[चेतावनी: आर्टिकल में दी गई जानकारी और दृश्य परेशान करने वाले हो सकते हैं.]

भारत में बीते कुछ वर्षों से लगातार हिंदू संघठन के कथित गौ रक्षक दलों द्वारा हिंसा की घटना बढ़ती जा रही है. ऐसी ही एक घटना ओडिशा के गंजम ज़िले से सामने आई है जहां दो दलित व्यक्तियों को गौ तस्करी के झूठे आरोप में बुरी तरह प्रताड़ित किया गया. उन्हें पीटा गया, उनके आधे बाल मुंडवा दिए गए और कथित तौर पर उन्हें घास खाने और नाले का पानी पीने के लिए मजबूर किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंगीपुर निवासी पीड़ित बुलु नायक (52) और बाबुल नायक (43) ने पारिवारिक विवाह समारोह के लिए दहेज के रूप में हरिपुर से एक गाय और दो बछड़े खरीदे थे. जब वे मवेशियों को टेम्पो रिक्शा पर लादकर अपने गांव ले जा रहे थे, तभी स्थानीय लोगों के एक समूह ने उन्हें खारीगुम्मा में रोक लिया.

समूह ने उन पर अवैध रूप से गायों को ले जाने का आरोप लगाया, उनके मोबाइल फोन और पैसे छिन लिए. उन्होंने कथित तौर पर पशुओं को छोड़ने के लिए 30,000 रुपये की मांग की. दोनों के मना करने पर समूह ने उनके हाथ-पैर बांध दिए और उन्हें बेरहमी से पीटा. इसके अलावा, उन्हें एक स्थानीय सैलून में ले गए, जहाँ उनके सिर के कुछ हिस्से मुंडवा दिए गए. फिर उन्हें लगभग दो किलोमीटर तक घुटने के बल चलाते हुए जहादा गाँव ले जाया गया, जहाँ उन्हें कथित तौर पर घास खाने और नाले का पानी पीने के लिए मजबूर किया गया.

ये घटना 22 जून, 2025 को ओडिशा के धारकोटे ब्लॉक के अंतर्गत खारीगुम्मा गांव में दिनदहाड़े घटती है. दोनों पीड़ित किसी तरह घटनास्थल से भागने में सफल रहे और स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया गया और उन्होंने धारकोटे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

इस घटना का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से कई सामाजिक कार्यकर्ता और नेताओं समेत कई यूज़र विज़ुअल्स शेयर कर आरोपियों की गिरफ़्तारी और उचित कार्रवाई की मांग करने लगे.

 

गंजाम पुलिस अधीक्षक के आधिकारिक X-हैंडल से 23 जून को बताया गया कि बीएनएस और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और एक सीआईसीएल को पकड़ा गया है.

26 जून को पुलिस ने बताया कि घटना मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर उसे आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए माननीय न्यायालय के समक्ष भेज दिया गया है. ओडिशा के एक लोकल न्यूज़ पोर्टल ने 25 जून के एक रिपोर्ट में इस मामले में गिरफ़्तार आरोपियों के नाम लिखे हैं. ये नाम हैं, सिबाशंकर मोहंती, सत्य साहू, बैनाथ बिसोई, ओम गौड़ा, गणपति पालेई, संतोष डाकुआ, शंकर दास, नारायण डाकुआ और एक आरोपी नाबालिग है.

3 जुलाई को छपी एक और ख़बर में बताया गया है कि अबतक इस मामले मे कुल 16 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.

भारत में कथित गौ रक्षा के नाम पर हो रहे हमलों की बढ़ती संख्या ने इस बात को उजागर कर दिया है कि सांप्रदायिक हिंसा एक गंभीर समस्या बनी हुई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लिंचिंग, मारपीट और दुर्व्यवहार सहित धार्मिक हिंसा के सैकड़ों मामले होते हैं.

सभी देशों और क्षेत्रों में हिंसक संघर्ष और विरोध पर नज़र रखने और आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली स्वतंत्र गैर-लाभकारी संस्था ACLED की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से लेकर 2020 के अंत तक, संदिग्ध गौ हत्या या व्यापार के बाद लिंचिंग या भीड़ की हिंसा के परिणामस्वरूप 50 से अधिक मौतें हुई हैं. एसीएलईडी ने 2018 में भारत में गायों की सुरक्षा से संबंधित राजनीतिक हिंसा की घटनाओं की संख्या में तेज वृद्धि दर्ज की है. 2016 की तुलना में, 2017 में गौरक्षा से संबंधित राजनीतिक हिंसा की घटनाओं में 40% से अधिक की वृद्धि हुई और 2018 में लगभग दोगुनी हो गई, हिंसा में ये वृद्धि उत्तर प्रदेश, असम और झारखंड सहित कई राज्यों में दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों के उदय के साथ हुई है.

तस्वीर साभार: ACLED

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि गौ रक्षा से संबंधित हिंसा की 80% से अधिक रिपोर्ट की गई घटनाएं नागरिकों के खिलाफ निर्देशित की गई हैं. इन हमलों के शिकार आम तौर पर मवेशी व्यापार में काम करने वाले लोग और अल्पसंख्यक समूहों से जुड़े लोग होते हैं, जिनमें मुस्लिम, दलित या आदिवासी समुदाय शामिल हैं.

तस्वीर साभार: ACLED
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