साल 2025 में ऑल्ट न्यूज़ द्वारा किए गए फैक्ट-चेक और रिपोर्ट्स की एनालिसिस भारतीय मीडिया की एक चिंताजनक तस्वीर दिखाती है. ऑल्ट न्यूज़ के साल भर के कुल आर्टिकल्स के डेटा में 83 मौके पर मेनस्ट्रीम मीडिया आउटलेट्स में बड़े पैमाने पर जानकारी की बेसिक वेरिफिकेशन की कमी पाई गई. इसके अलावा मीडिया ने अलग-अलग मौकों पर सांप्रदायिक एंगल के साथ गलत जानकारी को भी आगे बढ़ाया.
ऑल्ट न्यूज़ ने साल भर में मीडिया आउटलेट्स द्वारा गलत रिपोर्टिंग और सांप्रदायिक एजेंडे के 83 मामलों को रिपोर्ट किया. इन मामलों में टॉप 5 स्थानों पर रिपब्लिक नेटवर्क, एबीपी नेटवर्क, न्यूज़18, ज़ी नेटवर्क और NDTV रहा. रिपब्लिक, एबीपी और न्यूज़18 ने 17 मौकों पर, ज़ी नेटवर्क ने 15 मौकों पर और एनडीटीवी ने 10 मौकों पर गलत जानकारी फैलाई या सांप्रदायिक एजेंडा फैलाया. इससे पता चलता है कि कुछ नेटवर्क लगातार गलत जानकारी और सांप्रदायिकता से लैस खबरें फैला रहे थे.

ब्रेकिंग न्यूज़ की होड़ में प्रमुख भारतीय न्यूज़ चैनलों ने बुनियादी फैक्ट-चेकिंग प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर गलत जानकारी फैलाई. मीडिया ने अभिनेता धर्मेंद्र की मौत से कई दिनों पहले ही उनको मार दिया.
“सबसे पहले” खबर देने की होड़ में “सही” होने के कर्तव्य नहीं निभाया
1. आज तक, एबीपी न्यूज़, इंडिया टुडे और ज़ी बिज़नेस सहित प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट चलाई कि दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है. जबकि असल में उस वक्त धर्मेंद्र जीवित थे. मीडिया आउटलेट्स ने असत्यापित अफवाहों को उठाया और अभिनेता के परिवार से पुष्टि किए बिना उन्हें ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में प्रसारित कर दिया.
आज तक, ABP न्यूज़, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स सहित कई अन्य ने ख़बर दी कि बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है. जबकि धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी ने इसे झूठी ख़बर बताते हुए इस खबर को फैलाने वाले चैनलों को गैर-ज़िम्मेदार बताया. | @AbhishekSayhttps://t.co/ooTt0RGcsa
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) November 11, 2025
2. रिपब्लिक टीवी, एबीपी न्यूज़, सीएनएन-न्यूज़18 और ज़ी न्यूज़ ने कारी मोहम्मद इकबाल नामक व्यक्ति की आतंकवादी घोषित कर दिया. चैनल्स ने बिना जांच के ख़बर दी कि सुरक्षा बलों ने ढेर किया गया “आतंकवादी” बताया. जबकि असल में कारी मोहम्मद इकबाल एक निर्दोष नागरिक और एक इमाम थे. मीडिया आउटलेट्स ने पाकिस्तानी हमले में जान गँवाने वाले भारतीय नागरिक को गलत तरीके से “आतंकवादी” करार दिया.
