सावन के महीने में जिस कांवड़ यात्रा को श्रद्धा, संयम और तप का प्रतीक माना जाता है, आज उसी के नाम पर हमले हो रहे हैं, गाड़ियां तोड़ी जा रही हैं, लोगों को पीटा जा रहा है. कांवड़ यात्रा जिसमें श्रद्धालु गंगा नदी का जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. इसे एक धार्मिक यात्रा माना जाता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से इस धार्मिक यात्रा से जुड़े ऐसे मामले सामने आए हैं जिसने कई सवाल खड़े किये हैं. समूहों में यात्रा करने वाले “कांवड़िये” अक्सर छोटी-छोटी बातों पर हंगामा खड़ा करते या लोगों की पिटाई करते दिख जाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में कवाड़ियों का एक आक्रामक रूप दिखाई दे रहा है जिसे लेकर इस यात्रा की गरिमा पर कई सवाल खड़े हुए हैं.

मिर्ज़ापुर, गाज़ियाबाद, दिल्ली, ऋषिकेश, हरिद्वार, मुज़फ़्फरनगर समेत देश के अलग अलग क्षेत्रों से कई ऐसे वीडियोज़ सामने आ रहे हैं जिनमें “कांवड़ियों” द्वारा आम लोगों से मारपीट, सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ और अराजकता के दृश्य दिखते हैं. कहीं मामूली सी टक्कर पर हाईवे रोड जाम कर बाइक, कार, बसों को लाठी डंडों से पीटकर नुकसान पहुंचा रहे हैं तो कहीं सुरक्षा बलों पर ही हाथ उठा दिया जा रहा है या पुलिस वाहनों पर हमला करते नज़र आ रहे हैं. हिंसा की ऐसी कई घटनाएं पुलिस की मौजूदगी में हुई जहां प्रशासन और सुरक्षाबल की व्यवस्था भी एक पल के लिए नाकाम दिख रही है.

सावन पक्ष लगने के कुछ दिन पहले हरिद्वार के मंगलौर क्षेत्र से कांवड़ियों द्वारा की गई सांप्रदायिक हिंसा की एक विचलित करने वाली घटना सामने आयी जहां महिलाओं और बच्चों सहित एक मुस्लिम परिवार को ले जा रही कार, तीर्थयात्रा के दौरान सड़क पर चल रहे कांवड़ियों से गलती से टकरा गई. खबरों के अनुसार, एक मामूली यातायात विवाद के रूप में शुरू हुई ये घटना तब हिंसक हमले में बदल गई जब हमलावरों को पता चला कि कार एक मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति चला रहा है, इतना ही नहीं कुछ कांवड़ियों ने गाड़ी में सवार मुस्लिम महिला के साथ बदतमीजी की और एक व्यक्ति की बुरी तरह पिटाई की.

उत्तर प्रदेश में हिंसा के ताज़ा उदाहरण

मिर्ज़ापुर: CRPF जवान पर हुआ हमला

18 जुलाई 2025 को मिर्ज़ापुर रेलवे स्टेशन पर एक CRPF (Central Reserve Police Force) जवान गौतम को कुछ कांवड़ियों ने बुरी तरह से ज़मीन पर गिराकर लात-घूंसों से बेरहमी से मार-पीट की. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. दरअसल, मिर्ज़ापुर रेलवे स्टेशन पर CRPF जवान गौतम अपने पुत्र और एक साथी के साथ मिर्ज़ापुर से मणिपुर जाने के लिए ब्रह्मपुत्र ट्रेन का इंतज़ार कर रहे थे. इसी दौरान प्लेटफॉर्म पर आए कुछ कांवड़ियों से उनकी कहासुनी हो गई. इसके बाद कांवड़ियों ने जवान गौतम को दौड़ाकर और ज़मीन पर गिराकर काफी पीटा, आक्रोशित कांवड़ियों ने जवान की वर्दी तक का लिहाज नहीं किया और मारपीट के दौरान लोग तमाशा देखते रहे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए नहीं आया. वीडियो में जवान गौतम का पुत्र अपने पिता को संभालते हुए नज़र आता है.

हालांकि, मामला तुल पकड़ने के बाद आरपीएफ पोस्ट मिर्ज़ापुर में मुकदमा दर्ज कर सात कांवड़ियों को गिरफ्तार कर लिया गया और अन्य की तलाश की. पकड़े गए आरोपी में चार नाबालिग हैं.

