“मां बीमार है, तीन साल से दर्द कैंसर नामका रोग बना हुआ है, ओमवती को कृपा हो जाएगी आशीर्वाद है. चौथी स्टेज पर पहुंच गया है गंभीर हालत में है, असहनीय पीड़ा बनी रहती है, औषधि ले चुके हैं, उनमें लाभ नहीं हुआ है, धाम की पेशी करें, आप अपने घर पर जो है 11 दिन की अखंड ज्योति जलाएं 50 ग्राम देशी गाय के गोमूत्र में दो खड़ी हल्दी की गांठ पीसकर के मिलाकर के रोगी को पिलाएं, लाभ 100% होगा – आशीर्वाद…”

बोले बागेश्वर धाम की जय!

कैंसर के इलाज से लेकर घातक कोरोना वायरस से निपटने तक, गौमूत्र को हिंदुत्व प्रवचनों में बार-बार लगभग चमत्कारी औषधी के रूप में दोहराया गया है. 2022 में अपलोड किए गए इस वीडियो में मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम मंदिर के प्रमुख और स्वयंभू हिंदू संत 25 साल के धीरेंद्र शास्त्री एक युवक को कैंसर के इलाज के रूप में उसकी बीमार मां को गौमूत्र खिलाने की सलाह देते हुए दिख रहे हैं.

2025 के आते ही तेज़ी से आगे बढ़ते हुए, वही शास्त्री अब बागेश्वर धाम में एक कैंसर अस्पताल स्थापित कर रहे हैं, जिसकी नींव 23 फ़रवरी, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी है. रिपोर्ट के मुताबिक, 200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला ये कैंसर अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा और वंचित मरीजों को मुफ्त इलाज की पेशकश करेगा, जिससे सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित होगी.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, माथे पर चंदन का टीका लगाए पीएम मोदी ने हिंदुओं को एकजुट करने में अपने “छोटे भाई” धीरेंद्र शास्त्री के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने इस अवसर का इस्तेमाल उन नेताओं की निंदा करने के लिए भी किया जिन्होंने “हिंदू आस्था का मज़ाक उड़ाया या नफ़रत की” और एक ऐसे धर्म पर हमला किया जो “स्वभाव से प्रगतिशील” है. उन्होंने ये भी घोषणा की कि कैंसर संस्थान के निर्माण की योजना समाज और मानवता के हित में एक और संकल्प है. मोदी ने कहा, ”मतलब अब यहां बागेश्वर धाम में आपको भजन, भोजन और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलेगा.”

बागेश्वर धाम वेबसाइट के मुताबिक, इसका संचालन 300 साल पहले मध्य प्रदेश के छतरपुर के गढ़ा गांव में शुरू हुआ था. हिन्दी शब्द धाम का मतलब तीर्थ स्थान से है. वर्तमान मंदिर के पीछे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा सेतुलाल गर्ग संन्यासी बाबा की समाधि है जिन्होंने इस धाम की शुरुआत की थी. ये मंदिर हिंदू देवता बालाजी और हनुमान को समर्पित है. वेबसाइट के मुताबिक, बागेश्वर धाम में लोग अपने जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आते हैं. इसमें आगे कहा गया है, “बालाजी महाराज अर्ज़ी के माध्यम से आपकी समस्या सुनते हैं और धाम के पीठाधीश्वर के माध्यम से समाधान प्राप्त करते हैं.” धाम कई सामाजिक कल्याण पहल चलाता है जिसमें अन्नपूर्णा रसोई (सामुदायिक रसोई), वंचित लड़कियों के लिए वार्षिक सामूहिक विवाह, वैदिक शिक्षा के लिए एक गुरुकुल और पर्यावरण संरक्षण के लिए बागेश्वर उद्यान शामिल हैं. ये गौ संरक्षण को भी बढ़ावा देता है और ज़रूरतमंद बच्चों के लिए भोजन और शिक्षा का समर्थन करता है.

