भाजपा के शासन में हिंदू धार्मिक त्योहार अक्सर भक्ति और उत्सव के अवसरों से बदलकर हिंदुत्व कट्टरपंथियों के लिए अल्पसंख्यक समुदायों को डराने, भड़काने और उन पर हमला करने के लिए रैली स्थल बन गए हैं. 26 फ़रवरी को बिहार के मुंगेर में जो हुआ, वो बिल्कुल ही भयानक और भयावह था.

उस दिन, बजरंग दल के सदस्यों ने महा शिवरात्रि मनाने के लिए एक ‘धार्मिक’ जुलूस निकाला जिसमें कम से कम 50 झांकियां शामिल थीं. उनमें से एक ‘लव जिहाद’ की झांकी थी जिसमें ‘खून’ से सनी एक गुड़िया के क्षत-विक्षत अवशेषों से भरे रेफ्रिजरेटर का प्रदर्शन किया गया. ये मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला के अंतर-धार्मिक जोड़ों के औसत हिंदुत्व कट्टरपंथियों के विचार का प्रतीक था.

प्रदर्शनी की जो तस्वीर सामने आई, उसमें गुड़िया के माथे पर बिंदी लगी थी, जो दर्शाती है कि वो हिंदू है. ‘धर्म से हटा, टुकड़ों में कटा और मेरा वाला ऐसा नहीं’… जैसे उत्तेजक नारे प्रदर्शनी के किनारों पर लगे देखे जा सकते हैं. झांकी में कई अखबारों की कटिंग्स भी शामिल थीं. उनमें से कई 2023 श्रद्धा वॉकर हत्या मामले के संदर्भ में थीं. श्रद्धा की हत्या उसके मुस्लिम प्रेमी आफताब पूनावाला ने की थी और उसके शरीर के टुकड़े फ्रिज़ में पाए गए थे. इस मामले ने ‘लव जिहाद’ की साजिश को और हवा दी और तब से ये हिंदुत्व गिरोह के लिए चर्चा का विषय बन गया.

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वहां मौजूद एक व्यक्ति ने इंस्टाग्राम पर प्रदर्शनी की तस्वीरें अपलोड कीं और ‘अद्भुत अवलोकनिया प्रशंसनीय झांकी’ के लिए बजरंग दल और उसके मूल संगठन विश्व हिंदू परिषद को धन्यवाद दिया. व्यक्ति ने लिखा, “महाशिवरात्रि मुंगेर नगर VHP बजरंग दल के द्वारा अद्भुत अवलोकनिया प्रशंसनीय झांकी प्रस्तुत की गई. लव जिहाद, धर्मांतरण पर मुंगेर के सारे कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने अद्भुत झांकी को सफलतापूर्वक संपन्न किया और अपना सेवा दिया..”

तस्वीरों को करीब से देखने पर, हमने नोटिस किया कि बैकग्राउंड में दिख रही एक अखबार की कटिंग्स में महालक्ष्मी नामक एक अन्य युवती की हत्या की रिपोर्ट भी चिपकाई गई थी. सितंबर 2024 में जैसे ही 29 साल की लड़की की हत्या ने सुर्खियां बटोरीं, फ़ार-राईटविंग इकोसिस्टम और मीडिया के एक वर्ग ने ‘फैसला’ किया कि अपराधी मुस्लिम ही होगा. बाद में सांप्रदायिक बातें ग़लत साबित हुईं और ऑल्ट न्यूज़ ने आरोपी की पहचान ओडिशा के मुक्ति रंजन रे के रूप में की. हालांकि, पांच महीने बाद, अभी भी महालक्ष्मी का नाम ‘लव जिहाद’ पीड़ितों की सूची में है.

ऑल्ट न्यूज़ ने पता लगाया कि जुलूस मुंगेर के पी सी दत्ता कॉलोनी के बारी बाज़ार रोड से होकर गुजरा था.

जुलूस शहर की मुख्य सड़कों से होते हुए मंकेश्वर नाथ महादेव मंदिर पर खत्म हुआ, जहां बड़ी संख्या में भक्त जमा हुए थे.

