गृह मंत्री अमित शाह ने 14 अक्टूबर को गोवा में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा सदस्यों को संबोधित किया. इस दौरान अमित शाह ने कई दावे किए जिनमें एक दावा ये था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय पासपोर्ट मज़बूत हुआ है. उन्होंने कहा, ‘देश को दुनिया के देखने का नज़रिया बदल गया. जो विदेश जाते हैं… ये तो [गोवा] सेलरों का प्रदेश है, अब पूछना, पहले भारत का पासपोर्ट दिखाते थे क्या रिएक्शन आता है..और आज भारत का पासपोर्ट दिखाते ही मुंह पर हंसी आ जाती है..वो विदेश वाला कर्मचारी का…और कहते हैं “आप मोदी जी के देश से आए हैं?” भारत की पासपोर्ट का वैल्यू बढ़ाने का काम मोदी जी ने किया है.. वो इसलिए कर पाए कि पूर्ण बहुमत की सरकार थी.”

द इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स ऑफ इंडिया, वन इंडिया और न्यूज़ डी सहित कई मीडिया आउटलेट्स ने बिना इस बयान की सच्चाई कंफ़र्म किए इसे रिपोर्ट किया.

भारतीय पासपोर्ट की ताकत में बदलाव सार्थक नहीं है, अब तक की HPI रैंकिंग में सबसे नीचे

गृह मंत्री शाह के बयान के आधार पर ये पता नहीं लगाया जा सकता कि वो भारतीय पासपोर्ट की ताकत को मापने के लिए किस सोर्स का ज़िक्र कर रहे थे. पासपोर्ट की ताकत का मतलब है कि कोई व्यक्ति बिना वीज़ा के सिर्फ़ पासपोर्ट के आधार पर कितने देशों की यात्रा कर सकता है. सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला पासपोर्ट इंडेक्स, हेनली पासपोर्ट इंडेक्स (HPI) है. हालांकि, और भी पासपोर्ट इंडेक्स हैं लेकिन भारत सरकार ने HPI पासपोर्ट इंडेक्स का हवाला दिया है. दो साल पहले, टाइम्स नाउ पर पीएम मोदी द्वारा किए गए इसी तरह के दावे को ऑल्ट न्यूज़ ने खारिज किया था. 2021 तक, भारत की रैंक 90 है जो पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2013 की रैंक से 16 पायदान नीचे है.

हेनली पासपोर्ट इंडेक्स क्या है?

HPI सभी पासपोर्टों को उन देशों या जगहों की संख्या के अनुसार रैंक करता है जहां बिना अग्रिम वीज़ा के पहुंचा जा सकता है. रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन (IATA) के विशेष डेटा पर आधारित होती है. उनकी वेबसाइट के मुताबिक, “अगर किसी जगह पहुंचने के लिये किसी देश के पासपोर्टधारकों को वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती है तो उस पासपोर्ट को एक अंक मिलता है.” कार्यप्रणाली के बारे में अधिक जानने के लिए उनकी वेबसाइट पर जाएं.

2019 में, विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में भारतीय पासपोर्ट के बारे में सवालों का जवाब देने के लिए हेनली पासपोर्ट इंडेक्स डेटा का ही हवाला दिया था. पासपोर्ट की मज़बूती पर किये गए सवाल का जवाब देते हुए, वी मुरलीधरन ने लिखा, “इन पहलों से दूसरे देशों को प्रोत्साहित करने की उम्मीद है ताकि भारतीय पासपोर्ट धारकों की यात्रा उनके देश में सुविधाजनक हो सके. अगर ज़्यादा देश भारतीय पासपोर्ट धारकों को बिना वीज़ा के यात्रा करने या उन्हें आगमन पर वीज़ा सुविधा प्रदान करने की अनुमति देते हैं तो हेनली पासपोर्ट इंडेक्स पर भारतीय पासपोर्ट की रैंक में सुधार होने की उम्मीद है.”

