केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मिलकर चलाये जा रहे ‘ऑपरेशन कगार’ ने नक्सल विरोधी अभियान को गति प्रदान कर दिया है. 14 मई की एक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, साल 2025 के पहले चार महीने में 197 माओवादी मारे जा चुके हैं.

इसी संदर्भ में यूज़र्स सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर रहे हैं. इसमें जल चुके चिताओं के पास कतारबद्ध में बैठी महिलाओं के आगे सफेद कपड़े और मटके रखे हुए हैं. यूज़र्स इसे छत्तीसगढ़ के हालिया घटनाक्रम का बताकर केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए लिख रहे हैं कि देश के सर्वोच्च स्थान पर एक आदिवासी महिला (राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू) के बैठे होने के बावजूद पिछले 6 महीने में छत्तीसगढ़ में 400 से ज्यादा निर्दोष आदिवासियों को नक्सली (माओवादी) कहकर मार डाला गया. साथ ही यूजर्स सवाल कर रहे हैं कि जब आतंकवादियों और पाकिस्तान से शांतिवार्ता हो सकती है तो फिर अपने देश के नागरिकों से क्यों नहीं?

फ़ेसबुक पेज सभ्य बालक और यूज़र सुहास बोराडे व पत्रकार राजेश सारथी ने तस्वीर को छत्तीसगढ़ का बताते हुए शेयर किया.(आर्काइव लिंक-1, लिंक-2, लिंक-3)

This slideshow requires JavaScript.

एडवोकेट दीपक बाबू, चन्द्र प्रकाश सैनी और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस सेवादल ने भी आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर यह तस्वीर हाल ही छत्तीसगढ़ का बताते हुए शेयर किया. (आर्काइव लिंक-1, लिंक-2, लिंक-3)

This slideshow requires JavaScript.

यह तस्वीर लिंक्डइन और इंस्टग्राम पर भी शेयर किए जा रहे हैं.

फैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें 23 जून 2022 को, सामाजिक कार्यकर्ता व ट्राइबल आर्मी के संस्थापक हंसराज मीणा द्वारा शेयर की हुई मिली. इस पोस्ट में बताया गया है कि 2 जनवरी 2006 को टाटा स्टील के नए कारखाने का उड़ीसा के जाजपुर ज़िले के कलिंग नगर में आदिवासी विरोध कर रहे थे, आदिवासी ज़मीन को लेने के लिए तत्कालीन बीजेडी, बीजेपी गठबंधन सरकार ने पुलिस फायरिंग में 13 आदिवासियों की निर्मम हत्या करा दी.

साथ ही यही तस्वीर 9 अक्टूबर 2024 को भारतीय उद्योगपति रतन टाटा के मृत्यु के बाद से कुछ लेखक और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा रतन टाटा और उनकी कंपनी द्वारा किये कार्यों की आलोचना करते हुए एक बार पुनः सोशल मीडिया पर शेयर की गई थी.

कुछ मैगज़ीन और वेबसाईट ने इस तस्वीर का इस्तेमाल रतन टाटा की मौत के बाद उनके कार्यों की आलोचना करने के लिए किया है. पक्षी मैगज़ीन में छपी एक लेख में इस तस्वीर को 2 जनवरी 2006 को कलिंग नगर में टाटा स्टील संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में मारे गए 13 ग्रामीणों के अंतिम संस्कार का फुटेज बताया गया है.

इसके अलावा ऑल्ट न्यूज़ ने ओडिसा के एक सीनियर पत्रकार और एक ऐक्टिविस्ट से इस तस्वीर को लेकर बात की. उन्होंने ये कन्फर्म किया कि ये तस्वीर कलिंग नगर की है.

साल 2006 में BBC हिंदी और द हिंदू के मैगज़ीन फ्रंटलाइन के प्रकाशित लेख में बताया गया है कि 2 जनवरी 2006 को उड़ीसा के कलिंग नगर में टाटा स्टील के प्रस्तावित स्टील प्लांट के लिए बाउंड्री वॉल के निर्माण का विरोध कर रहे पारंपरिक हथियारों (तीर-कमान और कुल्हाड़ी) से लैस पुरुष और महिला आदिवासियों पर पुलिस ने गोलियाँ चलाई और एक घंटे से भी कम समय में घटनास्थल के पास के धान के खेत खून से लथपथ हो गए व 13 वर्षीय एक स्कूली छात्र और तीन महिलाओं सहित बारह लोग मारे गए. उस दौरान आंदोलनकारियों द्वारा एक पुलिसकर्मी भी मारा गया.

यानी, वायरल तस्वीर 2022 से सोशल मीडिया पर मौजूद है, इसीलिए ये हालिया छत्तीसगढ़ की घटना की नहीं हो सकती है. कई मौकों पर इस तस्वीर को 2006 में, उड़ीसा में टाटा कंपनी के निर्माण का विरोध कर रहे आदिवासियों को पुलिसबल द्वारा मारे गए घटना से संबंधित बताया गया है.

हालांकि, स्थानीय ग्रामीण और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत कई जन संगठनों ने मुठभेड़ को फ़र्ज़ी बताते हुए मारे गए कथित नक्सलियों को स्थानीय आदिवासी बता रहें हैं.

साल 2024 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार ने भारत को 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त बनाने का संकल्प किया है जिसके तहत देश भर में अलग अलग नक्सल विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के अबूझमाड़ इलाके में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे एक बड़े अभियान के दौरान 21 मई को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव कॉमरेड नंबाला केशव राव उर्फ बसवा राजू समेत 27 माओवादी मारे गए. बसवा राजू पार्टी की केंद्रीय समिति (सीसीएम) और पोलित ब्यूरो (पीबीएम) के सदस्य भी थे.

हालांकि, छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने पहले भी सुरक्षा बलों पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ कर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करने का दावा किया है.

ऐसे कुछ रिपोर्ट्स यहां पढ़े जा सकते हैं. (रिपोर्ट 1, रिपोर्ट 2, रिपोर्ट 3)

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged: