राजस्थान पत्रिका ने 12 मार्च को एक विज्ञापन छापा जिसमें लिखा था, “राजस्थान सरकार बजट 2021-22 में राजस्थान के इतिहास में पहली मर्तबा मुस्लिम तीर्थ स्थलों को धार्मिक पर्यटन सर्किट बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये के बजट की मंजूरी देने पर माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक जी गहलोत का तहे दिल से शुक्रिया.”

इस विज्ञापन में जोधपुर, नागौर, अजमेर, झालावाड़, झुंझनू, सीकर और सांभर में स्थित दरगाह के नाम लिखे हैं. जोधपुर की तन्हापीर दरगाह को बड़े और बोल्ड अक्षरों में हाईलाइट किया गया है. विज्ञापन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कुछ अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की तस्वीर लगी है और कई लोगों के नाम लिखे हैं.

कई फ़ेसबुक और ट्विटर यूज़र्स ने इस विज्ञापन की तस्वीर क्रॉप करके शेयर किया और दावा किया कि एक दरगाह के लिए 100 करोड़ रुपए दिया जा रहा है. राइट विंग ट्विटर यूज़र्स सुरेन्द्र पूनिया, ऋषि बागरी और @IOpposeConvrsn ने ये तस्वीर शेयर की.

@IOpposeConvrsn ने लिखा, “राम मंदिर के लिये हम हिन्दू घर-घर जाकर धन जोड़ रहें हैं. और दूसरी तरफ राजस्थान सरकार ने एक दरगाह के लिए 100 करोड़ रुपए दे दिए. आगे चलकर इसी दरगाह में हिंदुओं की बर्बादी की दुआ मांगी जाएगी.”

फ़ैक्ट-चेक

इस फ़ैक्ट-चेक को 3 भागों में बांटा गया है जिसमें हम नीचे लिखे सवालों का जवाब दे रहे हैं:

  1. मुस्लिम और अन्य समुदायों के धार्मिक स्थलों के लिए कितना बजट आवंटित किया गया है?
  2. भाजपा समर्थकों का पोस्ट भ्रामक क्यों है?
  3. ये विज्ञापन किसने छपवाया?

राजस्थान वित्त विभाग के बजट 2021-22 में पेज 74 के बिंदु 213 में बताया गया है, धार्मिक पर्यटक सर्किट में 100 करोड़ रुपये लगाये जायेंगे. लेकिन ये 100 करोड़ हिन्दू, जैन, मुस्लिम और सिख, सभी धर्मों को मिलाकर दिए गये हैं, न कि अकेले मुस्लिमों के एक दरगाह को. धार्मिक पर्यटन सर्किट प्लान के तहत समुदाय अनुसार ये रकम किस तरह विभाजित की गयी है, वो आप नीचे देख सकते हैं. बजट में ये विभाजन नहीं बताया गया था.

1. हिन्दू
2. जैन
3. सिख
4. मुस्लिम

यानी, राज्य सरकार ये 100 करोड़ रुपये धार्मिक पर्यटन सर्किट के तहत आने वाले सभी धार्मिक स्थलों में बांट रही है.

भाजपा समर्थकों ने ग़लत दावा किया

सुरेन्द्र पूनिया , ऋषि बागरी और @IOpposeConvrsn ने विज्ञापन की जो तस्वीर शेयर की उसमें नीचे का हिस्सा क्रॉप कर दिया गया, जहां कई लोगों के नाम लिखे थे. इससे कई लोगों को ग़लत फ़हमी हो गयी कि ये विज्ञापन राजस्थान सरकार की ओर से छापा गया है.

ये विज्ञापन असल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का शुक्रिया अदा करने के लिए पब्लिश किया गया था. नीचे जो नाम लिखे हैं, मुमकिन है कि विज्ञापन छपवाने वाले लोगों के हों.

विज्ञापन प्रकाशित किसने किया?

सूचना एवं जनसंचार विभाग में राजस्थान सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों पर पब्लिश करवाए गये सभी विज्ञापनों की सूची है. लेकिन इस सूची में राजस्थान पत्रिका के इस विज्ञापन का नाम नहीं है. राजस्थान पत्रिका के विज्ञापन विभाग के मुखिया अविनाश अजय ने ऑल्ट न्यूज़ से कहा, “न ही मैं इस विज्ञापन की सत्यता और न ही इसे छपवाने वाले पर कुछ कहने की स्थिति में हूं.” नीचे राजस्थान सरकार की ओर से छपे एक विज्ञापन और राजस्थान पत्रिका में छपे विज्ञापन की तुलना देख सकते हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल विज्ञापन में लिखी जगहों में से एक के मुखिया से बात की. ऑल्ट न्यूज़ ने जोधपुर में कांग्रेस और एक कांग्रेस सदस्य को समर्पित एक फ़ेसबुक पेज को चलाने वाले व्यक्ति, जिनका नाम विज्ञापन में शामिल है, से भी बात की. दोनों ही लोगों ने स्पष्ट किया कि इस विज्ञापन में नीचे जिन लोगों के नाम हैं वो कांग्रेस से जुड़े हुए हैं.

विज्ञापन में सबसे ऊपर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें लगी हैं. ये लोग हैं- 1) विधायक महेंद्र चौधरी, 2) मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे वैभव गहलोत , 3) जोधपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह सोलंकी, 4) विधायक मनीषा पंवार, 5) जोधपुर की मेयर कुन्ती देवड़ा परिहार, 6) अब्दुल करीम (जॉनी) और 7) पूर्व पार्षद छोटू उस्ताद (बायीं से दायीं ओर). छोटू उस्ताद और अब्दुल करीम के नाम नीचे लिखे नामों में भी शामिल हैं.

छोटू उस्ताद ने ऑल्ट न्यूज़ से बताया कि जिन लोगों के नाम नीचे लिखे हैं उन्होंने विज्ञापन में बराबर पैसा लगाया किया था. उन्होंने आगे बताया, “मैंने विज्ञापन का डिज़ाइन नहीं बनाया. इसे स्थानीय एजेंसी ने बनाया. हमने इस विज्ञापन के 65,000 रुपये अदा किये थे.”

कुछ कांग्रेस सदस्यों ने राजस्थान पत्रिका में एक भ्रामक विज्ञापन छपवाया. इस विज्ञापन में बताया गया है कि राजस्थान सरकार मुस्लिमों के धर्मिक स्थलों के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित कर रही है. लेकिन ये 100 करोड़ सभी धर्मों के लिए दिए जाने वाले हैं, केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं. इसी विज्ञापन को क्रॉप करके लोगों ने शेयर करते हुए ग़लत दावा किया कि राज्य सरकार केवल एक दरगाह के लिए 100 करोड़ आवंटित कर रही है.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.