वायरल वीडियो में गोताखोरों को जलमग्न खंडहरों की खोज करते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में पानी के भीतर कई पत्थर, शिलालेख और डूबी हुई एक इमारत दिख रही है. दावा किया जा रहा है कि ये राम सेतु की खोज का एक अभियान है. ये सेतु तमिलनाडु रामेश्वरम को श्रीलंका के मन्नार द्वीप से जोड़ती है और हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व रखती है. 

हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, राम सेतु एक पुल था जिसे हिंदू देवता राम ने अपनी वानर सेना की मदद से लंका तक पहुंचने और अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए बनाया था, जिन्हें रावण ने बंधक बना लिया था. राम के हिंदू भक्तों और अनुयायियों का मानना ​​है कि इस पुल को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थरों पर राम का नाम लिखा था, जिसने चमत्कारिक रूप से पत्थरों को पानी पर तैरने में सक्षम बनाया. परिणामस्वरूप एक पुल का निर्माण हुआ. तमिलनाडु सरकार के मुताबिक, राम सेतु 48 किलोमीटर लंबा है और प्राकृतिक चूना पत्थर से बना है. राम सेतु की असली कहानियों पर बहस छिड़ गई है; कई लोगों ने पौराणिक दावों का खंडन किया है कि इसे राम ने बनवाया था और तर्क दिया कि ये एक प्राकृतिक संरचना है. 

हालांकि, वायरल वीडियो में गोताखोरों को शिलालेखों वाले पत्थरों के पास प्राचीन औजारों और कलाकृतियों की जांच करते हुए दिखाया गया है. वीडियो में पानी के भीतर हिंदू देवता हनुमान और राम से मिलती-जुलती मूर्तियां भी दिखती हैं. 

X अकाउंट @VIKRAMPRATAPSIN ने वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि ये राम सेतु के “खोज” को दिखाता है. (आर्काइव)

पोस्ट को लगभग 284,000 बार देखा गया.

एक अन्य X यूज़र, @rohitgangwalind ने भी ये क्लिप शेयर करते हुए दावा किया कि ये कोई मिथक या काल्पनिक कथा नहीं बल्कि अतीत की ऐतिहासिक वास्तविकता है. यूज़र, रोहित गंगवाल अपने X बायो में लिखते हैं कि वो भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश के विदेश मामलों के राज्य समन्वयक हैं.

फ़ेसबुक पर रवीश सिंह नाम के यूज़र ने एक ऐसा ही वीडियो शेयर किया है. कैप्शन में उन्होंने आग्रह किया कि जो कोई भी ये मानता है कि राम सेतु एक कल्पना मात्र है, उसे वीडियो को ध्यान से देखना चाहिए.

इन वीडियो के अलग-अलग वर्जन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हैं. X अकाउंट @Bhaskar_m11 ने भी इनमें से एक वर्जन शेयर किया जिसमें दावा किया गया कि गोताखोर राम सेतु की खोज कर रहे थे. (आर्काइव)

पोस्ट को लगभग 95 हज़ार बार देखा गया. 

एक अन्य X यूज़र, गीता पटेल (@geetappoo) ने ऐसे ही दावे के साथ वीडियो पोस्ट किया. (आर्काइव)

फ़ेसबुक यूज़र वी.एस. प्रिंस रतन ने भी वीडियो का एक अलग वर्जन शेयर किया जिसमें लिखा था कि राम सेतु का “असली फ़ुटेज” आखिरकार यहां है. (आर्काइव)

कई अन्य लोगों ने भी इन वीडियोज को ऐसे दावों के साथ शेयर किया.

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फ़ैक्ट-चेक

हमने सबसे पहले ये जांचने के लिए एक कीवर्ड सर्च किया कि क्या इस साल राम सेतु पर कोई अभियान चलाया जा रहा है. और इस मामले पर कोई हालिया न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली. 2021 में भारत सरकार ने राम सेतु की उम्र और उत्पत्ति निर्धारित करने को लेकर पानी के भीतर अध्ययन के लिए तीन साल के वैज्ञानिक अभियान को मंजूरी दी थी. इस अभियान का नेतृत्व वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान ने किया था. जुलाई 2024 में इसरो के वैज्ञानिकों ने नासा के ICESat-2 उपग्रह का इस्तेमाल किया और राम सेतु का पहला डिटेल समुद्र के नीचे का नक्शा बनाया जिससे इसकी संरचना के बारे में नई जानकारी मिली.  