रिपब्लिक टीवी, ABP न्यूज़, ज़ी न्यूज़ इत्यादि ने पुंछ फायरिंग में मारे गए क़ारी मोहम्मद इकबाल की तस्वीर दिखाते हुए लश्कर का खूंखार आतंकी बताया. जबकि क़ारी मोहम्मद एक शिक्षक थे जो पाकिस्तान की ओर से क्रॉस बॉर्डर गोलाबारी में मारे गए. | @Shinjineemjmdrhttps://t.co/SNxcAwiSbc
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) May 13, 2025
3. रिपब्लिक वर्ल्ड ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की एक क्लिप प्रसारित करते हुए दावा किया कि उन्होंने कहा था कि वह चीनी सेना को भारत में प्रवेश करने में “मदद” करेंगे. यह एक दुर्भावनापूर्ण तरीके से क्लिप किया गया वीडियो था. सोनम वांगचुक वास्तव में ट्रोल्स द्वारा उन पर लगाए गए झूठे आरोपों का वर्णन कर रहे थे. चैनल ने उनके द्वारा कोट किए गए आरोप को ही उनके कबूलनामे के रूप में पेश कर दिया.
In the wake of the Leh violence, Republic aired a clipped video out of context and FALSELY reported that Sonam Wangchuk said he would help China enter India. Pro-BJP X users like Rishi Bagree amplified the falsehood. #AltNewsFactCheck | @OishaniB_https://t.co/WMRLdZghUO
— Alt News (@AltNews) October 6, 2025
4. रिपब्लिक ने रिपोर्ट दी कि मुंबई हवाई अड्डा बारिश के कारण भारी बाढ़ की चपेट में है, और गहरे पानी में खड़े विमानों की तस्वीर शेयर की. जबकि असल में वो दृश्य 2023 में चक्रवात मिचौंग के बाद बाढ़ग्रस्त चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का था.
News outlet Republic and others shared and later deleted a video of the flooded Chennai International Airport from 2023, after Cyclone Michaung, as a recent visual of Mumbai airport after heavy rains. | @prantik_alihttps://t.co/lhrIwT1sBO
— Alt News (@AltNews) August 23, 2025
5. जी न्यूज़ ने दावा किया कि एक व्यक्ति ने नमाज़ पढ़ने के लिए सड़क रोक दी थी जिससे जाम लगा, जबकि असल में ख़राब मौसम और भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद कर दिया गया था, जिससे ट्रैफ़िक जाम हो गया, और वह व्यक्ति ट्रैफिक पहले से रुका होने की वजह से वहां नमाज़ पढ़ रहा था.
Zee News shared misinformation by broadcasting a viral video and claiming that a man offering namaz caused a traffic jam on the highway in J&K. In reality, the hold-up was due to landslides and roads being blocked | @onkeyta_ https://t.co/VVqzk9mm6J
— Alt News (@AltNews) March 10, 2025
2025 में भी मीडिया द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने के लिए गलत सूचनाओं का उपयोग लगातार ट्रेंड में रहा. ऑल्ट न्यूज़ की एनालिसिस में कई ऐसे उदाहरणों सामने आए जहां मीडिया आउटलेट्स ने कहानियाँ गढ़ीं, अक्सर सांप्रदायिक एंगल से उन्हें आगे बढ़ाया.
1. ज़ी न्यूज़ ने “मेहंदी जिहाद” नामक एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी को हवा देते हुए शो प्रसारित किए. इस रिपोर्ट में चैनल ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए आपत्तिजनक कैप्शन और टिकर का इस्तेमाल किया था. एनबीडीएसए (NBDSA) ने इस रिपोर्ट में निष्पक्षता की कमी का हवाला देते हुए कॉन्टेन्ट को हटाने का आदेश दिया. इसी प्रकार एनबीडीएसए (NBDSA) ने टाइम्स नाउ नवभारत को भी “लव जिहाद” नामक शो में चलाई गई चीजों को समस्याग्रस्त पाया और उन्हें हटाने का आदेश दिया.
