19 अगस्त को दिल्ली स्थित सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के प्रोफ़ेसर और चुनाव विश्लेषक संजय कुमार के 2024 के महाराष्ट्र चुनावों पर ग़लत डेटा शेयर करने की माफी मांग ली. इसके तुरंत बाद, भारतीय जनता पार्टी के कई नेता, मीडिया आउटलेट और X यूज़र्स कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मतदाता सूची में अनियमितताओं और ‘वोट चोरी’ के दावों को खारिज करने की होड़ में कूद पड़े.
राहुल गांधी ने चुनावी डेटा में कई अनियमितताओं को उजागर किया है. इसमें उन्होंने एक समझौता किए गए पोल पैनल की ओर इशारा किया और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को इससे खतरे का अंदेशा जताया. इसके बाद भारत के चुनाव आयोग (EC) पर बढ़ते शक के बीच ये घटनाक्रम सामने आया है.
7 अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल गांधी ने बेंगलुरु में कर्नाटक के महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया, और इसे “वोट चोरी” का नाम दिया. इस साल फ़रवरी और जून में राहुल गांधी ने दावा किया था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी “औद्योगिक स्तर पर धांधली” हुई थी. राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं ने भी राज्य में चुनाव होने से ठीक पहले बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के कदम पर सवाल उठाया है, साथ ही ये सुझाव दिया कि जल्दबाज़ी में की गई ऐसी कवायदें इसे खत्म करने के बजाय और ज़्यादा गलतियां ला सकती हैं.
हालांकि, संजय कुमार की ग़लती के बाद, भाजपा और उसके सहयोगियों ने मतदाता हेरफेर के राहुल गांधी के दावों को चुनौती देकर खारिज कर दिया. साथ ही ये तर्क दिया कि राहुल गांधी के दावे ‘ग़लत’ CSDS डेटा पर आधारित थे और इसलिए निराधार थे.
इस आर्टिकल में हम देखेंगे कि संजय कुमार द्वारा अपना पोस्ट डिलीट कर लेने से राहुल गांधी के वोटों में हेराफेरी के आरोप अमान्य नहीं हो जाते हैं. सबसे पहले, ये दावा कि राहुल गांधी ने ‘CSDS डेटा’ का इस्तेमाल किया, सही नहीं है क्योंकि सिर्फ चुनाव आयोग (EC) ही मतदाताओं और निर्वाचकों पर डिटेल डेटा रखता है. असल में संजय कुमार के दावे भी चुनाव निकाय से मिली जानकारी पर आधारित थे.
ग़लती ये थी कि उन्होंने ग़लती से अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों की संख्याओं की तुलना कर ली थी. दूसरा, राहुल गांधी द्वारा किए गए दावे और संजय कुमार द्वारा वापस लिए गए दावे साफ तौर पर अलग हैं. हालांकि, दोनों महाराष्ट्र से संबंधित हैं. लेकिन राहुल गांधी के दावे पूरे राज्य में वोटों में विसंगतियों के बारे में थे जबकि संजय कुमार का ध्यान चार विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्रों पर था.
संजय कुमार ने क्या पोस्ट किया और क्या हटा दिया
महाराष्ट्र की चार विधानसभा सीटों – रामटेक, देवलाली, नासिक पश्चिम और हिंगना – से मतदाता डेटा शेयर करते हुए संजय कुमार ने 17 अगस्त को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाता संख्या में असामान्य अंतर पर प्रकाश डाला था, जिनमें सिर्फ पांच महीने का अंतर था.
संजय कुमार द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक, रामटेक और देवलाली में जून में आम चुनाव और नवंबर में राज्य चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट (35% से ज़्यादा) हुई थी. नासिक पश्चिम और हिंगना में रुझान इसके उलट था. जून में आम चुनावों के मुकाबले नवंबर में राज्य चुनावों में मतदाताओं की संख्या में 40% से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई. लेकिन संजय कुमार ने जल्द ही ये X पोस्ट डिलीट कर दी. 19 अगस्त को उन्होंने पोस्ट किया कि अलगअलग पंक्तियों में डेटा की तुलना करते वक्त गलतियों के कारण उन्होंने ग़लत जानकारी पेश कर दी थी.