यूपीए बनाम बीजेपी सरकार के दौरान भारत की HPI रैंक

हेनली पासपोर्ट इंडेक्स का डेटा 2006 से मौजूद है. इसलिए, अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल (1998-2004) और मनमोहन सिंह के 2 साल के कार्यकाल (2004-2005) के लिए इंडेक्स मौजूद नहीं है. नीचे दिए गए टेबल में HPI रैंक और भारतीय पासपोर्ट के आधार पर जिन देशों की यात्रा की जा सकती है, उसकी 2006 से 2021 तक की लिस्ट है. 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे.

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[डिस्क्लेमर: 2019 की हमारी रिपोर्ट के बाद भारत की नई HPI रैंक 2015 (84) और 2018 (86) में संशोधन किया गया है. ऑल्ट न्यूज़ ने हेनली ऐंड पार्टनर्स में जनसंपर्क के ग्रुप हेड सारा निकलिन से संपर्क किया. उन्होंने बताया, “थोड़ा अलग होने का कारण ये है कि हम इंडेक्स में हर तीन महीने में अपडेट करते हैं ताकि साल के दौरान रैंकिंग में बदलाव हो, क्योंकि वीज़ा नीतियों में बदलाव होता है. हालांकि, ऐतिहासिक रैंकिंग और स्कोर के लिए, हम हमेशा किसी विशेष साल के आखिरी तीन महीने के अनुसार ही अपडेट करते हैं.”]

ये दावा लगातार किया जाता रहा है कि पीएम मोदी ने भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ा दी है. हालांकि, दूसरे देशों तक हमारे पासपोर्ट की पहुंच में ज़्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में, भारतीय पासपोर्ट की सबसे ज़्यादा पहुंच 2013 में हुई. उस वक़्त ये आंकड़ा 52 देशों का था. 2018 में, पीएम मोदी के नेतृत्व में, हमारे पासपोर्ट की पहुंच 60 देशों तक थी.

फ़िलहाल, 2021 में भारतीय पासपोर्ट से 58 देशों में प्रवेश किया जा सकता है. 2013 की तुलना में अब भारतीय पासपोर्ट से ज़्यादा देशों में यात्रा की जा सकती है. तो फिर 2013 (74) की तुलना में, भारत की 2021 HPI रैंक (90) कम क्यों है? इसका कारण सरल है. क्योंकि HPI रैंक दूसरे देशों के प्रदर्शन पर भी निर्भर करती है.

हमने सारा निकलिन से कुछ सवाल पूछे, “HPI के आधार पर, क्या ये कहना सही है कि भारत का पासपोर्ट 2013 से मजबूत हुआ है? यदि हां, तो क्या आप कहेंगी कि ये बदलाव महत्वपूर्ण है?” उन्होंने जवाब दिया, “नहीं. हेनली पासपोर्ट इंडेक्स पर दूसरे 198 पासपोर्टों की तुलना में भारतीय पासपोर्ट की ताकत 2013 के बाद से मजबूत नहीं हुई है. 2013 में, इंडेक्स में इसकी रैंकिंग 74 थी जो 2021 में गिरकर 90 हो गई है (पिछले 8 सालों में 16 अंकों की गिरावट).” पिछले कुछ सालों में भारत की HPI रैंक में आये बदलाव को सारा निकलिन के शेयर किए गए चार्ट में नीचे देखा जा सकता है.

कुल मिलाकर, यूपीए सरकार की तुलना में भाजपा सरकार के अंदर बिना वीज़ा के भारतीय पासपोर्ट की पहुंच ज़्यादा देशों तक है. हालांकि, 2013 की तुलना में, 2021 में, भारतीय पासपोर्ट से सिर्फ 6 और देशों तक पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा, भारतीय पासपोर्ट की ताकत वैश्विक स्तर पर कम हो गई है क्योंकि भारत की HPI रैंक 90 हो गई है. इस तरह, गृह मंत्री अमित शाह का ये बयान भ्रामक है कि पीएम मोदी की वज़ह से भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ी है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.