धीरेंद्र शास्त्री की प्रसिद्धि 

सालों से, अपने अनुयायियों द्वारा ‘गॉडमैन’ के रूप में देखे जाने वाले शास्त्री की ख्याति मुख्य रूप से ‘चमत्कार’ करने की उनकी अलौकिक क्षमता पर टिकी हुई है. सोशल मीडिया पर उनके बहुत सारे अनुयायी हैं, इंस्टाग्राम पर उनके 2 मिलियन से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं,  X (ट्विटर) ये संख्या 2 लाख से ज़्यादा है. और यूट्यूब पर करीब 10 मिलियन फ़ॉलोअर्स हैं. मीडिया आउटलेट द प्रिंट की एक वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, उनके फ़ॉलोअर्स मध्य प्रदेश के बालाजी मंदिर में एक बॉक्स में कागज का एक टुकड़ा डालने के लिए दूर-दूर से आते हैं और भगवान से मिलने के लिए महीनों, यहां तक ​​कि एक साल तक इंतज़ार करते हैं. एक फ़ॉलोअर ने रिपोर्ट में कहा, “वे (शास्त्री ने टीवी पर जो चमत्कार किए हैं) वे सभी असली हैं, मैडम… हम मानते हैं कि क्योंकि बाबाजी हिंदुत्व की बात करते हैं… ये हमारे बाबाजी का हिंदुत्व है. हम उन्हें कलियुग में हनुमान जी के अवतार के रूप में पूजते हैं – ये हमारा विश्वास है.”

शास्त्री की प्रसिद्धि उनकी तथाकथित ‘चमत्कारी क्षमताओं’ के कारण फैली – बीमारों को ठीक करने और दिमाग पढ़ने के दावे की वजह से बढ़ी. वो टेलीविजन पर ‘दिव्य दरबार’ आयोजित करते हैं, जिसमें बड़ी भीड़ शामिल होती है, जहां वो उपस्थित लोगों के समूह में से प्रतिभागियों को बुलाते हैं और कथित तौर पर आत्माओं का ‘झाड़-फूंक’ करते हैं. बिना चिकित्सीय परीक्षण के बीमारियों का निदान करते हैं और अन्य कथित ‘चमत्कार’ करते है. शुरुआत का वीडियो ऐसे ही एक सेशन की क्लिप है. एक युवक ने अपनी कैंसर से पीड़ित मां की मदद के लिए धीरेंद्र शास्त्री से संपर्क किया था, शास्त्री ने नाटकीय ढंग से सभी विवरणों का खुलासा किया जैसे कि उन्होंने उसके दिमाग को पढ़ लिया हो, इलाज के रूप में गौमूत्र का सुझाव देने से पहले, वो बार-बार अपनी ‘बातों’ की पुष्टि की कर रहे थे.

‘दिव्य दरबार’ के एक अन्य सेशन के दौरान, धीरेंद्र शास्त्री ने एक व्यक्ति को उसके नवजात बच्चे के साथ मंच पर बुलाया. शास्त्री ने उस व्यक्ति से कहा कि जब वो नोटपैड पर कुछ लिख रहे हो तो रोये नहीं. इसके बाद शास्त्री प्रदर्शनात्मक ढंग से ‘साबित’ करने लगते हैं कि उनके पास उस व्यक्ति या उसकी परेशानियों को जानने का कोई तरीका नहीं था. व्यथित पिता ने स्वीकार किया और कहा कि उसके बेटे को कैंसर है. इसके बाद शास्त्री अपने दर्शकों को दिखाते हैं कि जब वे मंच पर आ रहे थे तो उन्होंने पहले ही उसके सभी मुद्दों को अपने नोटपैड पर लिख लिया था. उनके ‘निष्कर्षों’ के मुताबिक, बच्चा ब्लड कैंसर और पीलिया से जूझ रहा था. कीमोथेरेपी की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पिता इन सभी विवरण को स्वीकार करता है. छद्म विज्ञान के एक और अजीबोग़रीब उदाहरण में शास्त्री डॉक्टर की दवाओं के साथ 50 ग्राम गोमूत्र और हल्दी का मिश्रण लेने की सलाह देते हैं.

ऐसे ही एक वीडियो में शास्त्री ने एक शख्स को स्टेज पर बुलाया. जब तक वो शख्स मंच पर पहुंचता है, शास्त्री अपने नोटपैड पर कुछ लिखते नज़र आते हैं. जब उससे उसकी परेशानियों के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उसका भाई कैंसर से जूझ रहा था. अब आप समझ ही गए होंगे कि ‘चमत्कारी आदमी’ शास्त्री ने पहले ही उस आदमी के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण विवरण कागज पर नोट कर लिया था. और उन्होंने क्या सलाह दिया? “अपने घर पर, अमावस्या (अमावस्या) या पूर्णिमा (पूर्णिमा) पर भगवान राम के नाम का जप सत्र आयोजित करें. आपके क्षेत्र में रामदेव नाम के एक संत हैं, जो सफेद घोड़े से जुड़े हुए हैं. उनके अनुयायी आ गए हैं और ये अशांति पैदा की है.”

