वक्फ़ अमेंडमेंट एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद इस महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में कम से कम 3 लोग मारे गए. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ज़िले में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों की तैनाती का आदेश दिया, वहीं तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी इस बात पर एक-दूसरे पर कटाक्ष कर रही हैं कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव की कमी के लिए कौन ज़िम्मेदार है. मुर्शिदाबाद के जंगीपुर उपमंडल के कुछ इलाकों में तनाव बना हुआ है. हालांकि, 250 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया और करीब 100 FIR दर्ज की गई हैं.

इस संदर्भ में कई तृणमूल कांग्रेस नेताओं और सोशल मीडिया यूज़र्स ने दावा किया है कि बिहार से हिंदू लड़के मुसलमानों के वेश में बंगाल में घुस रहे थे. TMC की राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने बंगाली दैनिक ख़बर 365 दिन की एक न्यूज़ क्लिपिंग ट्वीट की. इस अखबार की कतरन में  छपी रिपोर्ट का टाइटल है, “বিহার থেকে মুসলিম সেজে হিন্দু বহিরাগত” (हिंदी अनुवाद: बिहार से मुस्लिम के भेष में बाहरी हिंदू). उन्होंने इसे हिंसा से जोड़ते हुए हैशटैग ‘#मुर्शिदाबाद’ का इस्तेमाल किया. (आर्काइव)

सागरिका घोष द्वारा अपने ट्वीट में शेयर की गई रिपोर्ट 14 अप्रैल को ‘ख़बर 365 दिन’ ने पब्लिश की थी. इसे आउटलेट ने अपने X हैंडल से भी शेयर किया था.

रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है कि मुर्शिदाबाद हिंसा के बीच एक वीडियो सामने आया था जिसमें बिहार के दो हिंदू व्यक्ति मुसलमानों के भेष में बंगाल के अलीपुरद्वार शहर में प्रवेश कर रहे थे. व्यक्तियों की पहचान राहुल और आशीष कुमार के रूप में की गई और उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बार-बार किये गए दावे की पुष्टि करता है कि राज्य का सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए दूसरे राज्यों से लोगों को बंगाल में लाया जा रहा है. (आर्काइव)

तृणमूल नेता और प्रवक्ता कुणाल घोष ने उपरोक्त रिपोर्ट में ये वीडियो शेयर किया जिसमें एक कैमरापर्सन टोपी पहने दो लोगों का वीडियो बना रहा है. जब उनमें से एक से उसका नाम पूछा गया, तो उसने जवाब दिया, “आशीष कुमार.” बाद में फ़ुटेज में एक और पहचान पत्र दिखाई देता है जिस पर “राहुल” नाम लिखा है. घटनास्थल पर मौजूद लोगों के मुताबिक, लोगों ने कथित तौर पर उन्हें आपराधिक गतिविधियों से जोड़कर समुदाय को बदनाम करने के लिए खुद को मुस्लिम बताया था. मुर्शिदाबाद में हिंसा के दो दिन बाद वीडियो पोस्ट करने वाले कुणाल घोष ने दावा किया कि ये अलीपुरद्वार का है और जांच की मांग करते हुए पूछा, “ये कौन कर रहा है? वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? साजिश क्या है?” (आर्काइव)

হিন্দু।ভিনরাজ্যের। সেজে আছে মুসলমান।

আলিপুরদুয়ারের ভিডিও। তদন্ত হোক। কারা করছে? কেন করছে? কী প্লট?

कई वेरिफ़ाइड यूज़र्स ने भी वीडियो और वीडियो के स्क्रीनशॉट्स ट्वीट किए और दावा किया कि ये मुर्शिदाबाद का है. दावों में हिंसा के पीछे एक साजिश की ओर इशारा किया गया है. (आर्काइव – लिंक 1लिंक 2लिंक 3लिंक 4लिंक 5)

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फ़ैक्ट-चेक

वायरल वीडियो के फ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को 5 मार्च का एक फ़ेसबुक पोस्ट मिला. गौर करें कि ये पोस्ट मुर्शिदाबाद में हिंसा से एक महीने पहले और 4 अप्रैल को संसद में वक्फ़ बिल पारित होने से लगभग एक महीने पहले का है. ये वीडियो बांग्ला पोक्खो के सदस्य ने पोस्ट किया था. बांग्ला पोक्खो जो कथित तौर पर खुद को ‘भारत में बंगालियों का राष्ट्रीय संगठन’ बताता है, बंगाल में ‘हिंदी साम्राज्यवाद’ के खिलाफ कट्टर रुख रखता है.