कानपुर: कांवड़ियों ने पुलिस स्टेशन पर किया हमला

14 जुलाई की सुबह 2 बजे कानपुर के औरैया से तीन दर्जन से ज़्यादा बाइकों पर सवार कांवड़ियों का एक जत्था बिठूर से गंगाजल लेकर शिवराजपुर खेरेश्वर जा रहा था. जत्था शिवराजपुर थाने के पास से गुजर रहा था तभी इनमें से एक युवक फिसलकर ज़मीन पर गिर पड़ा. उसे पास में खड़े स्काउट गाइड विश्वजीत और होमगार्ड उमाशंकर उठाकर मदद कर रहे थे लेकिन अचानक कुछ युवकों ने लाठी मारने का आरोप लगाकर हंगामा शुरू कर दिया और स्काउट गाइड व होमगार्ड से भिड़ गए. कुछ युवकों ने होमगार्ड को पीटा व वर्दी फाड़ दी. शिवराजपुर थाने में जमकर बवाल किया, युवकों के उपद्रव के आगे शिवराजपुर पुलिस बेबस दिखी.

रिपोर्ट के अनुसार, “कांवड़ियों ने महिला सहायता डेस्क के शीशे तोड़ दिए. पुलिस प्रतिक्रिया वाहन की खिड़कियां तोड़ दीं और थाना परिसर में खड़े अन्य वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया”. पूरा घटनाक्रम पुलिस स्टेशन और आस-पास की सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हो गया. फुटेज के आधार पर पुलिस ने हिंसा में शामिल 20 संदिग्धों की पहचान की और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

बस्ती: पुलिस की गाड़ी पर डंडे बरसाए

21 जुलाई को यूपी के बस्ती ज़िले में कप्तानगंज चौराहे पर कांवड़ियों ने गैर संप्रदाय के युवक पर मंदिर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का कथित आरोप लगाते हुए न केवल नेशनल हाईवे जाम किया बल्कि पुलिस की गाड़ी पर डंडा बरसाते नजर आए.

इसके अलावा कांवड़ियों द्वारा पुलिस बेरिकेड्स तोड़ दिए गए और होर्डिंग को उखाड़-उखाड़ कर उनमें आग लगा दी. हालांकि, उस दौरान पुलिस फोर्स भी मौजूद थी, लेकिन  वो भी कांवड़ियों के बवाल के सामने घुटने टेकते नज़र आई.

उस बवाल के दौरान एक ऐसा भी समय था जब रास्ते से गुजर रही एंबुलेंस को निशाना बनाते हुए कांवड़िए एंबुलेंस के अंदर घुसते नज़र आए. बवाल की सूचना पर पहुंचे एसपी ने खुद मोर्चा संभाला और कांवड़ियों से शांत रहने की अपील की तो किसी ने भीड़ में से एसपी की तरफ भी पत्थर फेंका जो सीधे उनके साथ खड़े पुलिसकर्मी के चेहरे पर लगा. पुलिसकर्मी खून से लथपथ हो गया. इसके बाद भी एसपी कांवड़ियों के मान मनौव्वल में जुटे नज़र आए और साथी पुलिसकर्मी हाथ जोड़कर कांवड़ियों से निवेदन करते दिखे.

 

मेरठ: स्कूली बस के शीशे तोड़ दिए

14 जुलाई को मेरठ के थाना सदर बाज़ार क्षेत्र में कुछ कांवड़ियों ने एक स्कूल बस में तोड़फोड़ कर उसके शीशे तोड़ दिए. दरअसल, आरोप लगाया गया कि कथित तौर पर बस की टक्कर लगने से 4-5 कांवड़िये चोटिल हो गए और उनके कांवड़ खंडित हो गए. इसके बाद कुछ कांवड़ियों ने बस ड्राइवर से कहासुनी करने के साथ साथ गाली-गलौच की और जान से मारने की धमकी दी और बस में जमकर तोड़फोड़ की.

कासगंज: कांवड़ के टूटने से गुस्साए कांवड़ियों ने की तोड़फोड़

ऐसे ही उत्तर प्रदेश के कासगंज से कांवड़ियों के हंगामा की एक खबर सामने आयी. 24 जुलाई को कासगंज ज़िले में मथुरा-बरेली हाईवे मार्ग पर नदरई गांव के पास सुबह रोडवेज बस के साइड से सड़क किनारे पर रखी कांवड़ कथित खंडित होने पर गुस्साए कांवड़ियों ने जमकर हंगामा कर रोडवेज बस में तोड़फोड़ कर दी जिसकी सूचना के बाद पुलिस ने कांवड़ियों को समझाकर शांत कराया. पुलिस ने सरकारी गाड़ी से कांवड़ियों को लहरा गंगा घाट ले गई और दोबारा गंगाजल भरवाकर लेकर आये.

