सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का बताकर एक वीडियो वायरल है जिसमें भीड़ एक इमारत को तोड़ रही है. दावा किया जा रहा है कि ये लोग 100 साल पुराना शिव मंदिर को तोड़ रहे हैं.

बीजेपी SC मोर्चा के राज्य सचिव अमरदीप पोटफोडे ने ट्विटर पर ये क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा, “देखिए पाकिस्तान में 100 साल पुराना भगवान शिव के मंदिर को कैसे तोड़ा गया. और यहां सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बनने वाला राम जन्मभूमि मंदिर ना सिर्फ “हरे कीड़ों” को बल्कि कुछ तथाकथित सेकुलर हिंदुओ को खटक रहा है.” (आर्काइव लिंक)

भाजपा समर्थक प्रोपगैंडा चैनल सुदर्शन न्यूज़ से जुड़े महेश कुमार श्रीवास्तव ने भी इसी कैप्शन के साथ ये वीडियो ट्वीट किया.

सुदर्शन न्यूज़ के एक और पत्रकार आलोक झा ने इसी कैप्शन के साथ वीडियो ट्वीट किया.

कई ट्विटर यूज़र्स ने ये वीडियो ट्वीट किया है जिनमें @Ramande77788760, @gyanveerBns, @Krashngopal61, @Imahadev92 शामिल हैं. इसे फ़ेसबुक पर भी कुछ यूज़र्स ने पोस्ट किया है.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो के फ़्रेम्स को यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च किया जिससे हमें दिसंबर 2020 की ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया‘ की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो के फ़्रेम के जैसा ही थंबनेल है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित एक मंदिर को स्थानीय मौलवी के नेतृत्व में भीड़ ने तोड़ दिया था. इसमें ये भी ज़िक्र किया गया है कि इसे तोड़े जाने से पहले, इलाके में एक रैली निकाली गई थी जहां आपत्तिजनक भाषण भी दिए गए थे. घटना के बाद, भीड़ ने मंदिर की तरफ कूच करते हुए उसे तोड़ना शुरू कर दिया. आरोप है कि इस कार्यक्रम को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) (JUI-F) नामक एक राईट विंग ग्रुप ने अंजाम दिया था.

हमें पाकिस्तान के न्यूज़ आउट्लेट डॉन की एक रिपोर्ट मिली. इस आर्टिकल के मुताबिक, पुलिस ने रात भर की छापेमारी में कम से कम 14 लोगों को हिरासत में लिया और अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जिन्होंने धर्मस्थल को गिराने के लिए भीड़ को उकसाया था. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि लोकल अथॉरिटीज ने मंदिर के रेनोवेशन की परमिशन दे दी थी जिससे नेता परेशान थे.

हमले के बाद, पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने इस घटना का संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई 5 जनवरी, 2021 को तय की.

हमें 6 जनवरी, 2021 की अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने सरकार को श्री परमहंस जी महाराज समाधि मंदिर का पुनर्निर्माण करने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि भीड़ के लिए कथित रूप से जिम्मेदार स्थानीय मुस्लिम नेता से खर्च वसूला जाए जिनके कारण ये हिंसा हुई और नुकसान हुआ.

कुल मिलाकर, दिसंबर 2020 में पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानीय लोगों द्वारा तोड़े गए 100 साल पुराने समाधि का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया गया कि स्थानीय लोगों ने 100 साल पुराना शिव मंदिर को तोड़ दिया.

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