बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र सभी पार्टियां प्रचार में अपना जोड़ आजमाइश कर रही हैं. इसी चुनाव अवधि के दौरान यूट्यूब पर 22 सितंबर को टी-सीरीज़ ने ‘मोदी है तो मुमकिन है’ प्रचार गीत जारी किया. इस गीत के वीडियो में राजकुमार राव, वरुण धवन, अरशद वारसी और विक्रांत मैसी जैसे बॉलीवुड कलाकार मौजूद दिखे. लोगों ने इसको लेकर कहा कि ये बिहार चुनाव से पहले संभवतः मोदी की छवि को मजबूत करने के लिए जारी किया गया है. इस गीत में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की प्रशंसा की जा रही है. वीडियो ने इंटरनेट पर एक प्रतिक्रिया को जन्म दिया जिसमें कई सोशल मीडिया यूज़र्स समेत विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने कहा कि इसे बड़ी संख्या में लोगों द्वारा नापसंद किया जा रहा है. इसके समर्थन में यूज़र्स ने स्क्रीनशॉटस् भी शेयर किये जिसमें वीडियो पर लाइक्स और डिसलाइक्स में अप्रत्याशित रूप से अंतर था, लाइक्स से कई गुना ज़्यादा डिसलाइक्स दिख रहे थे.

कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने 16 अक्टूबर को एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, ‘मोदी है तो मुमकिन है’ गाने ने बड़ी फजीहत करवा दी, इसपर 16 लाख व्यूज़ हैं, लाइक्स की संख्या 13 हज़ार है, वहीं डिसलाइक्स की संख्या 1 लाख है.”

कई यूज़र्स ने सोशल मीडिया पर ‘मोदी है तो मुमकिन है’ गाने पर डिसलाइक्स काउन्ट वाले स्क्रीनशॉट्स शेयर किये.

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इस दावे के बाद भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस ने ये दावा करने के लिए नकली स्क्रीनशॉट का सहारा लिया है कि टी-सीरीज़ द्वारा जारी लोकप्रिय गीत ‘मोदी है तो मुमकिन’ पर 1 लाख से ज्यादा डिसलाइक्स हैं. उन्होंने इस मामले में ये ‘तथ्य’ पेश किया कि यूट्यूब ने 2021 में ही डिसलाइक्स की संख्या दिखानी बंद कर दी.

क्या यूट्यूब ने डिसलाइक काउंट दिखाना बंद कर दिया?

यूट्यूब ने 2021 की शुरुआत में, वीडियो पर डिस्लाइक्स की संख्या के साथ एक प्रयोग किया था ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या ये बदलाव क्रिएटर्स को उत्पीड़न से बचा सकते हैं और टारगेटेड डिसलाइक्स को कम कर सकते हैं जहां लोग क्रिएटर के वीडियो पर डिसलाइक्स की संख्या बढ़ाने के लिए काम करते हैं.

यूट्यूब ने इस प्रयोग में पाया कि जब डिसलाइक्स की संख्या दिखाई नहीं देती थी, तो यूजर्स द्वारा डिसलाइक करने वाले आक्रामक व्यवहार में शामिल होने की संभावना कम होती थी. विशेष रूप से छोटे क्रियेटर्स को टारगेट करने पर टारगेटेड डिसलाइक्स का सामना करना पड़ता था. प्रयोग में शामिल लोग अभी भी सार्वजनिक डिसलाइक बटन देख और इस्तेमाल कर सकते थे. लेकिन क्यूंकि उन्हें डिसलाइक्स की संख्या दिखाई नहीं दे रही थी, इसलिए वो वीडियो को निशाना बनाकर डिसलाइक्स की संख्या बढ़ाने की संभावना कम रखते थे.

इसलिए, यूट्यूब ने कई प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए और एक ऐसे समावेशी और सम्मानजनक माहौल बनाने के लिए नवंबर 2021 से आधिकारिक रूप से व्यूअर्स से डिसलाइक्स के काउंट को छिपाने का फैसला किया जहाँ क्रिएटर्स को सफल होने और खुद को अभिव्यक्त करने में सुरक्षित महसूस करने का मौका मिले.

हालांकि, यदि क्रियेटर्स ये देखना चाहते हैं कि उनका वीडियो कैसा प्रदर्शन कर रहा है, तो वो अपने यूट्यूब स्टूडियो में डिसलाइक्स की सटीक संख्या देख सकते हैं, और दर्शक अभी भी वीडियो को डिसलाइक कर सकते हैं ताकि वो अपनी रेकॉमेंडेशन को और अधिक प्राइवेट और बेहतर बना सकें. एकमात्र बदलाव ये है कि वो वीडियो पर डिसलाइक्स की संख्या नहीं दिखता है. इसके साथ ही यूट्यूब ने YouTube API का इस्तेमाल कर रहे डेवलपर्स से भी 13 दिसंबर 2021 से सार्वजनिक डिसलाइक्स का डाटा एक्सेस खतम कर दिया.