Zee News and Times Now Navbharat face NBDSA music: The regulatory body has asked the former to remove its ‘Mehendi Jihad’ reports from all platforms and the latter to axe problematic tickers and captions from a ‘Love Jihad’ report | @shinjineemjmdr https://t.co/7LhHqQjV9L
— Alt News (@AltNews) October 8, 2025
2. पीटीआई ने अपने खबर में भाजपा नेता के कॉन्सपिरेसी थ्योरी को आगे बढ़ाते हुए रिपोर्ट किया कि एक सांप्रदायिक साजिश के तहत जानबूझकर कांवड़ यात्रा के तीर्थयात्रियों को घायल करने के लिए सड़क पर कांच के टुकड़े फैलाए गए थे. दिल्ली पुलिस की जांच ने इन दावों को खारिज कर दिया. असल में कुसुम पाल नाम का रिक्शा ड्राइवर ग्लास पैनल ले जा रहा था, तो वे गलती से गिर गए और टूटकर टुकड़ों में बंट गए, इसमें किसी विशिष्ट समुदाय की कोई साजिश नहीं थी.
Findings by Delhi Police have rubbished claims of conspiracy & sabotage behind glass shards being found on the Kanwar Yatra route. Glass panels being carried in an e-rickshaw broke on the way and ended up lying scattered on the road | @OishaniB_https://t.co/cYffAnmBkp
— Alt News (@AltNews) July 16, 2025
3. बांग्लादेश में अशांति के दौरान, पीटीआई, एनडीटीवी, रिपब्लिक और इंडिया टुडे ने रिपोर्ट दी कि ढाका में एक हिन्दू व्यक्ति को पत्थर मार-मार कर मार डाला गया. मारा गया व्यक्ति हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम था, भारतीय मीडिया के रिपोर्ट्स में पीड़ित की पहचान गलत की गई थी. मीडिया आउटलेट्स ने मामले को बिना परखे उन झूठे दावों को प्रसारित किया जो अल्पसंख्यक उत्पीड़न के नेरेटिव में फिट बैठते थे.
The Indian media reported on a viral video showing a man stoned to death in Dhaka, identifying him as a Hindu. This is FALSE. The victim of the horrific crime carried out in full public view was Mohammad Sohag, found #AltNewsInvestigation | @onkeyta_ https://t.co/iNtXFCPcMR
— Alt News (@AltNews) July 15, 2025
4. न्यूज़18 बिहार, दैनिक भास्कर और ऑपइंडिया ने रिपोर्ट किया कि मुहर्रम के जुलूस के दौरान एक “पाकिस्तानी झंडा” फहराया गया. हालांकि, जांच में सामने आया कि वह झंडा एक इस्लामिक धार्मिक झंडा था, न कि पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा. दोनों के डिज़ाइन में साफ़ अंतर हैं. मीडिया आउटलेट्स ने एक धार्मिक निशान को पाकिस्तान के झंडे के साथ जोड़कर सनसनीखेज बनाया और सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश की.
News18 Bihar & Dainik Bhaskar have falsely reported that the Pakistani flag was waved at a Muharram rally in Jamui, Bihar. The local PS in-charge confirmed to #AltNews that the flag in question was the Islamic ensign and not any national flag. | @onkeyta_https://t.co/B3yNXsBGxh
— Alt News (@AltNews) July 10, 2025
5. सुदर्शन न्यूज़ ने एक रिपोर्ट प्रसारित की जिसमें दावा किया गया कि बकरीद पर उत्तर पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम व्यक्ति द्वारा कुर्बानी देने के लिए छोटी छोटी गौ वंश (बछड़ों) को बांध कर ले जाया जा रहा है. पुलिस ने सुदर्शन न्यूज़ के दावे को खारिज करते हुए कहा कि बछड़ा और गाय को कुर्बानी के लिए नहीं रखा गया था बल्कि पहले से पाला गया था और मोहम्मद सागीर दूध की छोटी डेरी चलती है. चैनल ने सांप्रदायिक आक्रोश भड़काने के लिए बिना सत्यापन किए गलत खबर चलाई.
