15 मई को एक प्राइम-टाइम शो में रिपब्लिक के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने दावा किया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का तुर्की में एक पंजीकृत कार्यालय है. इस सेगमेंट में उन्होंने इस्तांबुल कांग्रेस केंद्र की एक तस्वीर दिखाई और इसे रजिस्टर्ड कांग्रेस कार्यालय बताया. गोस्वामी ने ये भी संकेत दिया कि गांधी परिवार ने बार-बार राष्ट्रीय हितों से समझौता किया है.

हाल के अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में तुर्की के साथ कांग्रेस के कथित जुड़ाव पर चिंता व्यक्त करते हुए अर्नब गोस्वामी ने इसे राष्ट्रीय अखंडता का मुद्दा बताया. उन्होंने दर्शकों से कांग्रेस पार्टी का बहिष्कार करने और प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा, “दुश्मन का दोस्त दुश्मन होता है.”

पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष के बाद तुर्की ने पड़ोसी देश का पक्ष लिया जिससे भारत में तुर्की के बहिष्कार की मांग बढ़ी. पहलगाम नरसंहार में 26 नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिन्दूर शुरू करने के बाद, तुर्की ने भारत के हमलों को “भड़काऊ” कहा. इसके अलावा, भारतीय सशस्त्र बलों के मुताबिक, पाकिस्तान ने सैन्य चौकियों और नागरिक बस्तियों को निशाना बनाने के लिए चीन और तुर्की द्वारा आपूर्ति किए गए हथियारों का इस्तेमाल किया. जब भारत-पाकिस्तान संघर्ष बढ़ा और तुर्की का रुख स्पष्ट हो गया, भारतीयों ने सामूहिक रूप से देश की यात्राएं रद्द कर दी, यात्रा व्यवसायों ने अपनी पेशकश बंद कर दी है और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, IIT-बॉम्बे और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे संस्थानों ने तुर्की विश्वविद्यालयों के साथ अपनी साझेदारी निलंबित कर दी.

कांग्रेस और उनके ‘तुर्की कार्यालय’ पर वापस आते हुए, भाजपा के IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी 17 मई को रिपब्लिक सेगमेंट शेयर किया, और राहुल गांधी से पूछा कि उनकी पार्टी को ये “कदम” उठाने की जरूरत क्यों है. (आर्काइव)

सोशल मीडिया यूज़र्स ऋषि बागरी (@rishibagree) ने उसी वीडियो को X पर शेयर किया और सवाल किया कि कांग्रेस को वहां कार्यालय की ज़रूरत क्यों महसूस हुई जब सिर्फ 300 भारतीय वहां रह रहे थे. उन्होंने कहा, “क्या एर्दोगन कांग्रेस के नए ख़लीफ़ा हैं, जो इसके ज़बरदस्त इस्लामीकरण की योजना बना रहे हैं?” (आर्काइव)

एक अन्य X यूज़र, जयपुर डायलॉग्स ने भी यही वीडियो शेयर किया और आश्चर्य जताया कि पार्टी का कार्यालय उस देश में क्यों है. (आर्काइव)

ध्यान दें कि @JaipurDialogues को कई बार ग़लत सूचना शेयर करते हुए ऑल्ट न्यूज़ ने पकड़ा है.

फ़ैक्ट-चेक

रिपब्लिक सेगमेंट में दिखाई गई इमारत, जिसे तुर्की में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का रजिस्टर्ड कार्यालय बताया गया है, असल में इस्तांबुल कांग्रेस सेंटर है. ये एक कन्वेंशन सेंटर है जो इस्तांबुल, तुर्की में सिसली ज़िले के हरबिये पड़ोस में स्थित है. इसका उद्घाटन 17 अक्टूबर 2009 को हुआ था और इसका स्वामित्व इस्तांबुल मेट्रोपॉलिटन नगर पालिका के पास है.

इस कांग्रेस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जो एक भारतीय राजनीतिक दल है, से कोई लेना-देना नहीं है.

नवंबर 2019 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस्तांबुल में एक विदेशी कार्यालय स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी. पार्टी के बयान के मुताबिक, मोहम्मद यूसुफ़ खान को तुर्की में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (IOC) का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया था. सैम पित्रोदा की अध्यक्षता वाली इंडियन ओवरसीज कांग्रेस, कांग्रेस समर्थकों और अधिवक्ताओं के एक वैश्विक नेटवर्क के रूप में कार्य करती है, जो विदेशों में पार्टी की विचारधारा और हितों को बढ़ावा देने के लिए काम करती है.

लेकिन 2019 में घोषणा के बाद से इस पर कोई अपडेट नहीं आया है कि क्या वास्तविक कार्यालय स्थापित किया गया था क्योंकि IOC वेबसाइट उन देशों का ज़िक्र है जहां कार्यालय उपस्थित है, लेकिन इसमें तुर्की का नाम नहीं है.

