सोशल मीडिया पर पंजाबी में लिखा एक पत्र काफी शेयर किया जा रहा है. इसके साथ दावा किया गया है कि अमेरिका स्थित ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ (SFJ) ने पंजाब चुनाव से पहले आप को समर्थन दिया है. यूएस स्थित गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा स्थापित SFJ को भारत सरकार ने 2019 में एक गैरकानूनी संघ के रूप में बैन कर दिया गया था क्योंकि ये भारत से पंजाब को हटाकर एक अलग खालिस्तान बनाने के पक्ष में है.

वायरल लेटर को वकील शशांक शेखर झा ने ट्वीट किया था. इस ट्वीट को 1 हज़ार से ज़्यादा रिट्वीट मिले.

इसे कई वेरीफ़ाईड सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी पोस्ट किया, जिनमें भाजपा हरियाणा आईटी सेल के प्रमुख अरुण यादव, भाजपा की युवा शाखा भाजयुमो के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अमनदीप सिंह, भाजपा नेता अनिर्बान गांगुली, भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी, और किताब ‘नरेंद्र मोदी सेंसर’ के लेखक अशोक श्रीवास्तव शामिल हैं. इसे ट्विटर हैंडल @PollUpdateInd और CapitalTV India के मुख्य संपादक मनीष कुमार ने भी ट्वीट किया.

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कई ट्विटर और फ़ेसबुक यूज़र्स ने ये डॉक्यूमेंट शेयर किया है. सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टूल क्राउडटेंगल का इस्तेमाल करके हमने देखा कि करीब 20 फ़ेसबुक यूज़र्स ने ऐसा दावा किया है.

वायरल लेटर का अनुवाद करने के लिए हमने गूगल लेंस का इस्तेमाल किया. लेटर में कथित तौर पर घोषणा की गई है कि SFJ ने आप और उनके पंजाब उम्मीदवार सीएम भगवंत मान को पूर्ण समर्थन दिया है. इसमें कहा गया है कि अगर आम आदमी पार्टी चुनाव जीत जाती है, तो SFJ के टारगेट को फिर से पूरा किया जाएगा. गौरतलब है कि लेटर के दूसरे हिस्से में दावा किया गया है कि SFJ ने 2017 में पिछले पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान भी आप का समर्थन किया था.

फ़ैक्ट-चेक

ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर शिवांक मिश्रा ने गुरपतवंत सिंह पन्नू का एक वीडियो अपलोड करते हुए कहा कि SFJ ने वायरल लेटर नहीं जारी किया है. गुरपतवंत सिंह ने वीडियो में ​​आरोप लगाया कि इस लेटर को जारी करने के पीछे आप का हाथ है.

वायरल लेटर 17 फ़रवरी से सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था. पंजाब स्थित पत्रकार तरुनी गांधी ने ट्वीट किया था कि SFJ ने 17 फ़रवरी को सिर्फ एक लेटर जारी किया था जिसमें अभिनेता-कार्यकर्ता दिवंगत दीप सिद्धू को सम्मानित करने के लिए ‘रेल रोको’ विरोध का आह्वान किया गया था. उन्होंने ये भी बताया कि वायरल लेटर और असली ‘रेल रोको’ लेटर के बीच अंतर हैं.

तरुनी गांधी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “गुरपतवंत सिंह पन्नू ने मुझे और पंजाब के कई पत्रकारों को एक ईमेल भेजा. इसमें एक वीडियो के साथ दिवंगत दीप सिद्धू के बारे में 17 फ़रवरी का एक लेटर अटैच्ड था. इस लेटर के आधार पर हम कह सकते हैं कि जिस वायरल लेटर को लेकर आप को टारगेट किया गया है, वो असली नहीं है. जहां तक ​​मेरी जानकारी है, उनके लेटर अंग्रेजी में हैं.”

नीचे दिया गया स्क्रीनशॉट तरुनी गांधी ने शेयर किया गया था. इसमें सेंडर गुरपतवंत सिंह पन्नू की ईमेल आईडी (ऊपर बाएं), भेजे गए ईमेल की तारीख (ऊपर दाएं) और ‘रेल रोको’ प्रोटेस्ट (एरो) के बारे में अटैच्ड लेटर को हाइलाइट किया गया है. हमने इस स्क्रीनशॉट से व्यक्तिगत जानकारियां हटा दी हैं.

हमें SFJ के 2 और लेटर्स मिले – पहला जून 2020 का जो कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने ट्वीट किया था और दूसरा 2021 का जो द हिंदू के जतिन आनंद ने पोस्ट किया था.

वायरल लेटर की तुलना 3 असली SFJ लेटर (2022, 2021, 2020) से करने पर, ऑल्ट न्यूज़ को कुछ असमानताएं मिलीं:

  1. लेटरहेड
  2. लेफ़्ट मार्जिन

लेटरहेड

SFJ लेटरों के लेटरहेड में दिए गए पतों के ठीक नीचे तीन लिंक शामिल थे – sikhsforjustice.org, Referendum2020.org और facebook.com/sikhsforjusticepage. हालांकि वायरल लेटर में ऐसा नहीं है.

लेफ़्ट अलाइनमेंट

वायरल लेटर में अक्षरों को ग़लत तरीके से लिखा गया है. ये ग्रीन लाइन से आगे निकल रहे हैं. जबकि तीनों असली लेटर में, अक्षर ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ लोगो के लेफ़्ट साइड से बाहर नहीं निकलता है.

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ये ध्यान देने वाली बात है कि वायरल लेटर के दूसरे भाग में दावा किया गया है कि SFJ ने 2017 में आप का समर्थन किया था, हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स ने एक साल पहले एक रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसके अनुसार, SFJ ने कनाडा में आप की चुनाव संबंधी गतिविधियों के संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रस्तावित यात्रा को रोकने के लिए कनाडा के विदेश मामलों के मंत्री के पास आप के खिलाफ़ औपचारिक शिकायत दर्ज कर संघीय सरकार से हस्तक्षेप करने के लिए कहा था.

कुल मिलाकर, एक संदिग्ध लेटर में आरोप लगाया गया कि ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ संगठन ने आप को समर्थन दिया. सोशल मीडिया पर इसे बीजेपी और कांग्रेस नेताओं और सदस्यों समेत कई यूज़र्स ने शेयर किया.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.