राहुल गांधी ने क्या आरोप लगाया
7 अगस्त की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कर्नाटक के बेंगलुरु शहरी में महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया. अपनी प्रजेंटेशन में उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची में कई हेरफेर हुए थे और उन्होंने पोल पैनल पर ‘वोट चोरी’ में मदद करने का आरोप लगाया.
उन्होंने समान और अलग-अलग आईडी नंबरों के साथ मतदाताओं के दोहराव, अधूरे, ग़लत या बने-बनाए पते के साथ रजिस्टर्ड मतदाताओं और कुछ घरों में मतदाताओं की असामान्य रूप से हाई कंसंट्रेशन जैसी अनियमितताओं की ओर इशारा किया. ज़मीनी जांच से इसकी पुष्टि करते हुए, राहुल गांधी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किए गए गैर-मशीन-पठनीय डेटा में से इन विसंगतियों को खोजने में उनकी टीम को कई महीने लग गए.
जून में उन्होंने बताया था कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से ठीक पहले असामान्य रूप से बड़ी संख्या में चुनावी रजिस्ट्रेशन हुए थे. द इंडियन एक्सप्रेस में उनके कॉलम से:
चुनाव आयोग (EC) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी, जो पांच साल बाद मई 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 9.29 करोड़ हो गई. लेकिन महज पांच महीने बाद, नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव तक ये संख्या बढ़कर 9.70 करोड़ हो गई. पांच साल में 31 लाख की छलांग, फिर सिर्फ पांच महीने में 41 लाख की छलांग. ये छलांग इतनी अविश्वसनीय थी कि सरकार के अपने अनुमान के मुताबिक, रजिस्टर्ड मतदाताओं की कुल संख्या 9.70 करोड़, महाराष्ट्र में 9.54 करोड़ वयस्कों से भी ज़्यादा थी.
फ़रवरी में राहुल गांधी ने इसी तरह के दावे किए थे. संसद में बोलते हुए (3 फ़रवरी को) उन्होंने कहा था कि 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान लोकसभा चुनाव की तुलना में 70 लाख ज़्यादा वोट पड़े. यानी, इसी अंतर के अंतर से बीजेपी को जीत मिली. बाद में एक पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस (7 फ़रवरी को) में उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव और 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (39 लाख) के बीच पांच महीनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 और लोकसभा चुनाव 2024 (32 लाख) के बीच पांच सालों की तुलना में ज़्यादा संख्या में मतदाता जुड़े थे.
बीजेपी ने दावों को ग़लत बताया
CSDS के सह-निदेशक द्वारा अपने X पोस्ट को हटाए जाने के बाद, भाजपा नेता ये आरोप लगाने लगे कि राहुल गांधी के दावे CSDS डेटा पर आधारित थे और इसलिए अमान्य थे.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने गांधी को “सीरियल लायर” (झूठा) बताया और कहा कि “सच्चाई जनता के सामने आ गई है.”
#WATCH | Mumbai: Maharashtra CM Devendra Fadnavis says, “This is a fact that data was given by CSDS, and based on that data, Rahul Gandhi had made allegations on the Election Commission, and also he had accused us of our legitimately elected government. Today, CSDS has tweeted on… pic.twitter.com/IHYmHasXK8
— ANI (@ANI) August 19, 2025
X पर, बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने लिखा: “वही संस्था जिसके डेटा पर राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को बदनाम करने के लिए भरोसा किया था, अब स्वीकार किया है कि उसके आंकड़े ग़लत थे…” अपनी माफी के साथ संजय कुमार के हटाए गए ट्वीट का एक कोलाज शेयर करते हुए, अमित मालवीय ने राहुल गांधी से “अपनी संवेदनहीन और प्रतिगामी राजनीति के लिए भारत के लोगों से माफी” मांगने का आग्रह किया. (आर्काइव)
The very institution whose data Rahul Gandhi leaned on to defame the voters of Maharashtra has now admitted that its figures were wrong — not just on Maharashtra, but even on SIR.