दिव्य दरबार के एक अन्य एपिसोड के दौरान, शास्त्री को हिंदू देवता बालाजी के साथ ‘परामर्श’ करते और चमत्कारिक ढंग से एक फ़ॉलोअर के लिवर कैंसर के निदान को ‘उजागर’ करते हुए देखा जा सकता है. वो उन्हें बर्खास्त करने से पहले ‘धाम में एक अनुरोध पेश करने’ का वादा करता है. फिर एक अन्य व्यक्ति जो अपनी पत्नी की कैंसर की बीमारी के कारण शास्त्री के पास आया था, उसे सलाह दी गई कि एक माला के साथ तीन बार मंत्र का जाप करें, मंदिर में समर्पण करें, लहसुन और प्याज से बचें, तिल के पत्ते लें, उसका काढ़ा तैयार करें, दो साबुत हल्दी की जड़ों को पीसकर डालें, एक गेंदे का फूल डालें और इसे खाली पेट पियें. उस व्यक्ति को धाम से कैंसर की दवाएं खरीदने के लिए भी कहा गया था. यहां ये बताने की जरूरत नहीं है कि शास्त्री ने उस व्यक्ति से पूछे बिना ही उसकी बीमारी का ‘चमत्कारिक’ ढंग से अनुमान लगा लिया था.

दिव्य दरबार 2022 के एक और एपिसोड में एक युवती शारीरिक समस्याओं के साथ शास्त्री के पास पहुंची. शास्त्री ने निदान किया कि महिला पर एक मुस्लिम सहकर्मी की आत्मा थी. “मैं आपको (भूत का) नाम नहीं बताऊंगा क्योंकि इससे गड़बड़ी होगी, लेकिन मैं आपको संकेत कर दूंगा.” फिर वो उसे एक मंत्र देता है और इलाज के तौर पर उसका जाप करने के लिए कहता है.

शास्त्री को झाड़-फूंक करने के लिए भी जाना जाता है. बागेश्वर धाम के ऑफ़िशियल यूट्यूब चैनल पर कई वीडियो में व्यथित और अस्त-व्यस्त पुरुषों और महिलाओं को अपने हाथ और पैर पटकते हुए, कभी-कभी ज़मीन पर गिरते हुए, दर्द से कराहते हुए, मोहावस्था या बेहोशी की हालात में व्यवहार करते हुए दिखाया गया है.

नीचे दिए गए वीडियो में शास्त्री द्वारा ऐसी ‘झाड़-फूंक’ करने का एक और मामला देखा जा सकता है.

एक उदाहरण में एक बच्चा जो गंभीर रूप से बीमार लगता है उसे इलाज के लिए शास्त्री के पास लाया जाता है. बच्चे को डॉक्टर के पास भेजने के बजाय, शास्त्री ने तीन बार माइक फूंका और दावा किया कि वो ठीक हो गया है.

हालांकि, हिंदुत्व के तथाकथित जादूगर उस वक्त विवाद में फंस गए जब अंधविश्वास विरोधी संगठन अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के एक कार्यकर्ता ने उन्हें फ़रवरी 2023 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपनी शक्तियों को साबित करने के लिए चुनौती दे दी.

शास्त्री ‘चमत्कार दिखाने’ के लिए नागपुर में थे, जब संगठन के एक सदस्य श्याम मानव ने उन्हें 10 लोगों के नाम, फ़ोन नंबर और अन्य व्यक्तिगत विवरणों का सटीक अनुमान लगाने की चुनौती दी – जैसा कि वो अपने प्रदर्शन में कर रहे थे. इस बार मानव व्यक्तियों का चयन करते. अगर शास्त्री सफल होते तो उन्हें ₹30 लाख मिलते.

हालांकि, शास्त्री ने इसमें भाग नहीं लिया. इसके बजाय, उन्होंने अचानक अपना आठ दिवसीय कार्यक्रम छोटा कर दिया और नागपुर से ‘भाग गए’. नतीजतन, मानव को जान से मारने की धमकियां मिलीं और दावा किया गया कि उन्हें ‘एक और नरेंद्र दाभोलकर’ बनाया जाएगा, जो उनके सह-संस्थापक और देश भाई थे, इनकी 2013 में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी.

