सोशल मीडिया पर ‘कासरगोड-त्रिवेंद्रम’ स्टेशन पर चमकीले फूलों के पैटर्न से रंगी ट्रेन की तस्वीर वायरल है. तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये ओणम के लिए सजाई गई वंदे भारत एक्सप्रेस है. तस्वीर में रेलवे ट्रैक के किनारों को फूलों से सजाया हुआ देखा जा सकता है.

X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) यूज़र अभिनव भारत (@GoldDusters) ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “वंदे भारत ट्रेन को ओणम के लिए सजाया गया है. मोमीन ने ये दिखाने के लिए एक दिन के लिए पथराव बंद कर दिया कि केरल में ओणम मनाना सद्भाव के बारे में है न कि हिंदुओं के बारे में. केरल का कासरगोड वो जिला है जहां के गांव शरिया का पालन करते हैं. मीडिया के मुताबिक 11 स्थानों पर भारतीय आईडी के साथ प्रवेश वर्जित है.” (आर्काइव)

इस ट्वीट पर काफी ज़्यादा सांप्रदायिक कमेंट्स किए गए. मोनिदिपा बोस डे (@monidipadey) नामक यूज़र के बायो के मुताबिक, वो एक राइटर और रिसर्च स्कॉलर हैं. इन्होंने कमेंट किया, “मेरे दोस्त हाल ही में केरल गए थे. उन्होंने वापस आकर मुझसे कहा- वहां जाने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है. वो लगभग इस्लामिक राज्य बनने की कगार पर है. भारतीय सेना का डर उन्हें खुलकर इसका ऐलान करने से रोक रहा है. ज़्यादातर मंदिर खंडहर या जर्जर हालत में हैं (टीपू और मोपला बर्बरता के बाद मरम्मत नहीं हुई) HS और Cs दोनों Ms के डर में रहते हैं. ये देखने लायक नहीं है.”

@pvish49 नामक एक अन्य यूज़र ने इस तस्वीर को एक कैप्शन के साथ शेयर किया, जिसका हिंदी अनुवाद है: “ये #केरल के एक रेलवे स्टेशन की तस्वीर है जिसे विशेष रूप से #ओणम के लिए सजाया गया है. ट्रैक के पास के फूल असली हैं और इस अवसर के लिए विशेष रूप से लगाए गए हैं. ओणम 20 अगस्त से 2 सितंबर तक मनाया जाएगा #त्रिवेंद्रम” (आर्काइव)

इस तस्वीर को और भी कई यूजर्स ने भी शेयर किया जिनमें @anir_jai, @AmitSin35883791 और @GEEMS71 शामिल हैं.

फ़ैक्ट-चेक

हमने तस्वीर में कुछ ऐसी बातें नोटिस कीं जिनसे पता चलता है कि ये AI-जनरेटेड हो सकती है. तस्वीर के बाईं ओर एक आदमी को बेतरतीब ढंग से पानी के बीच खड़ा देखा जा सकता है और उसकी परछाई भी पानी में दिखाई नहीं देती. ऐसा लगता है कि स्टेशन का नाम बताने वाले अक्षर हवा में तैर रहे हैं. तस्वीर का वो हिस्सा जिसमें लोगों को प्लेटफॉर्म पर इंतज़ार करते हुए दिखाया गया है, वो भी बनावटी लगता है. आगे की जांच करने पर, हमें तस्वीर के बाईं ओर एक वॉटरमार्क दिखा जिस पर लिखा था: “कॉपर एंड ब्लैक.”

वायरल तस्वीर पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 29 जुलाई को यूज़र अनीश चककोटिल की एक फ़ेसबुक पोस्ट मिली. यूज़र ने उस फ़ेसबुक पोस्ट में अब वायरल हो रही तस्वीर पोस्ट की थी. यूज़र का अकाउंट देखने पर पता चला कि वो कॉपर एंड ब्लैक एडवरटाइजिंग में काम करता है. फ़ेसबुक पोस्ट के कमेंट सेक्शन में यूज़र अनीश चककोट्टिल ने कई बार कमेंट किया कि उन्होंने AI का इस्तेमाल करके ये तस्वीर बनाई है और ये ओणम के लिए सजाई गई असली वंदे भारत एक्सप्रेस की तस्वीर नहीं है. इसका एक उदाहरण यहां देखा जा सकता है:

अपनी टाइमलाइन पर उन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट भी शेयर की है जिसमें ये बताया गया है कि ओणम स्पेशल ट्रेन की तस्वीर AI-जनरेटेड थी. इसे कंफ़र्म करने के लिए, हमने तस्वीर को अलग-अलग टूल्स (हगिंग फेस, इलुमिनार्टी, ऑप्टिक एआई या नॉट और हाइव मॉडरेशन) पर चेक किया कि तस्वीर AI-जनरेटेड है या नहीं. सभी चार टूल से ऐसे रिजल्ट आए जिनमें इस बात की काफी ज़्यादा संभावना बताई गई हैं कि तस्वीर AI-जेनरेटेड है.

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साउथर्न रेलवे की ऑफ़िशियल वेबसाइट के अनुसार, ओणम स्पेशल ट्रेनें असल में चालू की गईं थीं. न्यूज़ आउटलेट फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस, द हिंदू, मातृभूमि और द टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा इस बारे में खबरें दी गई हैं, लेकिन हमें उनमें से किसी भी रिपोर्ट में वायरल तस्वीर नहीं मिली. साथ ही रिपोर्ट में ये ज़िक्र नहीं किया गया कि ट्रेन में चढ़ने के लिए भारतीय आईडी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

इसके अलावा, एक की-वर्डस सर्च से हमें DRM तिरुवनंतपुरम (@TVC138) के ऑफ़िशियल ट्विटर अकाउंट का एक ट्वीट मिला. ट्वीट में वायरल तस्वीर को ‘फर्ज़ी’ लेबल के साथ शेयर किया गया है. कैप्शन में ये भी बताया गया है कि तस्वीर एडिटेड है और ये दावा ग़लत है कि ये तस्वीर केरल के एक रेलवे स्टेशन की है. पेज पर ये भी बताया गया है कि वायरल तस्वीर में दिख रही ट्रेन असल में जापान के क्योटो की है.

पोस्ट में दो तस्वीरों का एक कोलाज है, जिसमें बाईं तरफ वायरल तस्वीर को ‘नकली’ और दाईं ओर दूसरी तस्वीर को ‘असली’ लिखा गया है. हालांकि दोनों तस्वीरें एक जैसी नहीं हैं, लेकिन मिलती-जुलती हैं. हमें दाईं तरफ वाली तस्वीर, pngtree.com वेबसाइट पर मिली. वेबसाइट पर तस्वीर के टाइटल में क्योटो से निकलने वाली ट्रेन का ज़िक्र भी है.

हमने गूगल मैप्स पर कासरगोड रेलवे स्टेशन को भी चेक किया. स्ट्रीट व्यू यहां देखा जा सकता है. यहां मौजूद स्टेशन की तस्वीरें वायरल तस्वीर से मेल नहीं खातीं. वायरल तस्वीर से अलग, स्टेशन का नाम तीन भाषाओं में लिखा हुआ है.

कुल मिलाकर, हम ये कह सकते हैं कि वायरल तस्वीर असली नहीं है और इसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है. पूरी संभावना है कि ये तस्वीर क्योटो की एक ट्रेन की स्टॉक इमेज से प्रेरित होकर बनाई गई है जो इंटरनेट पर मौजूद है. कुछ यूज़र ने नकली तस्वीर को सांप्रदायिक ऐंगल के साथ शेयर किया. 

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