Where does this leave Rahul Gandhi and the Congress, which brazenly targeted the Election… pic.twitter.com/4o99YDvsMx
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 19, 2025
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने 19 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये भी दावा किया कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में हेरफेर के राहुल गांधी के आरोप CSDS के आंकड़ों पर आधारित थे.
गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी के दावे समय के साथ बदलते गए. उनके मुताबिक, राहुल गांधी ने सबसे पहले आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव (तीन फ़रवरी को संसद में) के बीच करीब 70 लाख मतदाता बढ़े हैं. फिर, 7 फ़रवरी को एक संवाददाता सम्मेलन में विपक्षी नेता ने मतदाताओं में 39 लाख की बढ़ोतरी का हवाला दिया और 9 जुलाई तक, राहुल गांधी ने कहा कि दोनों चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में अंतर 1 करोड़ हो गया.
‘राहुल गांधी के आंकड़ों में विसंगति’, ‘ग़लत डेटा’
सिर्फ बीजेपी के गौरव भाटिया ही नहीं बल्कि NDTV की पत्रकार पद्मजा जोशी ने भी राहुल गांधी के आंकड़ों में विसंगतियां बताईं. 19 अगस्त को अपने शो में संजय कुमार की ग़लती का ज़िक्र करते हुए, पत्रकार ने कहा कि राहुल गांधी ने ‘जादुई मतदाताओं’ में बढ़ोतरी के रूप में अलग-अलग मौकों पर चार अलग-अलग संख्याओं का हवाला दिया था – 70 लाख, 39 लाख, 40 लाख और 1 करोड़. उसी दिन, NDTV के शिव अरूर ने अपने शो “फ्रॉम ‘चोरी’ टू ‘सॉरी” में पूछा, ‘क्या ये सिर्फ एक बार की निर्दोष ग़लती थी या क्या ये चुनाव में धांधली के सबूतों की पूरी इमारत पर सवाल उठाता है जिसे राहुल गांधी अलग से पेश कर रहे हैं?”
#IndiaMatters with @ShivAroor | Sanjay Kumar apologises for erroneous data about Maharashtra voter increase. But that’s not the only allegation.
Here is what LoP Rahul Gandhi claimed about Maharashtra ‘vote chori’ and this is what the facts are@PadmajaJoshi pic.twitter.com/ZtHJiLgD7h
— NDTV (@ndtv) August 19, 2025
कई अन्य न्यूज़ आउटलेट्स के एंकरों ने दावा किया कि राहुल गांधी ने CSDS डेटा का इस्तेमाल किया था.
इंडिया टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ रजत शर्मा ने विपक्ष के नेता पर निशाना साधते हुए कहा, “आज राहुल गांधी को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है…वो महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार निशाना साधने के लिए जिस डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो सवालों के घेरे में है.” रजत शर्मा ने गौरव भाटिया की प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रसारित की, जहां उन्होंने विसंगतियों के बारे में विस्तार से जाने बिना वही आरोप लगाए थे.
