सोशल मीडिया पर एक फ़ोटो कोलाज वायरल है जिसमें एक महिला और एक पुरुष की तस्वीर है. महिला की दाहिनी आंख पर चोट लगी है. राईटविंग यूज़र्स का दावा है कि ये मामला एक हिंदू महिला का था जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी और महिला के साथ शारीरिक उत्पीड़न किया गया.
प्रमुख राइटविंग सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ऋषि बागरी नियमित तौर पर ग़लत सूचना और प्रॉपगेंडा को बढ़ावा देते हैं. इन्होंने ये कोलाज ट्वीट किया और व्यंग्यात्मक रूप से कहा, “उन्होंने ब्राह्मण पितृसत्ता को नष्ट करने के लिए अब्बास से शादी की. अब्बास ने एक अलग युद्ध कर शुरू किया…” (आर्काइव)
X हैन्डल ‘@aruhirahthod200’ ने भी दो तस्वीरें ट्वीट कीं और महिला को बांग्लादेशी ‘होंडा शेरनी‘ कहा जो ‘लव जिहाद’ के कथित पीड़ितों पर व्यंग्यात्मक तंज था और ‘हिंदू शेरनी’ का संभावित विरूपण था. इस यूज़र ने दावे किया कि पीड़िता एक बांग्लादेशी हिंदू महिला है. (आर्काइव)
बांग्लादेश की होंडा शेरनी कहती थी….
वो लड़का जो सबसे अलग है “मेरा अब्दुल अलग हैं”।
अब्दुल के प्यार की निशानी इसके मुंह पर देख लो। 🥰😇 pic.twitter.com/v7iFPwptHp— Aruhi Rathod (@aruhirathod200) April 18, 2025
राईटविंग यूज़र ‘@wokeflix_’ ने भी यही तस्वीरें ट्वीट कीं और ‘लव जिहाद’ के दावों को आगे बढ़ाया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 1,50,000 से ज़्यादा बार देखा गया है. (आर्काइव)
— Wokeflix (@wokeflix_) April 20, 2025
कई X यूज़र्स ने भी इस वायरल दावे को आगे बढ़ाया. (आर्काइव्स – लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3, लिंक 4)
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने उस महिला की पहचान एड्रिता आज़ाद रीती के रूप में की. हमें उनका फ़ेसबुक पेज मिला जहां उन्होंने अपने बारे में वायरल दावों को गलत बताते हुए एक बयान जारी किया था.
उन्होंने लिखा, “जन्म से ही, मैं एक मुस्लिम हूं. मेरे पिता का नाम मोहम्मद अबुल कलाम आज़ाद और मेरी मां का नाम सलमा सुल्ताना है, जो मेरे NID कार्ड पर साफ तौर पर लिखा है. किसी ने मुझ पर हमला नहीं किया है; 17 तारीख को मेरा एक्सीडेंट हो गया था. हिंदुत्व समर्थक मेरी चोट की तस्वीरों का इस्तेमाल करके ग़लत सूचना फ़ैला रहे हैं. कृपया झूठी सूचना फ़ैलाना बंद करें. मैं शारीरिक रूप से बहुत अस्वस्थ हूं. मेरे पति और मैं अब इस मानसिक दबाव को सहन नहीं कर सकते.”
আমি জন্মসুত্রে একজন মুসলিম,আমার পিতার নাম মোঃ আবুল কালাম আজাদ,মাতার নাম সালমা সুলতানা স্পষ্ট করে আমার NID Card এ লেখা…
Posted by Adrita Azad Reety on Friday 18 April 2025
NID कार्ड, या राष्ट्रीय पहचान पत्र, बांग्लादेश चुनाव आयोग (EC) द्वारा 18 साल की उम्र होने पर हर बांग्लादेशी नागरिक को जारी किया जाने वाला एक पहचान पत्र है. इसका मतलब ये है कि आज़ाद रीती बांग्लादेशी नागरिक हैं और जन्म से ही मुस्लिम है.
पोस्ट में अपलोड की गई फ़ेसबुक तस्वीरों में उनके उन फ़ेसबुक पेजों के उदाहरण हैं जो उनके बारे में ऐसी ग़लत सूचनाएं फ़ैला रहे थे. हमने उनके फ़ेसबुक टाइमलाइन पर ऐसी ग़लत सूचनाओं के स्क्रीनशॉट्स पोस्ट करने और उन्हें बार-बार सफाई देने करने के कई उदाहरण देखें. आज़ाद रीती ने ये भी कहा कि उनकी तस्वीरें वायरल होने के बाद उन्हें बहुत सारे नफरत भरे मैसेज मिल रहे हैं.
एक पोस्ट पर, उन्होंने एक यूज़र को कमेंट में बताया कि पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज की गई है.
हमने ये भी देखा कि पहली बार कब उनकी चोटों की तस्वीरें पोस्ट की गई थीं. इन्हें उनके पति ने 18 अप्रैल को उनके फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर पोस्ट किया था. पोस्ट के मुताबिक, आज़ाद रीति एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई थीं, जब सड़क पर स्केटिंग कर रहे एक लड़के ने उसे टक्कर मार दी थी. लड़के का हेलमेट सीधे उसकी दाहिनी आंख पर लगा और उसकी दाहिनी आंख और उसके आसपास का हिस्सा घायल हो गया. पति ने बताया कि वो धीरे-धीरे बेहतर हो रही है और उसके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.
I’m Reety’s husband. Reety had an accident yesterday evening.
A boy was skating on the road behind Sony cineplex wearing…Posted by Adrita Azad Reety on Friday 18 April 2025
हमें आज़ाद रीति के राष्ट्रीय पहचान पत्र का भी एक्सेस मिला जिससे हम ये वेरिफ़ाई कर पाये कि वो मुस्लिम समुदाय से है और उनके माता-पिता भी मुस्लिम हैं. एक मुस्लिम बांग्लादेशी महिला की दुर्घटना के बाद की तस्वीर को ‘लव जिहाद’ के गलत संदर्भ से शेयर किया गया.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.