कई राइट विंग सोशल मीडिया हैन्डल्स ने कांग्रेस पार्टी से सांसद सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का एक वीडियो शेयर किया है. इसमें वे विदेशी प्रतिनिधि के स्वागत में दरवाजे पर खड़े हैं. जब विदेशी प्रतिनिधि गाड़ी से उतरकर आते हैं तो पहले सोनिया गांधी आगे बढ़कर उनसे हाथ मिलाकर उनका स्वागत करती हैं, फिर विदेशी प्रतिनिधि डॉ. मनमोहन सिंह से हाथ मिलाते हैं. चूंकि सोनिया गांधी ने आगे बढ़कर विदेशी प्रतिनिधि से पहले हाथ मिलाया, इस वजह से वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि डॉ. मनमोहन सिंह एक कमजोर प्रधानमंत्री थे.

भाजपा पश्चिम बंगाल की प्रवक्ता माधवी अग्रवाल ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि काँग्रेस के शासन में देश के प्रधानमंत्री की स्थति ऐसी होती थी. (आर्काइव लिंक)

अक्सर गलत जानकारी फैलाने वाले अकाउंट @BattaKashmiri ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि मनमोहन सिंह एक कमजोर प्रधानमंत्री थे. (आर्काइव लिंक)

राइट-विंग इनफ़्लूएंसर @JIX5A ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि मनमोहन सिंह सोनिया गांधी के कठपुतली प्रधानमंत्री थे. (आर्काइव लिंक)

अक्सर ग़लत जानकारी फैलाने वाला यूज़र जितेंद्र प्रताप सिंह ने भी ये वीडियो शेयर कर लिखा कि कांग्रेस के दौर में प्रधानमंत्री पद को तमाशा बना दिया गया था.

फ़ैक्ट-चेक

हमने वायरल वीडियो के फ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स-इमेज सर्च किया तो हमें ये वीडियो कांग्रेस पार्टी के यूट्यूब चैनल पर 16 जून 2015 को अपलोड किया हुआ मिला. इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है, “कांग्रेस अध्यक्ष की चीनी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक”.

हमें कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक हैंडल से 16 जून 2015 को किया हुआ एक ट्वीट भी मिला जिसमें सोनिया गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह की विदेशी प्रतिनिधि के साथ तस्वीर पोस्ट की गई थी. इस ट्वीट के कैप्शन में लिखा था कि चीनी संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की.

इतना तो स्पष्ट है कि 2015 में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी थी और डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री नहीं थे. यह बैठक विदेशी प्रतिनिधि और भारत में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी के बीच थी, जिसकी तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी थी इसलिए उन्होंने आगे बढ़कर विदेशी प्रतिनिधि का अभिवादन किया. सोनिया गांधी 1998 से 2017 और फिर 2019 से 2022 तक कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं. डॉ. मनमोहन सिंह इस मीटिंग में एक प्रधानमंत्री की हैसियत से नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के एक नेता के रूप में उपस्थित थे. इससे यह कहीं भी जाहिर नहीं होता कि डॉ. मनमोहन सिंह एक कमजोर प्रधानमंत्री थे.

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