रिपब्लिक के संपादक अर्नब गोस्वामी ने अपने शो में 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस से राहुल गांधी की क्लिप को बार-बार चलाया. उन्होंने ये सुझाव दिया कि राहुल गांधी ने “ग़लत” CSDS डेटा का इस्तेमाल किया. “तो आप किस पर विश्वास करते हैं? चुनाव विश्लेषक जो अपने आंकड़ों से पलट गया या कांग्रेस पार्टी पर, जो इस डेटा के आधार पर बड़े निष्कर्ष निकालती है?” उन्होंने अपने दर्शकों से पूछा, “क्या उनमें से कोई आपको बता रहा है कि डेटा के आधार पर भारतीय चुनाव प्रणाली के बारे में किए जा रहे बड़े दावों पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए, जो खुद संदिग्ध है? अगर ये सब झूठ माना जाता है और सभी झूठ धरे के धरे रह जाते हैं, तो आप मेरे देश के लोकतंत्र के बारे में इतने बड़े अनुमान कैसे लगा सकते हैं?”
X पर, @rishibagree और @MrSinha_ सहित कई भाजपा-समर्थक हैंडल ने दावा किया कि भारत के चुनाव आयोग के खिलाफ राहुल गांधी के आरोप CSDS के डेटा पर आधारित थे.
क्या राहुल गांधी ने CSDS डेटा का इस्तेमाल किया?
संजय कुमार द्वारा पोस्ट किये गए ग़लत डेटा को डिलीट किये जाने से पहले, कुछ कांग्रेस नेताओं ने अपने ‘वोट चोरी’ अभियान को मान्य करने के लिए संजय कुमार के आंकड़ों का इस्तेमाल किया था. उनमें पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा भी शामिल थे, जिन्होंने कुमार के डेटा के आधार पर एक ग्राफ़ शेयर किया और बाद में बिना किसी स्पष्टीकरण के इसे हटा दिया. नीचे उनकी अब हटाई गई X पोस्ट का स्क्रीनशॉट है.
हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ के विश्लेषण में पाया गया कि राहुल गांधी के आरोप CSDS प्रोफ़ेसर द्वारा वापस ली गई पोस्ट में दी गई ग़लत जानकारी पर आधारित नहीं थे. ध्यान दें कि राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ अभियान शुरू होने से कुछ महीने पहले फ़रवरी में मतदान प्रतिशत में विसंगतियों पर पहली बार डेटा शेयर किया था. हालांकि, CSDS के चुनाव विशेषज्ञ द्वारा अपना पोस्ट वापस लेने के बाद ही विपक्षी नेता के दावों को उनके डेटा से जोड़कर इस अभियान को बदनाम किया जाने लगा.
जैसा कि पहले बताया गया है, दोनों चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी के बारे में बात करते वक्त उन्होंने अलग-अलग संख्याएं – 70 लाख, 39 लाख या 40 लाख और 1 करोड़ – दीं. आइए इनमें से आंकड़ों को बारी-बारी से विस्तार से समझते हैं.
’70 लाख’
3 फ़रवरी को राहुल गांधी ने लोकसभा को बताया कि पांच महीने के अंतराल पर हुए आम और राज्य चुनावों के बीच महाराष्ट्र में 70 लाख नए मतदाताओं की बढ़ोतरी हुई है. उनके शब्दों में ”लोकसभा और विधानसभा के बीच अचानक करीब 70 लाख नए वोटर आ गए.”
यहां ये ध्यान रखना जरूरी है कि राहुल गांधी मतदाताओं की सूची में शुद्ध बढ़ोतरी का ज़िक्र नहीं कर रहे थे, बल्कि दो चुनावों के बीच मतदाता मतदान या वोटों में अंतर का ज़िक्र कर रहे थे. हम ये जानते हैं क्योंकि उन्होंने ये भी कहा कि एडिशनल वोट भाजपा को गए, जिससे ये साफ हो गया कि वो मिले हुए वोटों का ज़िक्र कर रहे थे.
आइए राहुल गांधी के आंकड़ों की तुलना चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से करें.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) द्वारा जारी 2024 लोकसभा चुनाव की ऑफ़िशियल हैंडबुक (अध्याय 7) के मुताबिक, महाराष्ट्र में मतदान की कुल संख्या 5.7 करोड़ थी.
विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में पड़े वोटों की कुल संख्या के लिए महाराष्ट्र CEO का ऑफ़िशियल डेटा 6.4 करोड़ था.