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किसी ने विरोध नहीं किया, कुछ नहीं हुआ, कोई तनाव नहीं: पुलिस

जब हमने कोतवाली पुलिस से संपर्क किया, तो एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर हमें बताया, “…वहां कुछ पेपर कटिंग थीं, और वे उनके बारे में बता रहे थे. उससे आगे कुछ भी ज़रूरी नहीं. किसी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं आई… किसी ने इसका विरोध नहीं किया, कुछ नहीं हुआ.’ फिर भी पुलिस प्रशासन प्रोटोकॉल के तहत हर चीज का ध्यान रख रही है… पूरबसराय से शुरू हुई थी जुलूस… बीच में ही हटा दी गई थी ये खास झांकी; ये पूरे जुलूस का हिस्सा नहीं था. पुलिस ने इसे नहीं हटाया. आयोजकों ने खुद इसे हटाने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि ये अनुचित हो सकता है…कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था, कुछ नहीं हुआ, कोई चर्चा या तनाव नहीं था. दोनों समुदाय शांति से हैं और अब तक किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की है. सबकुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया. मुंगेर में ऐसा कोई मुद्दा नहीं है.”

इसके बावजूद, ये कार्यक्रम बिहार में राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया. राजद और कांग्रेस ने आयोजकों पर सांप्रदायिक वैमनस्य भड़काने का आरोप लगाया. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने नीतीश कुमार सरकार से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया. यहां तक ​​कि भाजपा ने भी मुद्दे की संवेदनशीलता को स्वीकार किया और झांकी के ग्राफ़िक चित्रण की आलोचना की. पार्टी के एक प्रतिनिधि ने कहा कि “लव जिहाद चिंता का विषय है, लेकिन परेशान करने वाली छवि को दिखाए बिना संदेश को और उचित तरीके से व्यक्त किया जा सकता था.”

अपने बचाव में, बजरंग दल के संयोजक सौरभ एस संपन्न ने कहा कि झांकी का मकसद “शादी के नाम पर हिंदू महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना” था. उन्होंने ये भी दावा किया कि झांकी ने किसी विशेष धर्म को निशाना नहीं बनाया.

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सिर्फ एक ही घटना नहीं हुई

इस शिवरात्रि मुंगेर की घटना बहुसंख्यक बाहुबल का एकमात्र उदाहरण नहीं थी.

रोहतक में, स्थानीय भाजपा नेता नवीन ढुल ने शिवरात्रि पर अपनी दुकान खुली रखने के लिए एक बिरयानी दुकान के मुस्लिम मालिक को परेशान किया और थप्पड़ मारा. उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मालिक को डांटते हुए अपनी दुकान बंद करने के लिए मजबूर किया. नवीन ढुल ने उस व्यक्ति को ये कहते हुए चेतावनी दी कि वो शहर में गश्त लगाते रहते हैं. प्रशासन द्वारा हिंदू त्योहारों पर मांस बेचने के खिलाफ कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किए जाने के बावजूद ये सब बिना किसी रोक टोक के किया गया.

ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए, पीड़ित साबिर खान ने कहा कि जब नवीन ढुल और उनके साथियों ने दुकान में घुसकर मारपीट की तो वो डर गया था. हमने पूछा कि क्या इस हमले को लेकर शिकायत दर्ज कराई है, तो साबिर ने जवाब दिया, “हम गरीब लोग कहां उनसे पंगा लेंगे.” साबिर ने स्पष्ट किया कि उसकी दुकान के पास कोई मंदिर नहीं है. वो अगले दिन अपनी दुकान फिर से खोलने को लेकर सहमा हुआ था, लेकिन आखिरकार उसने दुकान खोलने का साहस जुटाया.

घटना की गंभीरता के बावजूद स्थानीय पुलिस इससे पूरी तरह नज़रअंदाज़ करती रही. ऑल्ट न्यूज़ ने रोहतक के कई पुलिस स्टेशनों से संपर्क किया, लेकिन किसी को भी घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, शिकायत दर्ज करना तो दूर की बात है. सदर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है और दावा किया कि दुकान का स्थान उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. पुरानी मंडी बाज़ार पुलिस स्टेशन ने भी यही प्रतिक्रिया दी लेकिन सुझाव दिया कि सुप्रा चौक पुलिस स्टेशन के पास ज़्यादा जानकारी हो सकती है. हालांकि, जब ऑल्ट न्यूज़ ने सुप्रा चौक से संपर्क किया, तो वहां की पुलिस ने भी घटना की कोई जानकारी नहीं होने का दावा किया.

 

 

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हरियाणा तक को दिए इंटरव्यू में नवीन ढुल कहते हैं, ”आप इसे मारपीट नहीं कह सकते. मारपीट अलग है… इसमें डंडा या लठ से मारते हैं…”

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हिंदुत्ववादी संगठन अखंड हिंदू वाहिनी सेना ने दशहरा मैदान स्टेडियम ग्राउंड में 25 फ़रवरी से 27 फ़रवरी तक शिवरात्रि के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में विंदू दारा सिंह और सचिन्द्र सिंह जैसी मशहूर हस्तियां शामिल हुईं.

