20 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे द्वारा दावा की गई ज़मीन से 4 हज़ार से ज़्यादा परिवारों को बेदखल करने का आदेश पारित किया. अदालत के फैसले को बाद में देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई और 5 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में मानवीय पहलू है जिस पर विचार करने की ज़रूरत है.

इस संदर्भ में मेजर सुरेंद्र पूनिया ने एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रिय मित्रों, कहीं ज़मीन मत खरीदो.. बस बड़ी संख्या में अपने समुदाय के साथ एकजुट हो जाओ और किसी भी गवर्मेंट/डिफ़ेन्स/रेलवे की जमीन पर कब्ज़ा कर लो; मिलॉर्ड इसे वैध करेंगे. और अगर आप इसके खिलाफ आवाज़ उठाते हैं तो आप देश की धर्मनिरपेक्षता को खतरे में डाल रहे हैं. #हल्द्वानीअतिक्रमण.”

बीजेपी कार्यकर्ता प्रीति गांधी ने भी यही तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “आज सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध ठहराया है.”

खुद को भाजपा यूपी महिला मोर्चा की राज्य अध्यक्ष बताने वाली प्रभा उपाध्याय और श्रुति बंगारू भाजपा तेलंगाना राज्य महासचिव ने भी प्रीति गांधी की तरह ही इसी कैप्शन के साथ ये तस्वीर ट्वीट की.

This slideshow requires JavaScript.

कई और लोगों ने भी प्रीति गांधी की जैसे कैप्शन के साथ ये तस्वीर शेयर की जिनमें @Sandesh99508245, @aceduos, @Ashutos04111153, @KapilKrSinghAdv, @ParitoshPal1701, @Tanwarliva, और @RituRathaur शामिल हैं.

This slideshow requires JavaScript.

फ़ैक्ट-चेक

गूगल लेंस का इस्तेमाल करके रिवर्स इमेज सर्च से हमें 2016 में पब्लिश ABC न्यूज़ का एक आर्टिकल मिला. इस रिपोर्ट में थंबनेल में वायरल तस्वीर की तरह दिखने वाली इमेज है. इस तस्वीर के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “भारत के कोलकाता में 12 दिसंबर, 2013 को एक कम्यूटर ट्रेन के गुज़रते ही लोग रेल की पटरियों पर झुग्गी-झोपड़ियों में अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं.” इसका क्रेडिट समीर हुसैन/गेटी इमेजिज़ को दिया गया था.

इसी डिस्क्रिप्शन का इस्तेमाल करते हुए हमने गूगल पर सर्च किया और हमें गेटी इमेजिज़ पर मौजूद असली तस्वीर मिली. ये 12 ​​दिसंबर, 2013 की तस्वीर है. इसे कोलकाता में रेलवे ट्रैक के पास बसी झुग्गी बस्तिर्यों का बताया गया है.

कुल मिलाकर, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में 4 हज़ार घरों को गिराने का आदेश पारित किया था. इस फैसले पर रोक लगाने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने कोलकाता की दस साल पुरानी तस्वीर शेयर की.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Kalim is a journalist with a keen interest in tech, misinformation, culture, etc