ट्विटर यूज़र @IRONMONK002 ने कानपुर का बताकर एक वीडियो शेयर किया. वीडियो में किसी मोहल्ले की एक छत पर पुलिसकर्मियों को लाठी और डंडो से 2 लोगों को पीटते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में 2 बुलडोज़र दिख रहे हैं. यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “UP के कानपुर में कुछ जेहादी ने छत से हिन्दुओं और पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद कुछ बहादुर पुलिस ने बिना सीढी ही छत पर जाकर पकड़ लिया और घूंसे लाठियां बरसा कर उनकी दिवाली हैप्पी कर दी और बिल्डिंग भी तोड़ दिया.” (आर्काइव लिंक)

विकास मिश्रा नाम के एक यूज़र ने भी ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया साथ ही पुलिस की कार्रवाई की सराहना करते हुए योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ भी की. (आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. ‘संगठित हिन्दू‘ नाम के एक पेज ने ये वीडियो शेयर किया है.

फ़ैक्ट-चेक

की-वर्ड्स सर्च से हमें ट्विटर पर पत्रकार प्रिया सिंह और ज्ञानेंद्र शुक्ला द्वारा पोस्ट किया गया यही वीडियो मिला. वीडियो के साथ दी गई जानकारी में लिखा है कि पुलिस पर पथराव करने वाले 2 युवकों को पुलिस ने पीटा. साथ ही इसे कानपूर देहात का वीडियो बताया गया है. ज्ञानेंद्र शुक्ला ने इस घटना के 2 वीडियोज़ शेयर करते हुए लिखा है, “सत्यदेव के मकान पर जबरन काबिज मलिकचंद के कब्जे को हटाने के कोर्ट के आदेश के पालन के दौरान मलिकचंद के बेटों ने पुलिस पर पत्थर फेंके कई जख्मी हुए तो फिर पुलिस ने रौद्र रूप धरकर सबक सिखाया, कानपुर देहात का मामला.”

इसी मामले पर हमें दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली. ये रिपोर्ट 20 अक्टूबर 2022 को पब्लिश हुई थी. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट भी दिखता है. रिपोर्ट के मुताबिक, “कानपुर देहात में भोगनीपुर थाना क्षेत्र में कोर्ट के आदेश पर टीम एक मकान को ध्वस्त कराने पहुंची थी. कार्रवाई करने पहुंची टीम पर दो युवकों ने पत्थरबाज़ी की थी. पुलिस ने दोनों को सरकारी कार्य में बाधा डालने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है.”

रिपोर्ट में कहीं भी घटना को सांप्रदायिक नहीं बताया गया है. ज़मीनी विवाद के मामले में अवैध कब्ज़े को ध्वस्त करने गई पुलिस पर पथराव करने के मामले में 2 युवकों को पीटने की बात बताई गई है. यहां ये ध्यान देना ज़रूरी है कि मोतीलाल का पूरा नाम मानिकचंद शंखवार है.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में पुलिस द्वारा पिटने वाले 2 युवकों के नाम समीर और कार्तिक बताया गया है. रिपोर्ट में लिखा है कि कानपुर देहात में पड़ने वाले एक मोहल्ले में सत्यदेव बनाम मोतीलाल के बीच ज़मीन का विवाद कोर्ट में विचाराधीन चल रहा था. लंबे समय के बाद कोर्ट ने सत्यदेव के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पुलिस को निर्देशित किया कि ज़मीन पर बने अवैध मकान को ध्वस्त कर दिया जाए. कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए पुलिस बुलडोज़र लेकर कार्रवाई करने पहुंची. इसी दौरान अवैध बने मकान की छत से समीर और कार्तिक ईंट पत्थर बरसाने लगे. इसमें मौके पर मौजूद 1 युवक गंभीर रूप से घायल हो गया और कुछ पुलिसकर्मी को भी चोट आई. इसके बाद छत से पथराव कर रहे समीर और कार्तिक को पुलिस ने घेराबंदी करते हुए हिरासत में ले लिया.

18 अक्टूबर को पुलिस ने भी इस मामले पर बयान जारी किया था. बयान में कहा गया है कि अवैध कब्ज़े को हटाने गई पुलिस पर पथराव किया गया था. पथराव करने वालों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजा गया है.

आज तक ने 19 अक्टूबर को एक ग्राउंड रिपोर्ट पब्लिश की थी. इस रिपोर्ट में मोतीलाल का बयान भी शामिल है जिसके मकान पर बुलडोज़र चला. साथ ही रिपोर्ट में अमीन मुकेश मिश्रा का भी बयान है जो कहते हैं कि मोतीलाल के अवैध कब्ज़े को गिराने का कोर्ट ने आदेश दिया था.

यानी, कानपूर देहात के एक इलाके में ज़मीनी विवाद में अवैध कब्ज़े को हटाने गई पुलिस पर पथराव किया गया था. इसके बाद पुलिस की कार्रवाई का वीडियो झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि पथराव करने वाले मुस्लिम थे जिन्हें पुलिस ने सबक सिखाया.

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