15 जुलाई को इटरनल (पूर्व में ज़ोमैटो) के क्विक कॉमर्स का हिस्सा, ब्लिंकिट के एक डिलीवरी एक्जीक्यूटिव को विश्व हिंदू परिषद के बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गाज़ियाबाद में रोक दिया था. वजह? वो पवित्र हिंदू माह ‘श्रावण’ के दौरान एक ग्राहक को मांस पहुंचा रहा था. ‘श्रावण’ हिंदू देवता शिव के उपासकों के लिए हिंदू कैलेंडर में एक शुभ महीना है. श्रावण (या सावन) के दौरान, शिव भक्त प्रार्थना करते हैं, उपवास करते हैं और मांसाहारी भोजन से परहेज करते हैं. कई भक्त नंगे पैर पवित्र स्थलों की यात्रा भी करते हैं जिसे कांवर यात्रा कहा जाता है.

15 जुलाई को ही बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने गाज़ियाबाद में एक ब्लिंकिट डार्क स्टोर का भी दौरा किया और एक वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें दावा किया गया कि उस दिन से, श्रावण के पूरे महीने में कंपनी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से मांसाहारी ऑर्डर या डिलीवरी को बंद करने पर सहमत हुई है. उन्होंने ये भी आश्वासन दिया कि कंपनी द्वारा ‘अपनी ग़लती’ सुधारने के बाद से कोई भी बजरंग दल कार्यकर्ता ब्लिंकिट स्टोर पर नहीं जाएगा.

कुछ दिनों बाद इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में प्रमुख रूप से दिखाई देने वालों में लंबे बाल और दाढ़ी वाला एक बजरंग दल नेता भी था. हमने उसकी पहचान गाज़ियाबाद के मनोज वर्मा के रूप में की.

वायरल वीडियो

वीडियो में मनोज वर्मा खुद को बजरंग दल का प्रतिनिधि बताते हैं. वो डिलीवरी एजेंट को रोकते हैं और उसके डिलीवरी बैग का निरीक्षण करने की मांग करते हैं. फ़्रोज़न मांस का एक पैकेट मिलने पर, वो कार्यकारी से अपनी पहचान बताने के लिए कहते हैं. जब अधिकारी अपना नाम बताता है, तो मनोज वर्मा उसे हिंदू होने के बावजूद मांस पहुंचाने के लिए डांटते हैं.

मनोज वर्मा ने कहा, “तुम हिंदू होके ये काम कर रहे हो, तुम्हें शर्म नहीं आ रही?” 

इस पर डिलीवरी एजेंट कहता है कि वो सिर्फ डिलीवरी कर रहा है जो ग्राहक ने ऑर्डर किया है. इसके बाद मनोज वर्मा ने पूछा कि ग्राहक का नाम क्या है और वो हिंदू हैं या मुस्लिम, और उनसे बात करने की कोशिश करता है. एजेंट ग्राहक का नाम बताता है और उसे कॉल करता है. इसके बाद मनोज वर्मा ने ग्राहक को समझाया कि आज मंगलवार है और श्रावण का महीना है और वो (बजरंग दल कार्यकर्ता) मांसाहारी भोजन की बिक्री और खपत को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

“आप हिंदू होके नॉन-वेज खा रहे हो?… अच्छा आप हिंदू नहीं हो? आप मोमेडियन हो?” मनोज वर्मा को ये पूछते हुए सुना जाता है दूसरी ओर महिला बताती है कि वो ईसाई है; वो मनोज वर्मा से पूछती है, “आप को क्या?”

मनोज वर्मा ने महिला से कहा कि वो डिलीवरी की अनुमति दे रहे हैं और फ़ोन रख देते हैं. इसके बाद वो कैमरे पर कहते हैं कि ईसाइयों की हालत मुसलमानों से भी बदतर है: “ये ईसाई हैं, यानी उस धर्म के जो हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करते हैं. ये लोग मोमेडियन से भी ज़्यादा गए गुजरे हैं. वैसे मोमेडियन भी बदनाम होता है, पर ये मोमेडियन से भी गए गुजरे हैं.” 

