उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन चल रहा है जिसमें देशभर से लगातार बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फ़रवरी तक चलने वाले इस आयोजन में पहुंचने के लिए ट्रेनों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है. बिहार के कई ट्रेनों में इस वजह से तोड़-फोड़ की खबरें भी सामने आई हैं. 29 जनवरी को प्रयागराज में भगदड़ और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फ़रवरी को हुई भगदड़ में आधिकारिक तौर पर मिलाकर अबतक 48 लोगों को मौत हो चुकी है. लेकिन ये आंकड़ा जारी करने से पहले बार-बार भगदड़ की घटना को अफवाह बताना या छुपाने की कोशिश में ये बयान देना कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है, सरकार के मनसूबे पर गंभीर सवाल उठाती है.

ऑल्ट न्यूज़ ने दोनों घटनाओं की शुरुआत से लेकर मौत का आंकड़ा जारी किए जाने तक का लेखा जोखा इस आर्टिकल में पेश किया है. सबसे पहले किसने इस हादसे की जानकारी दी और किसने कब क्या-क्या कहा ये सब सिलसिलेवार ढंग से आगे रखा गया है.

पहले बात करते हैं 15 फ़रवरी को दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ की

15 फ़रवरी को रात साढ़े 9 बजे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने की भीड़ से मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए. लेकिन यहां भी शुरुआत में इस घटना को अफवाह बताने की कोशिश हुई. यहां ‘भी’ का ज़िक्र इसीलिए क्यूंकि ठीक इसी तरह का रवैया 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ के दौरान हुई मौत को छुपाने के लिए अपनाया गया था.

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में भगदड़ के तुरंत बाद के दृश्य में प्लेटफ़ॉर्म पर इधर-उधर लोगों की लाश दिख रही हैं. लेकिन सरकार ने कुछ घंटों तक बार बार यही कहा कि स्थिति सामान्य है और यहां तक कि पहले तो इसे महज अफवाह करार दिया गया.

15 फ़रवरी को भगदड़ के एक घंटे बाद 10 बजकर 48 मिनट पर न्यूज़ एजेंसी ANI ने दिल्ली फायर सर्विस के हवाले से खबर दी कि रेलवे स्टेशन पर भगदड़ जैसी स्थिति हुई है. 4 फ़ायर टेन्डर घटनास्थल पर पहुंचने के लिए निकल चुके हैं.

पत्रकार सचिन गुप्ता ने 10 बजकर 56 मिनट पर वीडियो शेयर करते हुए बताया कि भीड़ में मची अफरा तफरी से कई यात्रियों के बेहोश होने की खबर है.

लेकिन 11 बजकर 16 मिनट पर CPRO उत्तरी रेलवे के हवाले से बताया कि कोई भगदड़ नहीं हुई है. और इस बात का पक्का सबूत देने के लिए रेलवे स्टेशन के बाहर के दृश्य शेयर किये. ध्यान दें कि ANI ने बाद में ये ट्वीट डिलीट कर दिया.

इसके करीब आधे घंटे बाद दिल्ली के LG वीके सक्सेना ने रात 11 बजकर 55 मिनट पर एक ट्वीट में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के कारण मरने वालों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जाहिर की. लेकिन फिर आधे घंटे में यानी, 12 बजकर 24 मिनट पर उन्होंने अपने ट्वीट को एडिट करते हुए लिखा, ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है. इस स्थिति को संभालने के लिए मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त से बात की गई है.’

उन्होंने जाहिर तौर पर मौतों और संवेदना जताने वाली बात अपने ट्वीट से हटा दी.

LG वीके सक्सेना के ट्वीट किये जाने और इसे एडिट किये जाने के बीच यानी, 12 बजकर 5 मिनट पर ANI ने DCP रेलवे KPS मल्होत्रा का एक वीडियो शेयर किया. इसमें बताया गया कि 2 ट्रेनें देरी से चल रहीं थी जिस वजह से यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो गई. भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि कुछ लोग घायल हो गए लेकिन स्थिति अभी कंट्रोल में है.