25 फ़रवरी को अखंड हिंदू वाहिनी सेना के अध्यक्ष और संस्थापक ने नफरती सांप्रदायिक बयानबाज़ी से भरा एक संबोधन दिया. उन्होंने ये दावा करते हुए डर फैलाया कि घुसपैठ और जबरन धर्म परिवर्तन के कारण देश के कई हिस्सों में हिंदू आबादी में चिंताजनक गिरावट देखी जा रही है. उन्होंने ये कहकर सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ा दिया कि “जो गाय को चराते हैं और जो गाय को खाते हैं वे कभी दोस्त नहीं हो सकते…”

LIVE:दशहरा मैदान चौरई में कालीचरण जी महाराज एवं फिल्मी हस्तियां

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अखंड हिंदू वाहिनी सेना के द्वारा महा शिवरात्रि पर्व पर किया जा रहा आयोजन

Posted by CTV LIVE on Tuesday 25 February 2025

छत्तीसगढ़ के गरिबंद ज़िले में स्थित राजिम में महानदी, पैनी और सोंधू नदियों के त्रिवेणी संगम पर माघ पूर्णिमा से महा शिवरात्रि तक एक धार्मिक मेला, राजिम कुंभ कल्प, आयोजित किया जाता है. इस मेले को छत्तीसगढ़ के कुंभ के नाम से भी जाना जाता है. 21 फ़रवरी, 2025 को हिंदू देवी सीता की जयंती पर, भारत भर से कई भिक्षु उत्सव में उपस्थित थे. इस मौके पर दिए गए कई भाषण खुले तौर पर मुस्लिमों की आलोचना में बदल गये. महाकुंभ मेले में हिंदुओं की भारी भागीदारी के बारे में बोलते हुए, साधु राजीवलोचन महाराज ने दावा किया कि हिंदुओं की भागीदारी में ये भारी वृद्धि अखाड़ा परिषद के महाकुंभ में जिहादियों को न आने देने के फैसले के कारण है. उन्होंने कहा, ‘जैसे मक्का या मदीना में काफिरों को अनुमति नहीं है, वैसे ही कोई भी जिहादी महाकुंभ में प्रवेश नहीं करेगा.’ ये दावा करते हुए कि उनका दुश्मनी फैलाने का कोई इरादा नहीं, उन्होंने सवाल किया, “अगर हिंदू मक्का या मदीना नहीं जा सकते, तो मुसलमानों को कुंभ में जाने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए?” उन्होंने कुंभ से मुनाफा कमाने और बाद में हमले करने के लिए इसका इस्तेमाल हिंदुओं के खिलाफ करने के लिए मुसलमानों को फटकार लगाई. उन्होंने राजिम कुंभ कल्प से इसी तरह के नियम अपनाने और “जिहादियों” के प्रवेश पर रोक लगाने का आग्रह किया. मुख्य अतिथियों में से एक, महामंडलेश्वर विश्वकानंद भारतीजी महाराज ने लोगों से छत्तीसगढ़ को स्थायी रूप से भाजपा शासित राज्य बनाने का आग्रह किया. अपने सामने भिक्षु के भाषण का ज़िक्र करते हुए, उन्होंने साफ़ तौर पर मुसलमानों की तुलना राक्षसों से करते हुए आगे कहा, “सज्जनों, ये समुद्र मंथन हुआ ही था इन असुरों को बाहर करने के लिए.” 

Live: राजिम कुंभ (कल्प) 2025 का दसवां दिन

Live: राजिम कुंभ (कल्प) 2025 का दसवां दिन

Posted by Chhattisgarh Culture Department on Friday 21 February 2025

पश्चिम बंगाल के जॉयनगर में, 26 फ़रवरी को हिंदू जागरण मंच के एक समूह ने कई महिलाओं पर घात लगाकर हमला किया और उन पर जबरन ईसाई धर्म में धर्मांतरण का आरोप लगाया. साफ तौर पर व्यथित महिलाएं पुरुषों को समझाने की कोशिश करते देखी जा सकती हैं. हालांकि, उन्हें अपशब्दों का सामना करना पड़ा और फिर उन्हें हर हर महादेव का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया.

 

 

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हिमाचल प्रदेश के इंदौरा में 24 फ़रवरी को शिवरात्रि महोत्सव के दौरान काठगढ़ शिव मंदिर के बाहर एक विक्रेता को कई हिंदुत्व समर्थकों द्वारा परेशान किया गया और उस पर शारीरिक हमला किया गया. इस पीड़ित पर कथित तौर पर शुभ दिन पर चिकन पकाने का आरोप था.

