इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना रमज़ान, दुनिया भर के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र समय में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यही वो समय था जब पैगंबर मोहम्मद को कुरान की पवित्र आयतें बताई गईं. आस्था के अनुयायी इस अवधि को सुबह से शाम तक उपवास करके और अपना ध्यान भक्ति और आध्यात्मिकता की ओर केंद्रित करके मनाते हैं. चांद को देखकर एक महीने की लंबी अवधि के संयम की समाप्ति होती है.
हालांकि, भारत में रमज़ान इस आशंका के साथ आता है कि सांप्रदायिक तनाव थोड़ी सी भी उत्तेजना में भड़क सकता है, हिंसा में बदल सकता है, टारगेट उत्पीड़न हो सकता है और समुदायों का ध्रुवीकरण हो सकता है. सेंटर फॉर स्टडी ऑफ़ सोसाइटी एंड सेक्युलरिज्म की एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया कि पिछले साल ज़्यादातर सांप्रदायिक दंगे धार्मिक त्योहारों या जुलूसों के दौरान भड़के थे. अब तक, यानी साल 2025 भी इससे अलग नहीं रहा है.
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रमज़ान या रमज़ान का महीना 1 मार्च को शुरू हुआ और 31 मार्च को खत्म. इस साल, हिंदू त्योहार होली भी (13-14 मार्च) को मनाई गई. इससे ये डर पैदा हुआ कि ये कट्टरपंथी तत्वों में सबसे खराब स्थिति लाएगा जो ‘अन्य’ को भड़काने के लिए चरम सीमा तक जाएंगे. ये कहना सुरक्षित है कि ये कोई दूर की सोच नहीं थी.
होली पूर्व चेतावनियां माहौल तैयार करती हैं
होली से एक हफ़्ते पहले, उत्तर प्रदेश के संभल में एक पुलिस अधिकारी ने मुसलमानों से हिंदू त्योहार के दिन घर के अंदर रहने का आग्रह करके विवाद खड़ा कर दिया. इस साल, होली शुक्रवार को थी जिस दिन मुसलमान जुम्मा नमाज़ या विशेष साप्ताहिक प्रार्थना भी करते हैं. ध्यान दें कि शाही जामा मस्जिद की जगह को लेकर विवादों के बीच संभल पिछले कई महीनों से सांप्रदायिक तनाव का केंद्र रहा है.
संभल के सर्कल ऑफ़िसर अनुज चौधरी ने कहा, “जुम्मा साल में 52 बार आता है, लेकिन होली एक बार आती है. अगर किसी को होली का रंग आपत्तिजनक या अपवित्र लगता है, तो उन्हें घर के अंदर रहना चाहिए और वहीं नमाज अदा करनी चाहिए.”
#WATCH | Sambhal, UP: After the Peace Committee Meeting held ahead of Holi, Sambhal CO Anuj Kumar Chaudhary says, “Holi and ‘Jumma’ (Friday) fall on the same day… We had a meeting with people of all communities… It is a festival of harmony. Hindus and Muslims will celebrate… pic.twitter.com/sTqb52Jwhg
— ANI (@ANI) March 6, 2025
उनकी टिप्पणियां, जो 6 मार्च को आईं, इसने अनजाने में ये तय कर दिया कि पूरे महीने में चीज़ें कैसी होंगी. जैसा कि इस आर्टिकल और हमारे द्वारा यहां दर्ज़ किए गए कई उदाहरणों से पता चलता है, मुसलमानों को बार-बार खुद को घर के अंदर ही सीमित रखने या सार्वजनिक स्थानों से दूर रहने के लिए कहा गया था. ये सब तब हुआ जब अन्य ग्रुप्स द्वारा सार्वजनिक रूप से खुशियां मनाई जा रही थीं.