वीडियो में मनोज वर्मा को कई लोगों के साथ ब्लिंकिट डार्क स्टोर के बाहर खड़े देखा जा सकता है. रिकॉर्ड किए गए वीडियो में जिसे वर्मा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी अलग से अपलोड किया गया है, वो ब्लिंकिट स्टाफ़ को आश्वासन देता है कि कोई भी बजरंग दल कार्यकर्ता ब्लिंकिट में नहीं आएगा क्योंकि उन्होंने अब मांस की डिलीवरी बंद कर दी है.

 

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manoj Verma (@manoj__kgf)

सनातन धर्म को बचाना

ऑल्ट न्यूज़ ने राईटविंग कार्यकर्ता मनोज वर्मा से कॉन्टेक्ट किया जो एक दशक से बजरंग दल से जुड़े हुए हैं. मनोज वर्मा एक प्रॉपर्टी डीलर के रूप में काम करते हैं और हिंदुत्व गीतों पर संगीत वीडियो बनाते हैं. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि उनका वीडियो वायरल होने के बाद, लोग उन्हें मांस और मांसाहारी भोजन की तस्वीरें भेजकर परेशान कर रहे हैं. मनोज वर्मा कहते हैं, ”वो मुझे पीटने की धमकी भी दे रहे हैं.” उनकी नज़र में वो सनातन धर्म (हिंदू आस्था) के रक्षक हैं और हिंसा का आह्वान किए बिना ऐसा करते हैं.

उनके मुताबिक, बजरंग दल द्वारा किए गए प्रयास भाजपा के हिंदुओं को एकजुट रखने के आदर्शों के अनुरूप हैं.

उन्होंने कहा, “भाजपा सत्ता में है, योगी आदित्यनाथ हमारे सीएम हैं और नरेंद्र मोदी हमारे पीएम हैं. उन्होंने एक ही बात कही है… हिंदुओं को एकजुट रखने और सनातन धर्म का प्रसार करने के लिए.” जब हमने उनसे पूछा कि क्या किसी को मांसाहारी भोजन खाने से रोकने के ऐसे प्रयास गाज़ियाबाद या देश भर में बजरंग दल के प्रयासों का हिस्सा थे, तो मनोज वर्मा ने न तो इसकी पुष्टि की और न ही इनकार किया. उन्होंने कहा, ”बजरंग दल कार्यकर्ता के तौर पर हम अपना काम करते हैं.”

“हमारे बजरंग दल का काम है कि हम नॉन-वेज रोकें, हिंदुओं को जोड़े, लव जिहाद रोकें… अगर हिंदू नॉन-वेज खाना बंद कर दे तो नॉन-वेज अपने आप रुक जाएगा… हम सनातन धर्म के लिए काम करते रहेंगे.” 

ब्लिंकिट डिलीवरी एजेंट को रोकने पर मनोज वर्मा ने अपना बचाव करते हुए कहा कि ये सिर्फ कुछ दिनों की बात है और ब्लिंकिट इन दिनों मांस के सामान की डिलीवरी बंद कर सकता था. “लेकिन आपको नॉन-वेज डिलीवरी मिल रही है, वो भी मंगलवार को, एक हिंदू डिलीवरी एजेंट के माध्यम से… उस आदमी को पता भी नहीं चला. उन्होंने ऑफ़लाइन स्टोर बंद कर दिए हैं [मीट डिलीवरी] लेकिन ये सब ऑनलाइन हो रहा है.”

मनोज वर्मा ने कहा, “शासन भी हमारा समर्थन करता है क्योंकि वो जानते हैं कि हिंदुओं की स्थिति क्या है और हम किसके लिए खड़े हैं. हम लड़ते नहीं हैं, हम डराते या धमकाते नहीं हैं और हम लोगों को पीटते नहीं हैं.”

विडंबना ये है कि 24 जुलाई को गाज़ियाबाद पुलिस ने ब्लिंकिट सहायक प्रबंधक को धमकाने और हिंसा के आरोप में मनोज वर्मा को हिरासत में ले लिया. हालांकि, जब हमने शिकायत की डिटेल्स मांगी तो उन्होंने उन विशिष्ट धाराओं के बारे में नहीं बताया जिनके तहत उन पर आरोप लगाए गए थे. 

