19 अगस्त को, रिपब्लिक टीवी के कंसल्टिंग एडिटर मेजर गौरव आर्या (सेवानिवृत्त) ने एक यूज़र जो खुद को पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान गुलमीरज़ा (@AdnanGMpk) होने का दावा करते हैं, के ट्वीट को रिट्वीट किया। आर्या की ट्वीट के मुताबिक,“पाकिस्तान में जो कोई भी सुन्नी पंजाबी नहीं है, वह वाजिब-उल-कतल है। इस लेफ्टिनेंट कर्नल की कहानी आश्चर्यजनक नहीं है। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, एक अहमदी को अपने पूजास्थल को मस्जिद कहने पर जेल भेज दिया जाता है। पाकिस्तान में अहमदी के साथ जानवरों से भी बदतर सुलूक किया जाता है”-अनुवादित।

गौरव आर्या की टिप्पणी एक पाकिस्तानी सेना अधिकारी द्वारा की गई ट्वीट पर आधारित थी, जिसमें सेना अधिकारी अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बारे में और सेना के 17 अन्य कर्मियों के बारे में बता रहे थे, जो इस्लाम के अहमदिया संप्रदाय के थे। आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि सेना में अहमदी जाति के कारण वे भेदभाव का सामना कर रहे हैं। संदेश के अंत में निष्कर्ष के रूप में लिखा गया है कि,“यह पूरी तरह से शर्मनाक है। हमारा देश बर्बाद हो गया है”-अनुवादित।

स्वराज्य ने कथित तौर पर ‘पाकिस्तानी अहमदिया सैनिक’ द्वारा किए गए ट्वीट पर एक लेख प्रकाशित किया है।

झूठा अकाउंट

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान गुलमिरज़ा द्वारा दावा किया जाने वाला अकाउंट फ़र्ज़ी है। यह अकाउंट हाल ही में अगस्त 2019 में बनाया गया था और प्रोफाइल पिक्चर में दिख रहे व्यक्ति लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान नहीं है।

उनकी तस्वीर 23 अप्रैल 2019 को प्रकाशित दो समाचार लेखों में पोस्ट किया गया था, जब पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सैयद मोहम्मद अदनान को बहावलपुर कोर के कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया था। इस बात की खबर पाकिस्तानी अखबार डॉन ने दी थी। पाकिस्तानी पत्रकार इमरान मीर ने 19 अप्रैल को कमांडर अदनान की एक और तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा था, “शीर्ष सेना पदानुक्रम में नई पोस्टिंग। लेफ्टिनेंट जनरल सैयद मोहम्मद अदनान को कमांडर 31 कॉर्प्स बहावलपुर के रूप में तैनात किया गया है”-अनुवादित।

नीचे दी गई तस्वीर में, फ़र्ज़ी हैंडल में लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान गुलमीरज़ा की तस्वीर को कमांडर सैयद मोहम्मद अदनान की मूल तस्वीर को साथ रखकर तुलना की गई है। दोनों तस्वीरों में भिन्नता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है जैसे कि, कॉलर से हटाए गए लाल प्रतीक, चेहरे पर दाढ़ी और आंखों के रंग में मामूली बदलाव।

प्रोफाइल के स्क्रीनशॉट को ध्यान से देखने पर हमें पता चला कि, इसमें पहले कमांडर सैयद मोहम्मद अदनान की मूल तस्वीर को रखा गया था लेकिन बाद में इसे फोटोशॉप्ड तस्वीर के साथ बदल दिया गया।

मेजर गौरव आर्या, जिन्होंने ट्विटर पर खुद के नाम से बने व्यंगनात्मक हैंडल को रिपोर्ट किया था, उन्होंने अब एक पाकिस्तानी सेना से सम्बंधित बने एक फ़र्ज़ी अकाउंट को उद्धृत किया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को अप्रभावी करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद सेना और सार्वजनिक लोगों के नाम से कई ट्विटर अकाउंट सामने आये है। यहां भारतीय और पाकिस्तानी सेना के रूप में झूठे अकाउंट के दो और उदाहरण हैं:

अन्य नकली अकाउंट

कर्नल विजय आचार्य

16 अगस्त को ट्विटर पर कर्नल विजय आचार्य की एक फ़र्ज़ी प्रोफाइल बनाई गई थी। हैंडल से साझा किए गए एक ट्वीट में दावा किया गया था कि वह ‘कश्मीर में हत्याओं’ के कारण भारतीय सेना से इस्तीफा दे रहे हैं।

ज़ी न्यूज़ के प्रसारण के अनुसार, पूर्व सेना के जवान विजय आचार्य ने इस साल मार्च में सेवानिवृत्ति ले ली थी। उन्होंने मीडिया संगठन को सूचित किया था कि, उनके नाम से एक नकली अकाउंट चलाया जा रहा है। कर्नल ने कहा, “अनुच्छेद 370 के अप्रभावी होने के बाद उनकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई है। मैं इसी का शिकार हुआ हूँ। 16 अगस्त को मेरे नाम से अकाउंट बनाया गया था”-अनुवादित।

लेफ्टिनेंट असिमुद्दीन ज़माल

ट्विटर हैंडल @LtAsimZamal ने एक संदेश साझा किया था जिसमें पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पाकिस्तानी सरकार पर निशाना साधा गया था। यह प्रोफ़ाइल हाल ही में जून 2019 में बनाई गई थी और इसमें जनरल आसिम बाजवा की एक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था।

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को ट्वीट साझा करने से पहले अकाउंट की जाँच करनी चाहिए। किसी प्रोफ़ाइल की प्रामाणिकता की पुष्टि करने का एक तरीका यह है कि ब्लू-टिक को देखा जाए। अगर यह निशान अकाउंट में मौजूद ना हो तो, अकाउंट को बनाने की तारीख या फिर उसके द्वारा किये गए ट्वीट की प्रकृति के आधार पर भी पता लगाया जा सकता है।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.