ऑल्ट न्यूज़ ने डिटेल में डॉक्यूमेंटेशन किया है कि कैसे कई हिंदुत्व ग्रुप्स ने हिंदुत्व श्रेष्ठता का खुलेआम प्रदर्शन करते हुए होली के दिन अपवित्र मस्जिदों पर रंग फेंकने की कोशिश की. ये पढ़ें | होली 2025 : सहमति फिर से टॉस के लिए जाती है; महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा सामने आई.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल सर्कल अधिकारी के उपदेश को समर्थन दिया. 8 मार्च को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में आदित्यनाथ ने कहा कि अनुज चौधरी ने जिस तरह से बात की, उससे “कुछ लोगों को ठेस पहुंची होगी, लेकिन उन्होंने सच बोला और लोगों को इसे स्वीकार करना चाहिए.”
होली साल में एक बार पड़ती है, जुमे की नमाज तो हर सप्ताह पढ़नी है…
आवश्यक नहीं है कि वह व्यक्ति मस्जिद में ही जाए, अगर जाना ही है तो रंग से परहेज न करे… pic.twitter.com/cTba047I8k
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 8, 2025
योगी और सर्कल अधिकारी से प्रेरित होकर, बिहार के एक भाजपा विधायक, हरिभूषण ठाकुर बचौल ने भी यही तर्क दोहराया: “अगर उन्हें ऐसी कोई समस्या है, तो उन्हें घर के अंदर रहना चाहिए. सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए ये ज़रूरी है.” बिस्फ़ी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बचौल ने मुसलमानों से “अपील” की कि “एक साल में 52 जुम्मे (शुक्रवार) होते हैं. उनमें से एक होली के साथ आता है. इसलिए, उन्हें हिंदुओं को त्योहार मनाने देना चाहिए और अगर उन पर रंग डाला जाता है तो उन्हें नाराज़ नहीं होना चाहिए.”
बिहार बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने मुस्लिमों से अपील की है कि होली के दिन वे घरों में ही रहें, सुनिए और क्या कह रहे हैं बीजेपी विधायक- #Holi2025 #BJP #BiharNews #Muslim pic.twitter.com/3ehaZj7Nvy
— NBT Bihar (@NBTBihar) March 10, 2025
उत्तर प्रदेश के एक बीजेपी नेता रघुराज सिंह तो इससे एक कदम आगे निकल गए. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर मुस्लिम पुरुष होली पर नमाज़ के लिए अपने घरों से बाहर निकलते हैं तो वे रंगों के छींटों से बचना चाहते हैं, तो वे खुद को “तिरपाल हिजाब” में ढक लें.
उन्होंने कहा, “सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए, होली का त्योहार साल में सिर्फ एक बार आता है और उनसे मस्जिदों के पास कुछ प्रतिबंधित क्षेत्रों में होली नहीं खेलने की उम्मीद करना एक सही समाधान नहीं है.” उन्होंने कहा, मुस्लिम महिलाएं खुद को हिजाब से ढकती थीं और मस्जिदों को भी पहले से ही तिरपाल से ढक दिया जाता था, इसलिए मुस्लिम पुरुष एहतियात के तौर पर “तिरपाल हिजाब” पहन सकते हैं क्योंकि “पिचकारी” की रेंज उनके नियंत्रण से बाहर है.
#WATCH | Aligarh: UP Minister Dr Raghuraj Singh says, ” They can offer Namaz, we have no issues but they can’t say things like colour shouldn’t fall within the distance of 20 m or 25 m from them because ‘Pichkari’ has no measurement…it is festival of our God…those who have… pic.twitter.com/pMgATt1a14
— ANI (@ANI) March 11, 2025
ऐसे बयानों के बाद इस्लामिक सेंटर ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अपील की कि मुसलमानों के लिए शुक्रवार की नमाज़ का समय टाल दिया जाए. यूपी में सद्भाव के हित में नमाज़ के समय को आधिकारिक तौर पर दोपहर में एक घंटे आगे बढ़ाना पड़ा.
विशेषकर उत्तर प्रदेश में राज्य मशीनरी का रुख साफ था. एक ग्रुप के अपने त्योहार को मनाने के अधिकार को प्राथमिकता दी जाती है. दूसरों को निजी तौर पर, घर के अंदर अभ्यास करना चाहिए.
