10 नवंबर को नई दिल्ली में हुए आतंकवादी हमले में कम से कम 13 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. इसके मद्देनज़र, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्हें ये कहते हुए देखा जा सकता है, “भारत में ISI कार्यों के लिए मुसलमानों की तुलना में ज़्यादा हिंदुओं को भर्ती किया गया है.” हमले के बाद अल्पसंख्यकों को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए 35 सेकंड की क्लिप को कई लोगों के बीच खूब शेयर किया गया.
Since 1947, Pakistan’s ISI has recruited more Hindus than Muslims for intelligence tasks in India.
—NSA Ajit Doval
Terrorism has no religion. I strongly disagree with him. They are not Hindus, they are Sanghis. pic.twitter.com/jomTrkM9gO
— Mohit Chauhan (@mohitlaws) November 17, 2025
X पर कई लोगों ने वीडियो शेयर किया.
NSA डोभाल ने वायरल वीडियो को बताया फ़र्ज़ी
वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद, NSA डोभाल ने दावा किया कि ये एक “डीपफ़ेक” था. 17 नवंबर को न्यूज़ चैनल CNN-न्यूज़18 को दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी ऐसी बात नहीं कही और यह वीडियो शायद जनता की राय में हेरफेर करने के लिए बनाया गया था. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे मीडिया टूल का इस्तेमाल अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को विकृत करने के लिए किया जाता है, और शेयर की जा रही क्लिप भारत के आतंकवाद-विरोधी कथानक को लक्षित करने की एक कोशिश है.
#BreakingNews | CNN News18 #Exclusive by @manojkumargupta | “Never claimed more Hindus attracked to #ISIS than Muslims’: NSA Ajit Doval calls out Deepfake danger @GeneralKKSinha shares his views@siddhantvm @GrihaAtul pic.twitter.com/0Y0oqO4dOI
— News18 (@CNNnews18) November 17, 2025
इसके बाद मनीकंट्रोल ने भी CNN-न्यूज़18 को दिए डोभाल के बयान को दोहराते हुए एक रिपोर्ट पब्लिश की. (आर्काइव)
फ़ैक्ट-चेक: डोभाल ने ऐसा सच में कहा था
ये वेरिफ़ाई करने के लिए कि वायरल वीडियो डीपफ़ेक था या नहीं, हमने कुछ कीफ्रेम लेकर इसका रिवर्स इमेज सर्च किया. हमने पाया कि कथित क्लिप 20 मार्च 2014 को ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट द्वारा अपलोड किए गए 1 घंटे 17 मिनट के यूट्यूब वीडियो से लिया गया था.
वीडियो के 1 घंटे 4 मिनट पर डोभाल कहते हैं, “मैं आपको एक छोटी सी बात बता दूं, अब जब मैं एक व्यक्ति के रूप में बेनकाब हो गया हूं (ये कह रहा हूं)… ISI ने भारत में खुफिया कार्यों के लिए जितने लोगों को भर्ती किया है, उनमें मुसलमानों की तुलना में हिंदू ज़्यादा हैं. 1947 से सभी मामले… 4 हज़ार से ज़्यादा मामले, शायद 20% भी मुस्लिम नहीं होंगे. इसलिए ये एक बहुत ही गलत अवधारणा है. हम मुसलमानों को साथ लेकर चलेंगे. और हम इसे एक महान देश बनाएंगे.”
ये बयान डोभाल ने 11 मार्च 2014 को ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित वैश्विक चुनौतियां श्रृंखला के हिस्से के रूप में दिया था. ये संभावना नहीं है कि बयान का 2014 का वीडियो डीपफ़ेक या AI-जनरेटेड था, क्योंकि तब उस तकनीक का व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया था.
पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि डोभाल ने ये बयान तब दिया जब उनसे देश के सामने आने वाले आतंकी खतरों पर भारत की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया. उनका कहना है कि उलेमाओं से बात करना, उन्हें मनाना और एक संयुक्त रणनीति बनाना, उन्हें भागीदार बनाना और उन पर कार्रवाई के लिए दबाव डालना ही आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है. उन्होंने कहा, “इस्लामिक आतंकवाद से मरने वालों में 90% मुसलमान और 10% गैर-मुस्लिम हैं, और वे इसके बारे में जानते हैं.” वो आगे कहते हैं कि शीर्ष भारतीय इस्लामिक नेता इंडियन मुजाहिदीन की लक्षित सूची में थे, जिसके बाद सुरक्षा प्रदान की गई थी.
ऐसा कहने से पहले, डोभाल ने ये भी कहा कि आतंकवाद को सांप्रदायिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि जब आतंक से लड़ने की बात आती है, तो ये “मुस्लिम आबादी” बनाम “हिंदू आबादी” का मुद्दा नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या है. उन्होंने 2012 के रामलीला मैदान की सभा का हवाला (जहां 50 हज़ार मौलानाओं ने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया था) देते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारतीय मुसलमानों ने लगातार आतंकवाद का विरोध किया है. उनके मुताबिक, किसी भी हिंदू संगठन ने सार्वजनिक तौर पर ऐसा रुख नहीं अपनाया. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि छोटी, हिंसक सीमा को अक्सर इस्लाम की आवाज़ समझ लिया जाता है, भले ही ज़्यादातर भारतीय मुसलमान हिंसा को अस्वीकार करते हैं. ऐतिहासिक रूप से भी भारतीय मुसलमानों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया, उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को सांप्रदायिक पहचान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
कुल मिलाकर, NSA अजीत डोभाल ने 2014 में वैश्विक आतंकवाद पर एक बयान में कहा था कि ISI ने भारत में खुफिया कार्यों के लिए मुसलमानों की तुलना में ज़्यादा हिंदुओं को भर्ती किया है. वायरल वीडियो उनके लंबे बयान से क्लिप किया गया है, जिसमें वो साफ तौर पर सांप्रदायिक और राष्ट्रीय पहचान को नहीं जोड़ने का आग्रह करते हैं और आतंकवाद को मुस्लिम बनाम हिंदू मुद्दे के रूप में संदर्भित करने से बचते हैं. उन्होंने कहा, उनका ये बयान ग़लत है कि वायरल फ़ुटेज डीपफ़ेक या AI-जनरेटेड था. ये बयान सच में उन्होंने ही दिया था.
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