12 बजकर 53 मिनट तक रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये नहीं माना था कि घटना में लोगों की मौत हुई है. पहली बार उन्होंने 11 बजकर 36 मिनट पर बताया था कि स्थिति कंट्रोल में है और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है. लेकिन इस ट्वीट में कहीं भी भगदड़ या मौत के बारे में नहीं बताया गया. यहां तक कि ये भी जानकारी नहीं दी गई कि आखिर हुआ क्या था. इस ट्वीट के एक घंटे से ज़्यादा बीत जाने के बाद उन्होंने ये जानकारी दी कि उच्च स्तर के पूछताछ के आदेश दिए गए हैं. रेल मंत्री ने भगदड़ शब्द और इसमें लोगों की मौत शब्द का इस्तेमाल PM मोदी के ट्वीट के बाद ही की.

अश्विनी वैष्णव के पोस्ट के एक मिनट बाद ही 12 बजकर 54 मिनट पर बीजेपी आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने एक ट्वीट में फिर से ये दिखाने की कोशिश की दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सब कुछ सामान्य है.

PM नरेंद्र मोदी ने 12 बजकर 56 मिनट पर ट्वीट कर इस भगदड़ से दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारजनों के प्रति संवेदनाएं जताई. तब जाके ANI ने ये माना कि मौत हुई है. इससे पहले ANI लगातार ये दिखाने के प्रयास में लगा रहा कि कोई भगदड़ वाली स्थिति नहीं हुई है. जबकि राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी से पहले 12 बजकर 16 मिनट पर भगदड़ में मरने वालों के प्रति संवेदनाएं जताई थी.

इन सब के बहुत बाद 1 बजकर 9 मिनट पर रेल मंत्री ने मरने वालों के प्रति दुख जताया या यूं कहें कि ये माना कि भगदड़ में लोगों की मौत हुई. भगदड़ के तुरंत बाद लोगों के शवों की तस्वीरें ऑनलाइन मौजूद थी. लेकिन इसे छुपाने का पूरा प्रयास किया गया. यहां तक कि मीडिया संगठन ANI ने सरकार का पूरा साथ दिया. जबकि मीडिया का काम सच सामने लाना होता है. लेकिन यहां मीडिया, सरकार की नाकामयाबी पर पर्दा डालने का काम करती रही.

प्रयागराज में 29 जनवरी को मची भगदड़

29 जनवरी को मौनी अमावस्या का दिन था जिसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक पवित्र तिथि मानी जाती है, इस तिथि पर स्नान करने वालों की भारी भीड़ थी. इसी बीच करीब रात के 2 बजे संगम नोज के पास भगदड़ मच गई जिसमें कई लोगों की जानें गई और कई लोग घायल हो गए.

इस मौके पर हुई मौत का आंकड़ा शाम को एक साथ जारी किया गया. यहां तक कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शोक व्यक्त करने के कई घंटों बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने ये स्वीकार किया कि भगदड़ में कई लोग मारे गए. इसे बार-बार एक अफवाह करार दिया गया और भगदड़ में मरने वालों पर सवाल पूछे जाने पर बताया गया कि ऐसी कोई गंभीर स्थिति नहीं है. इससे सरकार की मंशा पर संदेह पैदा होता है और संकेत मिलता है कि सरकार ने मरने वालों की संख्या छिपाने की पूरी कोशिश की.

ज़्यादातर ऐसी घटनाओं में ऐसा होता है कि मरने या घायल होने वालों की संख्या धीरे धीरे बढ़ती है. जैसे अगर कहीं भूकंप हुआ या लैंड स्लाइड की घटना हुई या किसी धार्मिक आयोजन में भगदड़ मच गई. शुरुआत में कुछ लोगों के हताहत होने की खबर होती है और धीरे-धीरे ये आंकड़ा बढ़ता जाता है. फिर जब प्रशासन हालात पर काबू पा लेता है तो आखिरी में जारी आँकड़े फ़ाइनल आँकड़े होते हैं. इस स्थिति में ऐसा देखने को नहीं मिला. बार-बार इस दर्दनाक हादसे को अफवाह बताया गया. मीडिया ने भी पूरे दिन घटना को ‘भगदड़ जैसी स्थिति’ बताया.