न देखना चाहिए, न सुनना चाहिए
न सिर्फ एक ग्रुप को खुद को एक जगह तक सीमित रखने के लिए कहा जा रहा था बल्कि किसी भी तरह से सार्वजनिक रूप से अपने विश्वास को पेश करना एक मुद्दा बन रहा था.
यहां उत्तर प्रदेश का एक और उदाहरण है. 6 मार्च को रामपुर के टांडा पुलिस स्टेशन की सैयद नगर चौकी की सीमा के भीतर स्थित मानकपुर बजरिया गांव में एक विवाद हुआ जब एक मस्जिद में इफ्तार (रमजान के दौरान उपवास तोड़ने के लिए खाया जाने वाला भोजन है) शुरू होने की घोषणा करने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया गया. इससे हिंदुत्व ग्रुप्स के विरोध को प्रेरित किया जिन्होंने औपचारिक शिकायत दर्ज़ की. जवाब में पुलिस ने सार्वजनिक व्यवस्था और संभावित गड़बड़ी पर चिंताओं का हवाला देते हुए, मस्जिद के इमाम सहित नौ लोगों को गिरफ़्तार कर लिया. अधिकारियों ने इसे “नई परंपरा” बताते हुए लाउडस्पीकर भी हटा दिया.
मस्जिद से लाउडस्पीकर पर रोजा खोलने का ऐलान, दूसरे समुदाय के लोगों ने पुलिस से कि शिकायत, इमाम समेत 9 लोग गिरफ्तार। रामपुर के मानकपुर बंजारिया गांव का मामला… pic.twitter.com/hKfnZiTcmD
— Ashraf Hussain (@AshrafFem) March 6, 2025
पूरे मामले पर एडिशनल पुलिस अधीक्षक अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मस्जिद में लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणा के बाद दो ग्रुप के बीच विवाद उत्पन्न होने के बाद ये कार्रवाई की गई. उन्होंने पुष्टि की, “तत्काल कार्रवाई की गई और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया.”
यूपी से ऐसा ही एक और किस्सा सामने आया. 8 मार्च को संभल के चौदसई इलाके में पुलिस ने एक मस्जिद में “अज़ान” के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने के आरोप में एक इमाम के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज़ किया. रिपोर्ट के मुताबिक, ध्वनि निर्धारित डेसिबल सीमा से ज़्यादा हो गई.
दिलचस्प बात ये है कि संभल में ही, राईटविंग ग्रुप्स ने एक जुलूस निकाला जहां उन्होंने एक मस्जिद के ठीक बाहर होली पर लाउडस्पीकर पर संगीत बजाया. हमने इसे यहां डॉक्यूमेंट किया है.
हिंसा की पराकाष्ठा
उपर बताए उदाहरणों को कोई भी सिर्फ एक ग्रुप द्वारा प्रभुत्व या ताकत का प्रदर्शन कहकर खारिज़ कर सकता है जिसे हल्के शब्दों में कहा जाए तो ये अरुचि का विषय है. हालांकि, ये सब यहीं नहीं खत्म होता.
8 मार्च को बजरंग दल के कार्यकर्ता उत्तराखंड के हरिद्वार में ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में घुस गए और परिसर में मुस्लिम छात्रों द्वारा इफ्तार पार्टी आयोजित करने का विरोध किया. हिंदुत्व कार्यकर्ताओं के मुताबिक, ये पार्टी कथित रूप से “इस्लामिक जिहाद” के तहत रची जा रही एक “साजिश” का मोर्चा थी. उन्होंने दावा किया कि नगर निगम के उपनियम गैर-हिंदुओं को धार्मिक शहर में ऐसे आयोजन करने से रोकते हैं.
