17 मार्च, 2025 को महाराष्ट्र के नागपुर में हिंदुत्ववादी संगठन द्वारा औरंगज़ेब का पुतला जलाकर प्रदर्शन करने के दौरान एक कपड़े पर कुरान की आयत जलाने की सनसनी फैलने के बाद हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में करीब 30 लोग घायल हो गए. इससे क्षेत्र में अशांति फैल गई, भीड़ ने कुछ घरों में तोड़फोड़ की और कई वाहनों को निशाना बनाया.

भारत में, और खासकर महाराष्ट्र में औरंगज़ेब को लेकर पुराना विवाद रहा है. समय-समय पर दक्षिणपंथी समूह और मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता रहा है. कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में भाषण देते हुए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा था और कहा था कि इन्हें संभाजी महाराज के नाम पर आपत्ति है और ये उनके हत्यारे औरंगज़ेब में अपना मसीहा देखते हैं, ये लोग महाराष्ट्र और मराठी स्वाभिमान और पहचान के खिलाफ खड़े हैं.

औरंगज़ेब से जुड़ा ताज़ा विवाद और उसके बाद नागपुर में हुई हिंसा हाल ही में रिलीज हुई फिल्म छावा से जुड़ा है, जिसमें शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन और मुगल सम्राट औरंगज़ेब द्वारा उनपर किये गए अत्याचार को दर्शाया गया है. फिल्म छावा 14 फरवरी 2025 को रिलीज़ हुई थी, जिसे सीबीएफसी द्वारा यू/ए 16+ प्रमाणन दिया गया है. इसका मतलब है कि यह सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए अप्रतिबंधित है, लेकिन 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन की आवश्यकता है. इसमें औरंगज़ेब का चित्रण एक अत्याचारी के रूप में किया गया है और एतिहासिक रूप से महाराष्ट्र में एक संवेदनशील विषय संभाजी महाराज की क्रूर हत्या दिखाया गया है. इस फिल्म ने दर्शकों को इस तरह उग्र कर दिया. सिनेमाहॉल से कई वीडियोज सामने आने लगे जिसमें दर्शकों को नारेबाज़ी करते देखा जा सकता है, इनमें काफी कम उम्र के बच्चे भी शामिल थे.

फिल्म में औरंगज़ेब की क्रूरता को जिस तरह से दिखाया गया है, उससे दर्शकों में मराठा गौरव की भावना और बढ़ गई. सिनेमा के रिव्यू में दर्शक रोते हुए और पीड़ा व्यक्त करते हुए नज़र आए. देश के अलग-अलग क्षेत्रों में इसे सांप्रदायिक एंगल से भी देखा जाने लगा. कई दर्शकों ने संभाजी महाराज की यातना को दर्शाने वाले दृश्यों पर गुस्सा जाहिर किया और उग्र होकर सिनेमाहॉल के परदे तक फाड़ दिए.

कई हिंदुत्ववादी नेता, भाजपा नेताओं ने फिल्म छावा का प्रचार किया. पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के बागेश्वर धाम द्वारा छावा की सार्वजनिक स्क्रीनिंग प्रायोजित की गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में नई दिल्ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में बोलते हुए छावा फिल्म की प्रशंसा की थी.

हिंसा से पहले किसने क्या कहा?

इसी बीच समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने 3 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि औरंगज़ेब को क्रूर शासक के रूप में नहीं बल्कि एक प्रशासक के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि शिवाजी और औरंगज़ेब के बीच लड़ाई सांप्रदायिक प्रतिद्वंद्विता से ज़्यादा सत्ता के लिए संघर्ष थी और उनके शासन में भारत ने खूब तरक्की की. आज़मी द्वारा औरंगज़ेब को एक अच्छा प्रशासक कहने के बाद दो दिनों तक दोनों सदनों में विरोध प्रदर्शन हुआ. मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की तारीफ़ करने के बाद राज्य विधानसभा में हंगामा मचने के बाद आज़मी को बजट सत्र के बाकी समय के लिए निलंबित कर दिया गया.

