एक वीडियो सोशल मीडिया शेयर किया गया जिसमें कुछ युवा लड़के मैदान पर बैठे हैं. और एक जोरदार धमाके के बाद धुआं निकलता दिखता है. क्लिप में तेज़ आवाज़ सुनाई देती है और एक शख्स ज़मीन पर गिर जाता है. कुछ देर बाद हंसी की आवाज़ सुनाई देती है.
इस वीडियो को शेयर करते हुए यूज़र्स, क्लिप में सुनाई देने वाली तेज़ आवाज को बंदूक चलने की आवाज़ बता रहे हैं. इसे 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए हमले से जोड़ा जा रहा है जिसमें आतंकवादियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी. उनका दावा है कि बैकग्राउंड में हंसी इस बात का सबूत है कि जब पर्यटकों की गोली मारकर हत्या की जा रही थी तो कश्मीरी दर्शक इस निंदनीय कृत्य पर खुशियां मना रहे थे.
30 अप्रैल को X यूज़र जनार्दन मिश्रा (@janardanmis) ने वायरल वीडियो इस कैप्शन के साथ पोस्ट किया: “सामने टूरिस्टों को गोली मारकर हत्या हो रही है और लोकल कश्मीरी ‘सूअर’ हंस रहे थे… इस वीडियो के बाद भी कोई वामपंथी मादरजात कश्मीरियत की शहनाई बजाता मिल जाए तो जूते उतारकर मारना.”
जिस वक्त ये आर्टिकल लिखा गया था, उस वक्त तक इस पोस्ट को 3 हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया गया. (आर्काइव)
उसी दिन, X अकाउंट ‘@ProfSudhaanshu‘ ने भी इसी तरह के दावे के साथ वीडियो शेयर किया. इस पोस्ट को डिलीट करने से पहले इसे 1 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया था. यहां अब हटाई गई पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न है.
एक और X अकाउंट ‘@IRinitiPandey‘, ने इसी तरह के दावे के साथ वीडियो पोस्ट किया. (आर्काइव लिंक)
उसी वीडियो को कई यूज़र्स ने X पर में शेयर किया है. (आर्काइव: लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3)
ये वीडियो फ़ेसबुक पर भी ऐसे ही दावों के साथ वायरल किया गया था.
फ़ैक्ट-चेक
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने इसके फ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें 3 अप्रैल, 2025 का एक यूट्यूब वीडियो मिला जो पहलगाम आतंकी हमले से 19 दिन पहले का है.
ये यूट्यूब शॉर्ट, बिल्कुल वायरल वीडियो के जैसा ही है. हमें 3 अप्रैल को अपलोड की गई एक फ़ेसबुक रील भी मिली जिसमें यही वीडियो है.
ये संभव है कि वीडियो इससे पहले का भी हो सकता है. लेकिन हम ये पता नहीं लगा सके कि असल में ये घटना कब की है है. लेकिन इतना तो साफ है कि वायरल क्लिप कम से कम 3 अप्रैल, 2025 से इंटरनेट पर मौजूद थी.
क्लिप में क्या हो रहा था, ये समझने के लिए हमने उस फ़ेसबुक अकाउंट से कॉन्टेक्ट किया जिसने 3 अप्रैल को ये वीडियो शेयर किया था. अगर वो प्रतिक्रिया देंगे तो इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
कुल मिलाकर, एक वीडियो (जो 3 अप्रैल, 2025 से इंटरनेट पर है) को कश्मीरियों के खिलाफ नफरत बढ़ाने वाले मेसेज के साथ 22 अप्रैल के पहलगाम हमले से जोड़कर गलत तरीके से शेयर किया गया.
(ओइशानी भट्टाचार्य के इनपुट्स के साथ)
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