9 मार्च को भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीती. पूरे देश में जीत का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. मध्य प्रदेश के महू में, जामा मस्जिद के पास झड़पें हुईं, जब टीम की जीत का जश्न मना रहे कुछ प्रशंसकों ने रैली निकाली और कथित तौर पर उन मुस्लिम उपासकों को उकसाया (जो रात के समय रमज़ान की नमाज़ (तरावीह) अदा कर रहे थे) ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया और पटाखे फोड़े. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुकानों और वाहनों को आग लगा दी गई, और जैसे ही विजय रैली मस्जिद क्षेत्र के पास पहुंची, व्यक्तियों के एक बड़े ग्रुप ने उपासकों पर पथराव शुरू कर दिया. बाद में 13 लोगों को गिरफ़्तार किया गया और कई FIR दर्ज़ की गईं.
आगे, घटनाओं का विवरण दिया गया है. (आर्काइव)
MP : इंदौर के महू में कल रात भारत की जीत पर विजय जुलूस निकालने के दौरान दो गुट आमने–सामने आए। कई दुकानों–वाहनों में आग लगाई, पेट्रोल बम फेंके गए। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले छोड़े।
दरअसल, जुलूस में शामिल लोग “जय श्री राम” के नारे लगाते चल रहे थे। जब ये जुलूस जामा… pic.twitter.com/0LHEAkVFVF
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) March 10, 2025
मस्जिद के इमाम ने कहा कि शरारती तत्वों ने मस्जिद के अंदर कुछ पटाखे (सुतली बम) फेंके थे जिसके कारण पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों समूहों के बीच पथराव हुआ. (आर्काइव)
महू, MP की जामा मस्जिद के इमाम ने कहा–
“तरावीह की नमाज चल रही थी, उसी समय जुलूस यहां से शोर शराबा करते हुए निकल रहा था। नमाज पूरी होकर सब लोग बाहर निकल रहे थे, तभी किसी ने मस्जिद के अंदर सुतली बम फेंका। इससे लोग पैनिक हुए और ये सिचुएशन क्रिएट हुई” https://t.co/LeqWkoXqep pic.twitter.com/nzenHhvjZE
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) March 10, 2025
घटना के विवरण के बावजूद, भाजपा नेता उषा ठाकुर ने हिंसा को “देश-द्रोह” का काम बताया, उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों पर पथराव करने और विजय रैली में लोगों पर हमले की ‘पूर्व-योजना’ बनाने का आरोप लगाया.
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26 मार्च को महाराष्ट्र के राहुरी में एक सांप्रदायिक संघर्ष छिड़ गया, जब एक हिंदू भीड़ ने हज़रत अहमद चिश्ती की दरगाह से हरा झंडा हटा दिया और उसकी जगह भगवा झंडा लगा दिया, ये आरोप लगाते हुए कि दरगाह मूल रूप से एक हिंदू मंदिर था. कुछ अज्ञात लोगों द्वारा कथित तौर पर छत्रपति शिवाजी महाराज की एक मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने के बाद शहर भर में आंदोलन हुआ. (आर्काइव)
Rising religious intolerance in India.
On March 26, in Rahuri, Ahilyanagar, Maharashtra, local people climbed the Hazrat Ahmed Chishti Dargah, removed its flag while chanting religious slogans, and hoisted a saffron flag in its place. pic.twitter.com/BvBrueIrX0— Karishma Aziz (@Karishma_voice) March 27, 2025
कुछ स्थानीय लोगों के मुताबिक, भीड़ ने आक्रामक नारे लगाए और मुस्लिम निवासियों पर पथराव किया. एक निवासी ने मकतूब मीडिया को बताया, “जब वे दरगाह पर हमला कर रहे थे और उस पर भगवा झंडा लगा रहे थे, पुलिस वहीं खड़ी थी, और चुपचाप देख रही थी. उन्होंने उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया.”
रमज़ान के ख़त्म होते-होते महाराष्ट्र में एक और घटना घटी. ईद के दिन (31 मार्च) बीड की एक मस्जिद में कम तीव्रता का विस्फ़ोट हुआ था. दो लोगों, विजय राम गव्हाणे और श्रीराम अशोक सागड़े ने कथित तौर पर मस्जिद में जिलेटिन की छड़ें लगाते हुए अपना वीडियो पोस्ट किया जिससे एक विस्फ़ोट हुआ और इससे संपत्ति को नुकसान हुआ. (आर्काइव)
A deadly explosion shook Ardhmasala village, Beed, at 3:30 AM—inside a mosque in Maharashtra.