पहले ही छावा फिल्म द्वारा औरंगज़ेब को लेकर बनाए गए माहौल में अबू आज़मी का बयान इस मुद्दे को गरमाए रखने का बहाना बन गया जिसके बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे से लेकर उत्तर प्रदेश के विधानसभा तक इसकी चर्चा होने लगी. एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर तल्ख तिपण्णी करते हुए कहा कि अबू आज़मी को पार्टी से निकाल कर उत्तर प्रदेश भेज दो, हम उनका इलाज कर देंगे. आज़मी की टिप्पणियों के बाद पूरे महाराष्ट्र में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदुत्ववादी संगठनों समेत भाजपा के नेताओं ने औरंगज़ेब की कब्र को ध्वस्त करने की मांग यह कहकर शुरू कर दी कि उसने हिंदुओं पर अत्याचार किया था. उनका कहना है कि औरंगज़ेब की कब्र को संरक्षित रखना भारतीय इतिहास के सबसे अत्याचारी शासकों में से एक का महिमामंडन है.

हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पूरे महाराष्ट्र में प्रदर्शन किए और स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर इसे हटाने की मांग की. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने कब्र के एक डेमो मॉडल को नष्ट करने के लिए हथौड़ों का भी इस्तेमाल किया. मुगल बादशाह औरंगज़ेब की कब्र को हटाने के लिए बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने अपनी मांग तेज कर दी और धमकी दी है कि अगर सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है तो वे ‘कारसेवा’ करेंगे. पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विश्व हिंदू परिषद के किशोर चव्हाण ने औरंगज़ेब की कब्र को विश्वासघात, घृणा और हिंदुओं के उत्पीड़न का प्रतीक बताया.

सामाजिक सौहार्द को बिगड़ने से रोकने के लिए अपील करने के बजाय औरंगज़ेब की कब्र को ध्वस्त करने की कार्रवाई की मांग को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक लोगों और महाराष्ट्र सरकार में बैठे लोगों ने समर्थन किया जिससे प्रदर्शनकारियों के हौसले बुलंद हुए और उन्होंने और उग्र होकर प्रदर्शन शुरू कर दिया.

भाजपा नेता और पूर्व सांसद नवनीत राणा ने महाराष्ट्र से औरंगज़ेब की कब्र हटाने की मांग की. उन्होंने औरंगज़ेब की कब्र को उखाड़ने की बात की और कहा कि औरंगज़ेब से प्रेम करने वाले लोगों को अपने घरों में उनकी कब्र सजानी चाहिए.

सतारा से बीजेपी सांसद उदयनराजे भोसले ने अपने एक बयान में कहा कि कब्र की क्या ज़रूरत है? जेसीबी मशीन लाकर कब्र को गिरा दो. इसपर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया देते हुए भोसले का समर्थन करते हुए कहा कि वे भी ऐसा ही चाहते हैं, हालांकि उन्होंने जोड़ा कि यह कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत संरक्षित स्मारक है और इसे केवल कानून का पालन करते हुए ही हटाया जा सकता है.

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और अक्सर विवादित बयान देने वाले भाजपा नेता नितेश राणे ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक भाषण में भड़काऊ बयान देते हुए कहा कि जो पत्रकार यह सोचते रहते हैं कि मैं औरंगज़ेब की कब्र को हटाऊंगा. मैं कब हटाऊंगा, यह मैं आपको नहीं बताऊंगा. जैसे मैं अतिक्रमणों से निपटता हूं, पहले हम उन्हें तोड़ते हैं और फिर वह ब्रेकिंग न्यूज बन जाती है. इसी भाषण में नितेश राणे ने सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग औरंगज़ेब को पसंद करते हैं, वे अपने अब्बा के पाकिस्तान चले जाएं. पुणे में एक अन्य भाषण के दौरान नितेश राणे ने बाबरी विध्वंस का हवाला देते हुए औरंगज़ेब की कब्र को ध्वस्त करने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार अपना काम करेगी, जबकि हिंदुत्ववादी संगठनों को अपना काम करना चाहिए. जब ​​बाबरी मस्जिद को गिराया जा रहा था, तब हम एक-दूसरे से बैठकर बात नहीं कर रहे थे. हमारे कारसेवकों ने वही किया जो उचित था.

