22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. इसके बाद से सोशल मीडिया कई अनवेरिफ़ाइड दावे, वीडियोज और तस्वीरों से भरा हुआ है. इनमें कथित तौर पर पाकिस्तान सशस्त्र बलों के मीडिया और जनसंपर्क विंग द्वारा जारी एक एडवाइज़री है, जिसमें कहा गया है कि ये पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सेवा से अनऑथोराइज़्ड इस्तीफ़े से सख्ती से निपटेगा. एडवाइज़री में कहा गया है कि पहलगाम घटना के बाद कई सैन्य कर्मियों ने “भारत के साथ युद्ध की आशंका” के कारण नौकरी छोड़ दी है या सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है.
पहलगाम में बंदूक हमले को देश में हाल के इतिहास में नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए सबसे घातक आतंकवादी घटनाओं में से एक करार दिया गया है. इस घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच बिगड़ते संबंधों को भी खराब कर दिया है; भारत ने पड़ोसी देश पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और परिणामस्वरूप सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. इस संदर्भ में कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना की ओर से प्रकाशित वायरल “एडवाइज़री” ज़्यादा महत्व रखती है.
28 अप्रैल को पत्रकार आदित्य राज कौल (जिनकी ग़लत सूचनाओं पर ऑल्ट न्यूज़ ने कई बार फ़ैक्ट-चेक किया है) ने X पर लेटर शेयर किया और लिखा, “बहुत बड़ी सूचना. पाकिस्तानी सेना में बड़े पैमाने पर इस्तीफों की सूचना मिल रही है क्योंकि असीम मुनीर के नेतृत्व में मनोबल सबसे निचले स्तर पर है.” आसिम मुनीर पाकिस्तान के सेना प्रमुख हैं. जिस वक्त ये आर्टिकल लिखा गया, उस वक्त तक उनकी पोस्ट को 1.2 मिलियन व्यूज़ मिले थे. (आर्काइव)
आदित्य कौल द्वारा शेयर की गई सलाह कथित तौर पर पाकिस्तान सशस्त्र बलों की जनसंपर्क शाखा, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) द्वारा जारी की गई थी. इसे मेजर जनरल फ़ैसल महमूद मलिक द्वारा “सभी रैंकों, पाकिस्तान सशस्त्र बलों” के अधिकारियों को संबोधित किया गया है. पत्र के मुताबिक, मलिक इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (DGISPR) के महानिदेशक हैं.
पत्र में ज़िक्र किया गया है कि पहलगाम की घटना और भारत के साथ युद्ध की आशंकाओं के परिणामस्वरूप “सेना के जवानों के बीच इस्तीफे और परित्याग के लिए भारी अनुरोध” आए. लेटर में पाकिस्तान सशस्त्र बलों के सभी अधिकारियों को ‘मुजाहिदीन’ के रूप में संबोधित किया गया है और उन्हें देश की रक्षा के लिए अपनी शपथ बरकरार रखने का निर्देश दिया गया है. “पाकिस्तान जिंदाबाद.” शब्दों के साथ खत्म होने से पहले लेटर में कहा गया है, “अनऑथोराइज़्ड इस्तीफा या सेवा से परित्याग पर पाकिस्तान सेना अधिनियम, 1952 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”
हमने देखा कि आदित्य कौल द्वारा पोस्ट किया गया सलाहकार पत्र ऊपर और नीचे से कटा हुआ दिखाई दे रहा था. फिर हमें लेटर का एक फ़ुल-पेज वर्जन मिला, जिसमें उसी कंटेंट को उसी दिन इंस्टाग्राम यूज़र @sarcasmic_troll द्वारा शेयर किया गया था. ध्यान दें कि एडवाईज़री का टेक्स्ट दोनों में समान था, लेकिन इंस्टाग्राम पोस्ट के नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट में टॉप दाएं कोने पर हैंडल का वॉटरमार्क ‘सरकास्मिक ट्रोल’ लिखा हुआ था, जिसे आदित्य कौल के पोस्ट में क्रॉप किया गया था.
इस लेटर का हवाला द इकोनॉमिक टाइम्स ने ‘पाकिस्तानी सेना में विद्रोह?’ टाइटल वाली रिपोर्ट में भी दिया था. वायरल लेटर में पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध की आशंका के बीच सामूहिक इस्तीफ़े का दावा किया गया है. आउटलेट का ज़िक्र है कि उसने लेटर को स्वतंत्र रूप से वेरिफ़ाई नहीं किया है. रिपोर्ट में वायरल एडवाइज़री वाली एक X पोस्ट शामिल है. (आर्काइव)
न्यूज़ 18 हिन्दी ने भी इस मामले पर रिपोर्ट प्रकाशित की और बिना किसी पत्र को अपने रिपोर्ट में शामिल किये चैनल ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना में 100 से अधिक अधिकारियों और 500 से ज्यादा सैनिकों ने इस्तीफा दिया है. (आर्काइव लिंक)
इस पत्र को कोट करने वालों में रिपब्लिक भारत भी है. चैनल ने अपने सेगमेंट ‘पाकिस्तान न्यूज़ टुडे: भारत के हुंकार से पाकिस्तानी सेना में विद्रोह | पहलगाम आतंकी हमला’ में सामूहिक इस्तीफे कि बात बताई. सामूहिक इस्तीफ़े की खबर देने वाले चैनलों में ज़ी न्यूज़, न्यूज़ नेशन और हैदराबाद स्थित स्थानीय समाचार चैनल आरटीवी और बेंगलुरु स्थित अंग्रेजी चैनल न्यूज़9 भी शामिल है. इनमें से ज़्यादातर चैनलों ने कहा कि ये “गोपनीय” सेना के दस्तावेज़ थे जिन्हें “लीक” किया गया, लेकिन इन्होंने स्पष्ट रूप से ये नहीं बताया कि उन्हें ये पत्र कहां मिला. ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट में इस पत्र को “कुछ रिपोर्टों” का हवाला दिया गया.