Reports reveal that Vijay Ghawane & Shri Ram Sagde even recorded an Instagram reel before carrying out this horrifying act.
Both have been arrested. Will media call them “terrorists”… pic.twitter.com/DntTAVWdBY
— Mohd Shadab Khan (@VoxShadabKhan) March 30, 2025
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, घटना के FIR में कहा गया है कि “शनिवार शाम को बीड के अर्धमासला में एक जुलूस का आयोजन किया गया था जिसमें सभी समुदायों के लोगों ने भाग लिया था. हालांकि, रात 9 बजकर 30 मिनट के आसपास, दो संदिग्ध मौके पर पहुंचे और सांप्रदायिक टिप्पणी करना शुरू कर दिया… उन्होंने मस्जिद के निर्माण पर भी सवाल उठाए और सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश की. लेकिन स्थिति ज़ल्द ही नियंत्रण में आ गई. बाद में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया.”
कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे
न सिर्फ मुसलमानों को इबादत करते समय सीमित रहने के लिए कहा गया और ऊपर बताए कई उदाहरणों पर उकसाया गया, बल्कि ईद के दिन भी उन्हें सड़कों पर सार्वजनिक रूप से नमाज़ न पढ़ने के लिए कहा गया क्योंकि ये एक कानून और व्यवस्था का मुद्दा हो सकता था और यातायात बाधित हो सकती थी.
उत्तर प्रदेश प्रशासन के लिए ये कोई नई बात नहीं है. पिछले साल से राज्य मुसलमानों को यातायात में होने वाली असुविधा की वजह से सड़कों या सड़कों पर नमाज़ न पढ़ने का निर्देश दे रहा है. हालांकि, इस बार अधिकारियों ने सख्त चेतावनी जारी की. संभल जैसी जगहों पर निगरानी और ये सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन और CCTV कैमरों का इस्तेमाल किया गया कि सड़कों पर कोई नमाज़ न पढ़ी जाए.
#WATCH | Uttar Pradesh | Drone surveillance being done in Sambhal on the day of ‘Alvida Namaz’ (special prayers on the last Friday of Ramzan), as the month-long Ramzan is in its last week pic.twitter.com/HjfCEyWpD4
— ANI (@ANI) March 28, 2025
मेरठ शहर के पुलिस अधीक्षक आयुष विक्रम सिंह ने मीडिया को बताया कि मुसलमानों को निर्देश दिया गया है कि “किसी भी परिस्थिति में सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ी जाएगी.” उन्होंने धमकी दी कि अगर उल्लंघन के कारण व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए, तो उनके पासपोर्ट और लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं. ये लगभग चेतावनी के रूप में छुपी धमकी जैसा लगता है.
VIDEO | Here’s what Meerut SP City Ayush Vikram Singh said on security arrangements ahead of Eid celebrations.
“The Muslim community will celebrate Eid on March 31st or April 1st. Officials have urged the community to celebrate the festival peacefully and in a spirit of… pic.twitter.com/DGxKbdyFk5
— Press Trust of India (@PTI_News) March 27, 2025
संभल के सहायक पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि परंपरा के मुताबिक सिर्फ निर्दिष्ट मस्जिदों और ईदगाहों में ही नमाज की “अनुमति” दी जाएगी, इन परिसरों के बाहर नहीं. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि लोगों को नमाज के लिए छतों पर “अनावश्यक रूप से जमा होने” की भी अनुमति नहीं दी जाएगी. अधिकारी ने बताया कि मस्जिद में भीड़भाड़ रोकने के लिए शांति समिति के सदस्य स्थिति पर नजर रखेंगे. एक बार जब मस्जिदें अपनी क्षमता के 70-80% तक पहुंच जाएंगी, तो आने वाले लोगों को बैरिकेड्स द्वारा बाहर रोक दिया जाएगा और नमाज के लिए पास की मस्जिदों में भेज दिया जाएगा.
