“तुम काला कमल लिखो, हम लाल गुलाब लिखेंगे…”

शायर आमिर अज़ीज़ के शब्द शायद इस ईद पर सच साबित हुए.

यहां तक ​​कि जब संसद ने 4 अप्रैल के शुरुआती घंटों में विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया. तो देश भर में ईद पर हिंदुओं और मुसलमानों के एक-दूसरे के पास पहुंचने और प्यार और एकजुटता के भावों का आदान-प्रदान करने के दृश्य सामने आए, हाल के दिनों में भारत में सामान्य होते जा रहे सांप्रदायिक अलगाव से उलट एक दिल छू लेने वाली पेशकश है. कई राज्यों में हिंदू समुदाय के सदस्यों ने नमाजियों पर फूलों की वर्षा की जबकि कुछ लोग गले मिलकर उनका स्वागत करने के लिए मस्जिदों के बाहर इंतजार कर रहे थे. अन्य जगहों पर, ईद-उल-फितर मना रहे मुसलमान उपहार बक्सों में लिपटे भाईचारे के संदेश लेकर स्थानीय मंदिरों में गए.

राजस्थान, भाजपा के नेतृत्व वाला राज्य जो अक्सर विभाजनकारी राजनीति से ग्रस्त रहता है, लेकिन इसके शहर जयपुर में व्यवसायी सीताराम गुप्ता के परिवार ने चौदह साल पुरानी परंपरा को जारी रखा जिसके दृश्य सोशल मीडिया पर शेयर किए गए. क्लिप में सीताराम गुप्ता, उनकी पत्नी और उनके परिवार के बाकी लोग ईद पर नमाजियों को पानी बांटते दिखें. ऐसे युग में जहां धार्मिक त्योहारों पर अक्सर सांप्रदायिक तनाव और हिंसा का साया रहता है, गुप्ता परिवार के छोटे लेकिन मार्मिक कदम ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया.

 

 

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उम्मत टाइम्स के साथ एक विशेष इंटरव्यू में गुप्ता और उनकी पत्नी ने इस बात पर अविश्वास जताया कि कैसे इस ईद पर उनका काम सबसे ज़्यादा चर्चित चीजों में से एक बन गया. “मुझे ये नहीं पता था… मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि एक दिन ऐसा आएगा जब मेरा जल-वितरण कार्यक्रम पूरा भारत देखेगा.” साथी मुस्लिम व्यवसायियों के साथ अपने सौहार्द के बारे में बात करते हुए, गुप्ता कहते हैं, “उनमें से कई लोग ईद पर मेरे बच्चों के लिए मिठाई लेकर हमारे घर आते हैं. हम उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं, उन्हें ईदी भी देते हैं.”

सीताराम गुप्ता ने बताया कि उन्होंने देखा कि लोग गर्मी में ईदगाह तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं. “(वे) हमारे पास से पैदल गुजरते हैं… हम उन्हें पानी देते हैं और बदले में वे हमें दुआएं देते हैं.” जब उनसे पूछा गया कि क्या अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं, तो उन्होंने कहा, “अगर हमारे साथी भी ऐसा करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है. लेकिन हमारे लिए, ये एक व्यक्तिगत काम है. हमने इसके लिए कभी दान या वित्तीय मदद नहीं ली है, और हम कभी नहीं लेंगे. मैं हर चीज के लिए पैसों का इंतजाम खुद करता हूं… जो भी जरूरत होती है, हम स्वेच्छा से और खुशी के साथ योगदान करते हैं.”

धार्मिक उत्सवों के अक्सर सांप्रदायिक तनाव से प्रभावित होने पर विचार करते हुए गुप्ता कहते हैं, “लोगों को सद्भाव से रहना चाहिए. हमें भाईचारे की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए. जब ​​हिंदू और मुस्लिम एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो ये भारत में बहुत खुशी लाता है. दोनों त्योहार सम्मान के पात्र हैं… यही मेरी हार्दिक इच्छा है.”

अंतिम मैसेज के रूप में, गुप्ता ने कहा, “मैं तो ये चाहता हूं सब खुश रहें. सब शांत रहें. मिल-जुल कर रहें. और अपना देश तरक्की करें… (वायरल वीडियो रिकॉर्ड करने वाले व्यक्ति के लिए) आपका बहुत बहुत शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि जो मेरा मैसेज आगे तक ले के जाएंगे – इसके आपके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.” 