@MeghUpdates और @RealBababanaras सहित कई अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस लेटर की तस्वीरें शेयर की जिसमें दावा किया गया कि पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद देशों के बीच तनाव बढ़ने के कारण कम मनोबल के कारण पाकिस्तानी सेना में बड़े पैमाने पर इस्तीफे हुए. (आर्काइव 1, 2, 3, 4, 5)
एडवाइज़री की तस्वीर फ़ेसबुक पर भी वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
तथाकथित सेना निर्देश में कई बातें हमें अजीब लगीं. सबसे पहले, पाकिस्तान में स्थानीय मीडिया आउटलेट्स द्वारा सामूहिक इस्तीफों की कोई ख़बर नहीं है.
दूसरा, ISPR की ऑफ़िशियल वेबसाइट के मुताबिक, वर्तमान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी हैं, न कि मेजर जनरल फ़ैसल महमूद मलिक, जिनका वायरल लेटर पर DGISPR या इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक के रूप में साइन है.
फ़ैसल महमूद मलिक के पूरे नाम की कीवर्ड सर्च से किसी सैन्य अधिकारी का कोई रिजल्ट नहीं मिला.
तीसरा, जब हमने ‘एडवाइजरी’ (+92-51-9271600) में उल्लिखित नंबर पर कॉल करने की कोशिश की, तो मालूम चला कि ये नंबर सूचीबद्ध नहीं है. हमने वायरल लेटर में उल्लिखित मेल आईडी ‘ispr@ispr.gov.pk’ पर एक ईमेल भी भेजा, लेकिन वो वापस आ गया. यानी, ये ईमेल अड्रेस भी झूठा है.
चौथा, लेटर के अंत में सही उर्दू शब्द ‘जिंदाबाद’ के बजाय ‘पाकिस्तान जिनाबाद’ लिखा था. किसी वर्गीकृत सैन्य डॉक्यूमेंट में ऐसी गलती नहीं होती, विशेष रूप से ये देखते हुए कि उर्दू एक ऑफ़िशियल भाषा है और देश में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है.
पांचवां, हमने देखा कि लेटर के टॉप पर मौजूद लोगो के बैकग्राउंड भूरे रंग की चौकोर थी, जो बाकी सफेद पेज से बिल्कुल अलग थी. इससे पता चलता है कि लोगो शायद किसी अन्य सोर्स से लेकर इस लेटर पर चिपकाया गया था. एडवाइजरी के नीचे साइन के चारों ओर एक समान चौकोर रूपरेखा दिखाई देती है, जिससे पता चलता है कि हो सकता है इसे भी कॉपी और पेस्ट किया गया हो. साइन थोड़ा सा कटा हुआ दिखाई देता है और साइन का बैकग्राउंड का रंग डॉक्यूमेंट से मेल नहीं खाता है. हमने इंस्टाग्राम यूज़र @sarcasmic_troll द्वारा हैंडल के वॉटरमार्क के साथ अपलोड किए गए फ़ुल पेज लेटर का इस्तेमाल किया है.
लोगो की बारीकी से जांच करने पर पता चलता है कि इसका क्रेडिट “सेना प्रमुख” को दिया गया था और इसमें सेना की ओर इशारा करते हुए दो तलवारें दिखाई गई थीं. हालांकि, लेटर पर DGISPR द्वारा साइन किया गया था, जो नौसेना और वायु सेना सहित सभी सशस्त्र बलों से संबंधित है. इस लेटर में ऑफ़िशियल ISPR लोगो हरे लोगो से अलग, बहुरंगी है और सेना की सभी तीन शाखाओं: सेना, नौसेना और वायु सेना का प्रतिनिधित्व करता है. हमने वायरल एडवाइजरी के लोगो की तुलना पाकिस्तानी सेना की ऑफ़िशियल वेबसाइट के लोगो से की और पाया कि ये भी अलग है. सीधे शब्दों में कहें तो ऑल्ट न्यूज़ ये वेरिफ़ाई करने में सक्षम था कि सशस्त्र बलों की किसी भी ऑफ़िशियल वेबसाइट ने वायरल लेटर में लोगो का इस्तेमाल नहीं किया था.
अंत में हमें लेटर में स्पष्ट व्याकरण संबंधी गलतियां मिलीं. उदाहरण के लिए, वाक्यांश “पहलगाम में हमारे मुजाहिदीनों द्वारा की गई घटना” व्याकरण रूप से ग़लत है. साथ ही, ऑफ़िशियल कम्युनिकेशन में ‘मुजाहिदीन’ शब्द का इस्तेमाल किए जाने की संभावना नहीं है.
पेशावर कोर मुख्यालय के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने पाकिस्तान स्थित मीडिया आउटलेट, डॉन को बताया कि “सेना के जवानों का इस्तीफा पूरी तरह से निराधार है. ये फ़र्जी ख़बर है जो भारतीय सोशल मीडिया एकाउंट्स द्वारा शेयर की गई है.”
कुल मिलाकर, हम ये निष्कर्ष निकालने में सक्षम थे कि मीडिया चैनल्स का दावा मनगढ़ंत और निराधार है. और इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के कारण पाकिस्तानी सेना में बड़े पैमाने पर इस्तीफे हुए.
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