इसके बाद, मीडिया आउटलेट ABP न्यूज़ ने शास्त्री की क्षमताओं के बारे में किसी भी शक को दूर करने की ज़िम्मेदारी तुरंत अपने ऊपर ले ली. शास्त्री द्वारा माइक में अपने चाचा के नाम की घोषणा के बाद ABP के एक रिपोर्टर को ‘अचानक’ मंच पर बुलाया गया. इसके बाद शास्त्री ने उस पत्रकार के बारे में कई निजी जानकारियों का ‘खुलासा’ किया जिसने बार-बार स्वीकार किया कि शास्त्री के पास इस जानकारी को जानने का कोई नियोजित तरीका नहीं था. शास्त्री ने पत्रकार की भतीजी का नाम और ये भी बताया कि उनके भाई ने हाल ही में एक घर बनाया है.

क्लिप प्रसारित होने के ठीक बाद, कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने पाया कि शास्त्री द्वारा बताई गई सारी जानकारी पत्रकार की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर मौजूद थी.

नवंबर 2024 में न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने मीडिया आउटलेट न्यूज़18 को शास्त्री का एक वीडियो इंटरव्यू हटाने का निर्देश दिया. कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े ने स्व-नियमन के सिद्धांतों जैसे कई नीतिगत उल्लंघनों का हवाला देते हुए बोर्ड को लिखा कि प्रसारकों को अंधविश्वास और जादू-टोना को बढ़ावा देने या प्रोत्साहित करने से बचना चाहिए. इंटरव्यू के दौरान, शास्त्री ने कई अजीबोग़रीब दावे किए, जिसमें उन्होंने कहा कि वो अपनी ‘जादुई शक्तियों’ का इस्तेमाल लापता जानवरों को खोजने और लोगों की बीमारियों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं, ये दावा करने तक कि उन्होंने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल पड़ोसी जिले पन्ना में हीरे खोजने के लिए किया था. एक और अजीब दावे में शास्त्री ने कहा कि वो लोकसभा चुनाव के नतीजों की भविष्यवाणी कर सकते हैं. जब इंटरव्यूअर ने उनसे पूछा कि कौन जीतेगा, तो शास्त्री ने उन्हें बागेश्वर धाम जाने और कुछ अनुष्ठान करने का सुझाव दिया. उन्होंने आगे कहा, “…आओ और मुझसे मिलो, और मैं तुम्हें बताऊंगा. अगर मैं नहीं कर सकता, तो आप मेरा नाम मिटा सकते हैं. पाठक ये ध्यान दें कि ये विवादास्पद इंटरव्यू को अभी तक हटाया नहीं गया है.

सांप्रदायिक नफरत, हिंदू राष्ट्र का आह्वान, हिंसा का समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी ने देश के हिंदुओं को एकजुट करने के ‘प्रयासों’ के लिए शास्त्री की सराहना की. इन ‘प्रयासों’ में सांप्रदायिक नफरत, हिंदू राष्ट्र का समर्थन और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का मौन समर्थन का कुख्यात ट्रैक रिकॉर्ड शामिल है.

NBDSA द्वारा चिह्नित न्यूज़18 इंटरव्यू में शास्त्री द्वारा “इस भारत में रहना होगा तो सीता राम कहना होगा” और “मैं कागज पर हिंदू राष्ट्र नहीं चाहता, मैं 125 करोड़ हिंदुओं के दिलों में हिंदू राष्ट्र चाहता हूं” जैसी कई टिप्पणियां की गईं. गौरतलब है कि ये इंटरव्यू नेशनल टीवी पर प्रसारित किया गया था. इंटरव्यू के अंत में शास्त्री ने ‘लव जिहाद’ के दावों को आगे बढ़ाया. ‘लव जिहाद’ को एक ऐसा साजिश सिद्धांत माना जाता है जिसमें मुस्लिम पुरुष व्यवस्थित रूप से हिंदू महिला को शादी का लालच देकर उन्हें जबरदस्ती इस्लाम में परिवर्तित करते हैं.

इस्लाम के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, “… (सिर्फ इसलिए कि आपका धर्म अलग है) इसका मतलब ये नहीं है कि आपका भगवान कहता है कि सिर्फ मेरे अनुयायी श्रेष्ठ हैं, बाकी काफिर हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि केवल अपनी बेटियों और बहनों की रक्षा करें और दूसरों को ‘लव जिहाद’ में फंसाएं और मार डालें, इसका मतलब ये नहीं है कि केवल आपकी पवित्र किताब सबसे शुद्ध है और बाकी सभी को जलाने की साजिश रचें.” उनका बोलना खत्म होने के बाद स्टूडियो में मौजूद दर्शकों को जयकार करते हुए सुना जाता है.