सीताराम गुप्ता के इलाके से कुछ ही दूरी पर, पिंक सिटी में, भगवाधारी हिंदू लोगों को उन मुसलमानों पर फूल बरसाते देखा गया जो दिल्ली रोड पर ईदगाह में नमाज़ पढ़ने आए थे. कथित तौर पर ये पहल हिंदू-मुस्लिम एकता समिति के बैनर तले की गई थी.

फ़ोटो जर्नलिस्ट पल्लव पालीवाल ने ईदगाह में भगवा पोशाक पहने और नमाजियों पर फूल बरसा रहे एक व्यक्ति का फ़ुटेज भी शेयर किया. उन्होंने अपने कैप्शन में लिखा, “सांप्रदायिक सद्भाव.”

 

 

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दंगाग्रस्त महाराष्ट्र में 64 साल के शरद कदम की ओर से एक भावुक मैसेज आया. राष्ट्रीय सेवा दल के पूर्व मुंबई अध्यक्ष, चार अन्य लोगों के साथ, कथित तौर पर घाटकोपर के घनी आबादी वाले इलाके चिराग नगर में एक मस्जिद के बाहर खड़े थे – सफेद टोपी पहने हुए और नमाज से बाहर आने पर नमाजियों का लाल गुलाब के साथ स्वागत करने का इंतजार कर रहे थे. फिर ग्रुप को मस्जिद के अंदर आमंत्रित किया गया. इसके बाद अपने हमवतन लोगों से मुस्लिम समुदाय ने रिश्ते को आगे बढ़ाने का वादा किया.

नफरतों के बाज़ारमें मोहब्बतों की दुकान।

आज ईद..
मुस्लिम बांधवांना शुभेच्छा देण्याकरिता घाटकोपर मधील पारशी वाडी येथील…

Posted by Sharad Kadam on Sunday 30 March 2025

उत्तर प्रदेश में, इसे फूलों की वर्षा से मनाया गया 

उत्तर प्रदेश, लंबे समय से सांप्रदायिक तनाव का केंद्र रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बनाते हुए कई सांप्रदायिक टिप्पणियां की हैं – जिनमें से कई को ऑल्ट न्यूज़ द्वारा डॉक्यूमेंट किया गया. हालांकि, इस ईद पर, राज्य में हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा अपने मुस्लिम हमवतन लोगों के पास पहुंचने और उन पर फूल बरसाकर एकजुटता व्यक्त करने के कई सुखद उदाहरण देखने को मिलें.

वाराणसी में कई भगवाधारी हिंदू पुरुषों को एक मस्जिद से बाहर निकलते समय मुस्लिम उपासकों पर फूलों की वर्षा करते और उन्हें गले लगाते देखा गया. समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद जुबैर खान, जो वाराणसी से हैं, ने बातचीत का एक वीडियो शेयर किया, और इसे “गंगा-जमुनी तहजीब का एक सच्चा उदाहरण” बताया. वीडियो में जुबैर खुद भी हिंदू समुदाय के साथी नागरिकों को गले लगाते नजर आ रहे हैं.

ये घटना कथित तौर पर वाराणसी के बेनिया बाग इलाके में हुई.

यूपी के अमरोहा में भी नमाज पढ़ने जा रहे मुस्लिम नमाजियों पर फूलों की बारिश की गई. प्रसाद चढ़ाने वालों में एक भगवाधारी हिंदू पुजारी भी थे जिन्होंने रुद्राक्ष की माला पहनी हुई थी. इस क्लिप को पत्रकार शुऐब रज़ा ने शेयर किया था.

प्रयागराज में (जहां हाल ही में महाकुंभ मेला संपन्न हुआ) कई सामाजिक संगठनों ने ईदगाह में नमाज अदा करने के बाद नमाजियों को गुलाब के फूल उपहार में दिए. कार्यक्रम में मौजूद गिरीश चंद्र पांडे ने दैनिक भास्कर को बताया कि मुस्लिम समुदाय को 30 दिनों के उपवास के सम्मान में फूल, पानी और सेवई भेंट की जा रही है. इसके अलावा, दैनिक भास्कर ने रिपोर्ट किया कि महाकुंभ के दौरान मुस्लिम समुदाय ने हिंदू उपासकों पर फूलों की वर्षा भी की.

