NDTV ने 28 जनवरी को एक ट्वीट करते हुए कहा, “सिंघु बॉर्डर पर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ़ नारा लगाया और वहां से हट जाने की मांग की.”

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी में उथल-पुथल भरा माहौल बन गया. प्रदर्शन कर रहे किसानों का एक समूह ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किला में जा घुसा. लाल किला समेत दिल्ली के कुछ अन्य हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और पुलिसबल के बीच भारी टकराव और हिंसा हुई. किसान पिछले तीन महीने से नए किसान बिलों का विरोध कर रहे हैं और उन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं. मेनस्ट्रीम मीडिया ने रिपोर्ट किया कि सिंघु बॉर्डर पर स्थानीय लोग प्रदर्शनरत किसानों के खिलाफ़ जमा हो गए और उन्हें हाईवे खाली करने कह रहे हैं.

ANI ने लिखा, “खुद को स्थानीय बता रहे लोगों का एक समूह सिंघु बॉर्डर पर जमा हो गया है और एरिया खाली करने की मांग कर रहा है.”

द हिन्दू, टाइम्स नाउ, हिंदुस्तान टाइम्स, CNN न्यूज़18, इंडिया टुडे, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द इंडियन एक्सप्रेस, TV9 तेलुगू और हिंदुस्तान ये रिपोर्ट करने वाले आउटलेट्स में शामिल हैं .

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किसानों को हटाने आये लोग कौन थे?

ये सच है कि कई लोग सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने आये थे. लेकिन ये अधूरी सच्चाई है.

किसानों के खिलाफ़ इस में प्रदर्शन सिर्फ़ ‘स्थानीय’ लोग नहीं थे, बल्कि इसे आयोजित करने वाले हिन्दू सेना के सदस्य थे. आजतक के एक ट्वीट में कहा गया, “दिल्ली: हिन्दू सेना संगठन और स्थानीय लोगों ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आन्दोलन के खिलाफ़ निकाला मार्च.” इसे हिन्दू सेना के संस्थापक और अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने रीट्वीट भी किया.

विष्णु गुप्ता ने एक प्रेस रिलीज़ में कहा, “आज स्थानीय हिन्दू सेना के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर किसानों के बीच सिंघु बॉर्डर जाके खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ़ जमके नारेबाज़ी की व किसानों से रोड खाली करने की अपील की.”

इसमें आगे कहा गया, “हिन्दू सेना ने किसान समर्थक खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी की सरकार से बातचीत कर अपनी समस्याओं का 24 घंटे में समाधान करें व सिंघु बॉर्डर व सड़क खाली करें.”

खालिस्तानियों द्वारा प्रदर्शन आयोजित किये जाने का दावा करने वाले विष्णु गुप्ता से ऑल्ट न्यूज़ ने संपर्क किया. उन्होंने कहा, “हम उन्हें रोड खाली करने का अल्टिमेटम देना चाह रहे हैं. हमारी किसान नेताओं से बात नहीं हो पाई क्योंकि पूरा एरिया पुलिस ने बैरिकेड से घेरा हुआ था.” उन्होंने कहा कि हिन्दू संगठन ने प्रोटेस्ट कर रहे किसानों के खिलाफ़ प्रदर्शन अयोजित किया जिसमें स्थानीय लोगों को भी अपने साथ शामिल कर लिया. उन्होंने बताया कि उनके संगठन की स्थानीय इकाईयां हैं जो ऐसी स्थिति में काम आती हैं.

हिन्दू सेना हिन्दू संगठनों का ही एक हिस्सा है और अक्सर लोगों पर ज़बरदस्ती ‘हिन्दू संस्कृति और नियम’ थोपने की कोशिश करने के लिए सुर्ख़ियों में रहता है. पिछले वर्ष वैलेंटाइन्स डे पर ये संगठन प्रेमी जोड़ों को पुलिस से गिरफ़्तार करवाने की चेतावनी दे रहा था. इस संगठन ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को भी हिंसा पर उतर आने की धमकी दी थी. हालांकि बाद में इसे अपने लोगों को वहां जमा होने से रोकना पड़ा था. इन लोगों ने इंडियन इस्लामिक कल्चर के प्रतीक पर पोस्टर लगा दिए थे जिसपर “जिहादी टेररिस्ट इस्लामिक सेंटर” लिखा था.

मीडिया ने हिन्दू संगठन द्वारा आयोजित किये गये प्रोटेस्ट को स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन बता दिया. आउटलेट्स ने ये नहीं बताया कि सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ स्थानीय लोगों को ले जाने वाले हिन्दू सेना के सदस्य थे.


ट्रैक्टर रैली के बाद लाल किला में घुसे प्रदर्शनकारियों ने भारतीय ध्वज हटाकर खालिस्तान का झंडा नहीं लगाया

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.