एक कथित ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट जैसी दिखने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. इसमें लिखा है, “RSS ने 1925 से 1947 तक किसी भी ब्रिटिश-विरोधी आंदोलन में भाग नहीं लिया”. इस पत्र पर ब्रिटिश गृह विभाग का प्रतीक चिन्ह के साथ अंतिम ब्रिटिश वायसराय और भारत के पहले गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन का हस्ताक्षर भी है. तस्वीर शेयर करने वालों का दावा है कि ये इस बात का सबूत है कि हिंदुत्व समूह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान नहीं दिया था.

ये पत्र 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण के कुछ हफ्तों बाद सामने आया, जहां उन्होंने “राष्ट्र की सेवा” के 100 साल पूरे करने के लिए RSS की तारीफ़ की थी. RSS भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मूल संगठन है.

25 अगस्त को भारतीय युवा कांग्रेस के सोशल मीडिया समन्वयक और झारखंड राज्य प्रभारी  (@livemanish_) ने हैशटैग #RSS100YearsExposed के साथ X पर तस्वीर पोस्ट की. उन्होंने लिखा, “किसी अन्य सबूत की ज़रूरत नहीं है. यहां भारत के स्वतंत्रता संग्राम में RSS के किसी भी योगदान की कमी का प्रमाण है.” इस आर्टिकल के लिखे जाने तक, पोस्ट को 280,000मनीष तिवारी से ज़्यादा बार देखा गया था. (आर्काइव)

इस दावे को बढ़ाने वालों में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश भी शामिल हैं. रमेश ने लेखक दयाशंकर मिश्र की पोस्ट को रीपोस्ट किया था.

एक अन्य X यूज़र, प्रज्ञा गुप्ता (@GuptaPragnya) ने भी ऐसे कैप्शन के साथ वही तस्वीर पोस्ट की. इस पोस्ट को 394,000 से ज़्यादा बार देखा गया और 2,500 बार दोबारा पोस्ट किया गया. (आर्काइव)

कई अन्य यूज़र्स ने ऐसे कैप्शन के साथ वही तस्वीर पोस्ट की. नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

हमें डॉक्यूमेंट की सच्चाई पर शक हुआ क्योंकि इसमें तारीख नहीं है. इसे बिना किसी संदर्भ के पेश किया गया है. किसी विशेष को संबोधित भी नहीं किया गया है. इसमें सिर्फ ये कहा गया था कि RSS ने ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों में भाग नहीं लिया था और ये भी डबल कोट में था. इसका कोई मतलब नहीं है कि ब्रिटिश गृह विभाग ऐसी अधिसूचना क्यों जारी करेगा. इसके अलावा, इस पर लॉर्ड माउंटबेटन का हस्ताक्षर है लेकिन इसमें कहीं भी उनके पूरे नाम का ज़िक्र नहीं किया गया था, जो आमतौर पर आधिकारिक संचार में किया जाता है.

हालांकि, हमने पत्र के किसी भी डॉक्यूमेंट साक्ष्य को देखने के लिए एक संबंधित कीवर्ड सर्च किया, लेकिन कोई सबंधित परिणाम नहीं मिला. ज़्यादा सबूत के लिए वायरल तस्वीर की बारीकी से जांच करने पर हमें कई विसंगतियां नज़र आईं.

  1. प्रतीक के नीचे एसोसिएशन ‘ब्रिटिश गृह विभाग’ लिखा है; हालांकि, आधिकारिक नाम ‘होम ऑफ़िस’ है, जो यूके सरकार के ऑफ़िशियल पेज के मुताबिक, “यूके की सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि में एक मौलिक भूमिका निभाता है.” गृह कार्यालय के अंतर्गत 28 एजेंसियां ​​​​और सार्वजनिक निकाय काम कर रहे हैं. इसकी स्थापना 1782 में हुई थी.
  1. हमने वायरल तस्वीर में दिख रहे प्रतीक की तुलना यूके सरकार की वेबसाइट पर मौजूद प्रतीक से की. राजा चार्ल्स के सिंहासन पर बैठने के बाद, 2024 में प्रतीक को अपडेट किया गया था, लेकिन इसके तत्वों में बदलाव नहीं किया गया था. इस प्रतीक को लेसर आर्म्स (रॉयल आर्म्स का एक सरलीकृत वर्जन) के रूप में जाना जाता है और ये सरकारी वेबसाइट, पासपोर्ट्स और ऑफ़िशियल डॉक्यूमेंट पर मौजूद है ताकि ये संकेत मिल सके कि सरकार क्राउन के नाम पर काम कर रही है. जैसा कि नीचे दी गई तुलना से पता चलता है, इसमें कई विसंगतियां हैं. पहला, ऑफ़िशियल प्रतीक (बाएं) में यूनिकॉर्न को घोड़े में बदल दिया गया है (वायरल तस्वीर में). यूके सरकार के स्पष्टीकरण के मुताबिक, आर्म्स में शेर इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि यूनिकॉर्न स्कॉटलैंड का प्रतिनिधित्व करता है. दूसरा, शस्त्रों के केंद्र में ढाल है, जो ऑर्डर ऑफ़ द गार्टर से घिरी हुई है, जिसका आदर्श वाक्य “हनी सोइत क्वि मल वाई पेंस” लिखा हुआ है. इसका अनुवाद है “उसे शर्म आनी चाहिए जो इसके बारे में बुरा सोचता है.” वायरल तस्वीर (दाएं) में ये टेक्स्ट विकृत है. आखिर में ढाल के नीचे राजा का आदर्श वाक्य है, “डियू एट मोन द्रोइट”, जिसका अनुवाद “भगवान और मेरा अधिकार” है. वायरल तस्वीर (दाएं) में केवल ‘Dieu’ और ‘Droit’ शब्द दिखाई देते हैं.