होली के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों में भी कुछ ऐसा ही भाव देखने को मिला. उत्तर प्रदेश के संभल में – एक ऐसा क्षेत्र जिसने पिछले साल कई सांप्रदायिक झड़पें देखीं (खासकर जामा मस्जिद विवाद पर, जिसमें मौतें भी हुईं) सिरसी इलाके में मुसलमानों ने एकता के प्रतीकात्मक कार्य में हिंदुओं पर फूलों की वर्षा की. दिल्ली के सीलमपुर में भी हिंदुओं द्वारा अपने मुस्लिम पड़ोसियों पर पंखुड़ियों की वर्षा करने वाले विजुअल्स सामने आए – सम्मान और पहुंच का एक विचारशील संकेत.

कुल मिलाकर, एक बदलाव देखना ताज़गी भरा था – लोग भगवा पोशाक और तिलक धारण कर रहे थे जो ऐसे प्रतीक हैं जो तेजी से आक्रामक बहुसंख्यकवाद से जुड़े हुए हैं, ये सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति सचेत संकेत दे रहे हैं. विशेष रूप से इस स्टोरी में दर्ज़ की गई सभी घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुईं जहां अक्सर सांप्रदायिक तनाव देखा जाता है जो अक्सर सतर्कता, हेट स्पीच या टारगेट वायलेंस के रूप में प्रकट होता है.

बेंगलुरु में ईद पर मंदिर के दर्शन

ऐसा ही एक दृश्य बेंगलुरु में सामने आया जहां मुसलमानों ने पड़ोस के मंदिरों में हिंदू पुजारियों के साथ ईद मना कर अपनी खुशियां शेयर करने का एक कदम बढ़ाया.

सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के प्रयास में जहूर अहमद और मोहम्मद आमेर, गिफ्टिंग सुन्नत नामक एक पहल का हिस्सा हैं, जहां लोग ईद के दिन उपहार बांटकर प्यार फैलाने के लिए एकजुट होते हैं, अपनी खुशी साझा करने के लिए कर्नाटक की राजधानी के कई मंदिरों में गए.

ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए, अहमद ने कहा, “बहुत ज़्यादा सांप्रदायिक हिंसा फ़ैल रही है. हमने सोचा कि इसका मुकाबला करने के बजाय, हम कुछ सकारात्मक काम करेंगे जिसका ज़्यादा प्रभाव होगा. हम 2018 से उपहार बांट रहे हैं. हम अपना पैसा लगाते हैं और ऐसा करते हैं. हम नगर पालिका कर्मचारियों, यातायात पुलिस, सामान्य पुलिस, पेट्रोल पंप पर काम करने वाले लोगों और ईद पर काम करने वाले और हमारी मदद करने वाले लोगों को बक्से उपहार देंगे. लेकिन इस साल, हम पहली बार मंदिरों में गए और पुजारियों से मिलें.”

इसके अलावा, उन्होंने हमें बताया कि वो चर्च और गुरुद्वारों का दौरा करने की भी योजना बना रहे थे. मंदिरों में मिले स्वागत के बारे में अहमद ने हमें बताया, “जब हम पहली बार उनके पास गए तो हम बहुत घबरा गए थे, क्योंकि हम पहली बार ऐसा कुछ कर रहे थे. लेकिन जब हम पुजारियों से मिले, तो उन्होंने बहुत स्वागत किया. उन्होंने हमें गले लगाया और अपनी खुशियां बांटी. एक स्वामीजी ने मुझे बताया कि हम सभी एक ही भगवान द्वारा बनाए गए हैं और हमारे बीच नफरत के लिए कोई जगह नहीं है. हमने एक ही दिन में सात मंदिरों का दौरा किया, और टोपी और कुर्ता पहनने के बावजूद (जो हमारी पहचान के स्पष्ट मार्कर हैं) हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा.”

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अलगाव में देखा जाए तो साथी नागरिकों को उपहार बांटने या पीने का पानी देने जैसे कामों को न्यूज़ रिपोर्ट्स में दर्ज़ करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. वर्ड्सवर्थ ने उन्हें “दयालुता और प्रेम के छोटे, नामहीन, न याद किए जाने वाले कार्य” कहा. लेकिन समय ऐसा है कि इन्हें बार-बार याद रखने, डॉक्यूमेंटेशन करने और दोबारा बताने की जरूरत है; इस आशा में कि अंधकार का मौसम रौशनी के मौसम को रास्ता देगा जिससे हमें निराशा की गर्मियों में भी आशा के वसंत में विश्वास हो जाएगा.

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Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.