हाल ही में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच बलात्कार के अपराधी की अपील पर एक चौंकानेवाला फैसला सुनाया. बेंच ने दोषी की उम्रकैद की सज़ा को कम करके 20 साल के कारावास की सज़ा सुनाई. और ये फैसला उन्होंने ये कहते हुए सुनाया कि ‘अपराधी दयालु था क्यूंकि उसने बच्ची को ज़िंदा छोड़ दिया’. इसके बाद, सुदर्शन न्यूज़ से जुड़े संतोष चौहान ने 23 अक्टूबर को ट्वीट कर दावा किया कि मध्यप्रदेश में बलात्कार के दोषी मोहम्मद फिरोज़ की मौत की सज़ा को बदलकर उम्रकैद कर दिया गया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 276 बार रीट्वीट किया जा चुका है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने रेप के दोषी मोहम्मद फिरोज की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला।
कहा , “दयालु था मोहम्मद फ़िरोज , लड़की को जिंदा छोड़ दिया।”
— Santosh Chauhan Sudarshan News (@Santosh_Stv) October 23, 2022
सुदर्शन न्यूज़ से जुड़े पत्रकार आशीष व्यास ने भी ये दावा ट्वीट किया. (ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न)
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने रेप के दोषी मोहम्मद फिरोज की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला!
कहा , “दयालु था मोहम्मद फ़िरोज , लड़की को जिंदा छोड़ दिया!”
— Ashish Vyas (@ashishvyas__) October 23, 2022
RSS की मुखपत्रिका पाञ्चजन्य ने भी ये दावा ट्वीट किया था. बाद में उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन इसका आर्काइव वर्ज़न आप यहां पर देख सकते हैं.
ट्विटर और फ़ेसबुक पर ये दावा वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने छानबीन शुरू की. हमें 24 अक्टूबर 2022 की द हिन्दू की रिपोर्ट मिली. आर्टिकल में बताया गया है कि मध्यप्रदेश की इंदौर बेंच ने बलात्कार के अपराधी की उम्र कैद की सज़ा को 20 साल कर दिया. बेंच का कहना था कि अपराधी दयालु था और उसने 4 साल की बच्ची को ज़िंदा छोड़ दिया.
द हिन्दू ने अपराधी का नाम रामू उर्फ़ रामसिंह बताया है. खबर के मुताबिक, 31 मई 2007 को रामू ने बच्ची को 1 रुपिया देने की लालच देकर उसका बलात्कार किया था. इसके बाद, रामू को साल 2009 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी.
आगे, टाइम फ़िल्टर के साथ केस के बारे में सर्च करने पर हमें जजमेंट की कॉपी भी मिली. कॉपी में भी आरोपी का नाम रामू उर्फ़ रामसिंह बताया गया है. इसमें लिखा है कि रामू ने 25 अप्रैल 2009 को इंदौर के एडिशनल जज द्वारा सुनाए गए आजीवन कारावास के फैसले के खिलाफ अपील की थी. रामू को IPC की धारा 376(2)(F) के तहत उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, “अपीलकर्ता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया. उसने आगे बताया कि पीड़िता द्वारा एफएसएल रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं लाया गया. ये भी तर्क दिया गया कि ये ऐसा मामला नहीं है जिसमें वो आजीवन कारावास की सजा के पात्र है. इस प्रकार, उसने अपील की कि उसकी सजा को उस समय तक कम कर दिया जाए जब वो पहले ही जेल में बिता चुका है.” कोर्ट ने इस मामले में तर्क दिया कि अपीलकर्ता किसी भी तरह से नरमी के पात्र नहीं है. और इस कारण उसकी अर्जी खारिज की जानी चाहिए. हालांकि अपराधी द्वारा बच्ची को जीवित छोड़ देने की बात को ध्यान में रखकर अदालत ने उसकी सज़ा को कम कर 20 साल कर दिया.
इस घटना के बारे में आज तक, हिंदुस्तान टाइम्स और द इंडियन एक्स्प्रेस ने भी खबर दी है. बहरहाल इनमें से किसी भी रिपोर्ट में अपराधी का नाम मोहम्मद फिरोज़ नहीं बताया गया है.
यानी, राइटविंग मीडिया आउटलेट्स और उससे जुड़े लोगों ने मनगढ़ंत दावा किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के अपराधी मोहम्मद फिरोज़ की मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया. लेकिन असल में 4 साल की बच्ची से बलात्कार करने वाले अपराधी का नाम रामू उर्फ़ रामसिंह है और हाईकोर्ट ने उसकी आजीवन कारावास की सज़ा को 20 साल कर दिया है.
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