2022 में शास्त्री ने सार्वजनिक रूप से सभी हिंदुओं से ‘एकजुट’ होने और ‘पत्थरबाबाज़ों’ के घरों पर बुलडोज़र चलाने का आग्रह किया. शास्त्री को कैमरे पर एनिमेटेड रूप से ये कहते हुए देखा गया, “मैं भी कुछ दिनों बाद एक बुलडोज़र खरीदूंगा… अभी मेरे पास पैसे नहीं हैं. लेकिन जल्द ही मैं एक बुलडोज़र खरीदूंगा… जो भी राम के काम, सनातनी सिद्धांतों, संतों या भारतीय सनातनी हिंदुओं पर पत्थर फेंकेगा, हम उनके घर पर बुलडोज़र चलाएंगे.”

अगले साल, इसी तरह के एक बयान में शास्त्री ने कथित तौर पर घोषणा की कि अगर किसी ने रामनवमी जुलूस पर हमला किया या किसी हिंदू के घर पर पथराव किया, तो हिंदुओं को अपने यहां JCB लाकर जवाब देना चाहिए, क्योंकि भारत सनातनियों का है. उन्होंने हिंदुओं से उठने, हथियार उठाने और धर्म की रक्षा करने का आग्रह किया.

नवंबर 2023 में देहरादून में शास्त्री की मेजबानी की गई जिसका स्वागत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने किया. अपने उपदेश के दौरान, शास्त्री ने अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाते हुए कई सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं. “यदि कोई व्यक्ति O+ है, तो क्या वो दूसरे ब्लड ग्रुप को स्वीकार कर सकता है?… तो, अगर शरीर दूसरे ब्लड ग्रुप को स्वीकार नहीं कर सकता है तो हम दूसरे धर्म को कैसे स्वीकार कर सकते हैं?… जब मैं यहां आ रहा था, तो मुझे बताया गया कि ‘उन लोगों’ की ज़मीन पर JCB का इस्तेमाल किया गया है. मैंने जवाब दिया कि बहुत अच्छा… अभी महाराज जी हमें ये भी बता रहे थे कि कैसे ज़मीन पर कब्ज़ा करते हैं और उसे चादर से ढक देते हैं… ऐसा सीएम होना चाहिए जो उन लोगों के घर छीन ले जो कहते हैं कि ये बाबर की ज़मीन है… मैं नहीं चाहता कि उत्तराखंड में मस्जिद बने. केवल राम मंदिरों का निर्माण किया जाना चाहिए…” शास्त्री ने कथित तौर पर मुसलमानों और ईसाइयों की तुलना भूतों और पिशाचों से की, जिन्हें हिंदू देवताओं के नाम का जाप करके भगाया जा सकता है.

फ़रवरी 2023 में आयोजित एक अन्य रैली में, धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों ने ‘सनातन धर्म संसद‘ (‘हिंदू संसद’) का आयोजन किया, जहां महामंडलेश्वर हरि सिंह ने दावा किया कि 83 साल की उम्र में, उन्होंने पहले ही 80 लोगों को मार डाला था. उसने ये भी कहा कि वह 100 लोगों को मारकर ही दम लेगा. हरि सिंह ने बेशर्मी से भीड़ से मुसलमानों और ईसाइयों को मारने और उनके घरों में हथियार रखने का आग्रह किया. “ईसाइयों ने कहा बांटो और राज करो, मुसलमानों ने कहा मारो और राज करो… तुम (हिंदू) कब काटोगे, मारोगे? जब तुम सब मर जाओगे? अरे इसाई मुसलमानों को कब मारोगे? तुम उन्हें किस चीज से मारोगे? सब्जियां काटने वाले उन छोटे चाकू से? वे अच्छे नहीं हैं. तुम्हें हथियार तो रखने ही होंगे.”

उसी वीडियो में पत्रकार नीरज झा को जवाब देते हुए हरि सिंह कहते हैं, “हम प्यार की बात करते हैं. हमारे लिए पूरी दुनिया एक है.” नीरज झा ने जवाब दिया, “लेकिन आप शूटिंग के बारे में बात कर रहे हैं?” फिर, ‘ऋषि’ कहते हैं, “बिल्कुल, उन्हें गोली मार देनी चाहिए. जो कोई हमारे धर्म, बहू-बेटियों, गाय और धर्मग्रंथों का अपमान करे या हमारे मन्दिरों को तोड़े, उसे अवश्य मार डालना चाहिए. उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए.”