👉मौके पे पकड़े… धा र्मि क स्थान काठगढ़ महादेव #महाशिवरात्रि महोत्सव में परिसर में #मास बनाता पगड़ीधारी दुकानदार… @highlight
#काठगढ़ Kathgarh Mahadev Dham Maha Shivratree 2025 Punjab Kesari / Himachal #रोको_टोको_अभियान #rtt The Viral Himachal First Verdict Media Viral Video Viral Pathankot HINDU HAI HUM हम हिमाचली Hindu Temples हिंदुत्व Hindutva

Posted by Bhanu Prashar on Monday 24 February 2025

बिहार के समस्तीपुर में एक शख्स ने जबरदस्ती चिकन की दुकानें बंद करा दीं. फ़ेसबुक पर दीपांशु सिन्हा नामक यूज़र (जो कि समस्तीपुर का ही रहने वाला है) द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो में (व्यक्ति का चेहरा क्लिप में नहीं दिखाया गया है) वो दावा करता है कि शिवरात्रि पर एक मंदिर के पास चिकन बेचना एक ‘कुकर्म’ (ग़लत काम) है. उसके साथ आए लोगों को राहगीरों से बातचीत करते हुए और ये बताते हुए देखा जा सकता है कि ये कैसे अवैध होना चाहिए और कानून प्रवर्तन अधिकारियों को शिवरात्रि के दिन मांसाहारी वस्तुओं की बिक्री के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. एक व्यक्ति का दावा है कि कानून प्रवर्तन अधिकारी विक्रेताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

धार्मिक त्योहारों पर बहुसंख्यकवादी ताकतें: परेशान करने वाली प्रवृत्ति

श्रद्धा वॉकर मामले और महा शिवरात्रि जुलूस के बीच क्या संबंध है? कुछ नहीं.

तो फिर ये विशेष झांकी उत्सव का हिस्सा क्यों थी?

या, टी राजा सिंह हैदराबाद में रामनवमी मनाने की आड़ में एक मस्जिद के सामने हिंदुत्व कट्टरपंथियों के अपने समूह का नेतृत्व क्यों कर रहे – एक अखंड हिंदू राष्ट्र का आह्वान करते हुए, ये घोषणा करना कि उनका बेटा उनकी मौत के बाद भी लड़ाई जारी रखेगा.

या फिर, दुर्गा पूजा के दौरान एक आवेशित हिंदू भीड़ बहराईच में मुख्य रूप से मुस्लिम इलाके में हिंदुत्व पॉप गाने गाते हुए मार्च क्यों कर रही? जिसके बाद हुई हिंसा में एक 22 साल के व्यक्ति की जान चली गई.

ये तर्क दिया जा सकता है कि ये कोई नई बात नहीं है. स्वतंत्रता-पूर्व भारत में भी, धार्मिक त्योहारों का इस्तेमाल समुदायों के बीच परेशानी और दुश्मनी पैदा करने के बहाने के रूप में किया जाता था. हालांकि, आज के समय में ऐसे प्रयासों को प्रतिष्ठान और सत्ता के सर्वोच्च केंद्रों का खुला नहीं तो मौन समर्थन प्राप्त होता है.

इनके पीछे की मंशा देखना मुश्किल नहीं है. वे सिर्फ प्रतिक्रिया चाहते हैं. ज़्यादातर, नहीं तो हर हिंदू त्योहार अब हिंदुत्व कट्टरपंथियों के एक वर्ग को मुसलमानों को उकसाने और स्थिति के बिगड़ने की उम्मीद करने का अवसर प्रदान करता है – एक पत्थर फेंकना, बड़े पैमाने पर जवाबी हिंसा को उचित ठहराने के लिए एक चिंगारी, आगे ध्रुवीकरण और अल्पसंख्यकों को लगातार अन्य की तरह पेश करना.

ये तर्क दिया जा सकता है कि धार्मिक त्योहारों का हथियारीकरण न सिर्फ अल्पसंख्यकों के प्रति लगभग गहरी नफरत को दर्शाता है, बल्कि हिंदुत्व कट्टरपंथियों के कुछ वर्गों के बीच गहरी असुरक्षा को भी दर्शाता है. और धार्मिक उत्सवों की आड़ में हिंदुत्व की ताकत का ये प्रदर्शन उस भारत में एक परेशान करने वाला पैटर्न है जहां सांप्रदायिक नफरत लगभग एक पंथ बन गई है.

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