राज्यसभा ने 14 घंटे की लंबी बहस के बाद 4 अप्रैल की सुबह वक्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी. इससे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक़्फ़ कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया. 3 अप्रैल को लोकसभा में पारित हुआ ये विधेयक भाजपा सरकार और विपक्ष के बीच विवाद का एक प्रमुख मुद्दा रहा.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 अप्रैल को विधेयक के पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया और वक़्फ़ बोर्ड पर माफिया की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि जब 2025 के महाकुंभ मेले की व्यवस्था की जा रही थी, तब भी वक्फ़ बोर्ड ने कहा था कि जिस ज़मीन पर ये आयोजन किया जा रहा है वो उनकी है.
योगी ने प्रयागराज में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “जब हम कुंभ का आयोजन करने जा रहे थे, उस समय वो बयान दे रहे थे कि प्रयागराज में कुंभ की भूमि भी वक़्फ़ की भूमि है. अबे हमने कहा ये बोर्ड ..ये बोर्ड क्या भू-माफिया बोर्ड हो गया क्या?”
#WATCH | Prayagraj, UP | On the #WaqfAmendmentBill passed in the Lok Sabha, Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath says, “Some people did not want a ‘Pauranik’ place like Prayagraj to gain its identity because their vote bank was important for them… In the name of Waqf,… pic.twitter.com/WdfWsmQ9ry
— ANI (@ANI) April 3, 2025
वक़्फ़ का मतलब समुदाय के समग्र लाभ के लिए मुसलमानों द्वारा धर्मार्थ या धार्मिक दान है. इस्लामीक कानून और परंपराओं के तहत, वक्फ़ के रूप में दान की गई भूमि, संपत्ति, संपत्ति या धन का इस्तेमाल किसी अन्य मकसद के लिए नहीं किया जा सकता है, दोबारा बेचा नहीं जा सकता, विरासत में मिला या उपहार में नहीं दिया जा सकता. 1954 में वक़्फ़ संपत्तियों की बेहतर पहचान और प्रबंधन के लिए क्रमशः केंद्र और राज्यों में वक्फ़ परिषद और बोर्ड की स्थापना की गई थी. पिछले कुछ सालों में पर्याप्त डाक्यूमेंट्स के बिना संपत्तियों को कथित तौर पर वक़्फ़ से संबंधित घोषित किए जाने के कारण कई मुद्दे सामने आए हैं.
CM योगी ने सभा में ये भी कहा, “हम ऐतिहासिक स्थानों पर भूमि पर वक़्फ़ बोर्ड के बेतुके दावों को बर्दाश्त नहीं करेंगे.” उन्होंने कहा, “हम आभारी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के, गृह मंत्री अमित शाह के जिन्होंने वक्फ़ बोर्ड की मनमानी पर लगाम लगा कर के..इसके लिए वक़्फ़ बोर्ड से सबंधित इस महत्वपूर्ण अधिनियम को संसद में लोकसभा में पारित किया है. आज राज्यसभा में भी पारित होगा.”
हमें प्रयागराज में 45 दिवसीय महाकुंभ मेला शुरू होने से एक सप्ताह पहले 5 जनवरी की कई न्यूज़ रिपोर्ट और वीडियो भी मिले. इन रिपोर्ट्स की मानें तो वक्फ़ बोर्ड ने दावा किया था कि कुंभ मेला मैदान वक़्फ़ की संपत्ति है. तब भी योगी आदित्यनाथ ने वक्फ़ बोर्ड को भू-माफिया कहा था.
5 से 10 जनवरी के बीच, कई आर्टिकल्स, टेलीविजन पर न्यूज़ सेग्मेंट्स और सोशल मीडिया पर वीडियो में यूपी के मुख्यमंत्री सहित भाजपा नेताओं ने वक़्फ़ बोर्ड के इस दावे की आलोचना की. यहां कुछ स्क्रीनशॉट दिए गए हैं:
फ़ैक्ट-चेक
जब हमने इन रिपोर्ट्स को हेडलाइन्स से आगे पढ़ा, तो देखा कि वक़्फ़ बोर्ड के दावे का क्रेडिट स्पष्ट नहीं था. उदाहरण के लिए, 5 जनवरी की ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट में सबसे पहले कहा गया था कि ये “स्थानीय मुस्लिम” (बोर्ड नहीं) थे जिन्होंने दावा किया था कि ज़मीन वक्फ़ की है. रिपोर्ट से:
“प्रयागराज में मुसलमानों ने दावा किया है कि जिस भूमि पर महाकुंभ मेला आयोजित किया जाएगा वो असल में वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है. महाकुंभ के संबंध में इस दावे ने विवाद खड़ा कर दिया है. कुछ मुसलमानों ने आगे दावा किया कि जिस भूमि पर अखाड़े स्थापित किए गए हैं वो भी वक़्फ़ बोर्ड की है.”