 

महाराष्ट्र के पुणे में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के एक कार्यक्रम में भाजपा विधायक टी. राजा सिंह के एक समर्थक ने औरंगज़ेब की तस्वीर फाड़ी जिसपर राजा सिंह ने हिंसा का आह्वान करते हुए कहा कि जैसे इस पोस्टर को फाड़ा गया, वैसे ही औरंगज़ेब के चाहने वालों को फाड़ दिया जाएगा. आगे राजा सिंह ने कहा कि अब हम रुकेंगे नहीं, हम इतिहास रचेंगे. महाराष्ट्र की धरती से जो औरंगज़ेब की कब्र को नष्ट करेगा, भारत का हिन्दू उसे हमेशा याद रखेगा, ये इतिहास रचने का समय है. आगे राजा सिंह ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा कि जैसे हमने बाबरी मस्जिद को नष्ट किया था वैसे ही हम औरंगज़ेब की कब्र को भी नष्ट कर देंगे.

इसी प्रकार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि औरंगज़ेब के समर्थकों को कोई बर्दाश्त नहीं करेगा और उन्होंने जगह-जगह औरंगज़ेब को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों को जायज ठहराते हुए कहा कि वे संभाजी महाराज के प्रति बहुत ही गंभीर है.

बीजेपी के नेता राम कदम ने भी औरंगज़ेब की कब्र हटाने की मांग की और कहा मैं उनके साथ हूं जो कब्र को हटाने की बात कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के  मुजफ्फरनगर में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने औरंगज़ेब की कब्र को ध्वस्त करने वाले को 5 बीघा जमीन और 11 लाख रूपये इनाम में देने का ऐलान किया.

हिंदू संगठनों और सतारूढ़ पार्टी भाजपा के नेताओं ने औरंगज़ेब की विरासत के बारे में भड़काऊ बयान दिए हैं. इन भाषणों में इस्तेमाल की गई भाषा ने एक ऐसा माहौल बनाया है जो ऐतिहासिक शिकायतों को वर्तमान के राजनीतिक मुद्दों के रूप में पेश करता है.

फिल्म छावा को लेकर औरंगज़ेब विवाद को मिली चिंगारी और जनता की भावनाओं पर इसका प्रभाव भारत में ऐतिहासिक नैरेटिव के बारे में गहरे सामाजिक तनाव को दर्शाता है, जिसका इस्तेमाल राजनीति में नफरत को बढ़ावा देने और समाज में सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के ईंधन के रूप में किया गया. फिल्म में औरंगज़ेब का चित्रण हिंदुत्ववादी समूहों के लिए बहुसंख्यक समुदाय के बीच समर्थन हासिल करते हुए ऐतिहासिक अन्याय पर अपने विचारों को मुखर करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे ऐतिहासिक टीस, राजनीतिक एजेंडे के साथ मिलकर समाज में हिंसा भड़का सकते हैं.

कई हिंदुत्ववादी और दक्षिणपंथी संगठनों की कब्र को हटाने की मांग और भड़काऊ भाषणों के बाद महाराष्ट्र में औरंगज़ेब की कब्र के खिलाफ बढ़ते खतरों के बीच प्रशासन ने साइट की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. साइट के आसपास विभिन्न बिंदुओं पर स्थानीय पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है. निगरानी और सुरक्षा के लिए शहर से कब्र तक के रास्ते पर कई सुरक्षा चौकियाँ स्थापित की गई हैं. अधिकारियों ने औरंगज़ेब की कब्र पर आने वालों को नाम रजिस्टर कराना और पहचान दस्तावेज प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है.

यह काफी हास्यास्पद मालूम पड़ता है कि एक तरफ मुख्यमंत्री समेत सरकार में बैठे मंत्री और सत्तारूढ़ दल के नेता लोगों को औरंगज़ेब की कब्र को नष्ट करने के लिए उकसा रहे हैं या उसका समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दे रहे हैं कि औरंगज़ेब की कब्र के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है और किसी भी प्रकार के विध्वंस के प्रयासों को रोका जाएगा. अबतक किसी भी नेता, मंत्री पर कब्र को नष्ट करने के आह्वान को लेकर शिकायत तक दर्ज नहीं की गई है.

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