बजरंग दल कार्यकर्ता ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि रिहा होने से पहले वो दो दिनों तक लॉक-अप में था. उन्होंने कहा कि उन पर धारा 151 के तहत आरोप लगाया गया था, लेकिन वो हमें पुलिस शिकायत की कॉपी उपलब्ध नहीं करा सके. विशेष रूप से वर्मा पर धार्मिक प्रतिद्वंद्विता भड़काने या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप नहीं लगाया गया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने अलग से ब्लिंकिट और स्टोर मैनेजर से भी संपर्क किया जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई थी, लेकिन उन्होंने हमारे ईमेल या कॉल का जवाब नहीं दिया. अगर वो जवाब देते हैं तो इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.

ब्लिंकिट, ज़ेप्टो, इंस्टामार्ट ने ‘वार्निंग’ दी

ऑल्ट न्यूज़ से विस्तार से बात करते हुए, मनोज वर्मा ने ये भी कहा कि जब श्रावण का महीना शुरू हुआ, तो उन्होंने ज़ेप्टो, स्विगी की क्विक कॉमर्स आर्म, इंस्टामार्ट और ब्लिंकिट से मांस की डिलीवरी बंद करने के लिए कहा था. उनके मुताबिक, ज़ेप्टो और स्विगी ‘सहमत’ थे.

“सावन के पावन महीने में नॉन-वेज खुल के बिक रहा था यहां सिद्धार्थ विहार में. एक ब्लिंकिट है जिस दिन सावन का पहला दिन था, मैं इनके पास गया था कि आप नॉन-वेज प्लीज बंद कर दें. यहां दो और कंपनी है जिन्होंने हमारा कहना मान लिया था.” जब हमने कंपनी के नाम पूछे तो मनोज वर्मा ने जेप्टो और स्विगी का ज़िक्र किया.

इसके बाद उन्होंने कहा कि ब्लिंकिट भी सहमत था, लेकिन उन्हें “सोर्स” के माध्यम से पता चला कि मांस ऑनलाइन ऑर्डर किया जा रहा था; वो भी एक हिंदू ग्राहक द्वारा. तभी उन्होंने डिलीवरी एक्जीक्यूटिव को रोका और अब वायरल हो रहे वीडियो को रिकॉर्ड कर लिया. उन्होंने साफ तौर से ये नहीं बताया कि उन्हें कैसे पता चला, लेकिन कहा कि क्षेत्र में कई कार्यकर्ता थे. मनोज वर्मा ने ये भी बताया कि घटना के बाद ब्लिंकिट ने तीन लोगों की आईडी रद्द कर दी. उनमें गोलू राजपूत भी शामिल था जिसे 15 जुलाई को वर्मा ने रोका था और वो वायरल वीडियो में देखा गया डिलीवरी एक्जीक्यूटिव है. गोलू राजपूत के अलावा, दो और लोगों- अंकित और मोहित को ब्लिंकिट ने हटा दिया था. मनोज वर्मा के मुताबिक, अंकित और मोहित बजरंग दल से जुड़े थे. लेकिन उन्होंने हमें ज़्यादा जानकारी नहीं दी. हमने ये पुष्टि करने के लिए ब्लिंकिट से संपर्क किया कि क्या इन तीन लोगों को निकाल दिया गया था? लेकिन स्टोरी पब्लिश होने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.

ऑल्ट न्यूज़ ने ये जानने के लिए ज़ेप्टो और इंस्टामार्ट से भी अलग से कॉन्टेक्ट किया कि क्या बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गाज़ियाबाद में उनके डार्क स्टोर्स का दौरा किया था और उनसे मांस या मांसाहारी वस्तुओं की डिलीवरी न करने के लिए कहा था और क्या उन्होंने इसका ‘पालन’ किया था. हमने उनसे ये भी पूछा कि क्या डिलीवरी पार्टनर्स को धार्मिक समूहों से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा संपर्क किए जाने पर अपनी और ग्राहकों की पहचान की सुरक्षा करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभी तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है. अगर कोई जवाब आता है तो स्टोरी अपडेट की जाएगी.

