हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी शेयर किया गया है. वीडियो में मुस्लिम शख्सियतों के नाम के साथ सांप्रदायिक बयान वाली होर्डिंग्स दिख रही हैं. इन होर्डिंग्स को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के कुंडा के टीपी इंटर कॉलेज की दीवारों पर लगाया गया था. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये बैनर 12 अगस्त की रात को लगाए गए थे.

होर्डिंग्स में AIMIM नेता और विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी, सैयद अहमद बुखारी, जामा मस्जिद के 13वें शाही इमाम, समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य आज़म खान, नूर उर रहमान बरकती, कोलकाता के पूर्व शाही इमाम और विवादित कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक ज़ाकिर नाइक की तस्वीरें मौजूद थीं.

एक यूज़र ने आसपास खड़े पुलिसवालों के साथ इन होर्डिंग्स का एक वीडियो पोस्ट किया. यूज़र ने आरोप लगाया कि ये होर्डिंग्स मुसलमानों ने लगायी थीं. (आर्काइव लिंक)

ज़ाकिर नाइक, नूर उर रहमान बरकारती और सैयद अहमद बुखारी के बयान वाले बैनरों की एक क्रॉप्ड फ़ोटो व्हाट्सऐप पर शेयर की जा रही है. ऑल्ट न्यूज़ को व्हाट्सऐप नंबर पर (76000 11160) इसकी सच्चाई जानने के लिए लगभग एक दर्ज़न से ज़्यादा रिक्वेस्ट मिलीं.

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पुलिस का बयान

12 अगस्त को प्रतापगढ़ पुलिस ने एक वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने बताया कि कुंडा में कुछ “शरारती तत्वों” ने ये आपत्तिजनक होर्डिंग लगाए थे.

ऑल्ट न्यूज़ ने घटना के बारे में प्रतापगढ़ के SP सतपाल से बात की. उन्होंने कहा, “जांच जारी है और कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. लेकिन अनजान व्यक्तियों के खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 A [अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना] और अन्य संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है.”

इस तरह, मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा बैनर लगाने का दावा बेबुनियाद है. गौरतलब है कि बैनरों में कुछ इस तरह के बयान दिखाये गए हैं – “हिंदू त्योहारों को बैन किया जाना चाहिए”, “मुसलमान मंदिरों को ध्वस्त कर देंगे”, “हिंदुओं को उन जगहों को खाली करना चाहिए जहां मुस्लिम की संख्या ज़्यादा है.” मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी ओर नकारात्मक ध्यान खींचने के लिए इस तरह के बैनर लगाएंगे, ये थोड़ा अटपटा मालूम देता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने होर्डिंग्स पर मौजूद हर व्यक्ति के बयान की जांच की. और पाया कि ये पहले फ़ेसबुक पर भाजपा समर्थक और राइट विंग पेज ने शेयर किए थे. लेकिन इससे भी ज़रुरी बात ये है कि ऐसी कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं है जो इस तरह की किसी भी भड़काऊ बात की पुष्टि करती हो.

AIMIM नेता और विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी

होर्डिंग के मुताबिक, अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हैदराबाद शहर में मुस्लिम आबादी 50% से ज़्यादा हो गई है. इसलिए हिंदू त्योहारों को बैन किया जाना चाहिए. 2011 की जनगणना के अनुसार, हैदराबाद शहर में हिंदू आबादी 64.93 % और मुस्लिम आबादी 30.13 % है. इस तरह, बयान में मुस्लिम आबादी 50% से ज़्यादा होने की बात ही गलत है.

ऑल्ट न्यूज़ ने कीवर्ड सर्च किया और पाया कि 2014 में कम से कम दो फ़ेसबुक यूज़र ने ऐसे ही पोस्ट शेयर किए थे. (लिंक 1, लिंक 2)

फ़ेसबुक पर 2016 में यही बयान AIMIM के अध्यक्ष और अकबरुद्दीन के भाई असदुद्दीन ओवैसी के हवाले से भी शेयर किया गया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने असदुद्दीन ओवैसी से भी इस पोस्टर के बारे में संपर्क किया. उनके मुताबिक ये बयान, “पूरी तरह से गलत और सफ़ेद झूठ” है. उन्होंने ये भी कहा कि साइबर सेल में इसकी शिकायत दर्ज कराई जाएगी.

जामा मस्जिद के 13वें शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी

होर्डिंग के मुताबिक, सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि हिंदुओं को UP, बंगाल, केरल, असम और हैदराबाद छोड़ देना चाहिए क्योंकि इन राज्यों में मुस्लिम आबादी ज़्यादा है. सैयद अहमद बुखारी को ये चेतावनी देते हुए दिखाया गया कि अगर हिन्दू ये शहर नहीं छोड़ते हैं तो उनका भी वही हाल होगा जो कश्मीरी पंडितों का हुआ था. हालांकि, इन सभी राज्यों में से किसी में भी 2011 की जनगणना के अनुसार, मुसलमान की संख्या हिन्दुओं से ज़्यादा नहीं हैं.