सुदर्शन न्यूज़ और इससे जुड़े पत्रकार ने एक वीडियो शेयर कर दावा किया कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में पुलिस के सामने बकरीद पर कुर्बानी के लिए गायों को ले जाया जा रहा है. जबकि दिल्ली पुलिस ने इस दावे को झूठा और निराधार बताया. पढ़िये #AltNewsFactCheck | @RPawan01https://t.co/GyFbO3kJD0
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) June 10, 2025
कैसे मीडिया ने वास्तविकता और कल्पना के बीच की रेखा मिटा दी
मई 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान न्यूज़ स्टूडियो का “वॉर रूम” में बदल जाना, 2025 में गलत जानकारी के फैलने का सबसे खतरनाक ट्रेंड था. न्यूज़ आउटलेट्स द्वारा गलत सूचनाओं का स्तर इतना खतरनाक हो गया था कि आमतौर पर अपने सार्वजनिक संचार में संयमित रहने वाली भारतीय सेना को भी हस्तक्षेप करना पड़ा.
कई मौकों पर जब घटना के असली फुटेज उपलब्ध नहीं थे, तो चैनलों ने अन्य देशों के संघर्ष के वीडियो, पुराने कंटेन्ट, और यहाँ तक कि वीडियो गेम क्लिप्स का इस्तेमाल भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान सैन्य कार्रवाई के रूप में प्रसारित किया.
मीडिया ने केवल लापरवाह पत्रकारिता नहीं, बल्कि खतरनाक युद्धोन्माद और दर्शकों को घबराहट में डालकर व्यूज़ बटोरने का काम किया. खबरों को सनसनीखेज बनाने की होड़ इतनी बढ़ गई कि मीडिया चैनलों ने खबरों को ड्रामैटिक बनाने के लिए सायरन की आवाज़ का इस्तेमाल किया, जिससे सरकार को दखल देना पड़ा और उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए निर्देश जारी करने पड़े.
1. आज तक और एबीपी न्यूज़ ने दावा कर दिया कि राजौरी में एक भारतीय सेना की ब्रिगेड पर आत्मघाती हमला हुआ है. स्थिति इतनी अस्थिर हो गई थी कि भारतीय सेना और सरकारी अधिकारियों को स्पष्ट रूप से इन दावों को खारिज करना पड़ा. ऐसा कोई आत्मघाती हमला हुआ ही नहीं था. चैनलों ने असत्यापित अफवाहों को पुख्ता खबर के रूप में प्रसारित किया.
आज तक, ABP न्यूज़ सहित अन्य ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सेना की एक ब्रिगेड पर आत्मघाती हमला हुआ. जबकि सेना के अधिकारी ने इन खबरों को फ़र्ज़ी बताया. पढ़िये #AltNewsFactCheck | @AbhishekSayhttps://t.co/EaubE63svT
— Alt News (@AltNews) May 9, 2025
2. एबीपी आनंद ने एक सड़क पर दुर्घटना के दृश्य प्रसारित किए और दावा किया कि यह कराची में भारतीय नौसेना के हमले से हुई तबाही को दिखाता है. जबकि इन दृश्यों का किसी भी सैन्य संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं था. यह वास्तव में फिलाडेल्फिया, अमेरिका में हुए एक छोटे विमान दुर्घटना के बाद का फुटेज था. चैनल ने लाखों दर्शकों के सामने एक असंबंधित और पुरानी दुर्घटना को भारतीय सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान में हुई तबाही के रूप में पेश किया.
न्यूज़ आउटलेट ABP आनंद सहित कई यूज़र्स ने कराची पर INS विक्रांत का हमला बताते हुए एक वीडियो शेयर किया. जबकि इस वीडियो का भारत या पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. पढ़िये #AltNewsFactCheck | @OishaniB_https://t.co/7dDZPK0E2V
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) May 12, 2025
3. आज तक, एबीपी न्यूज़, ज़ी न्यूज़ ने “ऑपरेशन सिंदूर” में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के अड्डों पर भारतीय सैन्य कारवाई बताकर एक वीडियो चलाया. वास्तव में वो 2023 के गाज़ा में इज़राइली हवाई हमलों का पुराना फुटेज था.