ट्विटर पर सबसे पुराने ट्वीट्स में से एक 29 जनवरी को सुबह 2 बजकर 19 मिनट पर मयूर मिटकरी नाम के शख्स ने किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि महाकुंभ में भगदड़ मच गई जिसमें कई लोग घायल हो गए. मयूर द्वारा ट्वीट की गई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कई लोग जमीन पर बेहोश पड़े हैं और वहां पुलिस के जवान मौजूद थे, यानी पुलिस को घटना की जानकारी 2 बजकर 19 मिनट तक हो गई थी.

पत्रकार सचिन गुप्ता ने सुबह 2 बजकर 49 मिनट पर एक वीडियो ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि महाकुंभ में संगम पर कुछ अफरा-तफरी मची है, कई एंबुलेस सेंट्रल अस्पताल पहुंची है. दैनिक जागरण के पत्रकार भास्कर सिंह ने सुबह 3 बजकर 3 मिनट पर ट्वीट किया कि महाकुंभ में भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई है. पत्रकार अनुज मिश्रा ने सुबह 3 बजकर 10 मिनट पर एक वीडियो ट्वीट कर जानकारी दी कि महाकुंभ मेले में सुबह करीब 1 बजे भगदड़ मची जिसमें करीब 50 लोग घायल हुए हैं.

शुरू में पुलिस अधिकारियों ने भगदड़ में किसी की मौत होने से इनकार किया. सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर महाकुंभ की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राणा ने मीडिया से बात की और कहा कि कुछ बैरियर टूटने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई जिसमें कुछ लोग घायल हो गए, उनका इलाज किया जा रहा है. आकांक्षा राणा ने मीडिया से कहा कि ऐसी कोई गंभीर स्थिति नहीं है.

इसके बाद मुख्यधारा की मीडिया ने भी इस दावे को आगे बढ़ाया और मौत जैसी घटना को महज अफवाह बताया और भगदड़ का भी सीधे तौर पर जिक्र करने की बजाय रिपोर्ट में ‘भगदड़ जैसी स्थिति‘ फ्रेज का इस्तेमाल किया जाने लगा. उदाहरण के लिए यहाँ कुछ स्क्रीनशॉट दिए गए हैं जिसमें देखा जा सकता है कि बड़े मीडिया आउटलेट्स द्वारा इसी फ्रेज का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें से कई मेडिया हाउस के रिपोर्टर्स कुम्भ मेले में रिपोर्टिंग के लिए मौजूद थे, लेकिन ज्यादातर मीडिया ने ग्राउंड पर सच्चाई खोजने की कोशिश करने के बजाय सरकार और अधिकारियों द्वारा दिए गए वर्ज़न को रिपोर्ट करना की मुनासिब समझा.

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29 जनवरी की सुबह 8 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया कि संगम के सभी घाटों पर स्नान शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है. किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने एक वीडियो भी ट्वीट किया और कहा कि कुछ श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हैं, ये ट्वीट करते वक़्त तक उन्होंने किसी की मौत की बात स्वीकार नहीं की और इसी ट्वीट में लोगों से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें.

सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर महाकुंभ हादसे में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की. 

लेकिन 12 बजकर 5 मिनट पर कुंभ मेला एसएसपी राजेश द्विवेदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भगदड़ नहीं हुई है, भीड़ के कारण कुछ श्रद्धालु घायल हुए हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर ट्वीट कर भगदड़ में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की.

शाम 4 बजकर 11 मिनट पर डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने बयान जारी करते हुए कहा कि भगदड़ में घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा है. कोई भी गंभीर नहीं है, सभी खतरे से बाहर हैं. इसके कुछ ही देर बाद शाम 6 बजकर 39 मिनट पर डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने बयान जारी कर स्वीकार किया कि 29 तारीख को सुबह करीब 2 बजे महाकुंभ में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई है.