दोनों चुनावों के बीच डाले गए वोटों या मतदान प्रतिशत का अंतर 69 लाख था. सीधे शब्दों में कहें तो लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में 69 लाख ज़्यादा लोगों ने मतदान किया. राहुल गांधी ने शायद इस आंकड़े को 70 लाख वोटों तक सीमित कर दिया था.
दिलचस्प बात ये है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 2.4 करोड़ से ज़्यादा वोट मिले, जिसमें भाजपा, अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना शामिल थी. विधानसभा चुनाव में उन्हें 3.1 करोड़ वोट मिले.
इसके उलट, महा विकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) ने लोकसभा चुनाव में 2.5 करोड़ वोट और विधानसभा चुनाव में 2.1 करोड़ वोट हासिल किए. इसमें कांग्रेस, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट शामिल हैं.
इसका मतलब ये है कि NDA को राज्य चुनावों में आम चुनावों की तुलना में 67 लाख से ज़्यादा वोट मिले, जो राज्य चुनावों में मतदान करने वाले अतिरिक्त मतदाताओं की संख्या के काफी करीब है (जैसा कि ऊपर बताया गया है 69 लाख). इस बीच, राज्य चुनावों में MVA को लगभग 33 लाख वोटों का नुकसान हुआ. राहुल गांधी ने बाद के सार्वजनिक संबोधनों में इस बात को उजागर करना जारी रखा कि बाद के चुनावों में अतिरिक्त वोटों की संख्या भाजपा या NDA की झोली में गई.
’39 या 40 लाख’
7 फ़रवरी को राहुल गांधी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले और शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें महाराष्ट्र में मतदाता सूचियों में विसंगतियों का विवरण दिया गया.
राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मेन पॉइंट थे:
- पांच साल पहले की तुलना में पांच महीने में ज़्यादा मतदाता जुड़े: 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच पांच सालों में 32 लाख मतदाताओं की बढ़ोतरी हुई. हालाँकि, 2024 के लोकसभा चुनाव और 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच पाँच महीनों में मतदाताओं में 39 लाख की बढ़ोतरी हुई. “ये अतिरिक्त मतदाता कौन हैं? वे कहाँ थे और कहाँ से आये हैं?” गांधी ने पूछा.
- अतिरिक्त वोट भाजपा को गए: महाराष्ट्र के कामठी निर्वाचन क्षेत्र का उदाहरण लेते हुए, गांधी ने कहा कि जहां कांग्रेस को पिछले साल के लोकसभा (1.36 लाख) और विधानसभा चुनाव (1.34 लाख) में लगभग समान वोट मिले, वहीं भाजपा के वोटरों की संख्या 35,000 बढ़ गई. लोकसभा चुनाव (1.19 लाख) की तुलना में विधानसभा चुनाव (1.75 लाख) में उन्हें 35,000 वोट ज़्यादा मिले. गांधी के अनुसार, इस वृद्धि का श्रेय कामठी निर्वाचन क्षेत्र में दो चुनावों के बीच जोड़े गए मतदाताओं की संख्या को दिया गया, जिसके बाद भाजपा ने उसी अंतर (35,000 वोट) से विधानसभा चुनाव जीता. उन्होंने कहा, “इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 35 हज़ार नए मतदाता जुड़े और सभी 35 हज़ार ने भाजपा को वोट दिया और भाजपा ने विधानसभा में जीत हासिल की.”
- वयस्क आबादी से अधिक मतदाता: राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र की वयस्क आबादी 9.54 करोड़ है, लेकिन चुनाव आयोग ने राज्य में कुल 9.7 करोड़ मतदाताओं को सूचीबद्ध किया है. उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि चुनाव आयोग कह रहा है कि महाराष्ट्र में वयस्क आबादी से ज़्यादा मतदाता हैं. ऐसा कैसे हो सकता है?” जब उनसे वयस्क आबादी के डेटा का सोर्स पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ये केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) से है.
