सुदर्शन न्यूज़ ने 22 सितंबर को एक सेगमेंट चलाया था जहां चैनल के उप संपादक प्रदोष चव्हाणके ने आरोप लगाया था कि ‘जिहादियों’ ने महाराष्ट्र के जालना ज़िले के अनवा में 1,200 साल पुराने एक शिव मंदिर के परिसर में मांस और हड्डियां फेंककर उसे अपवित्र कर दिया. उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमान नवरात्रि के शुभ त्योहार के दौरान ऐसा करके हिंदुओं में आक्रोश फ़ैलाना चाहते हैं.

ये घटना 21 सितंबर को हुई और प्रदोष चव्हाणके ने इसे अगले दिन अपने शो ‘जागो’ पर कमेंट्री के साथ प्रसारित किया. उन्होंने X पर अपने शो की एक क्लिप भी पोस्ट की जिसमें एक अलंकारिक सवाल था कि क्या हिंदू आस्था ख़तरे में है. पूरे क्लिप में वो मुसलमानों को अपमानजनक रूप से संदर्भित करने के लिए ‘ज़िहादी’ शब्द का इस्तेमाल करता है. हिंदुत्व समर्थक मीडिया चैनल और इसके प्रबंध निदेशक और प्रधान संपादक, सुरेश चव्हाणके ने, पहले भी अल्पसंख्यकों को टारगेट करते हुए कई बार सांप्रदायिक प्रॉपगेंडा और ग़लत सूचना प्रसारित की.  (आर्काइव)

शो में एक पॉइंट पर, प्रदोष चव्हाणके कथित मुस्लिम अपराधियों को संदर्भित करने के लिए ‘म्लेच्छ‘ शब्द का भी इस्तेमाल करता है. इस शब्द का इस्तेमाल प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में ‘बर्बर’, या ‘विदेशियों’ के लिए किया जाता था जो हिंदू नहीं थे.

इसी क्लिप को इंस्टाग्राम यूज़र नवीन कुमार ने भी शेयर किया.

 

 

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सुदर्शन न्यूज़ ने घटना पर एक और सेगमेंट प्रसारित किया जहां एक अलग एंकर ने अपराधियों को संदर्भित करने के लिए कई अवसरों पर ‘ज़िहादी’ शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने आगे कहा कि हिंदू निवासी इस जघन्य हमले के खिलाफ अपना प्रतिरोध दिखाने के लिए एक साथ आए थे, उन्होंने इसे हिंदू आस्था का अपमान बताया.

सुदर्शन न्यूज़ महाराष्ट्र ने भी मंदिर में तोड़फोड़ की घटना पर एक सेगमेंट चलाया और हिंदू समुदाय को नाराज़ करने की कोशिश के लिए ‘जिहादियों’ को दोषी ठहराया गया.

हमें एक फ़ेसबुक रील भी मिली जिसमें इलाके के हिंदू निवासियों की एक बड़ी भीड़ को ईशनिंदा की घटना के विरोध में गांव बंद (हड़ताल) का आह्वान करने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने महाराष्ट्र के अनवा गांव में आखिरकार क्या हुआ था? ये समझने के लिए गूगल पर सर्च किया. हमें न्यूज़ एजेंसी PTI की 24 सितंबर, 2025 की एक रिपोर्ट मिली. आर्टिकल के मुताबिक, आरोपी की पहचान नंदकिशोर वडगांवकर के रूप में हुई. कथित तौर पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा शिव मंदिर के पास घर बनाने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद उसने ये काम किया.

PTI की रिपोर्ट उसी दिन द प्रिंट ने भी शेयर की थी. इस आर्टिकल में पुष्टि की गई है कि जिस आरोपी को हिरासत में लिया गया था, वो नंदीशकोर वडगांवकर नाम का एक हिंदू व्यक्ति था.

23 सितंबर की एक प्रेस वार्ता भी मिली जिसमें जालना पुलिस के अंतर्गत आने वाले पारध पुलिस स्टेशन के सहायक पुलिस निरीक्षक संतोष माने ने 21 सितंबर को हेमाडपंथी शिव महादेव मंदिर में हुई घटना के बारे में बताया था. उन्होंने कहा कि नंदकिशोर वडगांवकर नामक आरोपी को CCTV फुटेज के सबूतों के आधार पर हिरासत में लिया गया.

इस तरह, सुदर्शन न्यूज़ ने ग़लत तरीके से ये सुझाव देने के लिए सांप्रदायिक ऐंगल के साथ शो प्रसारित किए कि मुस्लिम अपराधियों ने जानबूझकर हिंदू समुदाय को भड़काने के लिए महाराष्ट्र के एक शिव मंदिर के परिसर में जानवरो का मांस और हड्डियों के टुकड़े फेंके. जबकि घटना में कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं है. पुलिस के बयानों और न्यूज़ रिपोर्ट्स के आधार पर, इस घटना के पीछे नंदकिशोर एस वडगांवकर नाम का एक हिंदू व्यक्ति था. उन्होंने कथित तौर पर स्थानीय प्रशासन के खिलाफ बदला लेने के लिए ऐसा किया क्योंकि उन्हें मंदिर परिसर के पास जमीन आवंटित नहीं की गई थी. मीडिया आउटलेट ने एक समुदाय के प्रति नफ़रत फ़ैलाने के लिए खुलेआम सांप्रदायिक ऐंगल गढ़ा.

दिलचस्प बात ये है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल (जिसने पहले भी ‘जॉब जिहाद’, ‘शर्बत जिहाद’ ‘भुजिया जिहाद’ और ‘UPSC ज़िहाद’ पर कई तीखे सांप्रदायिक शो प्रसारित किए हैं) को हाल ही में अपने भारतीय ज्ञान प्रणाली पहल के “एजुटेनमेंट साइंसेज” विषय के तहत 100 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिली है. न्यूज़लॉन्ड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर इंटर्न को 10 हज़ार रुपये का भुगतान करने के लिए उसे मंत्रालय से कम से कम 15 लाख रुपये मिलेंगे जो करदाताओं का पैसा है. सुदर्शन न्यूज़ को प्रति इंटर्न 5 हज़ार रुपये मिलेंगे. 

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