जब से वायु संचालन महानिदेशक (DGAO) अवधेश कुमार भारती ने खुलासा किया कि भारतीय वायु सेना ने 9 और 10 मई की मध्यरात्रि को पाकिस्तान में कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया था, तब से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या किराना हिल्स उन जगहों में से एक था, जिन पर हमला किया गया था. किराना हिल्स को पाकिस्तान में एक प्रमुख परमाणु भंडारण सुविधा माना जाता है. 

अटकलों के बीच, पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण समन्वय मंत्रालय द्वारा जारी एक कथित कार्यालय मेमोरेंडम सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. ये तथाकथित मेमोरेंडम ‘उत्तरी प्रशासनिक क्षेत्र’ में एक सुविधा में रेडिएशन लीक की ‘पुष्टि’ करता है. वायरल मेमो की तस्वीर नीचे देखी जा सकती है:

भारत के जवाबी हमलों के बारे में विशेष विवरण देते हुए, DGAO भारती ने 11 मई को कहा, “जहां नुकसान होगा, वहां हमला करने का निर्णय लिया गया और एक तेज, समन्वित, कैलिब्रेटेड हमले में, हमने पूरे पश्चिमी मोर्चे पर अपने हवाई अड्डों, कमांड सेंटरों, सैन्य बुनियादी ढांचे, वायु रक्षा प्रणालियों को तैनात किया. हमने जिन ठिकानों पर हमला किया उनमें चकलाला, रफ़ीक, रहीम यार खान शामिल हैं, जिससे स्पष्ट मैसेज जाता है कि आक्रामकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसके बाद सरगोधा, भुलारी और जकोबाबाद में हमले किए गए..”

किराना पहाड़ियां पाकिस्तान के मध्य पंजाब में सरगोधा डिवीजन में सरगोधा एयर बेस से लगभग 8 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में हैं.

X यूज़र अभी ™ (@Patelizm) ने ये डॉक्यूमेंट शेयर करते हुए लिखा, “पाकिस्तान सरकार उत्तरी पाकिस्तान में रेडिएशन की पुष्टि करती है.” (आर्काइव)

मेमो को X पर भी इसी दावे के साथ वेरिफ़ाईड यूज़र अमिताभ चौधरी, द जयपुर डायलॉग्स, द स्फ़ीयर रिपोर्ट और नागरेंद्र पांडे सहित अन्य लोगों द्वारा शेयर किया गया.

प्रो-राइट प्रॉपगेंडा आउटलेट ऑपइंडिया ने एक आर्टिकल पब्लिश किया, जिसका टाइटल था, “क्या भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान के परमाणु स्थल पर हमला किया? इस्लामाबाद द्वारा कथित तौर पर जारी वायरल ‘रेडियोलॉजिकल सेफ्टी बुलेटिन‘ ने अटकलों को हवा दी.” इसमें कहा गया है, “‘रेडियोलॉजिकल सेफ्टी बुलेटिन” नामक एक डॉक्यूमेंट इंटरनेट पर सामने आया है, जिसने अटकलों का तूफान खड़ा कर दिया है. इसमें उत्तरी पाकिस्तान में स्थित एक सुविधा में रेडिएशन लीक की पुष्टि का आरोप लगाया गया है…”

साथ ही आर्टिकल में ये भी कहा गया, ”बुलेटिन की प्रामाणिकता अनवेरिफ़ाईड है और ये फ़र्जी भी हो सकता है…”

फ़ैक्ट-चेक

डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ने पर, कई वर्तनी और स्वरूपण गलतियां स्पष्ट हो जाती हैं. सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात कथित लीक का समय है – ’24-55 घंटे’ – जिसका कोई मतलब नहीं है. इसके अलावा, ‘कांफिडेंशियल’ शब्द की वर्तनी ‘कांफिडेंटल’ है; ‘नार्थरन’ को ‘नॉर्थर’ लिखा है, ‘फॉलोइंग’ को ‘पोलोइंग’ लिखा है; और ‘सेफ्टी’ को ‘सफेट’ लिखा है.

नीचे विसंगतियों और गलतियों को देखा जा सकता है:

पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि लेटर में उल्लिखित राष्ट्रीय रेडियोलॉजिकल सुरक्षा प्रभाग नामक किसी भी इकाई का कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. पाकिस्तान में परमाणु ऊर्जा, रेडियोधर्मी सोर्स और रेडिएशन से संबंधित मामलों की देखरेख करने वाली एजेंसी पाकिस्तान परमाणु नियामक प्राधिकरण है. PNRA का नेतृत्व वर्तमान में फैजान मंसूर कर रहे हैं, जो अध्यक्ष हैं. हमें ‘इंजीनियर’ का कोई ज़िक्र नहीं मिला. मलिक असद रफ़ीक’, जिन्होंने किसी विश्वसनीय सोर्स या सरकारी डॉक्यूमेंट पर वायरल मेमो जारी किया है.

इसके अलावा, 12 मई को एक प्रेस वार्ता में भारतीय DGOA से एक पत्रकार ने पूछा था कि क्या भारतीय हमलों ने किराना हिल्स को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा, “हमें ये बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में कुछ परमाणु प्रतिष्ठान हैं, हमें इसकी जानकारी नहीं थी. हमने किराना हिल्स पर कोई हमला नहीं किया है.”

ऑल्ट न्यूज़ ने इस विषय के विशेषज्ञ, एकेडेमिया सिनिका, ताइवान के विजिटिंग वैज्ञानिक सौरेंद्र कुमार भट्टाचार्य से भी बात की. जब हमने उन्हें डॉक्यूमेंट दिखाया, तो उन्होंने कहा, “सीलबंद स्रोत में कोई इंडियम 192 रेडियोआइसोटोप मौजूद नहीं है. इरिडियम192 है, जो एक रेडियोधर्मी आइसोटोप है जिसका इस्तेमाल ऑन्कोलॉजिकल थेरेपी में और संरचनात्मक क्षति का पता लगाने के लिए किया जाता है. इंडियम 113 और इंडियम 115 इंडियम के दो स्थिर आइसोटोप मौजूद हैं.”

कुल मिलाकर, पाकिस्तान में परमाणु सुविधा में रेडिएशन लीक पर वायरल डॉक्यूमेंट नकली है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Indradeep, a journalist with over 10 years' experience in print and digital media, is a Senior Editor at Alt News. Earlier, he has worked with The Times of India and The Wire. Politics and literature are among his areas of interest.