हमने इनमें से सभी डेटा पॉइंट को बारीकी से देखा.
पांच साल पहले की तुलना में पांच महीने में ज़्यादा मतदाता जुड़े.
राहुल गांधी ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों के बीच लगभग 32 लाख नए मतदाता रजिस्टर्ड हुए थे. हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव और 2024 विधानसभा चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या में 39 लाख की बढ़ोतरी हुई.
महाराष्ट्र CEO की जिला-वार मतदाता सूचियों से संकलित आंकड़ों से पता चला कि 2019 विधानसभा चुनावों में कुल मतदाता 8.98 करोड़ थे. (ऑल्ट न्यूज़ ने इस संख्या पर पहुंचने के लिए सभी ज़िले में मतदाताओं की संख्या को जोड़ा) इस बीच, 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग की हैंडबुक के आंकड़ों में महाराष्ट्र में कुल मतदाताओं की संख्या 9.31 करोड़ लिस्टेड है. दोनों के बीच का अंतर करीब 32 लाख है. यानी, राहुल गांधी का दावा ऑफ़िशियल EC डेटा के साथ निकटता से मेल खाता है.
महाराष्ट्र CEO के आंकड़ों के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 9.29 करोड़ है. ये भिन्नता चुनाव आयोग और महाराष्ट्र CEO द्वारा चुनावी गणना के लिए दो अलग-अलग सोर्स के कारण है.
अगर इस आंकड़े को ध्यान में रखा जाए तो 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या का अंतर 31 लाख हो जाता है.
किसी भी तरह, संख्याएं राहुल गांधी के अनुमान के अनुरूप हैं.
2024 के आम चुनावों के लिए चुनाव आयोग की हैंडबुक के अनुसार, महाराष्ट्र में मतदाताओं की कुल संख्या 9.31 करोड़ थी. महाराष्ट्र सीईओ के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं की कुल संख्या 9.7 करोड़ थी.
दोनों के बीच का अंतर करीब 39.6 लाख है. यानी, राहुल गांधी का डेटा, फिर से, चुनाव आयोग के आंकड़ों के साथ मिलता जुलता है.
फिर, राज्य चुनाव अधिकारी और चुनाव आयोग द्वारा रखे गए अलग-अलग चुनावी आंकड़ों के कारण, हमने पाया कि महाराष्ट्र CEO के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं की संख्या 9.29 करोड़ थी.
उस स्थिति में दोनों चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में अंतर 40.8 लाख हो जाता है.
24 दिसंबर, 2024 को कांग्रेस को लिखे एक लेटर में चुनाव आयोग ने कहा कि 2024 के आम चुनाव और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बीच जोड़े गए मतदाताओं की कुल संख्या 40.81 लाख थी.
यानी, ये आंकड़े चुनाव आयोग द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों से भी मेल खाते हैं.
एडिशनल वोट बीजेपी को मिले
ऑल्ट न्यूज़ को चुनाव आयोग द्वारा कामठी निर्वाचन क्षेत्र के लिए लोकसभा (2024) वोटों का विवरण मिला. इसके आधार पर राहुल गांधी का डेटा EC के डेटा से मेल खाता है. रामटेक निर्वाचन क्षेत्र के लिए फॉर्म 20, जिसके अंतर्गत कामठी आता है. ये दिखाता है कि कांग्रेस उम्मीदवार श्यामकुमार दौलत बर्वे को लगभग 1.36 लाख वोट मिले, जबकि शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार, राजू देवनाथ परवे को लगभग 1.19 लाख वोट मिले.
कामठी के विधानसभा चुनाव नतीजों से पता चला कि भाजपा के चंद्रशेखर कृष्णराव बावनकुले को 1.74 लाख वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 1.34 लाख वोट मिले.