20 मई को न्यूज़ चैनल रिपब्लिक ने एक सुधार जारी किया, जिसमें स्वीकार किया गया कि उन्होंने अपने न्यूज़ सेगमेंट में तुर्की में कांग्रेस कार्यालय को दिखाने करने के लिए ग़लत तस्वीर का इस्तेमाल किया. शुद्धिपत्र में ये नहीं कहा गया कि कांग्रेस का वहां कोई कार्यालय नहीं था, बस ये बताया गया कि इस्तेमाल की गई तस्वीर ग़लत थी.

ऑल्ट न्यूज़ ने सैम पित्रोदा से संपर्क किया. उन्होंने साफ तौर पर हमें बताया, “ओवरसीज़ कांग्रेस का तुर्की में कभी कोई भौतिक कार्यालय नहीं है.”

22 मई को उन्होंने वहां कार्यालय होने के दावों से इनकार करते हुए IOC का बयान भी पोस्ट किया:

“ये हमारे संज्ञान में आया है कि राष्ट्रीय मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा कुछ दुर्भावनापूर्ण और पूरी तरह से आधारहीन अफ़वाहें फ़ैलाई जा रही हैं, जिसमें झूठा आरोप लगाया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का इस्तांबुल में एक रजिस्टर्ड कार्यालय या भवन है. हम इन मनगढ़ंत दावों की कड़ी निंदा करते हैं और साफ तौर से इनकार करते हैं. ये जनता को गुमराह करने और हमारी पार्टी की प्रतिष्ठा को ख़राब करने के लिए किया जा रहा है.”

सियासी तूफ़ान

इसके बाद क्या था, रिपब्लिक द्वारा ग़लत तस्वीर का इस्तेमाल और पार्टी की ईमानदारी पर सवाल उठाने (जिसे बीजेपी नेता अमित मालवीय ने भी तूल दिया) से काफी राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया. 20 मई को कांग्रेस की युवा शाखा ने अमित मालवीय और रिपब्लिक के अर्नब गोस्वामी के खिलाफ “साफ तौर पर ग़लत जानकारी प्रसारित करने के लिए एक जघन्य और आपराधिक रूप से प्रेरित अभियान चलाने के लिए” FIR दर्ज की.

भले ही हम रिपब्लिक की ग़लती को एक तरफ रख दें, लेकिन कांग्रेस की विदेशी उपस्थिति पर सवाल उठाने वाली अमित मालवीय की पोस्ट अजीब है क्योंकि ऐसा करने वाली ये एकमात्र पार्टी नहीं है; भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों की भी विदेशों में इकाइयां और समर्थक मौजूद हैं.

ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ़ बीजेपी (OFBJP) ने यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड और अन्य देशों में केंद्र स्थापित किए हैं. कई न्यूज़ रिपोर्ट्स और आर्टिकल्स से संकेत मिलता है कि OFBJP की तुर्की में उपस्थिति है. इन रिपोर्ट्स में तुर्की से दीपांकर गांगुली को संयोजक नामित किया गया था.

अगस्त 2018 में तत्कालीन वरिष्ठ भाजपा नेता और OFBJP के वैश्विक संयोजक विजय जॉली ने अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन से भी मुलाकात की थी और उन्हें भाजपा के कमल के निशान वाला दुपट्टा पेश किया था.

पित्रोदा के बयान में OFBJP की तुर्की उपस्थिति पर भी प्रकाश डाला गया.

कुल मिलाकर, जिस इमारत को इस्तांबुल में कई लोग कांग्रेस कार्यालय बता रहे हैं, उसकी तस्वीर असल में इस्तांबुल कन्वेंशन सेंटर है, जो तुर्की में एक नगर निकाय के स्वामित्व वाली संपत्ति है. इसका कांग्रेस पार्टी से कोई संबंध नहीं है. हालांकि, कांग्रेस ने 2019 में तुर्की में एक कार्यालय स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन उनकी वेबसाइट पर कोई भी न्यूज़ रिपोर्ट या जानकारी इस बात की पुष्टि नहीं करती कि उन्होंने वहां एक कार्यालय स्थापित किया है. ओवरसीज़ कांग्रेस प्रमुख सैम पित्रोदा ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि उनका वहां कोई भौतिक कार्यालय नहीं है. इसके अलावा, राजनीतिक दलों के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय विंग का होना भी असामान्य नहीं है; तुर्की में भी भाजपा की उपस्थिति है.

(ये रिपोर्ट बाद में सैम पित्रोदा के बयानों और युवा कांग्रेस की FIR के साथ अपडेट की गई.)

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