हाल ही में सोशल मीडिया पर 57 सेकंड का एक वीडियो वायरल है जिसमें हथियारों के ढ़ेर और नोटो के बंडल दिख रहे हैं. ये क्लिप शेयर करते हुए तरह-तरह के दावे किये जा रहे हैं. जैसे कुछ यूज़र्स ने इसे ‘हिंदुस्तान को इस्लामिक मुल्क बनाने’ की तैयारी बताया तो कुछ ने कहा कि ये लखनऊ से हकीम सलाउद्दीन के घर से बरामद किये गए हथियार हैं. कुछ ने इन दृश्यों को मदरसे में हो रही साज़िश बताया.
बता दें कि 26 जून को लखनऊ से सलाउद्दीन नाम के आरोपी को कुछ हथियार, कारतूस और अवैध हथियार बनाने वाले उपकरणों के साथ गिरफ्तार किया. इस घटना से जोड़कर कुछ मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया पर ये झूठा दावा चलाया गया था कि आरोपी के घर से पुलिस ने 300 अवैध हथियार और 20 बोरियों में 50 हज़ार कारतूस बरामद किये हैं. कुछ ने अवैध हथियारों की संख्या 3000 तक बताई. जबकि लखनऊ में सलाउद्दीन नामक शख्स के पास से 7 अवैध हथियार, 7 एयरगन और करीब 140 कारतूस बरामद किये थे.ऑल्ट न्यूज़ की इस मामले पर की गई फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.
पढ़ें: फ़ैक्ट-चेक: लखनऊ पुलिस ने सलाउद्दीन के घर से 300 हथियार और 50 हज़ार कारतूस बरामद किया?
रुद्राक्ष नाम के इस X यूज़र ने लखनऊ के इस मामले से जोड़कर ये कथित वीडियो पोस्ट किया. इस आर्टिकल के लिखे जाने तक इस वीडियो को 2 लाख 27 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
3,000 guns & 20 sacks containing
50,000 cartridges along with $ recovered from Hakim Salauddin house in Lucknow. pic.twitter.com/ruVCPZ16mC— रुद्राक्ष📿 (Rudy) (@manamuntu) June 29, 2025
X और फ़ेसबुक पर कुछ और भी यूज़र्स ने ये क्लिप लखनऊ की घटना से जोड़ते हुए पोस्ट की है.
ये वीडियो इस लंबे चौड़े मेसेज के साथ भी शेयर किया जा रहा है जिसके अनुसार, “*यह अनपढ़ मदरसे छाप जिहादीयो की तैयारी* *तुम कितने ही पढ़े लिखे हो कितनी ही डिग्री तुम्हारे पास तो, अगर तुम जिहादी, आसमानी किताब, जिहादी मुल्लो की साज़िशों से बेखबर हो तो तुम्हारी एजुकेशन और डिग्री जीरो है*”. मेसेज में आगे लिखा कि ये मदरसा वाले लोग (मुस्लिम समुदाय के लोग) एजुकेशन और डिग्री के मामले में (हिंदुओं से) आगे हैं. वायरल टेक्स्ट में ये भी लिखा है, “अपनी साज़िशों से अपनी जनसंख्या विस्फोट से, अपनी तैयारीयो से हिन्दुओ के हिंदुस्तान को इस्लामिक मुल्क बनाने के बहुत करीब पहुच चुके है* *रही हिन्दुओ की बात तो यह आपसी भाई चारे, गंगा यमुना तहज़ीब और सब का साथ सब का विकास मे बहुत बिजी है*”
X यूज़र ‘महावीर जैन’ ने उपरोक्त वायरल मेसेज के कुछ हिस्सों के साथ ये वीडियो पोस्ट किया और मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधा. ये आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 70 हज़ार से ज़्यादा व्यूज़ मिले हैं. (आर्काइव लिंक)
जो हिंदू अपने को 50 डिग्री वाला समझता हे उनको याद रखना चाहिए कि अनपढ़ मदरसा छाप ही अपने मजहब को आगे बढ़ाने का काम करता हे. pic.twitter.com/TqNxrJhBmf
— महावीर जैन, ಮಹಾವೀರ ಜೈನ, Mahaveer Jain (@Mahaveer_VJ) July 4, 2025
फ़ेसबुक और व्हाट्सऐप पर भी पर भी ये वीडियो इसी वायरल टेक्स्ट के साथ शेयर किया गया है.
इंस्टाग्राम पर भी कुछ यूज़र्स ने ये वीडियो ऐसे ही मेसेज के साथ शेयर किया.
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फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि वायरल वीडियो में 3 अलग-अलग क्लिप्स हैं. हमने इसके कुछ फ़्रेम्स को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया ताकि हम इन तीनों क्लिप्स की सच्चाई का पता लगा सकें.
पहली क्लिप
वीडियो के पहले 4 सेकंड में ज़मीन पर फैले सैंकड़ों हथियारों का दृश्य है. इस क्लिप के फ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़, 16 अगस्त 2021 के द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक आर्टिकल तक पहुंचा. इस आर्टिकल में बताया गया है कि तालिबान ने अफगानी सैन्य बलों के पास से हथियार ज़ब्त किये थे. तालिबान ने अगस्त 2021 में अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा हासिल कर लिया था जिसके बाद वहां लोगों में दहशत फ़ैली थी और लोग देश से बाहर जाने के लिए काबुल एयरपोर्ट की ओर निकल चुके थे. इसके बाद तालिबान ने सैन्य बलों और उनकी संपत्ति को कब्ज़े में कर लिया था. उस वक़्त सोशल मीडिया पर तालिबान द्वारा भारी संख्या में हथियार ज़ब्त किये जाने का ये वीडियो शेयर किया गया था.
ABP NEWS ने भी तालिबान द्वारा हथियार ज़ब्त किये जाने की खबर दिखाते हुए ये वीडियो चलाया था.
दूसरी क्लिप
वायरल वीडियो में 5 सेकंड से 35 सेकंड तक नोटों के बंडल दिखाने वाले इस क्लिप को लेकर ऑल्ट न्यूज़ ने छानबीन शुरू की. इस वीडियो को इंटरनेट पर शेयर किये जाने का सबसे पुराना उदाहरण 6 फ़रवरी 2020 का मिला. 30 सेकंड के इस वीडियो में पहली चंद फ़्रेम्स में 20 जनवरी 2020 की तारीख और 13 बजकर 34 मिनट का समय लिखा हुआ एक पेपर दिखता है. ऑल्ट न्यूज़ को इस वीडियो के बारे में ज़्यादा कुछ जानकारी नहीं मिली. लेकिन इसे फरवरी 2020 में कई मौकों पर पोस्ट किया गया था और कुछ पोस्ट्स में इसे अफ़गानिस्तान का बताया गया है.
Isabel dos Santos money found in a residence in Portugal, so far nobody has been able to count.👇👇🏾👇🏾👇🏾👇🏾
Posted by Bulawayo Extreme on Thursday 6 February 2020
‘Pajhwok Afghan News’ नामक एक आउटलेट ने भी ये क्लिप 12 फ़रवरी 2020 को पोस्ट की और बताया की नोटों की गड्डियों का ये वीडियो अफ़गानिस्तान का है.
د نيول شويو ميليونونو ډالرو قضيه!
ټولنيزو رسنيو کې د ډالرو د ګودام يوه دقيقه يي ويډيو خپره شوې او ترې ښکاري چې په افغانستان کې دننه په يوه خټينه کوټه کې له نن څخه ٢٢ ورځې مخکې ثبت شوې ده.
ناتاييد شوي خبرونه وايي چې دغه ډالر د کوم پخواني چارواکي و او په سمنګانو کې امنيتي ځواکونو ته په لاس ورغلي دي.Posted by Pajhwok Afghan News on Wednesday 12 February 2020
यहां, इतना तो साफ हो जाता है कि ये वीडियो कम से कम साल 2020 से इंटरनेट पर मौजूद है और हाल में लखनऊ में अवैध हथियारों को बरामद करने की घटना से जुड़ा नहीं है.
तीसरी क्लिप
वायरल वीडियो में 36 सेकंड के बाद हथियारों के बीच दिख रहे लोगों की क्लिप है. इसके फ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करते हुए ऑल्ट न्यूज़ को ये वीडियो भी तालिबान द्वारा अमेरिकी हथियारों ज़ब्त किये जाने की कुछ रिपोर्ट्स मिलीं. 14 अगस्त 2021 को ‘El Media – خبرگزاری ایل’ नामक एक फ़ेसबुक पेज ने ये वीडियो पोस्ट किया और तालिबान के हाथों में इन हथियारों के पहुंचने की जानकारी दी.
سلاح ومهمات قول اردوی ۲۰۷ ظفر که بعد از تسلیم شدن به دست طالبان افتاده است.
Posted by El Media – خبرگزاری ایل on Saturday 14 August 2021
15 अगस्त 2021 को ये वीडियो बेहदाद जावदान नामक एक इंस्टाग्राम यूज़र ने पोस्ट किया था. बेहदाद ने खुद को पत्रकार बताया है और कैप्शन में जानकारी दी थी कि तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अपनी पकड़ बनाते हुए अमेरिकी सैन्य उपकरण, बारूदी सुरंग रोधी बख्तरबंद वाहन, ड्रोन और गोला-बारूद जब्त कर लिए.
14 अगस्त 2021 को ईरान स्थित SNN ने भी यही जानकारी देते हुए ये वीडियो पब्लिश किया था.
यानी, यहां साफ हो जाता है कि लखनऊ के जिस मामले से जोड़कर ये 3 क्लिप्स वाला वीडियो शेयर किया गया वो ग़लत है. साथ ही ये झूठा दावा किया गया कि लखनऊ में हकीम सलाउद्दीन के घर से 3,000 बंदूकें और 20 बोरियों में 50,000 कारतूस और 50,000 डॉलर बरामद किये गए. वीडियो क्लिप्स भी अलग अलग घटनाओं की हैं और पुरानी है. वहीं इस तरह, लखनऊ से अवैध हथियारों को ज़ब्त किये जाने की घटना को पहले तो कुछ मीडिया संगठनों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया और बाद में इससे जोड़कर कम से कम 3-4 साल पुरानी क्लिप्स शेयर की गईं जो भारत की हैं भी नहीं.
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