9 मार्च को भाजपा नेता अमित मालवीय ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल “एक और बांग्लादेश” में बदल रहा है. भाजपा के सूचना और प्रौद्योगिकी सेल के प्रमुख मालवीय ने पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था की स्थिति की आलोचना करते हुए हिंदुओं के खिलाफ ‘अन्याय’ के कई उदाहरणों का हवाला दिया.
उनकी लिस्ट में शामिल मामलों में एक घटना बशीरहाट दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की भी थी जिसमें हिंदू देवी काली की मूर्ति को तोड़ दिया गया था.
अमित मालवीय ने X पर क्षतिग्रस्त मूर्ति की तस्वीर के साथ लिखा, “…बशीरहाट दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में स्थित शंखचारा बाज़ार में देवी काली की एक मूर्ति को तोड़ दिया गया है.” (आर्काइव)
उसी दिन, बंगाल भाजपा नेता और पूर्व विधायक दिलीप घोष ने घटना पर एक पूरा थ्रेड बनाया और X पर शेयर किया. थ्रेड के आखिर में दिलीप घोष ने टिप्पणी की, “हर गुजरते दिन के साथ, ये कट्टरपंथी उपद्रवी और ज़्यादा लापरवाह, उकसाए हुए और टीएमसी द्वारा संरक्षित होते जा रहे हैं.” (आर्काइव: लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3)
दिलचस्प बात ये है कि दिलीप घोष का X थ्रेड फ़ेसबुक पर बशीरहाट पुलिस के स्पष्टीकरण के बाद पोस्ट किया गया. पुलिस ने स्पष्ट किया कि बशीरहाट में मूर्ति तोड़ने के आरोपी व्यक्ति को ‘मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं’ थीं और घटना में कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं था. पुलिस ने ये भी कहा कि मामले में किसी भी अफ़वाह फ़ैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.
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Posted by Basirhat Police District on Sunday 9 March 2025
अगले दिन, अमित मालवीय ने मूर्ति के अपमान के खिलाफ “बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन” करने वाले हिंदू संगठनों का एक वीडियो शेयर किया. (आर्काइव)
पुलिस के बयान के बाद, भारतीय जनता पार्टी बंगाल के ऑफ़िशियल हैंडल ने X पर राज्य मशीनरी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस द्वारा समर्थित पुलिस, उपद्रवियों को मुक्त करने के लिए बैसाखी के रूप में “मानसिक रूप से अस्वस्थ” शब्द का इस्तेमाल कर रही थी.
अपने पोस्ट में उन्होंने पश्चिम बंगाल के ज़िलों में हिंदू मूर्तियों की बर्बरता के दो मामलों का ज़िक्र किया – एक बशीरहाट में और दूसरा बारुईपुर में. BJP के पोस्ट में लिखा है: “दोनों मामलों में पुलिस ने दावा किया है कि ये मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों द्वारा किए गए थे… समान परिस्थितियों में मस्जिदों पर कभी हमला क्यों नहीं किया जाता?” एक और ट्वीट में बीजेपी ने दावा किया कि मंदिर में तोड़फोड़ करने वालों के लिए “मानसिक रूप से अस्वस्थ” TMC का जेल से बाहर निकालने का नया कार्ड बन गया है. (आर्काइव्स- लिंक 1, लिंक 2)
भाजपा और राईटविंग से जुड़े एकाउंट्स ने भी पुलिस के बयान का मज़ाक उड़ाया.
ये सभी पोस्ट पुलिस पर केवल हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ करने वालों को “मानसिक रूप से विक्षिप्त” बताने का आरोप लगाती दिख रही हैं.
बशीरहाट में क्या हुआ?
ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले में जानकारी जुटाने के लिए बशीरहाट की घटना पर गौर किया. हमें स्थानीय तृणमूल कांग्रेस विधायक सप्तर्षि बनर्जी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस मिली. इसमें उन्होंने कहा कि 9 मार्च 2025 की सुबह, लगभग 11 बजकर 10 मिनट पर, उन्हें रिपोर्ट मिली कि बशीरहाट के शंकचुरा बाज़ार में अलग-अलग धर्मों के व्यक्तियों के साथ एक घटना हुई है. उनकी टीम मौके पर पहुंची और मंदिर की एक मूर्ति को आंशिक रूप से टूटा हुआ पाया. CCTV फ़ुटेज और पुलिस की मदद से उन्होंने घटना के लिए ज़िम्मेदार एक युवक की पहचान की और उसका पता लगा लिया. हालांकि, आरोपी के परिवार ने पुलिस को बताया कि उसका मानसिक रोग का उपचार चल रहा है और वो दवा ले रहा है. उन्होंने पुलिस को उसके मेडिकल रिकॉर्ड्स भी दिखाए.
सप्तर्षि बनर्जी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि उस व्यक्ति को उसके परिवार ने घर में रखा था, लेकिन जब वो निकला तो उसने मानसिक परेशानी की अवस्था में इस घटना को अंज़ाम दिया. स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए तुरंत कदम उठाए. सप्तर्षि बनर्जी ने आरोपी की पहचान उजागर किए बिना कैमरे पर प्रिस्क्रिप्शन्स भी दिखाए.
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Posted by Golam Mostafa Gazi on Sunday 9 March 2025
हमने बशीरहाट में एक और स्थानीय नेता से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि आरोपी मुस्लिम था और उसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं. ऑल्ट न्यूज़ को उसकी दवाएं और प्रिस्क्रिप्शन्स भी मिलें. इसकी पुष्टि पुलिस ने भी की है कि ये प्रिस्क्रिप्शन्स मूर्ति तोड़ने वाले लड़के का ही है. हालांकि, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, ऑल्ट न्यूज़ कथित व्यक्ति के नाम का खुलासा नहीं कर रहा है.
हमने जो प्रिस्क्रिप्शन्स देखे उनमें से एक बारासात सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का 11 सितंबर, 2024 का था, जबकि अन्य प्रिस्क्रिप्शन्स एक सलाहकार मनोचिकित्सक की स्टाम्प के तहत थे. उनका आखिरी मूल्यांकन 1 जनवरी, 2025 को किया गया था.
हमने ये जानने के लिए एक दूसरे मनोचिकित्सक से संपर्क किया कि ऐसी दवाएं आम तौर पर कैसे मरीज़ों को दी जाती हैं? डाक्यूमेंट्स को प्रारंभिक रूप से पढ़ने के बाद, उन्होंने बताया कि व्यक्ति को दी जाने वाली दवाएं मूड स्टेबलाइज़र्स, एंटीसाइकोटिक्स और एंटीडिपेंटेंट्स का एक संयोजन है. इन्हें सायकोसिस, बाइपोलर और मेजर डिप्रेसिव के लिए दिया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये निश्चित नहीं है और सटीक निदान निर्धारित करने के लिए रोगी को कई सेशन के माध्यम से देखना और मूल्यांकन करना होगा जो केवल इलाज करने वाला डॉक्टर ही कर सकता है.
इन सब को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि भाजपा और फ़ार-राईटविंग इन्फ्लुएंसर्स बशीरहाट में हुई घटना के असली कारण का मज़ाक उड़ा रहे हैं. आरोपी के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को खारिज कर रहे हैं और कह रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस इसे “ट्रम्प कार्ड” के रूप में इस्तेमाल कर रही है. हालांकि, डॉक्यूमेंट इस बात की पुष्टि करते हैं कि आरोपी असल में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करा रहा है.
ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी कई स्टोरीज़ की हैं जिसमें सोशल मीडिया यूज़र्स ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों के बारे में आधारहीन षड्यंत्र के सिद्धांतों को शेयर किया है जिनमें से कुछ हिंदू भी है. एक मामले में मानसिक रूप से पीड़ित एक हिंदू व्यक्ति को आंध्र प्रदेश में एक मंदिर के पास पीटा गया और उसका वीडियो साजिश के साथ वायरल कर दिया गया कि वो मुस्लिम था. एक और मामले में भाजपा नेताओं सहित सोशल मीडिया यूज़र्स ने एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति पर मूर्ति में आग लगाने का आरोप लगाया था. पता चला कि वो आदमी मंदिर में खाना ढूंढ रहा था और उसने वहां दीपक जलाने की कोशिश की, तभी देवी की तस्वीर में आग लग गई थी.
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