सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर हो रही है जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि हिन्दू धर्मग्रन्थों के साथ छेड़छाड़ का काम चल रहा है. तस्वीर में इस्लाम धर्म से जुड़ी टोपी पहने हुए कुछ लोग दिख रहे हैं और एक किताब पर अथर्ववेद लिखा हुआ दिख रहा है. तस्वीर के साथ दावा है कि 20 साल बाद अगली पीढ़ी जो वेद-पुराण और उपनिषद् पढ़ेगी, वो मूल रूप में नहीं होंगे बल्कि उनके साथ छेड़छाड़ की गयी होगी. वास्तविक भारत नाम के फ़ेसबुक पेज के पोस्ट को 2800 से ज़्यादा शेयर मिले हैं. इस पोस्ट के कमेंट सेक्शन में गौर करने पर पता चलता है कि लोग इस दावे को सच मान रहे हैं.
ट्विटर पर भी इस तस्वीर को इन्हीं दावों के साथ शेयर किया जा रहा है.
देखो और ध्यान दो और क्या हो रहा है हमारे देश में 🤔🤨🤨🤨🤨🤨हमारे धर्म ग्रंथों में मिलावट करने का कार्य जोरों से चल रहा है,,,, 🙄🙄🙄
आने वाली 20 साल बाद हमारी अगली पीढ़ियां ये #मिलावटी वेद ,पुराण , उपनिषद पढ़ेंगे। ,,,
जिसमें लिखा होगा चरित्र निर्माण बेकार की बात है🦹 pic.twitter.com/ZJk8zxfC7C
— Rï†wïk §ïñgh ।धर्मार्थम् हिंसा परमो धर्मः। (@RAJPOOT_HUNK) July 21, 2020
फ़ेसबुक पर ये तस्वीर वायरल है, जहां कई लोगों ने इसे शेयर करते हुए ‘हिन्दू धर्म ग्रंथों में मिलावट’ की बात की है.
फ़ैक्ट-चेक
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें द हिन्दू का अप्रैल 2014 का एक आर्टिकल मिला. तस्वीर के कैप्शन के मुताबिक, “इस्लाम और हिंदू धर्म की सामान्य विशेषताएं समझने के लिए वेदों का अध्ययन करते अल महादुल आली अल इस्लामी के छात्र. इस लाइब्रेरी में दूसरे धर्मों के बारे में 1,000 से ज्यादा किताबें हैं.” इस तस्वीर का श्रेय फोटोग्राफर जी रामकृष्ण को दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक ‘अल महादुल आली अल इस्लामी’ हैदराबाद के शहीद नगर में स्थित है. फ़ोटो में अथर्ववेद के बगल में उर्दू में लिखी किताब भी रखी हुई देखी जा सकती है.
इस तस्वीर की अधिक जानकारी के लिए हमने अल महादुल आली अल इस्लामी संस्थान से संपर्क किया. हमारी बात हुई इस संस्थान के डिप्टी डायरेक्टर मुफ़्ती उमर आबिदीन से. उन्होंने हमें बताया कि ये तस्वीर उन्हीं की लाइब्रेरी की है और सालों पुरानी है. उन्होंने कहा, “यहां एक ‘मुतालय मिजाहिद’ मतलब ‘स्टडीज ऑफ फ़ेथ्स’ नाम का डिपार्टमेंट है. यहां छात्रों को न सिर्फ़ हिंदू धर्म के बारे में बल्कि और भी धर्म जैसे ईसाई, सिख धर्म के बारे में सिखाया जाता है. हम लगभग 20 साल से ये काम कर रहे हैं. छात्रों को पढ़ाने के लिए हम दूसरे धर्मों के विद्वानों को भी बुलाते हैं ताकि उन्हें हर धर्म की सबसे अच्छी समझ मिल सके.”
इस तरह एक 6 साल पुरानी तस्वीर जिसमें इस्लाम धर्म के छात्र हिंदू धर्म की सामान्य विशेषताएं समझने के लिए वेदों का अध्ययन कर रहे हैं, इस गलत दावे से शेयर की जा रही है कि हिन्दू ग्रंथों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है.
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