ट्विटर यूज़र ‘इंदु मक्कल काट्ची’ ने अरावणा पायसम की एक तस्वीर शेयर की. इस डिब्बे पर अल ज़हा स्वीट्स लिखा है. अरावणा पायसम, सबरीमाला मंदिर का एक प्रसाद है. ट्वीट में लिखा है कि सबरीमाला में बांटा जाने वाला प्रसाद अरावणा पायसम इस्लामिक ही नहीं बल्कि हलाल भी है. इसका नाम भी अरेबिक है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

‘RSS: Evolution from an Organization to a Movement’ किताब के लेखक रतन शारदा ने भी ये तस्वीर ट्वीट की. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक यूज़र रामाय्यर श्रीनिवासन की एक पोस्ट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. इस पोस्ट में भी यही दावा किया गया है. पाठक ध्यान दें कि ये अकाउंट प्राइवेट है.

कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने ये तस्वीर शेयर करते हुए ये दावा किया है.

फ़ैक्ट-चेक

केरल सरकार की वेबसाइट पर अरावणा सबरीमाला में दिए जाने वाले प्रसाद के रूप में सूचीबद्ध है. ये भी बताया गया है कि इसकी डिलीवरी इंडिया पोस्ट के ज़रिए भी हो सकती है. नीचे तस्वीर में बाई ओर सबसे ऊपर अरावणा पायसम का डिब्बा है.

इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर प्रसाद के डिब्बे की तस्वीर दी गई है. इसके अलावा, रिलीज़न वर्ल्ड की वेबसाइट पर प्रसाद के डिब्बे की बड़ी तस्वीर दी गई है. नीचे तस्वीर में आप देख सकते हैं कि प्रसाद के डिब्बे पर ‘Travancore Devaswom Board’ लिखा है न कि अल ज़हा स्वीट्स. और डिब्बे में नीचे की ओर अरावणा प्रसाद लिखा है.

अल ज़हा स्वीट्स के बारे में सर्च करते हुए ऑल्ट न्यूज़ को रशियन मैप सर्विस 2GIS का लिंक मिला. इसके मुताबिक, अल ज़हा स्वीट्स दुबई में मौजूद एक मिठाई की दुकान है. यहां हमें कंपनी का व्हाट्सऐप नंबर भी मिला. बातचीत के दौरान, हमें बताया गया कि उनकी कंपनी ने सबरीमाला में अपने प्रोडक्ट्स कभी नहीं भेजे हैं.

अल ज़हा स्वीट्स के बिज़नस डेवलपमेंट मैनेजर राशिद ने द क्विन्ट को बताया कि उनके लोकप्रिय प्रोडक्ट ‘अरावणा पायसम’ का किसी धर्म, जाति या पंथ से कोई लेना-देना नहीं है. इसका भगवान अयप्पा या सबरीमाला से भी कोई संबंध नहीं है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उनकी कंपनी का भारत या केरला की किसी कंपनी या बोर्ड के साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है.

द क्विन्ट की रिपोर्ट में त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के आयुक्त बीएस प्रकाश के हवाले से बताया गया है कि सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा दावा झूठा है. प्रसाद मंदिर के अधिकारी ही बनाते हैं. ये काम किसी कंपनी या संगठन को नहीं सौंपा गया है.

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर झूठा दावा शेयर किया कि सबरीमाला मंदिर का प्रसाद एक इस्लामिक कंपनी बनाती है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.