के गणना प्रपत्र भरने के दो अलग-अलग फॉर्मेट संदिग्ध प्रतीत होते हैं और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं. प्रशासन के दो अलग-अलग बयान जल्दबाजी में तैयार मालूम पड़ते हैं और दोनों बयान ही आपस में एक-दूसरे का खंडन कर रहे हैं.

इस मामले में प्रशासन के पहले और बाद के बयानों में भारी अंतर के साथ ही इस फॉर्मेट से कुछ बुनियादी सवाल उत्पन्न होते हैं कि क्या ऐसी कोई प्रक्रिया है जिसमें मृत व्यक्ति के हस्ताक्षर की जगह उसका नाम (हस्ताक्षर पढ़ें) लिखा जाए? क्या मृत व्यक्ति का कोई हस्ताक्षर हो भी सकता है? भारतीय कानून किसी दस्तावेज में एक व्यक्ति के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति के हस्ताक्षर को जालसाजी मानता है और इसे अपराध के रूप में देखता है.

तीसरा दावा

पटना प्रशासन ने अपने पहले और बाद के, दोनों प्रेस नोट में दावा किया कि पत्रकार अजीत अंजुम के वीडियो में उपस्थित सभी BLOs अपने-अपने मतदाता केंद्र के मृत/स्थानांतरित मतदाताओं की सूची तैयार कर रहे थे.

पटना प्रशासन ने इसको लेकर एक महिला BLO का वीडियो भी जारी किया था. इसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वो ब्लॉक पर मृत/स्थानांतरित मतदाताओं की सूची बना रही थीं.

असलियत

पत्रकार अजीत अंजुम के वीडियो में एक और नाम दिखाई देता है. संजय कुमार, पिता – रामायण यादव. वीडियो में दिख रहा है कि महिला BLO द्वारा उनके प्रपत्र पर संजय कुमार का साइन किया जा रहा था.

हमने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर संजय यादव के डिटेल्स वेरीफाई किये और चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गए वोटर रोल में भी उनका नाम पाया.

(गोपनीयता कारणों से, हमने संजय कुमार और उनके पिता के पते से संबंधित डिटेल्स छुपा दिए हैं.)

इन सबके अलावा, नैशनल पिलर नाम के यूट्यूब चैनल से जुड़ी पत्रकार मीरा राजपूत और NUBT NEWS नाम के यूट्यूब चैनल से जुड़े पत्रकार ज्योतिष चौहान ग्राउंड पर रिपोर्टिंग करने पहुंचे तो उन्होंने पाया कि संजय कुमार जीवित हैं. उन्होंने हमसे संजय कुमार और उनके पिता रामायण यादव की तस्वीर भी साझा की.

ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंची पत्रकार मीरा राजपूत हमसे संजय कुमार और रामायण यादव के मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड भी साझा किये. संजय कुमार के मतदाता पहचान पत्र पर उनकी तस्वीर और उनका EPIC नंबर, अजीत अंजुम के वीडियो से मेल खाता है. इसके अलावा ऑल्ट न्यूज़ ने भी स्वतंत्र रूप से वेरीफाई किया कि संजय कुमार वहीं के निवासी हैं और उनका स्थानांतरण नहीं हुआ है.

कुल मिलाकर, पटना ज़िला प्रशासन द्वारा जो प्रेस नोट और उनकी कथित जांच में दावा किया गया कि पत्रकार अजीत अंजुम के वीडियो में उपस्थित सभी BLOs अपने-अपने मतदाता केंद्र के मृत/स्थानांतरित मतदाताओं की सूची तैयार कर उनपर हस्ताक्षर कर रहे थे, ये दावा पूरी तरह से तथ्यातमक प्रतीत नहीं होता है. क्योंकि मतदाता संजय कुमार ना तो मृत हैं और ना ही उनका स्थानांतरण हुआ है. जबकि वीडियो में देखा जा सकता है कि संजय कुमार के गणना प्रपत्र पर BLO संजय कुमार नाम से हस्ताक्षर कर रहीं थीं.

संजय कुमार के गणना प्रपत्र के स्टेटस में बदलाव

18 जुलाई की रात, वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने पटना ज़िला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं. इन तस्वीरों में BLO के टेबल पर संजय कुमार नाम के वोटर का गणना प्रपत्र और उनके गणना प्रपत्र के स्टेटस का स्क्रीनशॉट था, जिसमें दिख रहा था कि उनका गणना प्रपत्र जमा हो चुका है.

हमने 18 जुलाई को ही EPIC के जरिए संजय कुमार के गणना प्रपत्र का स्टेटस देखा. परिणाम में वहां लिखा आ रहा था, “आपका गणना प्रपत्र जमा हो गया है. आपका नाम 01.08.2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप निर्वाचक सूची में दिखाई देगा. यदि आपने अभी तक अपना दस्तावेज जमा नहीं किया है, तो कृपया अपने बीएलओ से सम्पर्क करें.”

जब हमने इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले पुनः उसी EPIC नंबर के जरिए संजय कुमार के गणना प्रपत्र का स्टेटस देखा तो अब वहाँ स्टेटस में बदलाव आ गया है. परिणाम में वहां लिखा आता है, “कृपया अपने BLO से संपर्क करें”. इससे एक बात और साफ हो जाती है कि सोशल मीडिया पर संजय कुमार का मामला इंगित होने के बाद ज़िला प्रशासन द्वारा उक्त वोटर के गणना प्रपत्र के स्टेटस में बदलाव किया गया है. नीचे दिए ग्राफिक में संजय कुमार के गणना प्रपत्र के पहले और बाद के स्टेटस में अंतर को देखा जा सकता है.

 

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).