बरेली: पुलिस की मौजूदगी में तोड़फोड़

बरेली से भी कुछ वीडियोज़ सामने आए जहां कथित रूप से एक कार के साइड से किसी कांवड़िये को लगने पर पुलिस की मौजूदगी में ही कांवड़ियों के जत्थे ने कार पर हमला कर उसमें तोड़ फोड़ की.

गाज़ियाबाद: ड्राइवर को पीट–पीटकर अधमरा किया

गाजियाबाद ज़िला भी इससे अछूता नहीं रहा. गाज़ियाबाद के मोदीनगर में भी कथित रूप से एक गाड़ी ने एक कांवड़िये को टक्कर मार दी. इसके बाद गुस्साए कांवड़ियों ने भी गाड़ी तोड़ दी और ड्राइवर को पीट–पीटकर अधमरा कर दिया.

मुज़फ़्फरनगर: बाइकसवार को लाठी-डंडों से पीटा, खाने को लेकर हंगामा 

8 जुलाई को यूपी के मुजफ़्फरनगर में कांवड़ खंडित होने का आरोप लगाकर कांवड़ियों ने स्थानीय बाइक सवार युवक को डंडों से पीटना शुरू कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार, युवक सड़क पार करते हुए बाइक समेत कांवड़ियों के समूह की ओर मुड़ा जिससे उसकी बाइक से हल्की सी टक्कर हो गई. ये टक्कर इतनी मामूली थी कि उसे नजरअंदाज किया जा सकता था, मगर कांवड़ियों ने माफ़ी मांग रहे युवक व बाइक को घेर लिया और लाठी-डंडों से पीटना शुरू कर दिया.

वीडियो में युवक खुद को बचाने की भरपूर कोशिश करता दिख रहा है. लेकिन कांवड़ियों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था और भीड़ लगातार युवक व बाइक पर हमला कर उसे जलाने का प्रयास कर रही थी. पुलिस मौके पर पहुंचकर युवक और उसके बाइक को इस भीड़ से सुरक्षित बाहर निकालकर उन्हें बचाने के लिए संघर्ष करते नज़र आ रही है.

उक्त घटनाओं और वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे एक मामूली टक्कर पर कांवड़ियों द्वारा कानून हाथ में लेते हुए हिंसा की जा रही है. कांवड़िये मौके पर मौजूद पुलिस वालों का लिहाज भी नहीं कर रहे हैं. कई मौकों पर तो पुलिसकर्मी कांवड़ियों के आगे बेबस सी नजर आ रही है.

मुज़फ्फरनगर में ही खाने को लेकर कांवड़ियों ने एक ढाबे पर हंगामा खड़ा कर ढाबे की कुर्सी-फर्नीचर सब तोड़ डाले. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. दरअसल, 7 जुलाई की रात को हरियाणा के पुरकाजी थाना क्षेत्र में NH-58 के श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ ढाबे पर कांवडिये खाना खाने पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने कथित रूप से प्याज वाला खाना देने का आरोप लगाते हुए ढाबे के मालिक समेत कर्मचारियों से बहस की और ढाबे के कुर्सी-फर्नीचर, फ्रिज समेत सारा सामान तोड़ दिया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, होटल संचालक और कारीगर ने समझाया कि आलू प्याज की सब्जी कांवड़िए को नहीं खिलाई गई है. इसके बावजूद कांवड़ यात्री मानने को तैयार नहीं थे और हंगामा करने लगे. इस मामले की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और मामला शांत कराने का प्रयास किया. कांवड़ियों को समझाकर गंतव्य की तरफ भेजा गया. ढाबा संचालक ने दावा किया कि पुलिस भी हमारे साथ ही खड़ी थी, लेकिन कोई सहायता नहीं की. उल्टा उनसे बोले कि ‘भोले हैं भक्ति के नाम पर निकले हुए हैं तो यही विनती है कि थोड़ा समझें थोड़ा सोचें अब क्या कार्रवाई करें गलती है सबसे हो जाती है.’

उत्तराखंड में हुई हिंसा के कुछ उदाहरण

उत्तराखंड से ऐसे वीडियोज़ सामने आए जहां पुलिस कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए कांवड़ियों से जद्दोंजहद करती नज़र आ रही है.