ABP न्यूज़, आज तक, ज़ी न्यूज़ सहित कई बड़े मीडिया संगठनों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत ध्वस्त होते जैश के आतंकी अड्डे का बताकर एक वीडियो चलाया. जांच में सामने आया कि ये ग़ाज़ा पर इजरायली हवाई हमले का पुराना वीडियो है. #AltNewsFactCheck | @Shinjineemjmdrhttps://t.co/I1BK7dFtNW
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) May 12, 2025
4. ज़ी न्यूज़, टीवी9 और अमर उजाला जैसे चैनलों ने रिपोर्ट दी कि भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान में कराची बंदरगाह पर हमला किया है. यह पूरी तरह से मनगढ़ंत था, ऐसा कोई हमला नहीं हुआ था. अपनी झूठी कहानी का समर्थन करने के लिए, चैनलों ने 2023 के नौसैनिक अभ्यास की पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल किया और उन्हें हालिया सबूत के रूप में पेश किया.
कराची बंदरगाह को नष्ट किये जाने के झूठे दावे के साथ कई मीडिया चैनल्स ने एक तस्वीर शेयर की. इसमें अमर उजाला, ज़ी न्यूज़ कन्नड़, TV9 भारतवर्ष कुछ प्रमुख नाम हैं. दरअसल, ये तस्वीर 2023 की है और इसका किसी भी हमले से कोई लेना-देना नहीं है. | @OishaniB_https://t.co/US5gFgzCOm
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) May 12, 2025
5. आज तक, एनडीटीवी , इंडिया टीवी और टाइम्स नाउ जैसे चैनलों ने वीडियो फुटेज प्रसारित करते हुए दावा किया कि यह जैसलमेर, राजस्थान के पास पाकिस्तान के हवाई हमलों को दिखाता है, जिसे भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम कर रहा है. जबकि असल फुटेज भारत का नहीं, बल्कि इज़राइल का था और वो भी चार साल पुराना.
आज तक, NDTV, इंडिया टीवी, टाइम्स नाउ नवभारत, ABP न्यूज़ सहित अन्य मीडिया चैनलों ने एक वीडियो चलाते हुए दावा किया कि ये जैसलमेर में पाकिस्तानी हवाई हमले को नाकाम करने के दृश्य हैं. कुछ ने इसे एक्सक्लूसिव बताया. जबकि ये 4 साल पुराना वीडियो है. | @AbhishekSayhttps://t.co/aoZ46bHOy5
— Alt News Hindi (@AltNewsHindi) May 9, 2025
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब भारतीय मीडिया ने बेबुनियाद, झूठे और चौंकाने वाले दावे किए, तो भारत सरकार की प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (PIB) के फ़ैक्ट-चेकिंग विंग ने अधिकतर मौकों पर मीडिया आउटलेट्स का नाम नहीं लिया
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान PIB के फैक्ट चेक की डिटेल स्टडी में, ऑल्ट न्यूज़ ने एक पैटर्न को नोट किया और पाया कि PIB ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में झूठे, बेबुनियाद और गुमराह करने वाले दावे करने वाले मीडिया आउटलेट्स का नाम सामने नहीं लाया. अपने ऑफिशियल X हैंडल पर शेयर किए गए 68 फैक्ट चेक में से, उन्होंने सिर्फ़ दो मामलों में मीडिया आउटलेट्स का नाम लिया.
नीचे दिया गया ग्राफ़िक दिखाता है कि तनाव के दौरान PIB ने मीडिया हाउसों के झूठे दावों का फैक्ट-चेक नहीं किया, जबकि इंडिपेंडेंट आउटलेट्स (Alt News, Boom Live और The Quint का WebQoof) ने इन मीडिया आउटलेट्स की गलत रिपोर्टों का पर्दाफ़ाश किया. पीला कॉलम दिखाता है कि क्या संबंधित मीडिया हाउस को Alt News, Boom Live, या WebQoof में से किसी ने कम से कम एक बार फैक्ट-चेक किया है. सफ़ेद कॉलम दिखाता है कि क्या संबंधित मीडिया हाउस को PIB ने फैक्ट-चेक किया है.

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