हालांकि, अगले पैराग्राफ़ में बताया गया था कि ये दावे वक़्फ़ बोर्ड ने किए थे: “दावों के मुताबिक, 54 बीघा ज़मीन वक्फ़ बोर्ड की है. बोर्ड ने दृढ़ता से कहा कि इन जगहों में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये भूमि उनकी है.”
हालांकि, इसमें किसी व्यक्ति को कोट नहीं किया गया.
ज़्यादातर रिपोर्ट्स में इस दावे के लिए उत्तर प्रदेश स्थित अखिल भारतीय मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ‘मुस्लिम धर्मगुरु’ मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
बरेलवी ने एक वीडियो में ये दावा किया था. इस क्लिप में बरेलवी ने महाकुंभ में मुसलमानों को प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने के उदाहरणों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “प्रयागराज में मुसलमानों में से एक (जिसका नाम सरताज है) ने बताया कि जिस ज़मीन पर मेले की व्यवस्था की जा रही है, उसका ज़्यादातर हिस्सा वक़्फ़ और वहां के मुसलमानों का है. ये वहां के मुसलमानों की दरियादिली है कि उन्होंने इनमें से किसी का भी विरोध नहीं किया है.” कैप्शन में उन्होंने ये भी कहा है कि करीब 54 वीघह ज़मीन वक्फ़ बोर्ड की है.
Kumbh Mela की जहां तैयारियां की जा रही है वो जमीन 54 विघह वक्फ की है, मुसलमानो ने बडा दिल दिखाते हुए कोई आपत्ती नही की मगर दूसरी तरफ अखाड़ा परिषद और दूसरे बाबा लोग मुसलमानो के प्रवेश पर पाबंदी लगा रहे है। ये तंग नजरी छोड़नी होगी, मुसलमानो की तरह बड़ा दिल दिखाना होगा। #KumbhMela pic.twitter.com/5zxzKKhdXu
— Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi (@Shahabuddinbrly) January 5, 2025
सबसे पहले, मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी औपचारिक रूप से केंद्रीय वक्फ़ परिषद या राज्य वक्फ़ बोर्ड्स से जुड़े नहीं हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने जानकारी के लिए उनसे संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि वह वक़्फ़ परिषद या बोर्ड से जुड़े नहीं थे और उनकी टिप्पणियां व्यक्तिगत थीं.
बरेलवी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “मेरा वक्फ़ बोर्ड से कोई भी ताल्लुक नहीं है… मैं एक स्वतंत्र संस्था हूं, एक मजहबी आदमी हूं.”
यानी, उनके दावों की तुलना वक़्फ़ बोर्ड के आधिकारिक बयान या दावे से नहीं की जा सकती.
दूसरा, मौलवी ने भी दोष किसी और को मढ़ दिया है और दावे के लिए तीसरे व्यक्ति (सरताज) को ज़िम्मेदार ठहराया, जिसकी साख हम नहीं जानते हैं.
साथ ही जिस वक्त ये विवाद उठा था, उस वक्त अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद, ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड (UPSCWB) से स्पष्टीकरण मांगा था, जिसने इस तरह के किसी भी दावे से इनकार किया था.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 8 जनवरी की रिपोर्ट में यासीन के हवाले से कहा गया, “जब एक स्वघोषित मौलवी ने ये अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि प्रयागराज में जहां हजारों सालों से महाकुंभ का आयोजन होता रहा है, वो ज़मीन वक्फ़ की है, तो मैंने UPSCWB से इस पर जवाब मांगा और उनके पास दावे की पुष्टि करने के लिए कोई जानकारी नहीं थी.”
“स्वघोषित मौलवी” बरेलवी ने पहले भी ये दावा करके विवादों को जन्म दिया था कि क्रिकेटर मोहम्मद शमी ने रमज़ान के दौरान रोज़ा न करके और मुसलमानों द्वारा नए साल का जश्न मनाने का पाप किया है.
कुल मिलाकर, सीएम योगी का दावा ग़लत है कि वक़्फ़ बोर्ड ने उस भूमि पर अपना स्वामित्व जताया जहां 2025 का महाकुंभ मेला आयोजित किया गया था. वक़्फ़ परिषद या बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी भी व्यक्ति ने ऐसा कोई दावा नहीं किया. ये दावा इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने किया था, जिनका वक्फ़ से कोई संबंध नहीं है.
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