বিহার থেকে হিন্দু গুটখা মুসলমান সেজে আলিপুরদুয়ারে সমস্যা পাকাতে এসেছে।
ভাবতে পারছো? গুটখারা সব পারে।
গুটখামুক্ত বাংলা চাই।

Posted by Kausik Maiti on Tuesday 4 March 2025

फ़ेसबुक वीडियो के कैप्शन के मुताबिक़, असल में अलीपुरद्वार में दो लोगों को मुस्लिम वेश में पकड़ा गया था. अपलोड करने वाले ने व्यंग्यात्मक चुटकी लेते हुए उन्हें ‘गुठका’ कहा जो बिहारियों के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है.

हमें अगले दिन, 6 मार्च को ऑफ़िशियल बांग्ला पोक्खो फ़ेसबुक पेज पर अपलोड किया गया एक और वीडियो मिला. उत्तर बंगाल के अलीपुरदुरार शहर के फलकता पुलिस स्टेशन के बाहर शूट किए गए वीडियो में दो लोग दिख रहे हैं. उनमें से एक कैमरे को संबोधित करते हुए कहता है, “कल, फालाकाटा में एक घटना घटी. बिहार के दो व्यक्ति, मुस्लिम पोशाक पहने और टोपी पहने, फालाकाटा के एक घर में पहुंचे. घर खाली था, लेकिन उन्हें इलाके में घूमते देखा गया. ऐसा करने का उनका सटीक मकसद अज्ञात है, लेकिन जब मकान मालिक को शक हुआ, तो उसने उन्हें सड़क पर देखा. जब उन्होंने अपनी टोपी उतार दी और कपड़े बदले, तो मकान मालिक का शक बढ़ गया. जब ये पता चला कि दोनों बिहार के दो अपराधी थे तो स्थिति स्पष्ट हो गई. ये मुसलमानों के वेश में फालाकाटा आए थे…” उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने मकान मालिक से बात की थी और फालाकाटा पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक को एक प्रतिनियुक्ति प्रदान की थी.

बांग्ला पोक्खो सदस्य द्वारा बताई गई घटना, कुणाल घोष और अन्य द्वारा शेयर किए गए वीडियो में भी बताया गया था जिसमें दोनों ने अपनी टोपी उतार दी और अपने कपड़े बदल लिए थे. इससे ये बात साबित होती है कि ये वही घटना है.

ফালাকাটা থানায় ডেপুটেশন বাংলা পক্ষর

বহিরাগত ক্রি*মিনা/লরা বিহার থেকে এসে ধর্মীয় পরিচয় বদল করে ঘুরে বেড়াচ্ছিল আলিপুরদুয়ারের ফালাকাটায়। বাংলার শান্ত পরিবেশকে অশান্ত করতে চাইছে বহিরাগতরা। এই বিষয়ে আজ ফালাকাটা থানায় ডেপুটেশন দিল বাংলা পক্ষ আলিপুরদুয়ার জেলা।

Posted by বাংলা পক্ষ on Thursday 6 March 2025

हमें फ़ेसबुक पर मोक्तदुल आलम नामक व्यक्ति द्वारा शेयर किया गया एक और वीडियो मिला जो फ़लाकाटा का निवासी है. यूज़र ने बांग्ला पोक्खो बयान से दो दिन पहले 4 मार्च को वीडियो अपलोड किया था. इसने अपने दर्शकों को चेतावनी दी थी कि रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान, बिहार के लोग फलकटा, मोयराडांगा, गोलाकटा और अलीपुरद्वार ज़िले जैसे क्षेत्रों में घर-घर जाकर दान इकट्ठा कर रहे थे. इसने लिखा था, “ये लोग मुस्लिमों जैसे कपड़े पहनते हैं लेकिन दूसरे धर्म के हैं. इनसे सावधान रहें.” कमेंट में यूज़र ने ये भी बताया कि दोनों व्यक्तियों को पुलिस को सौंप दिया गया है.

সকল মুসলিম ভাইদের অবগত করা হচ্ছে যে পবিত্র মাহে রমযান মাসে আমাদের এলাকা গুলোতে ফালাকাটা,ময়রাডাঙ্গা গলাকাটা,আলিপুর দুয়ার জেলা। এই সমস্থ জায়গা গুলিতে। বিহার থেকে এসে বাড়ী বাড়ী চাদা করছে।মুসলিম সেজে অন্য র্ধমের মানুষ।এদের থেকে সাবধান। #videoviralシ @highlight #photographychallengeraphychallenge #viralvidio

Posted by Moktadul Alam on Tuesday 4 March 2025

कुल मिलाकर, इस साल मार्च की शुरुआत का एक वीडियो हाल ही में ऑनलाइन शेयर किया जा रहा है जिसमें प्रभावशाली TMC नेता और सोशल मीडिया यूज़र्स इसे मुर्शिदाबाद में हाल की हिंसा से जोड़ रहे हैं जिससे घटना के पीछे संभावित साजिश का पता चलता है.

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.