#WATCH | Uttar Pradesh: Sambhal ASP Shrish Chandra says, “The Police force has been deployed in Sambhal ahead of the Alvida ki Namaz today. The Namaz will be conducted peacefully… Drone surveillance is done along with monitoring through CCTV… No one will offer namaz on roads;… pic.twitter.com/vjBEusxUXO
— ANI (@ANI) March 28, 2025
1 अप्रैल को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सड़कों पर नमाज की अनुमति नहीं देने के राज्य के फैसले का बचाव किया. उन्होंने तुरंत कहा कि महाकुंभ के लिए प्रयागराज आए श्रद्धालु धार्मिक अनुशासन और व्यवस्थित आचरण का एक प्रमुख उदाहरण थे. PTI के एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि कैसे कथित तौर पर बिना किसी हिंसा, उत्पीड़न या अव्यवस्था के 66 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल हुए.
VIDEO | EXCLUSIVE: Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath (@myogiadityanath) describes the state administration’s decision to ban namaz on roads as right, adding that people should learn discipline from devotees who came to Prayagraj during Maha Kumbh.
“Roads are meant for walking… pic.twitter.com/XSQvRxIJRF
— Press Trust of India (@PTI_News) April 1, 2025
गौरतलब है कि सीएम योगी और यूपी प्रशासन इस बात को मानने में नाकाम रहे कि महाकुंभ मेले के दौरान घंटों तक भगदड़ मची रही. शायद ये घटना राज्य मशीनरी की सामूहिक स्मृति से पूरी तरह मिटा दी गई है.
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चयनात्मक जांच?
हालांकि, हमारे डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि असहिष्णुता की घटनाएं कितनी ज़्यादा थीं. ये साफ था कि यूपी में अधिकारियों ने पूरे रमज़ान के दौरान साफ तौर पर सांप्रदायिक रवैया अपनाया.
जब मुसलमान सड़कों पर नमाज़ पढ़ते हैं तो यातायात असुविधा एक मुद्दा बन जाती है. इसके विपरीत, अन्य त्योहारों के दौरान ऐसे कोई निर्देश जारी नहीं किए गए या सार्वजनिक रूप से इस पर जोर नहीं दिया गया. जहां कभी-कभी कई दिनों तक सड़कें जाम रहती हैं. इसी तरह, नमाज़ों या घोषणाओं के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल त्वरित जांच और कार्रवाई को आकर्षित करता है. ऐसा तब होता है जब देश में किसी भी उत्सव के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल लगभग बंद हो गया है. ऐसा लगता है कि अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर मुसलमानों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण नियमों के प्रवर्तन पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है.
ऐसा लगता है कि किसी धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव के कारण सार्वजनिक मुद्दा बनता है, इसके बारे में आख्यानों में विसंगतियां हैं; ये कहना ज़्यादा नहीं होगा कि इस मामले में अल्पसंख्यक समुदाय को अलग कर दिया गया. चयनात्मक जांच क्यों? क्या नियम और सार्वजनिक व्यवस्था सिर्फ कुछ समुदायों के त्योहारों के दौरान ही केंद्र में आते हैं? और सबसे ज़रूरी बात ये है कि क्या ये इस बात का संकेत है कि भाजपा शासन में भविष्य में क्या होने वाला है?
ये ज़िक्र करना भी सार्थक है कि जब अधिकारियों, नेताओं और कट्टरपंथी समूहों ने विभाजनकारी बयानबाज़ी दी तब भी ऑल्ट न्यूज़ ने अलग-अलग धर्मों के लोगों द्वारा दयालुता के कार्यों के कई मामलों का डॉक्यूमेंटेशन किया; मतभेदों पर विजय पाने वाली मानवता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन.
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इस स्थिति को देखते हुए, उर्दू कवि शाकेब जलाली की ‘जैश-ए-ईद’ शीर्षक कविता की पंक्तियां दिमाग में आती हैं:
“सभी ने ईद मनाई मेरे गुलिस्तां में; किसी ने फूल पिरोए, किसी ने खार चुने.”
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