  1. हमने ये भी देखा कि वायरल तस्वीर में दो प्रतीक – एक ऊपर और दूसरा नीचे-दाएं कोने पर – अलग थे. नीचे वाले में भी विकृत टेक्स्ट था.

  1. फिर हमने माउंटबेटन के साइन वाले किसी भी अभिलेखीय डॉक्यूमेंट का पता लगाने के लिए उनका हस्ताक्षर ढूंढा. हमें autographcollection.co.uk नाम की एक वेबसाइट पर 1978 का एक लेटर मिल जिसपर लॉर्ड माउंटबेटन का हस्ताक्षर था.

इस लेटर की तुलना वायरल तस्वीर से करने पर, ये साफ हो गया कि वायरल तस्वीर बनाने के लिए इस विशेष लेटर के कंटेंट में हेरफेर किया गया था. असली लेटर में कुछ निशान वायरल तस्वीर में धुंधले टेक्स्ट के रूप में दिखाई देते हैं. नीचे तुलनाएं:

वायरल तस्वीर और लेटर में दिख रहे माउंटबेटन के साइन भी एक जैसे हैं; यहां तक ​​कि उनके साइन के नीचे स्याही से बना बिंदु भी उसी स्थिति में है.

साथ ही, ध्यान से देखने पर पता चलता है कि लेटर पर ‘बर्मा के माउंटबेटन’ जैसा साइन किया गया था. ये बर्मा के विस्काउंट माउंटबेटन टाइटल का संदर्भ है जो उन्हें 1946 में प्रदान किया गया था. अगले साल उन्हें बर्मा का अर्ल माउंटबेटन नामित किया गया था. शीर्षक में बर्मा दक्षिण पूर्व एशिया कमान के सर्वोच्च सहयोगी कमांडर के रूप में उनके योगदान के लिए एक सलाम था. उनके नेतृत्व में अंग्रेजों ने भारत की ओर जापानी आक्रमण को हराया और बर्मा पर फिर से कब्ज़ा कर लिया.

  1. आख़िरकार, माउंटबेटन ने गृह कार्यालय में सेवा नहीं दी. मार्च 1947 में उन्हें भारत का वायसराय नामित किया गया और देश से अंग्रेजों की वापसी की निगरानी करने के लिए कहा गया. वो जून 1948 तक अंतरिम गवर्नर-जनरल बने रहे. भारत में अपने कार्यकाल के अलावा, वो बड़े पैमाने पर रक्षा बलों का हिस्सा बने रहे और 1959 में चीफ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ नामित होने से पहले रॉयल नेवी में सेवा की.

हमने ये भी पाया कि X यूज़र @GuptaPragnya, जो 25 अगस्त को तस्वीर शेयर करने वाले पहले व्यक्ति थे, ने दो दिन बाद (27 अगस्त) उसी पोस्ट के थ्रेड में लिखा कि उन्होंने कभी दावा नहीं किया कि तस्वीर असली थी. उन्होंने कहा कि ये अभिलेखीय सोर्स पर आधारित एक रचना थी जो साफ तौर पर आरएसएस के बारे में ऐसा संकेत देती है, और कई अभिलेखीय सोर्स को सूचीबद्ध किया.

उन्होंने ये भी साफ किया कि ग्राफ़िक में लेटरहेड को शैलीबद्ध किया गया है और यहां गृह विभाग का तात्पर्य भारत सरकार और बॉम्बे (प्रेसीडेंसी) गृह विभाग से है.

यानी, ये साफ है कि वायरल तस्वीर एडिटेड और अप्रामाणिक है. इसे शायद माउंटबेटन के साइन का इस्तेमाल करके 1978 में उनके द्वारा साइन किए गए एक अन्य, असंबंधित लेटर का इस्तेमाल करके बनाया गया था.

नोट: स्टोरी को ज़्यादा डिटेल के साथ अपडेट किया गया है. सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वर्जन (कम हथियार) को शामिल करने के लिए प्रतीक की तुलना बदल दी गई है. पहले, हमने इसकी तुलना शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विस्तृत शाही हथियारों से की थी.

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