राहुल गांधी का ये भी दावा है कि जून में लोकसभा चुनाव और नवंबर 2024 में विधानसभा चुनाव के बीच कामठी में 35 हज़ार मतदाता जुड़े थे. अक्टूबर 2024 में पब्लिश महाराष्ट्र CEO के डेटा के मुताबिक, राज्य चुनाव से पहले, मतदाताओं की कुल संख्या 5 लाख थी. हालांकि, चुनाव आयोग की मतदाता गणना के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कामठी में मतदाताओं की संख्या 4.66 लाख थी. इन दोनों आंकड़ों के बीच का अंतर 35,539 है, जिसे शायद राहुल गांधी ने 35 हज़ार तक पूरा कर दिया है.
वयस्क आबादी से ज़्यादा मतदाता
ऑल्ट न्यूज़ ने MoHFW वेबसाइट की जांच की, लेकिन उस पर ये डेटा नहीं मिला. यानी, हम इस दावे की पुष्टि नहीं कर पाए.
‘1 करोड़’
राहुल गांधी ने बेंगलुरु और बिहार के सासाराम में कम से कम दो बार दावा किया था कि पिछले साल महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच पांच महीनों में कुल वोटों की संख्या 1 करोड़ बढ़ गई थी, और ये सभी एडीशनल वोट भाजपा को गए थे.
ये दावे ईसी डेटा से मेल नहीं खाते. इसके बारे में हमने यहां विस्तार से लिखा है. हमारे विश्लेषण के मुताबिक, एडिशनल वोटों की संख्या 69 लाख से कुछ ज़्यादा थी.
राहुल गांधी के दावे CSDS डेटा पर आधारित नहीं हैं
जैसा कि हमारे विश्लेषण से पता चलता है, कांग्रेस नेता द्वारा बताया गया ज़्यादातर डेटा चुनाव आयोग द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के अनुरूप हैं.
इसके अलावा, अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किसी भी वक्त राहुल गांधी ने CSDS को किसी भी डेटा का क्रेडिट नहीं दिया. असल में उन्होंने साफ तौर पर ज़िक्र किया है कि उनके दावे चुनाव आयोग के आंकड़ों पर आधारित थे और उनकी टीम ने मतदाता सूचियों और मतदान पैटर्न का विस्तार से अध्ययन किया था. 7 अगस्त की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी राहुल गांधी ने कहा कि उनकी टीम को कर्नाटक में केवल एक निर्वाचन क्षेत्र की जांच करने के लिए, व्यक्तिगत रूप से सात फ़ीट से ज़्यादा ऊंचाई वाले डेटा को छांटना पड़ा. उन्होंने कहा कि एक निर्वाचन क्षेत्र के लिए ऐसा करने में उनकी 30-40 लोगों की टीम को 6 महीने लग गए क्योंकि चुनाव आयोग ने मशीन-से पढ़ा जाने वाला डेटा प्रदान नहीं किया था.
इसके अलावा, CSDS सीधे चुनाव डेटा पब्लिश नहीं करता है. इसका प्राथमिक अध्ययन, लोकनीति-CSDS सर्वेक्षण जिसे ‘राष्ट्रीय चुनाव अध्ययन’ कहा जाता है. ये मुख्य रूप से प्रत्येक लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में प्रमुख मुद्दों पर जनता की राय का आकलन करता है. NDTV के पत्रकार शिव अरूर के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, अपनी ग़लती बताते हुए, CSDS के सह-निदेशक संजय कुमार ने कहा कि वो निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता आंकड़ों की तुलना करने के लिए EC डेटा का भी ज़िक्र कर रहे थे. हालांकि, उन्होंने ग़लती से निर्वाचन क्षेत्र 125 की तुलना 124 (नासिक पश्चिम के साथ नासिक मध्य) से कर दी. संजय कुमार ने इसके पीछे किसी राजनीतिक मकसद से इनकार किया.
विशेष तस्वीर का क्रेडिट: फ़ेसबुक/@IndianNationalCongress
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