शाम 7 बजकर 54 मिनट पर योगी आदित्यनाथ ने एक वीडियो जारी कर स्वीकार किया कि मरने वालों की संख्या 30 है और करीब 90 लोग घायल हुए हैं.

4 फ़रवरी को बीबीसी की एक रिपोर्ट में बिहार की रहने वाली भगवनिया देवी ने बताया, “भगदड़ में फंसने के बाद हम बेसुध हो गए. थोड़ा होश आया तो सिपाही को बोलते सुना कि ये मर गई है, इसको गंगा में बहा दो. इतने में एक औरत ने सिपाही को डांटा कि तुम्हारे घर में माँ, बहन नहीं है क्या. उस औरत ने मेरे मुंह पर पानी डाला तब हम होश में आए.”

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में 35 से 40 लोगों के मरने की बात की गई. लेकिन ये भी लिखा है कि प्रशासन ने 30 मौतों की ही पुष्टि की है.

मौनी आमावस्या को मची भगदड़ पर यूपी विधानसभा में योगी आदित्यनाथ ने 19 फ़रवरी को भाषण दिया. उन्होंने मरने वालों की दो संख्या बताई. उनके मुताबिक, संगम तट पर 30 और दूसरे जगहों पर 7 श्रद्धालुओं की मौत हुई. उन्होंने कहा कि संगम वाली जगह पर कुल 66 श्रद्धालु चपेट में आए जिनमें 30 की मृत्यु हो गई और 36 श्रद्धालु स्थानीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती किये गए. इसके थोड़ी देर बाद योगी आदित्यनाथ कहते हैं, “प्रयागराज के अलग-अलग जगहों पर और भी कुछ स्थानों पर प्रेशर पॉइंट बने थे. कुछ लोग घायल हो रहे थे जिसमें से लगभग 30 से 35 लोग अन्य स्थानों से भी घायल हुए थे. उन्हें भी हॉस्पिटल पहुंचाया गया. उनमें भी 7 लोगों की मौतें हुईं. हॉस्पिटल ले जाते समय या हॉस्पिटल में.”

कुल मिलाकर, मौनी आमावस्या के दिन योगी सरकार के मुताबिक, 37 मौतें हुईं. लेकिन हादसे के कई घंटों बाद भी इसे अफवाह बताकर भ्रम फैलाने एक सफल प्रयास किया गया.

ये दोनों घटनाएं बहुत तकलीफदेह है. लेकिन सरकार ने बहुत अच्छे से मीडिया मैनेजमेंट किया क्यूंकि नेरेटिव उनके पक्ष में नहीं था. और मीडिया ने भी पूरी तरह से सरकार का साथ दिया. जबकि मीडिया का काम सरकार के प्रवक्ता का नहीं बल्कि नेरेटिव पर सवाल उठाना और जनता के सामने सच रखकर सरकार की जवाबदेही तय करने का है. ये सब तो दूर की बात है मेनस्ट्रीम मीडिया घटनास्थल पर ग्राउन्ड रिपोर्ट करने भी नहीं पहुंची. जबकि प्रयागराज में कुम्भ को कवर करने लगभग हर मीडिया पहुंची हुई है. एक तरफ हर दिन डुबकी लगाने वालों के आँकड़ें मीडिया तक पहुँच जाते हैं. लेकिन मरने वालों की संख्या मीडिया ने एक घटना के लगभग 17 घंटे बाद बताई. वो भी सिर्फ सरकारी आँकड़े. कई चैनल्स भगदड़ शब्द के इस्तेमाल से घंटों बचते रहे जबतक पीएम मोदी ने खुद ट्वीट नहीं कर दिया. ये दोनों घटनाएं किसी दूर-दराज के इलाके की नहीं थीं. इनमें से एक घटना देश की राजधानी के मुख्य रेलवे स्टेशन पर हुई तो दूसरी उस जगह पर जिसे पिछले 1 महीने से ज़्यादा समय से मीडिया में प्रमुखता से जगह मिल रही है.

 

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