एक नज़र में कुछ शॉट्स की क्वालिटी और डिटेल से हमें शक हुआ कि ये असली फ़ुटेज नहीं है. इस बात का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है कि राम सेतु में देवताओं की मूर्तियां थीं या वायरल वीडियो में दिखाई देने वाली बड़ी गेट जैसी संरचना थी. इसके कारण, हमें शक हुआ कि वीडियो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाए गए होंगे.

हमने इनमें से वायरल वीडियो से कुछ किफ्रेम्स लिए और कीवर्ड के साथ रिवर्स इमेज सर्च किया. जिससे हमें @JayPrints का इंस्टाग्राम अकाउंट मिला. यूज़र ने वायरल वीडियो का एक वर्जन 6 अप्रैल, 2025 को पोस्ट किया था. यूज़र खुद को AI आर्टिस्ट के रूप में बताता है और राम सेतु के कथित वीडियो के साथ कैप्शन में स्पष्ट डिस्क्लेमर है कि वीडियो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके बनाया गया था.

डिस्क्लेमर में लिखा है: “नोट: यहां दिखाए गए सभी विजुअल्स AI-जनरेटेड हैं और पूरी तरह से कलात्मक और शैक्षिक मकसद के लिए हैं. हम सभी मान्यताओं और परंपराओं का गहराई से सम्मान करते हैं – इस रील का मकसद आश्चर्य को प्रेरित करना है, न कि अपमान करना”. हालांकि, यही वीडियो अन्य लोगों द्वारा X और फ़ेसबुक पर बिना किसी AI लेबल या वार्निंग के शेयर किया गया था.

 

 

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इस वीडियो को लगभग 73 मिलियन लाइक्स मिले हैं.

ध्यान दें कि ये इंस्टाग्राम यूज़र अक्सर ऐसे AI-जनरेटेड वीडियो अपलोड करता है जिन्हें लाखों व्यूज़ मिलते हैं. इन वीडियोज़ में से एक में रहस्यमय शहर द्वारका की पानी के नीचे की खोज और दूसरे में बैकग्राउंड में बुलडोजर को वन्यजीवों का पीछा करते हुए दिखाया गया है, जो तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली में वनों की कटाई अभियान का ज़िक्र करता है.

कीवर्ड के थोड़े अलग सेट के साथ किफ्रेम की रिवर्स-इमेज सर्च से हमें डिजिटल क्रिएटर भारतएफएक्स1 (bharathfx1) का इंस्टाग्राम अकाउंट मिला. इस यूजर ने राम सेतु वीडियो का एक और वर्जन 27 मार्च, 2025 को शेयर किया था. इंस्टाग्राम पर असली पोस्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि वीडियो AI-जनरेटेड विजुअल्स का इस्तेमाल करके बनाया गया था.

 

 

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इस पोस्ट को लगभग 12.4 मिलियन बार देखा गया और दस लाख से ज़्यादा लाइक्स मिले. पिछले यूज़र्स की तरह, ये एकाउंट्स भी इंस्टाग्राम पर AI-जेनरेटेड कंटेंट बनाता है. 18 फ़रवरी को उन्होंने एक वीडियो “द लॉस्ट सिटी ऑफ़ द्वारका राइजिंग फ्रॉम द डेप्थ्स” अपलोड किया, जिसे लाखों बार देखा और पसंद किया गया. AI डिस्क्लेमर लेबल ऐसे सभी वीडियोज़ पर कैप्शन के रूप में दिखते हैं.

हालांकि, AI आर्टिस्ट के इंस्टाग्राम पोस्ट में साफ डिस्क्लेमर के बावजूद, कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसे बिना किसी चेतावनी के अपने एकाउंट्स से रीशेयर किया, जिससे ग़लत सूचना का प्रसार हो गया कि वीडियो राम सेतु के अवशेषों और खंडहरों का था.

कुल मिलाकर, गोताखोरों को पानी के भीतर खंडहरों की खोज करते हुए दिखाने वाले वायरल वीडियोज़ AI-जनरेटेड हैं और ये दावा निराधार है कि ये राम सेतु की खोज के दृश्य हैं.

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