ईसाइयों को निशाना बनाना

डिलीवरी एजेंट को परेशान करने और ग्राहक का व्यक्तिगत विवरण साझा करने के लिए उसे घेरने के अलावा, मनोज वर्मा ईसाइयों को निशाना बनाने और उन पर धर्मांतरण करने का आरोप लगाने वाली अपनी टिप्पणियों के लिए आलोचना का शिकार हुए. ये स्वीकार करते हुए कि उनकी टिप्पणी “ग़लती से” कही गई थी, मनोज वर्मा ने दोहराया कि वो बस एक वैध मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहे थे:

मनोज ने पूछा, “जो धर्म परिवर्तन चल रहा है देश में… हिंदू बचे ही कितने हैं?” उसने कहा कि ‘ये लोग’ गरीबों और हाशिए पर रहने वाले और कम वेतन वाले श्रमिकों को पैसे का लालच देते हैं और उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित करते हैं. “गाज़ियाबाद में एक कृष्णा नगर हुआ करता था; अब ये ईसाई नगर बन गया है. किसी को भी दुख होगा, है ना? हमारे हिंदू भाई विभाजित हो रहे हैं.”

हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ से बात करने के एक दिन बाद, मनोज वर्मा ने अपने इंस्टाग्राम चैनल पर ईसाइयों के खिलाफ अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगते हुए एक वीडियो अपलोड किया.

 

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Manoj Verma (@manoj__kgf)

एक पैटर्न

हालांकि वर्मा ने साफ तौर पर से ये नहीं कहा, लेकिन उन्होंने हिंदू ताकत के प्रदर्शन के रूप में पवित्र हिंदू महीने के दौरान मांसाहारी भोजन और वस्तुओं की बिक्री और खपत को रोकने के लिए बजरंग दल की कई इकाइयों द्वारा किए जा रहे समन्वित प्रयासों का संकेत दिया.

लेकिन मांस पर ‘अनौपचारिक’ प्रतिबंध, डिलीवरी कर्मियों को परेशान करना और ईसाइयों के खिलाफ टिप्पणियां कोई नई बात नहीं हैं. पिछले साल दिसंबर में एक प्रॉपगेंडा अभियान के तहत सांता क्लॉज़ की तरह कपड़े पहने एक ज़ोमैटो कार्यकर्ता को इसी तरह एक राईटविंग ग्रुप ने रोका और कपड़े उतारने के लिए कहा. उस वक्त ज़ोमैटो एजेंट से कहा गया था, “आप दिवाली पर भगवा क्यों नहीं पहनते या हिंदू त्योहारों के लिए तैयार क्यों नहीं होते? सांता क्लॉज़ के रूप में तैयार होकर आप परिवारों को किस तरह का मैसेज भेज रहे हैं? कपड़े उतारो… ये हमारी संस्कृति के खिलाफ है.”

हमने ऐसे कई उदाहरणों का डिटेल में डॉक्यूमेंटेशन किया है. पढ़ें: क्रिसमस के आसपास अलग-लग राज्यों में ईसाइयों के प्रति दुश्मनी किस प्रकार चरम पर पहुंच गई

इस साल की शुरुआत में हमने ये भी देखा था कि कैसे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने क्रिसमस मनाने के लिए अहमदाबाद के कई स्कूलों को निशाना बनाया था. पढ़ें: ‘भारतीय स्कूलों को क्रिसमस क्यों मनाना चाहिए?’

अभी हाल ही में 11 जुलाई से, जैसे ही श्रावण का महीना शुरू हुआ, सोशल मीडिया ऐसी ख़बरों से भर गया कि हिंदुत्व कार्यकर्ता मांसाहारी भोजन की बिक्री या वितरण को लेकर लोगों और व्यवसायों को परेशान कर रहे हैं. कई मामलों ने हिंसक रूप ले लिया जहां तीर्थयात्री या कांवरिया शामिल थे. 18 जुलाई को हिंदू रक्षा दल के सैकड़ों सदस्यों ने मांसाहारी भोजन की बिक्री का विरोध करते हुए गाज़ियाबाद के इंदिरापुरा इलाके में KFC आउटलेट पर धावा बोल दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्रुप के प्रमुख पिंकी चौधरी ने कहा, “हमारा मैसेज साफ है. हम सभी मांसाहारी भोजन की दुकानों से कह रहे हैं कि वो कांवड यात्रा के दौरान इस तरह का भोजन परोसने से बचें. अगर वो खुले रहना चाहते हैं, तो उन्हें सिर्फ शाकाहारी भोजन ही परोसना चाहिए.”

हमने यहां कांवड यात्रा के दौरान हिंसा के कई मामलों का डॉक्यूमेंटेशन भी किया है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged: