13 जून से ईरान-इज़राइल के बीच शुरू हुए संघर्ष ने कई नागरिकों की जान ले ली है. इस तनाव के बढ़ने के साथ ही कथित रूप से एक इज़रायली सैनिक का रोते हुए दया की भीख मांगने का वीडियो वायरल है. वीडियो में सैनिक कैमरे की ओर देखते हुए ईरानी सेना से युद्ध रोकने का आग्रह करता है. जबकि बैकग्राउंड में घायल सैनिक और टूटी हुई इमारतों के मलबे पड़े हैं. वो कहता है, “ईरान, हम आपसे विनती करते हैं. कृपया हमले रोकें. आधा इज़राइल चला गया है. हमने आत्मसमर्पण कर दिया है. बस इस विनाश को रोकें.”

दोनों देशों के बीच संघर्ष (जो पूरी तरह युद्ध में बदलने की ओर बढ़ रहा है) 13 जून को इज़रायल द्वारा ईरान में परमाणु और सैन्य स्थलों पर हमला करने के साथ शुरू हुआ. इज़रायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ कहा. माना जाता है कि ये ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने के लिए शुरू किया गया था. हालांकि, हमले में कई आम नागरिकों की मौत हो गई जिसके बाद ईरान ने भी जवाबी मिसाइल हमलों का सहारा लिया.

X यूज़र (@Skylar_Soul_) ने वायरल वीडियो 16 जून को पोस्ट किया था. जब ये आर्टिकल लिखा गया था, उस वक्त पोस्ट को 1,00,000 से ज़्यादा बार देखा गया और 1 हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया गया था. (आर्काइव)

एक X यूज़र ‘@dpsingh1313‘ ने ये वीडियो पोस्ट किया. ये आर्टिकल के लिखे जाने तक इस वीडियो को 1,60,000 से ज़्यादा बार देखा गया था. (आर्काइव)

वायरल वीडियो को कई X यूज़र्स ने भी शेयर किया था जिनमें @Deb_livnletliv, @SanjeevCrime, @Ayesha786Majid, @armanofficial00 और @hammehaiindia62.शामिल हैं. (आर्काइव लिंक: 12345)

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ये वीडियो फ़ेसबुक पर ऐसे ही दावों के साथ वायरल था.

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फ़ैक्ट-चेक

क्लिप के फ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को यूट्यूब पर ये वीडियो अपलोडेड मिला. हालांकि, इस वीडियो का रिज़ॉल्यूशन वायरल वीडियो से अच्छा है.

हमने देखा कि यूट्यूब वर्ज़न में स्क्रीन पर नीचे दाएं कोने पर एक स्पष्ट वॉटरमार्क ‘Veo’ है. वायरल वीडियो में भी ये वॉटरमार्क है, लेकिन कम रिज़ॉल्यूशन के कारण, ये ब्लर दिखता है.

Veo एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस-बेस्ड वीडियो जनरेशन टूल है जिसे इस साल गूगल द्वारा लॉन्च किया गया है. ये यूज़र्स को शारीरिक असामान्यताओं के बिना 8-सेकंड लंबे यथार्थवादी वीडियो बनाने की अनुमति देता है.

ध्यान दें कि वायरल वीडियो ठीक 8 सेकंड का है. इसके अलावा जो बात Veo को अन्य वीडियो जनरेशन मॉडलों से अलग बनाती है, वो ऑडियो और संवाद को बिना किसी विकृति के एकीकृत करने की क्षमता जो वायरल वीडियो में साफ दिखता है.

हमने पुष्टि के लिए वीडियो को HIVE के AI डिटेक्शन टूल के माध्यम से भी चलाया. इसके मुताबिक, 88% संभावना है कि वायरल वीडियो AI-जनरेटेड है.

इन निष्कर्षों के आधार पर, हम ये कह सकते हैं कि वायरल वीडियो असली नहीं है और गूगल Veo के माध्यम से तैयार किया गया है. 

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