नीचे दिए गए टेबल में 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, केरल, असम और हैदराबाद में हिंदुओं और मुसलमानों की जनसंख्या देखी जा सकती है.

ऑल्ट न्यूज़ ने सैयद अहमद बुखारी के बेटे शाबान बुखारी से बात की. उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने ये बयान नहीं दिया. पहले भी उन्हें कई झूठे बयानों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है. हम 15 अगस्त के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का सोच रहे हैं.”

फ़ेसबुक पर 2017 के कुछ पोस्ट्स मिले जिसमें सैयद अहमद बुखारी के नाम से कुछ इसी तरह के बयान शामिल थे.

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समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य आज़म खान

फ़रवरी 2020 में, आज़म खान पर कथित तौर पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने बेटे की गलत जन्मतिथि दिखाकर पैन कार्ड बनावाया. ताकि वो रामपुर में स्वार निर्वाचन क्षेत्र से 2017 के विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम हो सके. इस मामले में उन्हें उनकी पत्नी और बेटे के साथ जेल भेज दिया गया था. उनकी पत्नी को दिसंबर 2020 और बेटे को अगस्त 2021 में जमानत दी गई थी.

होर्डिंग में आज़म खान के हवाले से लिखा है कि मुसलमान वंदे मातरम का बहिष्कार करेंगे क्योंकि इस्लाम में धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद मना है.

पिछली पोस्ट्स की तरह हमें ये बयान भी फ़ेसबुक पर राइट-विंग पेज पर मिले. इन्हें शेयर करने का सबसे पुराना उदाहरण हमें 2013 का मिला.

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कोलकाता के पूर्व शाही इमाम नूर-उर-रहमान बरकती

नूर-उर-रहमान बरकती इस लिस्ट में शामिल सबसे ज़्यादा विवादित व्यक्तियों में से एक हैं. होर्डिंग के अनुसार, उन्होंने कहा कि मुसलमान गायों को मारना जारी रखेंगे और मुसलमानों को किसी सरकार का डर नहीं है क्योंकि समुदाय की आबादी बढ़ गई है. बयान में आगे लिखा है, “हम हिंदुओं की तरह बहस नहीं करते, सीधा काट देते हैं.”

फ़ेसबुक पर कीवर्ड सर्च करने के बाद ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये बयान 2012 से पहले का है और इसे कई बार शेयर किया गया है.

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यहां ध्यान दें कि 2010 में नूर-उर-रहमान ने असल में बयान दिया था कि मुसलमान गायों की बलि देना जारी रखेंगे. हालांकि, बैनर ने उनके बयान को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है. उन्होंने ये नहीं कहा था कि विरोध करने वाले हिंदुओं की हत्या कर दी जाएगी.

विवादों से जुड़े कट्टरपंथी उपदेशक ज़ाकिर नाइक

ज़ाकिर नाइक इस लिस्ट में सबसे ज़्यादा विवादित व्यक्ति हैं जो फ़िलहाल भारत से बाहर हैं. इनके बारे में दो बयान दिखाये गए हैं. एक बयान के अनुसार, ज़ाकिर ने कथित तौर पर कहा कि हिंदुओं ने 11 सौ सालों तक भारत पर शासन करने वाले मुसलमानों के डर से हिंदू-मुस्लिम एकता का नारा लगाया. दूसरे दावे के मुताबिक, ज़ाकिर ने कहा कि भारत को आसानी से एक इस्लामी राष्ट्र में बदला जा सकता है.

पहला बयान 2014 से पहले का है और फ़ेसबुक पर भी कई बार पोस्ट किया गया था.

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दूसरा बयान 2020 से कई फ़ेसबुक पोस्ट पर इसी टेक्स्ट और तस्वीर के साथ शेयर किया गया था.

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ज़ाकिर नाइक द्वारा दिए गए कई विवादों वाले बयान मीडिया में रिपोर्ट किए गए हैं. लेकिन ऑल्ट न्यूज़ को बैनर पर लगे बयान के बारे में कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली.

कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में झूठे, भड़काऊ बयानों वाले 6 होर्डिंग लगाए गए और मुस्लिम नेताओं और कुछ विवादित हस्तियों को इसके लिए ज़िम्मेदार बताया गया. UP पुलिस ने अभी तक इस घटना के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों की पहचान नहीं की है. लेकिन पहले की समीक्षा मुस्लिम समुदाय को दोषी बताती है. ऑल्ट न्यूज़ की रीसर्च के अनुसार, टीपी इंटर कॉलेज की बाउंड्री वॉल पर दिखने वाले बयानों से सालों पहले ये बयान फ़ेसबुक पर राइट विंग पेज और बीजेपी समर्थकों की प्रोफ़ाइल पर मौजूद थे.

[नोट : इस मामले में अगर कोई कार्रवाई होती है तो इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.]

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.