3 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह पहुंचे. मोदी वहां आर्मी, एयर फ़ोर्स और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस से बातचीत करने के लिए पहुंचे थे. निमू बेस में सैनिकों को संबोधित करने के बाद मोदी मिलिट्री हॉस्पिटल पहुंचे जहां गलवान घाटी में चीनी सेना से हुई झड़प के दौरान घायल हुए सैनिकों का इलाज चल रहा था. प्रधानमंत्री मोदी की हॉस्पिटल की विज़िट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर हुईं इन तस्वीरों की वजह से एक नयी बहस भी शुरू हुई. कांग्रेस के कई मेम्बर्स ने ये आरोप लगाया कि महज़ फ़ोटो खिंचवाने के लिए एक कांफ्रेंस हॉल को हॉस्पिटल वॉर्ड की शक्ल दी गयी. कांग्रेस के नेशनल मीडिया पेनलिस्ट अभिषेक दत्त ने ट्वीट करते हुए लिखा, “पर यह हॉस्पिटल लग कहा से रहा हैं – ना कोई ड्रिप , डॉक्टर के जगह फोटोग्राफर ,बेड के साथ कोई दवाई नहीं , पानी की बोतल नहीं ?”

कांग्रेस सदस्य श्रीवत्स और सलमान निज़ामी ने भी ऐसे ही ट्वीट्स किये.

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और भी यूज़र्स, जिनके ऐसे ट्वीट्स को कई सौ लाइक्स और रीट्वीट्स मिले, वो हैं – ईशान सेठी, रोफ़्ल रिपब्लिक, डॉक्टर रोशन और अभिषेक बख्शी.

फ़ैक्ट-चेक

अपनी पूर्वी लद्दाख की 2 दिवसीय विज़िट के दौरान 23 जून को इसी वॉर्ड में सैनिकों से मिलने आर्मी के चीफ़ जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे पहुंचे थे.

आर्मी के चीफ़ जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे के विज़िट का वीडियो नीचे पोस्ट किया गया है.

मोदी और नरवाणे की विज़िट के दौरान आई तस्वीरों को देखते हुए मालूम चलता है कि इन तस्वीरों में एक ही वॉर्ड दिख रहा है. इन बराबरियों को अलग अलग रंग के निशान से दिखाया गया है –

1. नीला तीर – एक जैसे पर्दे
2. लाल बॉक्स – एक ही फ़ोटो फ़्रेम
3. हरा बॉक्स – फ़ोटो फ़्रेम के लेफ्ट में लगा हुआ हुक

एक और फ़्रेम की हुई तस्वीर (जिसमें हेलिकॉप्टर दिख रहे हैं) दोनों मौकों पर दिखाई दे रही है.

मोदी की विज़िट की एक और तस्वीर (ऊपर) और जनरल मुकुंद नरवाणे (नीचे) को गौर से देखा जाए तो निम्न समानताएं दिखाई पड़ती हैं. इन्हें भी निशान के ज़रिये दिखाया गया है –

1. नीला तीर – दरवाज़ा
2. हरा तीर – पाइपिंग
3. लाल तीर – पॉवर बोर्ड
4. पीला तीर – फ़ोटो फ़्रेम

वॉर्ड के दोनों हिस्सों पर दरवाज़े दिखते हैं और दोनों तस्वीरों में बिस्तर भी एक जैसा ही दिख रहा है. मोदी की तस्वीर लेफ़्ट में है और जनरल नरवाणे की तस्वीर दाहिनी ओर है.

प्रोजेक्टर और स्टेज एरिया जो कि मोदी की तस्वीर में दिख रहा है, जून में आये जनरल नरवाणे के इस वीडियो में भी देखा जा सकता है. दोनों के स्क्रीनशॉट्स नीचे दिए गए हैं.

जून में ली गयी तस्वीरों से इस कदर समानता के चलते ये दावा नहीं किया जा सकता है कि ये वॉर्ड नरेंद्र मोदी की विज़िट के लिए खासकर तैयार किया गया था.

4 जुलाई की प्रेस रिलीज़ में भारतीय आर्मी ने साफ़ किया, “जिस जगह के बारे में बात की जा रही है, वो 100 बेड की एक यूनिट है जो कि क्राइसिस के समय बनायी गयी थी और ये जनरल अस्पताल का ही एक हिस्सा है. Covid-19 के चलते जनरल अस्पताल के कुछ वॉर्ड्स को आइसोलेशन वॉर्ड में बदलना पड़ा था. इसलिए जिस हॉल का अमूमन ट्रेनिंग ऑडियो वीडियो हॉल की तरह से इस्तेमाल होता था, उसे एक वॉर्ड में तब्दील कर दिया गया क्यूंकि इस अस्पताल में भी कोरोना के मरीज़ आये हुए थे. चोटिल जवानों को गलवान से आने पर शुरू से ही वहीं पर रखा गया है जिससे वो Covid-19 के प्रभाव से दूर ही रहें. चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ जनरल एम एम नरावणे और आर्मी कमांडर ने भी यहीं पर घायल सैनिकों से मुलाक़ात की थी.”

कई लोगों ने ये दावा किया कि इस तस्वीर में दिख रहे पेशेंट्स ‘असली’ नहीं हैं क्यूंकि वो चोटिल नहीं दिख रहे हैं और एकदम सीधे बैठे हुए हैं. जवाब में मेजर नवदीप ने कहा, “ये सैनिक यहाँ किसी बड़ी चोट के चलते नहीं हैं बल्कि वो यहां स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं और साथ ही उनकी डिब्रीफ़िंग चल रही है जो कि एक स्टैण्डर्ड प्रॉसेस है.”

 

कांग्रेस के कई सदस्य और मोदी का विरोध करने वाले लोगों ने लेह में इस वॉर्ड में स्वास्थ्य लाभ ले रहे चोटिल जवानों के बीच मौजूद नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को शेयर किया. इन तस्वीरों के साथ ये भ्रांति फैलाने वाले दावे किया जा रहे थे कि ये वॉर्ड कैमरों के लिए रचा गया एक नाटक है.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.