नेपाल में हालिया अशांति के बीच सोशल मीडिया पर कई अनवेरिफ़ाईड तस्वीरें और वीडियोज वायरल हुए. इनमें से एक वीडियो ऐसा है जिसमें काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के द्वार पर कई लोग चढ़ रहे हैं. NDTV ने इस फ़ुटेज को दिखाते हुए कहा, “भीड़ मंदिर तक पहुंच गई है. अगर युवा प्रदर्शनकारी मंदिर में तोड़फोड़ कर रहे हैं, तो ये उपद्रव है…”

सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी वायरल वीडियो को इसी दावे के साथ शेयर किया. राईटविंग X इन्फ्लुएंसर जितेंद्र प्रताप सिंह (@jpsin1) ने लिखा, “सरकार के खिलाफ विरोध समझ आता है, लेकिन मंदिर के दरवाज़े तोड़ने की कोशिश? असली गुस्सा कहाँ है? और चोट मंदिर पर क्यों?” (आर्काइव)

पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि ये यूज़र नियमित तौर पर दुष्प्रचार और सांप्रदायिक प्रॉपगेंडा शेयर करता है और इसकी DP पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है.

कई यूज़र्स ने वायरल वीडियो को इसी दावे के साथ शेयर किया. इनमें राहुल झा भी शामिल थे जो खुद को “राष्ट्रीय सह-प्रभारी आईटी/सोशल मीडिया बीजेपी किसान मोर्चा” बताते हैं.

This slideshow requires JavaScript.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल वीडियो के कीफ्रेम की रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें @hamrojatra.com यूज़र द्वारा 14 जुलाई को अपलोड किया गया एक टिकटॉक वीडियो मिला. कैप्शन में लिखा है, “पशुपतिनाथ मंदिर में इस जुलूस के बारे में कौन जानता है? कौन सा जुलूस और कब आयोजित होता है? ये गेट पर क्यों चढ़ रहा है?” ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि नेपाल में जेनज़ी विरोध 8 सितंबर को शुरू हुआ था.

नीचे वायरल वीडियो के कीफ़्रेम और उपरोक्त टिकटॉक वीडियो के कीफ़्रेम के बीच तुलना की गई है. मंदिर के गेट पर चढ़ने की कोशिश कर रहे लोगों के कपड़े को करीब से देखने पर पता चलता है कि दोनों क्लिप एक ही घटना की हैं.

इसी इवेंट के क्लिप्स पिछले साल मार्च में अपलोड किए गए थे.

ऑल्ट न्यूज़ ने टिकटॉक पर 2023 का एक ऐसा ही वीडियो भी एक्सेस किया. ये वीडियो नक्सली भगवती यात्रा के दौरान शूट किया गया था.

सोशल मीडिया पोस्ट से ये समझा जा सकता है कि ये नक्सली भगवती यात्रा का हिस्सा है, जो मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में बसलेश्वोरी या पाहा चहरे उत्सव के दौरान आयोजित की जाती है. इस आयोजन के दौरान, देवता शिव का ध्यान आकर्षित करने के लिए नक्सली भगवती की मूर्ति द्वारा पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य द्वार (द्वार) पर प्रतीकात्मक रूप से तीन बार दस्तक देने की परंपरा रही है. ये कृत्य विरोध या आक्रामकता का कृत्य नहीं है, बल्कि देवता पशुपतिनाथ के दौरे पर किया जाने वाला एक औपचारिक संकेत है और ये क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में निहित है.

इसके अलावा, नेपाली भिक्षु डॉ. स्वामी केशवानंद के मुताबिक, हाल के प्रदर्शनों के दौरान पशुपतिनाथ मंदिर में स्थिति शांतिपूर्ण रही है.

कुल मिलाकर, नक्सली भगवती यात्रा के दौरान एक अनुष्ठान दिखाने वाले वीडियो को 8 सितंबर के प्रदर्शन के बाद युवा प्रदर्शनकारियों द्वारा पशुपतिनाथ मंदिर पर हमला करने के रूप में ग़लत तरीके से दिखाया गया है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.