शास्त्री को 15 फ़रवरी को पत्रकार शुभंकर मिश्रा के पॉडकास्ट ‘अनप्लग्ड’ में आमंत्रित किया गया था, जहां उनसे कॉमेडियन समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ पर यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया के विवादास्पद बयानों के बारे में पूछा गया था. “…उन्हें साफ कर देना चाहिए.. आपसे ऐसी कोई ऐसी गलती हो जिससे सनातन हिंदू धर्म को घाटा हो तो माफ करने की जगह साफ कर देना चाहिए. हम इसके पक्ष में हैं.”

धीरेंद्र शास्त्री के छोटे भाई शालिग्राम गर्ग पर फ़रवरी 2023 में गढ़ा गांव में एक दलित परिवार के विवाह समारोह में हथियार लहराने के आरोप में मामला दर्ज़ किया गया था. अभी हाल ही में गर्ग और उसके साथियों ने बागेश्वर धाम के केयरटेकर के घर में घुसकर वहां रहने वाली महिलाओं के साथ लाठी-डंडों से मारपीट की थी. एक नाबालिग लड़की का हाथ टूट गया और अन्य महिलाओं को गंभीर चोटें आईं. कथित तौर पर घर के बुजुर्ग सदस्यों के साथ भी मारपीट की गई. मामला सामने आने के बाद FIR दर्ज की गई.

धीरेंद्र शास्त्री के लिए प्रधानमंत्री की जय-जयकार चिंताजनक क्यूं है?

सभी खेमों के राजनेताओं को आपसी लाभ के लिए धीरेंद्र शास्त्री के साथ मेल-मिलाप करते देखा गया है या इसके उलट, उनका राजनीतिक संरक्षण सामान्य RSS-भाजपा गठजोड़ से भी आगे तक फ़ैला हुआ है. द प्रिंट की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में कांग्रेस पार्टी के सदस्य अजीत सिंह ने चिल पहाड़ी में शास्त्री के लिए सात दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया था. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार ये छतरपुर के पूर्व कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी का संरक्षण था जिन्होंने शास्त्री को पहला महत्वपूर्ण मौका दिया. फिर, शास्त्री के दरबार में आने वाले शुरुआती हाई-प्रोफ़ाइल नेताओं में मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ भी शामिल थे.

हालांकि, 23 फ़रवरी, 2025 को शास्त्री के काम को देश के सर्वोच्च कार्यालय, प्रधानमंत्री से प्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त हुआ. अस्पताल की नींव रखकर, सार्वजनिक रूप से शास्त्री का समर्थन करके, और उन्हें ‘छोटे भाई’ के रूप में संदर्भित करके, पीएम मोदी ने न केवल स्वास्थ्य देखभाल पहल के साथ, बल्कि शास्त्री की विरासत के साथ भी अपने जुड़ाव का संकेत दिया, सांप्रदायिक नफरत, छद्म विज्ञान, जादू-टोना, हिंदू राष्ट्र का आह्वान और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बुलडोज़र हिंसा को प्रोत्साहन इनके अभिन्न अंग हैं. 23 फ़रवरी को प्रदर्शन पर ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे लगे कि प्रधानमंत्री शास्त्री की गहरी समस्याग्रस्त सांप्रदायिक स्थिति से दूर रहना चाहते थे. कुछ भी हो, ये बेहद अलग था. उन्होंने शास्त्री को हिंदुओं को एकजुट करने वाला बताया. ये अपने आप में एक पर्याप्त कथन है.

क्या देश के प्रधानमंत्री द्वारा धीरेंद्र शास्त्री जैसे किसी व्यक्ति का पूरे दिल से समर्थन करना कुछ ऐसा है जिसे हम इस समय बर्दाश्त कर सकते हैं. पीएम की जय-जयकार ऐसे और भी ‘छोटे भाइयों’ को प्रेरित करेगी. और धीरेंद्र शास्त्री उभरेंगे, और अधिक मीडिया कर्मी, राजनेता और हिंदुत्व कट्टरपंथी उनके बचाव में दौड़ेंगे – आलोचकों को मौत की धमकियों, बुलडोज़र और सांप्रदायिक गालियों से चुप करा देंगे. और हर नए शास्त्री के साथ, आस्था और कट्टरता के बीच की रेखा और धुंधली होती जाएगी. क्या ये हमारे सामाजिक ताने-बाने के लिए अच्छा संकेत है?

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.