रुड़की: कार चालक के साथ मारपीट

उत्तराखंड के हरिद्वार-रुड़की राजमार्ग पर बेलडा गांव के पास कांवड़ियों ने एक कार चालक पर आरोप लगाया कि उसने कांवड़ को टक्कर मारकर खंडित कर दिया. कांवड़ियों ने कार चालक के साथ जमकर मारपीट की और कार को तोड़कर तहस नहस कर दिया.

रुड़की में ही कांवड़ियों ने ई रिक्शा का साइड लगने से कथित कांवड़ खंडित होने का आरोप लगाते हुए आक्रोशित कांवड़ियों ने पुलिसकर्मियों के सामने में ही ई रिक्शा को पूरी तरह से तोड़ दिया.

हरिद्वार: कार चालक और दुकानदार के साथ बवाल

हरिद्वार के बहादराबाद में कार की टक्कर से कांवड़ खंडित होने पर कांवड़ियों ने कार को लाठी-डंडे और पत्थरों से क्षतिग्रस्त कर दिया. हरिद्वार पुलिस ने अभियोग पंजीकृत करते हुए 03 उपद्रवियों को हिरासत में लिया.

हरिद्वार में हर की पौड़ी के पास कुछ कांवड़ियों ने एक चश्मे की दुकान पर तोड़ फोड़ की. दरअसल, कांवड़ियों का दुकानदार से किसी बात पर विवाद हुआ था जिसे लेकर दो कांवड़िये भड़क उठे और चश्मे की दुकान तोड़ डाली. बाद में कोतवाली थाना पुलिस ने इन दोनों कांवड़िये को गिरफ्तार किया.

हरिद्वार में ही एक और मामले में कांवड़ियों ने गंगाजल सड़क पर रखकर जाम लगाया और हंगामा किया. दरअसल, पुलिस कांवड़ियों को हरिद्वार से गंगनहर पटरी के रास्ते UP, दिल्ली, हरियाणा भेजना चाहती थी, लेकिन कांवड़ियें दिल्ली देहरादून हाईवे से जाने पर अड़े थे. बाद में पुलिस ने बल पूर्वक भीड़ हटाने के लिए लाठीचार्ज किया.

हरिद्वार के बहादराबाद टोल प्लाज़ा पर कांवड़ खंडित होने पर कांवड़ियों ने रोडवेज बस व पुलिस वाहन पर पथराव कर सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया.

बाद में उत्तराखंड पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर यातायात बहाल किया और FIR दर्ज करते हुए वाहन सीज़ कर 2 लोगों को गिरफ़्तार किया.

हरिद्वार में कांवड़ यात्री सड़क पर डीजे चला रहे थे जिससे सड़के जाम हो रही थी. जब पुलिसकर्मियों ने कांवड़ियों को रोकने और रास्ते से हटाने का प्रयास किया तो कांवड़ियों ने पुलिस वालों पर ही हमला कर दिया.

एक तरफ वर्दीधारी पुलिस अधिकारी कांवडिय़ों के लिए खीर, पूड़ी, सब्जी, चावल बनाने से लेकर उनके पैर दबाते दिख रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांवडिय़ों की एक पूरी तरह बेकाबू भीड़ सार्वजनिक संपत्ति और पुलिस की गाड़ियां तोड़ रही है.

ऐसे में इन घटनाओं ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आस्था या भक्ति के नाम पर कानून व्यवस्था तोड़ने की छूट दी जा सकती है? एक सवाल ये भी है कि आखिर पुलिस की मौजूदगी होने के बावजूद ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं? क्या श्रद्धालु और उपद्रवी के बीच का अन्तर अब धुंधला हो चुका है? क्यूं साल दर साल ये हिंसा बढ़ती जा रही है?

कांवड़ियों को गुस्सा क्यूं आता है?

इस बात को बेहतर समझने के लिए पहले जानते हैं कि कांवड़ क्या होता है. कांवड़ बांस या फिर लकड़ी का डंडा है जिसे श्रद्धालु कपड़ों, धागों और फूलों से सजाते हैं. इसके दोनों सिरों पर गंगाजल से भरे कलश होते हैं जिन्हें लेकर कांवड़िये कई किलोमीटर पैदल चलते हैं और फिर शिवलिंग पर चढ़ाकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं. कावड़ को इतना पवित्र माना जाता है कि अगर ये ज़मीन पर छू जाए तो वह खंडित मानी जाती है और पूरी यात्रा व्यर्थ हो जाती है. यही एक कारण है कि जब अनजाने में कांवड़ से कुछ भी सट जाए तो श्रद्धालु गुस्से में अपना आपा खो देते हैं.
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