कई यूज़र्स द्वारा डिसलाइक्स के काउंट का स्क्रीनशॉट नकली है?

जिन यूज़र्स ने डिसलाइक्स के काउंट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, दरअसल वो Return YouTube Dislike (RYD) नाम के ब्राउज़र एक्सटेंशन का प्रयोग कर रहे हैं, या इस API का इस्तेमाल करने वाले थर्ड पार्टी अप्लीकेशन या इस API की मदद से डिसलाइक्स का डाटा दिखाने वाली वेबसाइट्स का प्रयोग कर रहे हैं. उदाहरण के लिए आगे दिए गए वीडियो को देखें जहां एक ब्राउज़र एक्सटेंशन की मदद से किसी यूट्यूब वीडियो पर डिसलाइक्स की संख्या दिखाई देती है. इस वीडियो में ब्राउज़र एक्सटेंशन का इस्तेमाल करने के पहले और बाद के अंतर को देखा जा सकता है.

Return YouTube Dislike (RYD) कैसे बताता है डिसलाइक काउंट?
इस टूल के माध्यम से दिखाई गई डिसलाइक संख्या उसका रियल टाइम काउंट नहीं होता, बल्कि एक फॉर्मूला के इस्तेमाल से निकला अनुमानित डाटा होता है. जितने भी यूज़र्स Return YouTube Dislike (RYD) का एक्सटेंशन या थर्ड पार्टी अप्लीकेशन इस्तेमाल कर रहे होते हैं. ये उन यूज़र्स का लाइक्स और डिसलाइक्स के डाटा की गिनती करता है, इसके बाद जो समूचे यूज़र्स के लाइक की गिनती होती है, उसके आधार पर एक अनुमानित डाटा (dislikes) निकाला जाता है कि उस वीडियो पर कितने डिसलाइक्स हैं.

कैसे निकलता है ये अनुमानित डाटा?
डिसलाइक के अनुमानित डाटा को निकालने के लिए तीन तरह का सटीक डाटा के आधार पर फॉर्मूला को इस्तेमाल किया जाता है.

तीन तरह का सटीक डाटा कुछ इस प्रकार है:
1. RYD एक्सटेंशन का इस्तेमाल कर रहे यूजर्स द्वारा वीडियो पर किया गया लाइक
2. RYD एक्सटेंशन का इस्तेमाल कर रहे यूजर्स द्वारा वीडियो पर किया गया डिसलाइक
3. इस वीडियो पर समूचे यूजर्स (RYD एक्सटेंशन का इस्तेमाल करने वाले + आम यूज़र्स) द्वारा किया गया लाइक

इसी तीनों डाटा के आधार पर फॉर्मूला का इस्तेमाल कर चौथा डाटा यानी अनुमानित डिसलाइक काउंट दिखाया जाता है. Return YouTube Dislike (RYD) ने gitHub पर अपने FAQs में अनुमानित डिसलाइक के काउंट को निकालने का फॉर्मूला दिया है जो कुछ इस प्रकार है.

‘मोदी है तो मुमकिन है’ वाले वीडियो के डाटा को Return YouTube Dislike (RYD) के API लिंक पर क्लिक कर देखा जा सकता है. जिसमें से rawLikes की संख्या 1378 है और rawDislikes का संख्या 28706 है, ये वो संख्या है जो Return YouTube Dislike (RYD) का एक्सटेंशन का इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स द्वारा किया गया है, वहीं वीडियो पर समूचे likes की संख्या 51,001 है जो उस वीडियो पर सभी यूज़र्स द्वारा किया गया है. इस वीडियो पर dislikes की संख्या 4,37,286 है जो फार्मूला का इस्तेमाल कर निकाला गया अनुमानित डाटा है जो Return YouTube Dislike (RYD) का API यूज़ करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स (एंड्रॉयड, iOS, वेब ब्राउज़र एक्स्टेन्शन) पर और डिसलाइक काउंटर ऑनलाइन टूल्स द्वारा दिखाया जाता है. हालांकि ये डेटा अपडेट होने में कुछ मिनट या कुछ घंटे लग सकते हैं.

अमित मालवीय द्वारा किया गया दावा कि लोग ‘मोदी है तो मुमकिन है’ वाले वीडियो का फ़र्ज़ी स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं जिसमें डिसलाइक्स की संख्या दिखाई देती है, ये पूरा सच नहीं है. हालांकि, वीडियो पर दिखने वाला डेटा भी सटीक नहीं, बल्कि अनुमानित है. इसलिए, इसमें छेड़छाड़ की भी संभावना बनी रहती है जिससे इसका बड़े स्केल पर दुरुपयोग भी किया जा सकता है.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).